आखिर क्या है जिंदगी Vikas rajput द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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आखिर क्या है जिंदगी

आखिर क्या है ज़िंदगी
यह एक ऐसे परिवार की कहानी है जिसे दुख के अलावा और कुछ भी नसीब नहीं हुआ चारों तरफ से सिर्फ दुख ही दुख मिले। कृष्ण कुमार एक गरीब किसान था और उसके तीन पुत्र थे सतीश , मनीष और ज्ञान। कृष्ण कुमार ने खेत में पूरा दिन काम करके अपने बच्चों को पढ़ाया पर तीनों के तीनों लड़के नालायक निकले कोई भी पढ़ नहीं सका । ज्ञान का नाम ज्ञान होकर भी वह ज्ञान प्राप्त नहीं कर सका। ज्ञान ही सबसे ज्यादा नशा करता था। कृष्णा कुमार सारा दिन साइकिल पर जाकर लोगों के काम करता था पर बेटों ने उनकी मजबूरी को नहीं समझा । सारा दिन वे नशा व बुरे कार्यों में लगे रहते थे। मां ने भी इन तीनों को बहुत समझाया कि अपने पिता की सहायता करो लेकिन इन तीनों ने एक भी नहीं मानी । कृष्णा कुमार अकेले खेत में काम करते थे। बेटे पढ़ाई का बहाना लगाकर बाहर कहीं होटल में नशा करने चले जाते थे । पिता ने बहुत लोगों का सहारा लिया कि मेरे पुत्रों को समझाओ पर वे ना सुधरे। मां घर में परेशान रहती थी कि मेरे पुत्रों का क्या बनेगा ? जैसे-जैसे समय बीत रहा था मां की हालत भी खराब हो रही थी और कृष्ण कुमार भी कमजोर हो गया था । उससे अब खेती भी नहीं हो रही थी। उसने अपने पुत्रों को कहा कि अब तुम ही खेती संभालो। हालांकि तीनों पुत्र खेती तो करने लगे लेकिन उन्होंने खेती में सही ध्यान नहीं दिया तो खेती से ज्यादा आए नहीं होती थी । जितनी होती थी वह सारी तीनों पुत्र शराब में लगा देते थे । घर में थोड़ा बहुत ही पैसे देते थे ताकि उनके खाने के लिए भजन आ सके। उन्होंने आगे की फसल के लिए धन इकट्ठा नहीं किया सारे पैसे वैसे ही बर्बाद कर दिए। कोई कार्य न करने के कारण किसी की शादी भी नहीं हो रही थी। ज्ञान के अधिक नशा करने के कारण उसकी एक्सीडेंट में मृत्यु हो जाती है दोनों भाई ,कृष्ण कुमार और उसकी पत्नी बहुत रोते हैं। आखिर एक जवान बेटे की मृत्यु होना माता-पिता के लिए इससे बड़ा दुख क्या हो सकता है । फिर सतीश और मनीष में थोड़ा बदलाव आता है वे थोड़ा सुधर जाते हैं । सतीश और मनीष काम भी करने लग जाते हैं। हालांकि वह दोनों नशा नहीं छोड़ते। फिर सतीश और मनीष दोनों की शादी हो जाती है। कृष्ण कुमार अपनी जमीन बेचकर इन दोनों की शादी कर देता है । दोनों पत्निया घर में अधिकार जमाना चाहती थी इसलिए कृष्ण कुमार ने दोनों पुत्रों को अलग-अलग घर दे दिए। दोनों पुत्रों ने अपनी पत्नियों के वश में आकर अपने माता-पिता को घर से बाहर निकाल दिया । कृष्ण कुमार ने अपनी पत्नी से कहा कोई बात नहीं हम तो बाहर भी रह लेंगे हमारे पुत्र और बहू खुश रहने चाहिए । कृष्ण कुमार और उसकी पत्नी आश्रम में रहने लग जाते हैं।

इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें अपने माता-पिता के साथ ही रहना चाहिए और उनकी सभी बातों का अच्छे से पालन करना चाहिए । माता-पिता ही बच्चे को सही राह पर ले जाते हैं और उनके लिए बचपन से लेकर सारी उमर त्याग करते हैं। यह त्याग कोई अपना ही कर सकता है।