बंद मकान Rahul Narmade ¬ चमकार ¬ द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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बंद मकान

अंकित और रिया की चार महीने बाद शादी होने वाली थी। अंकित एक फाइनेंस कंपनी में असिस्टेंट मैनेजर के पद पर कार्यरत था | जबकि रिया एम.बी.ए. के सेकंड यर में थी।


   रिया और अंकित दोनों शहर के दूर लेकिन एक फेमस रेस्टोरेंट में डिनर के लिए गए, वे दोनों अंकित के स्कूटर पर गए, रेस्टोरेंट जाते समय बारिश नहीं हो रही थी लेकिन वापस आते समय बहुत जोर से बारिश आ रही थी और स्कूटर के साइलेंसर में पानी भर गया | पानी के कारण स्कूटर रुक गया था |


     स्कूटर खड़ा करके दोनों आगे गए और सामने एक खंडहर था जिस पर "गुणाती बाग" लिखा था। ईस 1925, यह 40 साल पुराना, बंद मकान था, जिसके उपर सीधा टेरेस था।

अंकित ने कहा, "चलो यहीं रुकते हैं।"

रिया (चौंककर) : "यहाँ?!! इस डरावने घर में?"

अंकित: "हां, कोई उपाय नहीं है, कहीं रहने का ठिकाना नहीं है।"

    अंकित सही था, यह एक शांत इलाका था जहां कुछ बिखरी हुई दुकान थी और बीच में यह खंडहर था, अंकित अंदर गया, उसने देखा कि मकान का दरवाजे पर एक खुला हुआ ताला लटक रहा था , उसने सोचा कि एसे खंडहर जैसे मकान में कौन चोरी करने आएगा? वापिस आते समय अंकित ने कुछ सामान खरीदा था, जिसमें किराने का सामान, मोमबत्तियाँ और एक माचिस का बॉक्स था, वे दोनों अंदर गए, वहाँ जाकर 4 मोमबत्तियाँ जलाईं, उनमें से एक को लेकर वे दोनों पूरे घर में घूमे, इस घर में तीन कमरे थे, एक बड़ा हॉल और एक बड़ा रसोई घर था और घर के पीछे एक खुला सीमेंट का टैंक था जिसमें बारिश का साफ पानी था। इस घर में कुछ चीजें पड़ी हुई थीं जैसे हॉल में एक टेबल कुर्सी, बाथरूम में एक टूटी हुई बाल्टी, किचन में कुछ बर्तन आदि।


      रिया एक मोमबत्ती लेकर एक कमरे में गई, वह सब कुछ देख रही थी और अचानक पीछे मुड़कर देखा तो बहुत डरावना दृश्य था। अंकित पीछे खड़ा था और उसके मुंह में डरावने सीरियल के भूत के दांतों की तरह हरे रंग के नकली दांत पहना खड़ा था, अंधेरे में वो अजीब तरह से हँसा, दरअसल अंकित के पास बचपन से एक भूतिया दांतों का फ्रेम था जिसे वह कई बार रिया को डराता था, रिया की हृदय गति बढ़ गई क्योंकि उसने अंकित से कहा, "डिसगस्टिंग अंकित, यह मजाक करने का टाइम है? एक खंडहर और इतनी अंधेरी रात में तुम मजाक कर रहे हो" अंकित चुप था, रिया चली गई।


      रिया को गर्मी लग रही थी, माहौल बारिश और गर्मी का था, रिया नहाना चाहती थी, उसने बाथरूम में बाल्टी देखी और नहाने का मन बना लिया, अंकित हॉल में बैठा था, रिया अभी भी गुस्से में थी, उसने गुस्से में अंकित से कहा, ''मुझे गर्मी लग रही है, नहाना चाहती हूं.''

अंकित "ओके, नाह ले तो"

अंकित पीछे खुली हुई सीमेंट की टंकी के पास गया और पानी की बाल्टी भरकर बाथरूम में रख दी, रिया नहाने चली गई।


पांच मिनट बाद रिया बिखरे बाल और बदन पर तौलिया लपेटे बाहर आई और अंकित के बिल्कुल करीब आ गई, अंकित उसे देखकर चौंक गया, रिया की आंखों में एक खास तरह का नशा था, वह अंकित की तरफ प्यार से देख रही थी अंकित भी जवानी के जोश में था और कामुकता का नशा उसपर चढ़ रहा था और रिया घूर रही थी , अंकित बोला ।

अंकित: "ऐसे क्या देख रही हो? कभी मुजे देखा नहीं क्या? "

रिया (मादकता के साथ) : "नहीं!! नहीं, मैंने तुम्हें कभी ऐसे नहीं देखा जैसा तुम आज हो!!"

अंकित (स्वस्थ होकर) : "अब जाओ, कपड़े बदलो"

उसने रिया को एक हल्का धक्का दिया और रिया कमरे की ओर चल दी, अंकित को प्यार से देखती हुई हो अंदर गई । पाँच मिनट तक तो कुछ नहीं हुआ लेकिन थोड़ी देर बाद बाथरूम का दरवाज़ा जहाँ रिया नहा रही थी अचानक खुला और रिया उसमें से साफ़-सुथरे कपड़े निकली। अंकित उसे देखकर दंग रह गया |

रिया (आश्चर्य से) : "क्या हुआ अंकित?!!"

अंकित: "क्या तुम कपड़े पहनने के लिए कमरे में गई थी? फिर बाथरूम में कैसे पहुंच गई?"

रिया: "क्या? कमरे में? मैं अभी बाहर निकली बाथरूम से ।"

अंकित: "अरे तुम अभी ही तो सिर्फ तौलिया पहन कर बाहर आयी थी और कमरे में चली गई !!!"

रिया: "नहीं अंकित, मैं अभी बाहर आई हूं !!"

अंकित (गुस्से मे) : "रिया बहुत हुआ मजाक!! , सच बता, अगर तुम बाहर गई और कमरे में गई, तो वापस बाथरूम में कैसे आ गई?!!!!"

रिया (गुस्से में) :" तुम मजाक कर रहे हो अंकित!! मेरे नहाने जाने से पहले उसने मुझे अपने भूतिया दांतों से डरा दिया था, उसका क्या ?!!

अंकित:" क्या कहा तुमने?!! मैंने वो दांत पहनकर तुम्हें डरा दिया??!! रिया मैं पागल नहीं हूं, 24 घंटे दांत साथ लेकर घूमता नहीं हूं!!"

रिया: "क्या तुम सच कह रहे हो?"

अंकित: "हाँ रिया, मैं सच कह रहा हूँ। कसम खाकर बता रहा हूँ ।"

रिया डर गई और बोली, "और मैं भी सच कह रही हूं, मैं भी अभी बाहर आई।"

अंकित: "एक मिनट!! मैंने तुम्हें डराया नहीं है और तुम अभी ही बाहर आयी हो तो हमारा सामना जिनसे हुआ वह कौन था??!!! "

कमरे में सन्नाटा था, 4-5 मोमबत्तियाँ जल रही थीं, सन्नाटा भी सुनाई दे रहा था, दोनों डरे हुए एक दूसरे को देख रहे थे।

रिया:"अंकित चलो निकलते हैं !! यहाँ बहुत कुछ गड़बड़ है"!!! अंकित भी घबरा रहा था, इससे पहले कि वे कुछ कर पाते, ज़मीन हिलने लगी, जबरदस्त तीव्रता का भूकंप आया, इससे पहले कि अंकित और रिया भाग पाए, घर की छत ज़ोर से गिर गई और वे छत के नीचे दब गए।

   काफी रात हो चुकी थी, दोनों छत के मलबे में दबे हुए थे, रिया की आंख आश्चर्य से खुल गई कि दोनों जीवित थे, उसने रोते हुए अंकित को उठाया, अंकित भी उठ गया, मलबा हटाकर दोनों खड़े हो गए, वे दोनों जितना ज़ोर से दौड़ सकते थे, दौड़े, अंकित ने स्कूटर चलाया और भाग गए। वे दोनों एक दुकान की छत के नीचे बैठ गए और दूर "गुणाती बाग" के गिरे हुए मलबे को देखते रहे, ठंडी बारिश में पूरी रात वहाँ बैठे रहे ।


सुबह तक बारिश का पानी उतर चुका था, अंकित का सिर दर्द कर रहा था और रिया के आंसू अभी भी नहीं रुक रहे थे। अंकित ने स्कूटर स्टार्ट करने की कोशिश की और स्कूटर स्टार्ट हो गया, दोनों अपने-अपने घर लौट आए। उन दोनों ने अपने घर में बारिश की घटना के बारे में पहले ही बता दिया था, इसलिए कोई सवाल उठने की संभावना नहीं थी | अंकित ने घर पर स्नान किया और थोड़ी देर आराम किया, दोपहर को उठने के बाद देखा कि उसके शरीर पर कोई घाव नहीं था और मलबे के नीचे दबे होने के बावजूद उसे दर्द नहीं हो रहा था, फिर उसने उठकर टीवी चालू कर दिया और टीवी चैनल बदल दिया। एक चैनल पर नजर डाली "बड़ौदा सिटी न्यूज़", यह चैनल बड़ौदा शहर के ऐतिहासिक स्थलों के बारे में लाइव प्रसारण कर रहा था।


एक बार फिर अंकित चौंक उठा ,उसमें "गुणाती बाग"!! नाम के उसी खंडहर की खबर चल रही थी, जो इस तरह थी : "बड़ौदा शहर के 96 साल के इतिहास को दर्शाता एक मकान , जो आज भी खड़ा है, लेकिन सुना गया है कि कुछ लोगों को यहाँ भूतिया अनुभव होते हैं, कुछ लोगों को यहां किसके होने का अह्सास होता है !! "

अंकित सोच रहा था कि ये घर अभी भी खड़ा है तो वो मलबा किसका था, और वो दुर्घटना हुई वो क्या था? क्या वो सच था कि एक डरावना एहसास!