सूनी हवेली - भाग - 19 Ratna Pandey द्वारा क्राइम कहानी में हिंदी पीडीएफ

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सूनी हवेली - भाग - 19

हवेली से कुछ दूरी पर एक परिवार था जिसका हवेली में आना जाना था लेकिन उन्हें भी इस सब के बारे में कुछ नहीं पता था।

वीर के पूछने पर कि हवेली के सब लोग कहाँ गए उस घर की महिला ने कहा, “वे लोग ज़्यादा तो कहीं बाहर नहीं जाते हैं। अगर किसी काम से जाना ही पड़े तो हमें बताते हैं। लेकिन इस बार कुछ भी नहीं बताया। हम लोग भी पिछले कुछ समय से यहाँ नहीं थे। इसलिए हमारा भी आना-जाना नहीं हो पाया।”

वीर वापस आ गया। उसने कहा, "अंकल कुछ पता नहीं चल रहा है।"

तब घनश्याम ने पूछा, "तो फिर अब हम लोग क्या करें?"

वीर ने कहा, " अंकल हम लोग अभी कर भी क्या सकते हैं। हमें अनन्या के फ़ोन का इंतज़ार ही करना होगा।"

"वीर तुम ठीक कह रहे हो। दो-चार दिन में वह हमें फ़ोन ज़रूर करेगी। बस वह किसी मुसीबत में ना फंस गई हो, यह सोचकर डर लग रहा है।"

अनन्या की माँ ने रोते हुए कहा, "अनन्या वहाँ क्या करने गई थी और क्या कर रही थी।"

अनन्या की थोड़ी बातें तो जब वह वीर से बात कर रही थी तभी रेवती ने सुन ली थी। बाक़ी पूरी सच्चाई जानने के लिए उन्होंने वीर से कहा, "वीर तू तो सब कुछ जानता है तुम दोनों की मिली भगत से ही वह योजना बनी थी ना? वीर हम सब कुछ जानना चाहते हैं, हमें सब कुछ सच-सच बता दे? तुझे तेरे मरे हुए माँ-बाप की सौगंध।"

वीर तो ख़ुद ही अपने किए पर पछता रहा था। उसने पूरा राज़ अनन्या के माता-पिता के सामने खोल कर रख दिया और रोते-रोते उनसे माफ़ी मांगने लगा।

वीर की बातें सुनकर दुखी होते हुए अनन्या की माँ ने कहा, "यदि वह मिल भी गई तो मैं उसे कभी माफ़ नहीं करूंगी।"

"अरे अनु की माँ वह ज़िंदा भी है या नहीं क्योंकि वीर से अंतिम बार जो बात वह कह रही थी उसी के बाद से उसकी कोई खैर ख़बर नहीं है। हो सकता है उस समय की बातें वहाँ के मालिक ने सुन ली हों और यदि ऐसा हुआ होगा तो वह उसे ज़िंदा नहीं छोड़ेगा।"

अनन्या की माँ ने कहा, "जानते हो अनन्या के कर्मों का लेखा जोखा तो ऊपर वाले के पास भी होगा ना? वह जब भी वहाँ जाएगी वह भी उसे सजा देंगे ना? उसने हमारे दिए संस्कारों का खून कर दिया है।"

"हाँ जैसी करनी वैसी भरनी कहावत सही होती है अनु की माँ, सजा तो मिलेगी और मिलनी भी चाहिए। उसने कुछ भी तो ठीक नहीं किया पता नहीं उसके कारण हवेली में क्या-क्या घटा होगा।"

उन सबके लिए हवेली में लगा ताला बहुत बड़ा ना सुलझने वाला राज़ बन गया। अनन्या के माता-पिता ने अपनी बेटी के गुम हो जाने की ख़बर भी पुलिस को नहीं बताई। वे अपनी बदनामी स्वयं ही नहीं करना चाहते थे क्योंकि उनकी बेटी की करतूत वे जान चुके थे। वे तो बस केवल इतना चाहते थे कि उनकी बेटी वापस आ जाए परन्तु उनका यह सपना कभी भी पूरा नहीं हो सकता था। अपनी बेटी की वापसी की रास्ता देखते गरीब माँ-बाप की सूनी आंखों में कभी रौनक ना आ पाई। वह बेचारे तो अपनी बेटी को अच्छे संस्कारों से सजाना चाहते थे लेकिन कुछ चीजें इंसानों के हाथों में नहीं होती उन पर ऊपर वाला ही नियंत्रण रखता है।

 

रत्ना पांडे, वडोदरा (गुजरात)
स्वरचित और मौलिक
क्रमशः