उधर अबीर और मालिनी घर की तरफ आ रहे थे।
"क्या लगता है तुमको मालिनी सांझ माफ करेगी मुझे..?? इतनी बड़ी बात वो एक्सेप्ट कर पायेगी।
"मुश्किल होगा पर मुझे विश्वास है कि अक्षत उसे समझा देगा..!! बहुत समझदार है अक्षत। जब उसे आपसे नाराजगी थी उसके बाबजूद उसने न सिर्फ आपको माफ किया बल्कि साँझ को नए रंग रूप नई पहचान के साथ एक्सेप्ट किया। उसका साथ दिया तो अब भी जरूर सांझ को समझाएगा। आप दोनों के रिश्ते खराब नहीं होने देगा।" मालिनी ने अबीर को समझाते हुए कहा।
थोड़ी देर में वो लोग घर पहुंच गए।
अबीर ने आते ही सांझ की तरफ देखा जो कि नज़रें झुकाए बैठी थी। अबीर ने आकर उसके सर पर हाथ रखा तो साँझ ने उसकी तरफ देखा।
अबीर की आंखें भरी हुई थी।
"मुझे माफ कर देना बेटा पर मुझे उस समय जो सही लगा मैंने बस वही किया..!!" अबीर बोले तो सांझ उठ खड़ी हुई और उनके हाथों को थाम लिया।
"नाराजगी थी आपसे बहुत ज्यादा नाराजगी थी क्योंकि आपने मुझसे मेरी पहचान छीन ली पर सिर्फ और सिर्फ इसलिए मैं माफ कर रही हूं क्योंकि इस नई सूरत के साथ भी मेरे जज साहब मेरे साथ है। और उन्होंने मुझे समझाया कि आपने जो किया मेरी भलाई के लिए किया। इसलिए अपने मन पर कोई बोझ मत रखिये पापा। अब मै किसी के साथ किसी भी तरीके का कोई मनमुटाव कोई नाराजगी नहीं रखना चाहती। मौत के मुंह से वापस आई हूं तो बस अपनों के साथ जीना चाहती हूँ।" सांझ ने कहा तो अबीर ने उसके सिर पर हाथ रखा।
"जानता हूं मैं आसान नहीं होगा तुम्हारे लिए यह सब कुछ एक्सेप्ट करना। पर तुम एक पिता की हालत और मानसिक स्थिति नहीं समझ सकती जिसके सामने उसकी बेटी हो जिसकी जान पर खतरा हो। बस जो समझ आया वो किया कुछ गलत तो कुछ सही। बाकी तुम खुश रहो यही चाहता हूँ।" अबीर बोले तो सांझ ने उनके सीने से सिर टिका लिया।
अबीर ने अक्षत को देखा तो उसने पलकें झपका दी।
" अच्छा अब मै निकलता हूँ..!" अक्षत ने कहा तो सांझ ने उसकी तरफ देखा।
"जज साहब..!!" सांझ बेचैनी से बोली।
" कल से तो मैरिज हॉल में ही रुकोगे आप लोग भि..!! बस आज की बात है।" अक्षत ने सांझ की तरफ देख कहा तो सांझ ने गर्दन हिला दी वरना वो अक्षत के जाने की बात सुन एकदम से घबरा गई थी।
अक्षत अपने घर निकल गया और वह लोग बाकी की तैयारी में लग गए क्योंकि अगले दिन से सबको मैरिज हॉल जाना था और शादी के सभी प्रोग्राम वहीं पर होने थे। दोनों फैमिली वहीं एक साथ रुकने वाली थी अगले दो दिनों तक जहां पर हल्दी मेहंदी संगीत के बाद फाइनली अक्षत सांझ ईशान और शालू की शादी होने वाली थी और दोनों हमेशा हमेशा के लिए अटूट बंधन में बंधने वाले थे।
अक्षत वहां से निकला वैसे ही उसका फोन बज उठा।
"हां बोलो..!!" अक्षत ने कहा।।
"सर जैसा आपने कहा था वैसा ही हुआ है..!! नेहा और उनके हस्बैंड आनंद के अस्पताल पर रेड पड़ी है। और दोनों ही इस समय पुलिस हिरासत में है क्योंकि कुछ ऐसी चीज बरामद हुई है जो की इल्लीगल है।"
"ठीक है रहने दो उन्हें दो-तीन दिन पुलिस हिरासत में उसके बाद मिलता हूं। वैसे भी मैं अपनी शादी में व्यस्त हूं।" अक्षत ने कहा
" पर सर वह लोग अपनी तरफ से कोशिश कर रहे हैं और जल्दी ही यह बात उनके सामने आ जाएगी कि यह सब आपके कारण हुआ है।" सामने वाला बोला।
"ठीक है कोई फर्क नहीं..!! मैं तो चाहता ही हूं कि वो लोग यह बात जाने और उसके बाद मुझे मिले। उन्हें आईना दिखाने का समय आ गया है।" अक्षत ने कहा और फिर कॉल कट करके गाड़ी की स्पीड बढ़ा दी।
चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कुराहट थी जिसके अंदर का राज जानना किसी के बस का नहीं था।
उधर पुलिस स्टेशन में आनंद नेहा और उनका वकील बैठा हुआ था।
" देखिये इंस्पेक्टर साहब जरूर कोई गलतफहमी हुई है। हमारा हॉस्पिटल में ऐसा कुछ भी नहीं होता है। यह सब कुछ आपको किसी ने गलत इनफार्मेशन दी है। प्लीज समझने की कोशिश कीजिए।" आनंद ने कहा।
"हमें कुछ नहीं समझना ना कुछ सुनना है..!! अब जो भी फैसला होगा वह कोर्ट में होगा। हमें तो इनफार्मेशन मिली थी और हमने जब रेड किया तो वहां से वह सारी चीजे भी बरामद हो गई जिनकी कंप्लेन हुई थी।
"पर वह चीजें वहां कोई और भी तो रख सकता है?? जिसने आपको कॉल किया हो सकता है उसी ने यह सब किया हो हमें फसाने के लिए। कई बार गलती कोई और करता है और सजा किसी और को मिलती है।" नेहा ने कहा।
" बिल्कुल सही कहा आपने मैडम जी..!! कई बार गलती कोई और करता है और सजा किसी और को मिलती है और गलती करने वाला यह बिल्कुल नहीं सोचता कि उस सजा से वह तो बचकर निकल जाएगा पर अगले इंसान पर क्या बीतेगी..?? हो सकता है कभी आपने भी ऐसा किया हो और उसी का कर्म फल आपके सामने आ गया है।" तभी वहां पुलिस स्टेशन में बैठा एक आदमी बोला तो आनंद और नेहा ने उसकी तरफ देखा।
"क्या कहना चाहते हैं आप?" आनंद ने कहा।।
"कुछ नहीं मैं तो नॉर्मल बात कर रहा हूं..!! कहते हैं ना हमारे धर्म में कि कर्मों का फल ..!! तो कई बार ऐसा होता है कि अपने कर्मों का फल हमारे सामने आ जाता है। जरूरी नहीं है कि इस समय आपकी गलती हो पर हो सकता है कभी आपने कुछ ऐसा किया हो जिससे किसी दूसरे की जिंदगी पर असर आया हो तो आज उसका परिणाम आपको भुगतना पड़ रहा है। ईश्वर के पास सबका लेखा जोखा है।" वह आदमी बोला और उठकर जाने लगा।
नेहा ने एकदम से उठकर उसका हाथ पकड़ लिया।
"कौन हो तुम क्या कहना चाहते हो? क्या जानते हो हमारे बारे में?? क्या किया है हमने ऐसा जिससे किसी और की जिंदगी पर असर पड़ा हो..??" नेहा ने बेचैनी से पूछा।
" अपने अंदर झांककर देखो जबाव खुद व खुद मिल जाएगा।" वह आदमी बोला और अपने हाथ से नेहा का हाथ छुड़ाकर तुरंत बाहर निकल गया।
"कौन था यह इंस्पेक्टर साहब..?? बताइए ना कौन था??" नेहा ने इंस्पेक्टर की तरफ देखकर कहा।
"पता नहीं कोई चोरी की रिपोर्ट लिखवाने आया था..। कुछ पर्स या मोबाइल उसका चोरी हो गया था। अब हम लोग क्या जाने..??"
"पर उसका एड्रेस वगैरह कुछ तो होगा ना..??" नेहा ने कहा।
" नही है क्योंकि सिर्फ बोल के बैठा था पर रिपोर्ट लिखाई नही। और मैडम यहां आप खुद पुलिस हिरासत में हो। गिरफ्तार करके लाए हैं आपको और आप हम पर हुक्म चल रही हो। जाओ जाकर वहां बैठो जब तक आपके वकील से बात करते हैं हम।" इंस्पेक्टर ने कहा तो नेहा शांति से जाकर बैठ गई पर उसके दिल में अजीब सी बेचैनी हो रही थी।
उसने आनंद की तरफ देखा।
"आनंद कुछ तो जानता है वह आदमी और मैं सच कह रही हूं एक यह सब कुछ किसी की सोची समझी साजिश है। किसी ने हमें फंसाने के लिए ऐसा किया है। वह आदमी कह रहा था ना कर्मों का फल किसी दूसरे की किया की सजा..!!" नेहा ने कहा।
"पर हमने ऐसा क्या किया है जो हमें इस तरीके की सजा मिले..?? और कौन करेगा ऐसा..??" आनंद ने कहा।
"जानकर नहीं किया पर अनजाने में तो हुआ है ना?" नेहा उदासी से बोली।
"क्या?" आनंद की आंखें छोटी हो गई।
"तुम भूल गए हो..!! मैंने तुम्हें बताया था ना सांझ के बारे में। मेरी गलती की सजा उसे मिली थी और उसे अपनी जान गंवानी पड़ी। और उसके पहले भी न जाने क्या-क्या हुआ होगा उसके साथ। पर सच कह रही हूं आनंद मैंने जानकर नहीं किया। मैंने सोचा भी नहीं था कि ऐसा सब होगा । उस समय मुझे सिर्फ इतना लगा कि मुझे वहां से भागना है और मैं भाग आई। इतना सोच ही नहीं पाई कि मेरे जाने के बाद मम्मी पापा और सांझ के साथ भी कुछ गलत हो सकता है। कुछ पल के लिए शायद मैं स्वार्थी हो गई थी या शायद समझ नहीं पाई थी। अगर मुझे ध्यान रहता या मुझे समझ में आता तो मैं सांझ को भी ले आती पर उस समय कुछ समझ नहीं आ रहा था मुझे। मुझे सिर्फ यह लग रहा था कि कैसे भी करके मैं तुम्हारे पास पहुंच जाऊँ। सही कह रहा था वह आदमी मुझे मेरे कर्मों का फल मिल रहा है। अनजाने में ही सही पर गलती हुई मुझसे और आज देखो ना किसी और की किए की सजा हम दोनों भुगत रहे हैं। हमारा जमा जमाया हॉस्पिटल उसकी साख मिट्टी में मिल जाएगी। नाम खराब हो जाएगा हम दोनों का। कैरियर खराब हो जाएगा और अगर यह सब चीजे साबित हो गई तो हम दोनों का लाइसेंस भी रद्द हो जाएगा आनंद..!! हम बर्बाद हो जाएंगे। सच कह रहा था वह आदमी हमें सांझ की बद्दुआ लगी है। पर तुम जानते हो मुझे सांझ के लिए कितना बुरा लगा था। जब एहसास हुआ तो कितना पछतावा हुआ था।" नेहा दुखी होकर बोली तो आनंद के चेहरे पर भी तनाव आ गया।
"तुम बिना मतलब की बातें मत सोचो..!! कुछ भी नहीं निकलेगा इंवेस्टीगेशन में। सब सही हो जाएगा मुझे विश्वास है क्योंकि मैंने किसी के साथ कुछ गलत नहीं किया। कभी गलत नहीं किया और उस दिन भी मुझे नहीं पता था कि हमारे जाने के बाद ऐसा कुछ होगा। अगर मुझे आईडिया होता तो मैं यूँ तुम्हे ले कर भागता नही सामना करता।"
खिड़की के बाहर खड़ा वह आदमी उन लोगों की बातें सुन रहा था। उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट आई और वहां से निकलते ही उसने अक्षत को कॉल लगा दिया।
" हां बोलो क्या हुआ?" अक्षत ने कहा तो उसने सारी बातें बता दी।
"ठीक है थोड़ा और पछतावा होने दो..!! जानता हूं मैं की इन लोगों की इतनी गलती नहीं है। पर अनजाने में ही सही इन लोगों से एक भूल हुई जिसका परिणाम बहुत भयानक हुआ। और इन्हें इस गलती का एहसास होना ही चाहिए। हर किसी को उसकी गलती का एहसास होगा और उनके गुनाहों के हिसाब से सजा मिलेगी।" अक्षत ने कहा और कॉल कट करके अपने घर की तरफ गाड़ी मोड दी।
वकील की कई तरह से समझाने और बार-बार सब चीजे बोलने के बाद भी इंस्पेक्टर ने उनकी बात नहीं सुनी और जब तक की पूरी इन्वेस्टिगेशन नहीं हो जाती तब तक के लिए अस्पताल को सील कर दिया और आनंद और नेहा दोनों को पुलिस कस्टडी में ही रखा गया ताकि वह किसी भी तरह की कोई होशियारी ना कर सकें।
क्रमश:
डॉ. शैलजा श्रीवास्तव