अनंतगढ़ शहर मे एक परिवार रहता था, जिसमें चार सदस्य थे, 40 साल का वत्सल और उनकी पत्नी नेहा जिसकी उम्र भी 40 साल की थी, उन दोनों ने प्रेम विवाह किया था और उन दोनों को 16 साल का बेटा नैमिष और 10 साल की बेटी स्नेहा थी | वत्सल एक फार्मा कंपनि मे ऑफिसर था, उन दोनों पति पत्नी के घरवाले भी उनसे बहुत खुश थे, नैमिष और स्नेहा दोनों ही बड़े आज्ञाकारी बच्चे थे, लेकिन समस्या ये थी कि वो अपने लिए अच्छा सा घर ढूंढ रहे थे, अबतक वो लोग भाड़े से रह रहे थे लेकिन वत्सल को पिछले कुछ दिनों से उसे अनंतगढ़ के एक इलाके में 5 मंजिला इमारत थी उसमे एक फ्लेट मिल गया था वो उसे खरीदना चाहता था, 10 साल पुराना था लेकिन उसने खरीदने का मन बना लिया था, बाकी के सदस्यों को भी ये फ्लेट पसंद आ गया था | पूरा परिवार दशहरे के दिन शिफ्ट हो गया था, अब वो लोग दिवाली की तैयारी कर रहे थे, इस इमारत की एक प्रॉब्लम थी, यहां बहुत से फ्लेट खाली थे, सिर्फ कुछ परिवार ही रह रहे थे, ये जर्जरित इमारत थी इसलिए थोड़ी पुरानी लगती थी |
नेहा एक अच्छी महिला थी, वो ऑनलाइन कम पार्ट टाइम जॉब करती थी और घर सम्भालती थी , एक दिन, शाम के करीब 6.30 का समय था, वहां सूरज डूब गया था इसलिए थोड़ा सा अंधेरा हो चुका था, नेहा रसोईघर मे बैठकर सब्जी काट रही थी, नैमिष अपने कमरे मे बैठकर पढ़ाई कर रहा था जबकि स्नेहा फ्लेट के नीचे कमपाउन्ड मे खेल रही थी, तभी अचानक लाइट चली गई, चूकी थोड़ा सा अंधेरा हो चुका था इसलिए स्नेहा को उपर लाने के लिए नैमिष टॉर्च लेकर निकला, नीचे से जब वो दोनों उपर आ रहे थे तभी वहाँ नीचे आए एक फ्लोर पर सारे फ्लेट बंद थे किसीने उधर एक पुराना सा बेड रखा था, उस बेड की ओर नैमिष ने टॉर्च लगाई तब उसे कुछ भयानक दिखा | उसने देखा कि उस बेड पर एक आदमी आधा लेटा हुआ था,जिसके पूरे काले कपड़े थे और काली सफेद पुतलियों वाली आँखे थी, उसने देखते ही बोला :
आदमी : कैसे हो पड़ोसी? अभी तो नए नए रहने आए हों, आगे बहुत मज़ा करेंगे, हा हा हा....
वो दोनों घबरा गए,
दोनों भागे और अपने फ्लेट मे घुस गए, वहां दरबाजा बंद कर दिया, तभी वहां नेहा रसोईघर मे से घबराकर भागती हुई उन दोनों के पास आयी और उसने कहा :
नेहा : बच्चों, कहां थे तुम दोनों?
नैमिष : मम्मी, हमने एक आदमी को नीचे देखा जिसकी बड़ी सी सफेद पुतलियों वाली आंखे थी |
नेहा : अरे मुजे कब से एक लड़की यहां से वहां आते जाते हुए दिख रही है, कितनी बार मैंने आवाज दी मगर रुक ही नहीं रही है |
तब ही वहाँ कमरे में 8 साल की एक बच्ची दौड़ती हुई गुजरी, उसके पैरों में पायल पहनी हुई थी इसलिए उन्हें आवाज भी आयी, वो तीनों देखते रह गए | तब ही वहाँ लाइट आ गई, बहुत देर तक वो तीनों हक्के बक्के रह कर खड़े थे | दिवाली के कुछ दिन बाद की बात थी, फिर से शाम के वक़्त 7.00 बजे लाइट चली गई, इस बार फ्लेट मे सिर्फ नेहा अकेली थी, स्नेहा नीचे खेल रही थी जबकि नैमिष बाहर गया हुआ था, नेहा होल मे थी, उसने टॉर्च चलाई और रसोईघर की और गई तब उसे डाइनिंग टेबल पर टॉर्च चलाने पर एक औरत बैठी हुई दिखी |
वो औरत की काली आँख थी, और उसने गुस्से से नेहा को घूर घूर कर देखने लगी, नेहा डरकर पूछने लगी :
नेहा : क.. क.. क.. कौन हो तुम? और यहां मेरे घर मे क्या कर रही हो?
वो औरत घूर घूर कर देख रही थी और उसने गुस्से से कहा :
औरत : ये मेरा घर है, मेरा |
इतना बोलते ही वो हवा बन गई और नेहा की और बढ़ चली, अब वहाँ फ्लेट मे बच्चे और वत्सल तीनों आए, नेहा घबराकर वत्सल को गले लगा लिया और सब कुछ सच बताया, वत्सल ने कहा :
वत्सल : तुम शांत हो जाओ नेहा, बैठो, पानी पियो |
उन्होंने नेहा को बिठाया, अभी भी लाइट नहीं आई थी तभी फिर से उन चारो को वो बच्ची दौड़ती हुई दिखाई दी, फिर वो आदमी भी दिखा जो उस दिन स्नेहा और नैमिष को दिखा था, उसने फिर से उन चारो को कहा :
आदमी : कैसे हो पड़ोसी? अभी तो मौत की शुरुआत है, आगे देखिये |
इतने मे वो हवा बन गया, वो औरत भी कहीं से आयी और कहने लगी :
औरत :यहां आग लगेगी, आआआआआग...
इतने मे बिजली आ गई और वो लोग गायब हो गए, थोड़ी देर तक सन्नाटा छा गया था, तभी वत्सल ने कहा :
वत्सल : ये लोग लाइट आते ही गायब हो जाते हैं, इसका मतलब है कि लाइट का संबंध है, मैं कल ही मकान मालिक सहदेव से बात करता हू,
दूसरे दिन सहदेव से मिलने के लिए वत्सल गया तभी सहदेव ने बताया कि :
सहदेव : दरअसल आपके आने से 2 साल पहले एक परिवार रहा करता था, जिसमें पति पत्नी और एक 8 साल की बच्ची थे, एक दिन बिजली चली गई तभी गैस का सिलिंडर खत्म हो गया वहाँ वो औरत और उसका पति दोनों अन्धेरे मे नया सिलिंडर लगाने के लिए टॉर्च से प्रयास कर रहे थे लेकिन ठीक से फ़ीड नहीं कर पाए, इसलिए गैस लीक होनी शुरू हो गई, अचानक लाइट आने पर लीकेज की वजह से बड़ा धमाका हुआ जिसमें उन तीनों की मौत हो गई, वो 8 साल की बच्ची भी वहाँ थी इसलिए वो भी नहीं बच पाई |
इस दुर्घटना के बाद मैंने इस फ्लेट मे मरम्मत करवाई और आप रहने के लिए आए |
वत्सल और उसके परिवार ने वो फ्लेट छोड़ दिया, उसके पैसे पूरे नहीं दिए थे वत्सल ने इसलिए अगली रकम सहदेव ने वापिस कर दी | एक साल तो वत्सल का परिवार भाड़े के घर मे रहा फिर उन्होंने लोन ली और थोड़े अपने पैसे जोड़कर एक नया फ्लेट खरीदा और वो लोग शांति से रहने लगे थे, लेकिन आज भी जब बिजली चली जाती थी तब वत्सल और उसके परिवार के लोगों को कभी कभी उस तीनों के होने का एहसास होता था, उस बच्ची के पायल की आवाज सुनाई देती थी और वो आदमी के शब्द सुनाई देते थे :
" कैसे हो पड़ोसी? अरे अभी तो शुरुआत है"