बुजुर्गों का महत्व
यह कहानी एक ऐसे बुजुर्ग की है जो अपने बेटों से बहुत प्यार करता है लेकिन बेटे पिता को पिता नहीं अपना दुश्मन समझते हैं। श्यामलाल की उम्र 75 वर्ष थी। उसकी पत्नी की मृत्यु हो चुकी थी। उसके तीन बेटे थे और तीनों की शादियां हो चुकी थी। संदीप, दीपक और सतीश इन तीनों में से संदीप सबसे बड़ा था । यह तीनों अपने-अपने कार्य करते थे लेकिन इनको इतनी आमदनी नहीं होती थी। महंगाई के समय में बच्चों के साथ जीवन व्यतीत करना एक गरीब परिवार के लिए बड़ी समस्या थी श्यामलाल के पास पैसे नहीं थे उसने सारे पैसे बेटों की शादियों में लगा दिए। बड़ा बेटा संदीप समझदार था । संदीप का एक बेटा और दो बेटियां थी । दीपक और सतीश बहुत निकम्मे थे अपनी पत्नियों के साथ झगड़ते रहते थे। श्यामलाल अपने बेटों को बहुत बार समझाना की यह झगड़ा एक दिन तुम्हें बहुत बड़ी मुसीबत में डाल देंगे पर दोनों पिता की बातों को समझने की बजाय उसे 2/4 बातें सुना देते थे । संदीप को अपने पिता का अपमान अच्छा नहीं लगता था वह भी अपने भाई से झगड़ने लग जाता था पर श्यामलाल उनको चुप कर देता था। समय बीतने के साथ अलग-अलग घरों में रहने लगे।
श्यामलाल संदीप के साथ रहता था। संदीप की पत्नी सुनैना भी अच्छी बहुत बहू जो अपने ससुर का सम्मान करती थी।
श्यामलाल ने कभी भी अपने बेटों में भेदभाव नहीं किया।
वह अपने पौत्र -पौत्रियो के साथ बराबर व्यवहार किया करता था लेकिन दीपक और सतीश को लगता था कि पिता संदीप को पैसे देते हैं। संदीप, दीपक और सतीश के बेटे और बेटियां बड़े हो चुके थे। इन तीनों की पत्नियों मजदूरी करने के लिए कार्यों पर जाया करती थी। संदीप के घर पर उसके बेटे बेटियों के साथ श्यामलाल हुआ करते थे
लेकिन दीपक और सतीश के घर पर उनकी बेटियां अकेली होती थी। दोनों की बेटियों के पास मोबाइल थे । कॉलेज
में पढ़ती थी । दीपक की दोनों लड़कियों को कॉलेज के दो लड़कों से प्यार हो जाता है । लड़कों के कहने पर वे उनके साथ भाग जाती है । संदीप के लड़के को सब पता लग जाता है। वह अपने सारे परिवार को बता देता है कि उसकी बहने भाग गई है । दीपक और उसकी पत्नी दोनों सिर पर हाथ रखकर रोते हैं । संदीप उन्हें समझाता है कि अगर वह सारे एक परिवार में रह रहे होते और पिता घर पर होते तो यह मुसीबत ना आती। दीपक की लड़कियां सारे पैसे और गहने भी साथ में लेकर गई थी। अब दीपक के पास कुछ भी नहीं था। श्यामलाल अपने बेटे को समझता है कि जो होना था वह हो चुका अब रोकर कोई फायदा नहीं है । श्यामलाल और उसके तीनों बेटे एक घर में रहने लग जाते हैं।
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि आधुनिक समाज में मोबाइल फोन जरूरी तो है लेकिन कहते हैं कि जो चीज हमारे लिए लाभकारी होती है वह उतनी ही हानिकारक भी हो सकती है । आज के समाज में बुजुर्गों का बहुत महत्व है। वे परिवार को जोड़ने का प्रयास करते हैं। हमें अपने पिता के साथ ही रहना चाहिए उनसे अलग घर नहीं बसाना नहीं चाहिए।