वेम्पायर्स Rahul Narmade ¬ चमकार ¬ द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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वेम्पायर्स

मैं अनुज अहमदाबाद में रेहता हू, ये बात एक साल पहले की है, पिछले साल अगस्त 2022 मे, मैं M. Sc Zoology के सेमेस्टर 3 मे था उन्हीं दिनों मे मुजे चमगादड़ - bats पर रिसर्च करनी थी इसलिए मैं अनंतगढ़ शहर मे गया था क्युकी वहाँ पर जंगल आया हुआ है इसलिए जैव विविधता यानी कि अलग अलग कई तरह के जीव (पेड़, पौधे, जंतु, पक्षी और जंगली जानवर) मिलते हैं और इसलिए वहां चमगादड़ भी मिल जाते हैं | चमगादड़ में भी मैं वेम्पायर बेट जोकि चमगादड़ो की एक प्रजाति है जिसके काटने पर Rabies - अलर्करोग (હડકવા) होता है, ये वही रोग है जो कुत्ते के काटने पर होता है | मैं 17 अगस्त को अनंतगढ़ ट्रेन से गया था वहाँ बाहर मुजे भीड़ दिखी मैंने उधर जाके देखा तो एक लाश पडी थी जिसका रंग बहुत ही बुरी तरह उड़ चुका था वहाँ के लोगों से मुजे पता चला कि यहां रात को इंसान जैसे दिखने वाले वेम्पायर घूमते हैं जो रात को अकेले इंसान पर हमला करके उसका सारा खून चूस कर उसे मार डालते हैं | दोपहर के वक़्त मैं होटल पहुचा था, लेकिन मुजे पता चला था कि ये अनंतगढ़ एक रहस्यमय शहर है, तब से मुजे थोड़ा थोड़ा डर लग रहा था, मेरा काम सिर्फ एक ही दिन का था उसी दिन दोपहर को मैं जंगल के इलाके में गया वहाँ मुजे कई चमगादड़ उड़ते हुए दिखे मैंने 8×42 pro Binocular निकाला उन चमगादड़ को देखने लगा, मैंने बहुत सारे फोटो लिए और फिर 2 घंटे बाद वापिस होटल पर आ गया, आज क्या किया वो सभी घटनाओ को मैंने मेरी नोट बुक मे लिखा जिसमें प्रतिदिन मुजे मेरे गाइड के सिग्नेचर लेने होते हैं | रात 9:00 बजे थे, मैं खाना खा कर बैठा था, थोड़ी देर होटल मे TV देखने के बाद मुजे नींद आने लगी तो मैं सो गया,रात को अचानक मेरी नींद उड़ गई, मैंने देखा कि मेरे कमरे की खिड़की पर कोई काला साया खिड़की खटखटा रहा था मैं घबरा गया, मैंने देखा कि घड़ी में रात 1.00 बजे थे, वो वहीं वेम्पायर था जिनकी बाते शहर मे हो रही थी | मैं उठकर नीचे भाग गया, नीचे वही दोपहर वाला ही रिसेप्शनीस्ट बैठा था | मैंने उसको जाकर कहाः

मैं (हांफते हुए) : देखिए, मेरे कमरे की खिड़की पर कोई काला साया है जो चमगादड़ जैसा दिख रहा है |

रिसेप्शनीस्ट (चौंक कर) : ओहो, तो वो आपको भी दिखने लगा?!!!

मैं : आपको भी का क्या मतलब है?

रिसेप्शनीस्ट : बहुत सारे गेस्ट को दिखता है; जो भी अकेला हो उस कमरे की खिड़की पर वो दस्तक देता है |

मैं (गुस्से में) : तो ये बात आप मुजे अभी बता रहे हैं?!! जब मैं आया तब नहीं बता सकते थे??! अगर मुजे कुछ हो जाता या मैं मर जाता तो?!! अरे बोलिए अब क्या करू मैं?

रिसेप्शनीस्ट: देखिए आप चिंता मत कीजिए, वो सामने कमरा है उधर एक छोटा सा परिवार रहता है, वहाँ 3 बेड है, मैं भी रात को उधर ही आ रहा हूं सोने, आप उधर चले जाइए |

मैं उस कमरे में गया वहाँ पहले से 3 लोग थे - एक 6 साल का बच्चा और उसके माँ - बाप जिनके लिए डबल बेड था और दो सिंगल बेड थे उसमे से एक पर मैं सोने वाला था | एक अजीब बात देखी मैंने, वो बच्चा आधी रात को खाना मांग रहा था, उसे भूख लगी हुई थी, बाकी सबने खाना खा लिया, उसकी माँ उसे समजा रही थी कि अभी खाना आएगा | फिर मैंने देखा कि उसको दांतों मे खुजली होनी शुरू हो गई, फिर बहुत ही भयानक चीज देखी मैंने, मैंने देखा कि उसके आगे के दो दांत लंबे और नुकीले हो गए और उसके नाखुन भी लंबे हो गए और सिर्फ उसके ही नहीं बल्कि उसके माँ बाप के भी दांत एसे हो गए, मैं समज गया था कि ये सभी लोग वेम्पायर्स है, यहां के लोग रात को वेम्पायर्स हो जाते हैं, इससे पहले कि मैं भाग सकू लड़के के बाप ने मुजे पकड़ लिया और उसकी माँ ने भी मुजे पकड़ लिया इतने मे वो रिसेप्शनीस्ट भी आ गया उसका भी चेहरा एसा हो गया था उन सभी ने मेरे हाथ पांव पकड़ लिए और वो बच्चे ने मेरी गर्दन पर अपने नुकीले दांत घुसा दिए और खून चूसने लगा, और थोड़ी ही मिनिटों मे मैं बेहोश सा हो गया |

लेकिन दूसरे दिन सुबह हुए और मैं उठा, मुजे लगा कि मैं मर चुका हूं लेकिन एसा नहीं था, मैं उठकर आसपास देखने लगा, कल रात के कोई भी लोग नहीं थे सिवाय रिसेप्शनीस्ट | वही रिसेप्शनीस्ट कल रात वाला उधर बैठा था जिसके लंबे, नुकीले दांत उग गए थे लेकीन अभी वो नॉर्मल सा लग रहा था | वो किसी से फोन पर बात कर रहा था मैं उसके पास गया और उसे घूरने लगा, उसने भी मुजे देखा फिर कुछ देर रहकर वो बोल पड़ा :

रिसेप्शनीस्ट : क्या हुआ सर? इस तरह क्यु देख रहे हों?

मैं बौखला गया था, मैंने पूछा : आप कल रात उसी कमरे मे सोए थे?

रिसेप्शनीस्ट : जी हाँ, मैं उधर ही सोता हू |

मैं : अच्छा ठीक है |

रिसेप्शनीस्ट : क्यु क्या हुआ? आप परेशान लग रहे हैं?

मैं : नहीं वो, कल रात मुजे चमगादड़ के खयाल आ रहे थे इसलिए, और कुछ नहीं |

रिसेप्शनीस्ट : अरे आप घबराईए मत, आज रात भी उधर ही सोना आप |

मैं : नहीं मुजे निकलना है, चेक आउट करना है |

रिसेप्शनीस्ट : अच्छा कोई बात नहीं |

मेरा सिर घूमे जा रहा था, फिर मैंने सोचा कि ये शायद बुरा सपना होगा ये सोचकर मैं एक ही घंटे मे वहाँ से निकल गया और वापिस आने की ट्रेन मे बैठ गया, जब मैं घर आया तब मेरे माता पिता बहुत खुश हुए, मेरे पिता हंसकर मुझसे पूछने लगे,

पापा : बेटा, कैसी रही ट्रिप? मजा आया ना? कहीं चमगादड़ो ने परेशान तो नहीं किया न?

मैं : अच्छी रही पापा |

लेकिन अचानक पापा कहने लगे

पापा : अरे अनुज, तुम्हारी गर्दन पर ये निशान कैसा?

मैं : कैसा निशान!!?

पापा : मिरर में देख जाकर |

मैंने जाकर देखा तो मैं चौंक गया, मेरी गर्दन पर दांतों के निशान थे, पर अफसोस ये सपना नहीं था !!!