मनु चेहरे पर खुशी के साथ-साथ एक एक शर्मीली मुस्कान भी आ गई। वह अभी कमरे को देख ही रही थी कि तभी नील ने पीछे से आकर उसे अपनी बाहों में ले लिया और उसके कंधे पर सिर टिका अपने हाथों को उसकी वैली पर रख लिया।
"तो यह हर समय लड़ने झगड़ने वाली लड़की भी शर्माती है...!! और सच बताऊँ ना तो शर्माती हुई बड़ी ही प्यारी लगती है।" नील ने कहा तो मनु के चेहरे की लालिमा और भी गहरी हो गई।
"यह पल ही कुछ ऐसे होते हैं कि हर किसी की पलके खुद का खुद झुक जाती है..!!" मनु धीमे से बोली।
नील ने उसे घुमाकर अपने सामने किया और उसकी झुकी हुई पलकों पर अपने होंठ रख दिए।
"सिर्फ आज के लिए शर्माने की इजाजत है तुम्हें..!! बाकी तो मुझे तुम वैसे ही पसंद हो लड़की झगड़ती मुझे तंग करती एकदम बिंदास..!!" नील बोला तो मनु ने आंखें उठाकर उसकी तरफ देखा।
"हां सच कह रहा हूं मैं। जब तक तुम मुझे छेड़ती नहीं, मुझे तंग नहीं करती मुझे तो विश्वास ही नहीं होता कि तुम मेरी लाइफ में आ गई हो।" नील ने कहा तो मनु मुस्कुरा उठी।
"तुम ना सच में पागल हो..!!" मनु बोली।
" हां सो तो हूं, पर तुम्हारे प्यार में।" नील ने कहा और मनु का हाथ थाम बिस्तर पर जा गिरा।
नील नीचे था और मनु उसके ऊपर।।
मनु ने आंखें बड़ी कर उसे देखा तो नील ने अपनी एक आंख दवा दी।
मनु की आंखें हैरानी से बड़ी हो गई और और उसी के साथ नील ने उसकी कमर पर अपनी बाहों की पकड़ कस दी।
" नील..!!" मनु की धीमी सी आवाज निकली।
"कुछ कहने की और सुनने की जरूरत नहीं है..!! सिर्फ और सिर्फ महसूस करने की जरूरत है। महसूस करना एक दूसरे की चाहत को एक दूसरे की बेचैनी देखो और एक दूसरे के लिए दोनों के बेशुमार प्यार को।" नील ने कहा और उसी के साथ हाथ पीछे कर लाइट्स ऑफ कर दी और मनु को अपने सीने से लगा लिया।
दोनों के पास कहने के लिए कुछ भी नहीं था आज पर दोनों की धड़कने इस समय जबरदस्त शोर कर रही थी।
"क्या हुआ क्या सोच रही हो?" नील ने धीमे से कहा।
मनु ने उसके सीने से गर्दन उठाकर हल्की रोशनी में उसके चेहरे की तरफ देखा।
"कुछ भी नहीं..!! आई लव यू..!!" मनु बोली और वापस से उसके सीने से सिर टीका लिया।
" लव यू टू मेरी जान..!!"
"जब इंसान बेहद खुश होता है तो उसके पास शब्द कम पड़ जाते हैं। वही मेरे साथ भी हो रहा है मैं बहुत खुश हूं।" मनु ने उसके सीने पर हाथ रख कहा।
"और मै भी..!! शायद इसीलिए मुझे भी समझ नहीं आ रहा कि क्या बात करूं? ऐसा लग रहा है कि बस तुम्हें ऐसे ही अपने सीने से लगाए रखूं और महसूस करता रहूं। इस पल में सिर्फ तुम हो मैं हूं और यह एहसास की अब तुम मेरी हो सिर्फ मेरी।" नील ने उस पर अपनी पकड़ कसते हुए कहा तो मनु भी उसके और करीब सिमट गई।
दोनों के बीच की हर दूरी मिटा दोनों आज तन से एक दूसरे मे समाहित हो गए।
अगले दिन की फ्लाइट से दोनों अपने हनीमून के लिए निकल गए क्योंकि उन्हें फिर चार दिन बाद वापस भी लौटना था अक्षत और ईशान की शादी में शामिल होने के लिए।
अक्षत माही दोनों के घर में शादी की तैयारियां जोरों शोरों से चल रही थी।
*एक दिन बाद*
" शालू बेटा मैं और मालिनी मथुरा वृंदावन जा रहे हैं...!! तुम माही का ख्याल रखना!" अबीर ने कहा।
" मथुरा वृंदावन अचानक से? "
" भगवान बांके बिहारी हमारे इष्ट देव हैं। कोई भी शुभ काम करने से पहले हमेशा उनका आशीर्वाद लिया है और पूजन किया है, तो सोच रहा था कि तुम्हारे और माही के लिए वहां जाकर पूजन कर कर आऊं ताकि आगे वाला जीवन तुम लोगों का आसान रहे और सुखी रहे। . उनका आशीर्वाद साथ रहेगा तो हर मुश्किल आसान होती जाएगी।।और वैसे तो तुम लोगों को भी लेकर चलता है पर अभी मुझे माही को कहीं भी ले जाने में थोड़ा टेंशन होता है, पता नहीं किस चीज से कैसे रिएक्ट करें वह...! "
" कितना टाइम लगेगा पापा? " शालू बोली।
" बस अभी बाय रोड निकल रहे हैं। आज शाम को पूजन की तैयारी कर लेंगे। पंडित जी से बात हो गई है और कल सुबह-सुबह पूजन कर कर वहां से निकल आएंगे तो कल शाम तक आ जाएंगे। तुम माही का और अपना ख्याल रखना ।
तुम दोनों की रक्षा और सलामती के लिए ही पूजन करवाना चाहता हूं मैं!"
" जी पापा आप आराम से जाइए और निश्चिंत रहिए मैं अपना और माही का पूरा ख्याल रखूंगी।
"ठीक है बेटा...!! अबीर बोले और मालिनी के साथ बाय रोड मथुरा वृंदावन के लिए निकल गए ताकि अपनी बच्चियों के सुखी भविष्य के लिए पूजन करवा सकें।
" माही किसी भी चीज की जरूरत हो तो बता देना और बिल्कुल भी टेंशन नहीं लेना। मैं हूं यहां पर बाकी मैं तुम्हारे जज साहब की भी पूरी फैमिली है। मम्मी पापा ही केवल गए हैं बाहर!" शालू ने माही की तरफ देखकर कहा जो कि अबीर और मालिनी के जाने के बाद से शांत बैठी हुई थी।
" जी दीदी मुझे कोई टेंशन नहीं है। आप हो ना फिर क्या परेशानी की बात है? "
" पर तुम उदास क्यों हो? "
"उदास नहीं हूं पर आज कुछ मन ठीक नहीं है। सिर में भारीपन है और दर्द हो रहा है।
" ठीक है तो तुम जाकर थोड़ी देर आरा कर लो।।जब सो कर उठोगी तो अच्छा लगेगा!" शालू ने कहा तो माही उठकर अपने कमरे में जाने लगी पर न जाने क्यों उसे आज अपनी तबियत कुछ ठीक नहीं लग रही थी। बार-बार आंखों के आगे कुछ धुंधली सी तस्वीरें आ रही थी तो कभी कुछ घटनाएं चल रही थी।
" शालू दीदी के कबर्ड से कोई अच्छी सी नोबल ले लेती हूं उसे पढ़ूंगी तो शायद नींद आ जाए वरना तो मन बेचैन है!" माही बोली और शालू की टेबल पर नोवल देखने लगी। .सामने की टेबल पर उसे कोई नोवल पसंद नहीं आई तो उसने शालू की कबर्ड देखनी शुरू कर दी, जिसमें उसकी पुरानी किताबें और नोबल्स रखी हुई थी।
माही ढूंढ़ ही रही थी की तभी उसके हाथ में वह बैग आ गया जो की सांझ का बैग था, जिसे कि शालू यहां ले आई थी उसके हॉस्टल से जाने के बाद।
उस बैग को देखकर माही को अजीब सा महसूस हुआ और उसने बैग टेबल पर रखा और खोलकर देखा...।।
उसने रखा सामान जाना पहचाना लगा तो उसने बैग उठाया और बेड पर रख देखने लगी।
सामान डायरी और फोटोज देखते-देखते कुछ घटनाएं उसकी आंखों के सामने आने लगी और कुछ पुरानी यादें भी दिखाई देने लगी।
सांझ का दिल्लि से गांव जाना फिर गाँव मे इतना कुछ होना। उसके उपर निशांत का हाथ उठाना और उसका नदी में कूदना.. सब चलचित्र सा आँखों के आगे घूम गया
माही ने बैग छोड़ दिया और एकदम से चीख पड़ी।
उसकी चीखो की आवाज सुनकर शालू दौड़कर कमरे में आई तो देखा कि माही अपने दोनों हाथों से अपने सर को पकड़े जोर-जोर से चीख रही है।
" क्या हुआ माही? क्या परेशानी है? " शालू ने उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा तो माही ने उसका हाथ झटक दिया।।
शालू उसे बार बार पूछती रही पर माही जैसे कुछ सुनने को ही तैयार नहीं थी। वह बस जोर-जोर से चीखे चिल्लाए जा रही थी।
तभी बेड पर पड़ा माही का फोन बज उठा तो शालू ने देखा अक्षत का नंबर है।
उसने फोन उठाया और रूम से बाहर निकल कर अक्षत से बात करने लगी। इतनी देर में माही ने उठकर दरवाजा अंदर से लॉक कर लिया।
" क्या हुआ शालू माही कहां है? " तुमने कॉल कैसे उठाया वह ठीक तो है ना?" अक्षत परेशान हो गया।
"नहीं भाई वह ठीक नहीं है। पता नहीं क्या हुआ है पर सांझ का बैग उसके हाथ आ गया है। वही जो मैं उसके हॉस्टल से लेकर आई थी। उसे देखकर वह एकदम से हाइपर हो गई है। चीख रही है, चिल्ला रही है। मम्मी पापा भी नही है घर पर " शालू बोली।
"तुम उसके पास जाओ मैं आता हूं। तुम्हारे घर के पास ही हूँ।" अक्षत ने कहा तो शालू ने पलट कर देखा। दरवाजा लॉक था।
"अक्षत भाई माही ने दरवाजा लॉक कर लिया है..!! आप प्लीज जल्दी आ जाइए। तब तक मैं खुलवाने की कोशिश करती हूं।" शालू बोली और कॉल कट करके दरवाजा नोक करने लगी। लेकिन माही ने दरवाजा नहीं खोला।
"प्लीज माही दरवाजा खोलो..!! बात करो मुझसे। क्या हुआ है? तुम्हें क्यों चिल्ला रही हो..?? प्लीज माही बात करो मुझसे शालू उससे पूछ रही थी पर माही ने दरवाजा नहीं खोला और उसके चीखने की आवाजें अभी भी कमरे से आ रही थी।
शालू के हाथ पाँव ठंडा पड़ रहे थे। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें? एक पल को तो उसे लगा के अबीर और मालिनी को खबर करे पर वह जानती थी कि अबीर ड्राइव कर रहे होंगे और काफी दूर निकल गए होंगे। इसलिए उसने अभी शांत रहकर अक्षत के आने तक इंतजार करने का करना ही ठीक समझा।
क्रमश:
डॉ. शैलजा श्रीवास्तव