गहरा पानी Vikas rajput द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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गहरा पानी

रमेश पानी से डरता था। वह तीन या चार वर्ष का था, जब उसके पिता उसे एक समुद्री तट पर ले गए थे। वह डर के मारे अपने पिता से चिपका हुआ था। एक तेज लहर आई और उसने उसे गिरा दिया। वह पानी में बह गया। रमेश भयभीत हो उठा। उसके पिताजी हंसे लेकिन लहरों ने लेखक के दिमाग में वह पैदा कर दिया। जब वह बड़ा हुआ, तो उसने तैरना सीखने का निश्चय किया। Y.M.C.A पर एक तालाब था। इसने उसे अच्छा अवसर प्रदान किया। तालाब तैरने के लिए सुरक्षित था। उसने इसमें प्रवेश प्राप्त कर लिया। वह तालाब के किनारे अकेला बैठा था। वह अकेला तालाब में जाने से डरता था। तब वहां एक बड़ा धौंसिया लड़का आया। उसने रमेश को तालाब गहरे किनारे में फेंक दिया।

वह भयभीत हो गया। उसका दम घुट रहा था। उसने चिल्लाने की कोशिश की, लेकिन कोई आवाज नहीं निकली। उसकी सांस रूक-सी गई थी और वह पानी में नीचे की ओर जा रहा था। पानी के नीचे उसे लकवा सा मार गया था। वह सहायता के लिए चीखा, लेकिन कुछ भी घटित नहीं हुआ।

वह तीन बार नीचे को गया और तीन बार उसने ऊपर आने की कोशिश की। लेकिन उसके प्रयास असफल रहे। यह 9 फीट गहरा था । वह लगभग डूब गया था । परंतु अभी उसने होश नहीं खोया था। उसने छलांग लगाकर सतह पर पहुंचने की योजना बनाई, परंतु कोई सफलता नहीं मिली। उसके हाथ और पैर सुन्न गए थे। उसके फेफड़े दर्द कर रहे थे और सर दर्द कर रहा था। जब उसे होश आया तो उसने स्वयं को तालाब के किनारे पाया।   सौभाग्यवश उसे बाहर निकल गया और उसे डूबने से बचा लिया गया। जिस लड़के ने उसे पानी में धकेल दिया दिया था उसने कहा कि वह तो केवल मजाक कर रहा था। घंटा के बाद वह चलकर घर आया। वह कमजोर था और कांप रहा था। इसके बाद वह तालाब पर कभी वापिस नहीं गया। 

पानी का भय उसके साथ काफी वर्षों तक बना रहा।  अंत में उसने एक प्रशिक्षक लिया। प्रशिक्षक ने उसकी बेल्ट से एक रस्सी बांधी थी। यह रस्सी एक पुल से गुजरती थी। उसने रमेश को पानी के अंदर अपना चेहरा रखने की शिक्षा दी। उसने उसे अपनी नाक पानी से बाहर निकाल कर सांस अंदर खींचना सिखाया। अंत में वह अपने हाथों और टांगों पर नियंत्रण करना सीख गया और एक पूर्ण तैराक बन गया। 

अब रमेश कुछ नदियों और झीलों में अकेले में करने की कोशिश करता है। वह प्रति सप्ताह 5 दिन तक तैरने का अभ्यास किया  करता था । कभी-कभी उसका पुराना उसके दिमाग में आ जाता है। लेकिन वह इसे शीघ्र ही निकाल फेंकता है। अंत में वह गहरे पानी में तैरने योग्य हो जाता है। तैरने के उसके अनुभव का उसके लिए गहरा अर्थ है। मृत्यु के भय से ही आतंक होता है। मौत में तो शांति होती है । इसलिए व्यक्ति को जिस चीज से डरने की जरूरत है वह स्वयं डर है। वह झील में मुक्त रूप से तैरता रहा। उसने पानी के प्रति अपने डर पर काबू पा लिया।