हीर... - 17 रितेश एम. भटनागर... शब्दकार द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • स्वयंवधू - 31

    विनाशकारी जन्मदिन भाग 4दाहिने हाथ ज़ंजीर ने वो काली तरल महाश...

  • प्रेम और युद्ध - 5

    अध्याय 5: आर्या और अर्जुन की यात्रा में एक नए मोड़ की शुरुआत...

  • Krick और Nakchadi - 2

    " कहानी मे अब क्रिक और नकचडी की दोस्ती प्रेम मे बदल गई थी। क...

  • Devil I Hate You - 21

    जिसे सून मिहींर,,,,,,,,रूही को ऊपर से नीचे देखते हुए,,,,,अपन...

  • शोहरत का घमंड - 102

    अपनी मॉम की बाते सुन कर आर्यन को बहुत ही गुस्सा आता है और वो...

श्रेणी
शेयर करे

हीर... - 17

अपने पापा अजय के वहां से जाने के बाद अब सारी जिम्मेदारी चारू की थी... अब अकेले उसको ही ये डिसाइड करना था कि वो ऐसा कौन सा तरीका अपनाये जिससे राजीव जल्दी से जल्दी होश में आ जाये और फिर चारू उसकी बात उसकी मम्मी से करवाकर उन्हें ये भरोसा दिला पाये कि राजीव बिल्कुल ठीक है!!

अजय के वहां से जाने के बाद अभी भी अपनी आंखों में आंसू भरकर सुबक रही चारू अपनी जगह पर खड़ी होकर दो मिनट तक बस यही सोचती रही कि वो ऐसा क्या करे कि राजीव को होश आ जाये, यही बात सोचते सोचते चारू ने खुद से कहा- फिल्मों में दिखाते हैं कि मुंह पर पानी मारने से इंसान होश में आ जाता है, हां.. ये ठीक रहेगा!!

ये बात दिमाग में आते ही चारू अपने आंसू पोंछते हुये तेज़ तेज़ कदमों से चलकर किचेन में गयी और वहां से एक जग में भरकर पानी ले आयी... 

चारू का अंदाज़ा बिल्कुल सही था... पानी की छींटे अपने मुंह पर पड़ते ही राजीव अपनी बंद आंखे मिचकाते हुये होश में आने लगा था, राजीव के शरीर में बढ़ती हुयी हलचल देखकर चारू भी लगातार उसके मुंह पर पानी की छीटें मारे जा रही थी और बार बार उसके सिर को प्यार से सहलाये जा रही थी!! 

"हां.. हां राजीव उठ, उठ राजीव.. देख देख मैं आ गयी ना तेरे पास, तूने नहीं बुलाया फिर भी देख मैं आ गयी ना!!" चारू रोते हुये कभी ये बात बोलती तो कभी राजीव के मुंह पर पानी की छींटे मारने लगती तो कभी उसका सिर प्यार से सहलाने लगती और उसकी ये कोशिशें काम भी कर रही थीं!! 

"आsssह, सिssss आssssह.." बोलकर कराहते हुये राजीव लगातार होश में आ ही रहा था कि तभी कराहते कराहते जब उसे थोड़ा होश आया तो वो अपनी आंखे  बंद किये हुये ही "मेरी अंकिता.. मेरी अंकिता मुझसे एक बार बात भी नहीं कर सकती इतना बुरा हूं मैं!!" कहते हुये बिल्कुल किसी छोटे से बच्चे की तरह अपने होंठ निकाल निकालकर रोने लगा, राजीव को इस तरीके से कमजोर होकर रोते देख पहले से ही सुबकियां ले रही चारू भी बहुत दुख करके रोने लगी थी, वो लड़की नहीं समझ पा रही थी कि वो ऐसा क्या कर दे जो उसके सुपर हीरो के दिल को थोड़ा सा ही सही पर... सुकून मिल जाये!! 

चारू खुद भी रोती जा रही थी और अपने सामने जमीन पर पड़े राजीव को रोते देख उसकी छाती और उसका सिर लगातार सहलाये जा रही थी कि तभी धीरे धीरे करके राजीव ने अपनी आंखे खोल लीं और तेज़ तेज़ पलकें झपकते हुये अपने पास बैठकर रो रही चारू को ऐसे देखने लगा जैसे... उसे यकीन ही ना हो पा रहा हो कि चारू उसके सामने बैठी है!!

अचरज़ भरी नज़रों से थोड़ी देर तक चारू को ऐसे ही तेज़ तेज़ पलकें झपकाते हुये देखने के बाद राजीव झटके से उठकर बैठ गया और नशे की वजह के भर्रा चुकी अपनी आवाज़ में इरिटेट होता हुआ बोला- तू यहां क्या कर रही है चारू, तुझसे किसने कहा था यहां आने के लिये... अभी के अभी जा यहां से!!    

इरिटेट होकर अपनी बात चारू से बोलते बोलते राजीव अचानक से चुप हो गया और अपनी नाक सिकोड़कर चारों तरफ़ देखते हुये आसपास फैली हुयी पेशाब की बदबू को सूंघते हुये अपना मुंह सिकोड़ने लगा....

राजीव को इस बात का बिल्कुल भी अंदाज़ा नहीं था कि जिस बदबू को सूंघकर वो ये समझने की कोशिश कर रहा था कि वो बदबू कहां से आ रही है... वो बदबू खुद उसकी ही पेशाब की है और वो कहीं और से नहीं बल्कि खुद उसके कपड़ों से ही आ रही है!!

राजीव होश में आ चुका था और अब वो नॉर्मल तरीके से रियेक्ट कर रहा था ये बात कहीं ना कहीं चारू के मन को बहुत सुकून पंहुचा रही थी लेकिन अभी भी जिस हालत में राजीव था उसे देखकर चारू अभी भी भावुक होकर एकटक बस उसे ही देखे जा रही थी, बस देखे जा रही थी लेकिन... वो चुप थी!!

उस बदबू को महसूस करके इधर उधर देखते हुये राजीव की नज़र जैसे ही नीचे अपनी ट्राउजर पर पड़ी वैसे ही "ओ गॉड.. ये क्या हो गया!!" कहते हुये उसने झटके से अपने पैर सिकोड़ लिये और अपने दोनों हाथों से वो जगह छुपा ली जो पेशाब से भीगी हुयी थी और ऐसा करने के बाद चारू से झेंपते हुये अपना सिर झुकाकर वो फिर से रोने लगा!! चारू अभी भी सुबकते हुये एकटक बस उसे ही देखे जा रही थी लेकिन... वो चुप थी!! 

राजीव को ऐसे सिर झुकाकर रोते देख चारू से रहा नहीं गया और वो अपने आंसू पोंछकर धीरे धीरे चलते हुये उसके पास गयी.. लेकिन उसने थोड़ा झुककर जैसे ही राजीव के कंधे पर हाथ रखने की कोशिश करी.. राजीव ने अपना कंधा झटकते हुये अपनी आंसुओं से रुंधी हुयी आवाज़ में कहा- डोंट टच मी, मुझ जैसे गंदे आदमी को मत छू, तू भी गंदी हो जायेगी...!!

राजीव की बात सुनकर चारू ने भी अपने भरे गले से कहा- नहीं यारा.. ऐसी बातें नहीं करते ना, किसने कहा कि तू गंदा है.. हां?

चारू ने अपनी बात बोली ही थी कि तभी राजीव झटके से अपनी जगह से उठा और इरिटेट होते हुये चारू से बोला- किसी ने भी कहा हो... तू बस यहां से चली जा!!

अपनी बात कहकर राजीव बाथरूम में गया और वहां से एक मग्घा पानी ले आया और उस पानी से उस जगह को जहां उसकी पेशाब निकल गयी थी... उसे साफ़ करने के बाद बाथरूम में जाते हुये उसने चारू से बड़े रूडली कहा- मैं नहाने जा रहा हूं और जब मैं वापस आऊं.. तू मुझे यहां दिखनी नहीं चाहिये, मुझे किसी की जरूरत नहीं.. मुझे अकेला छोड़ दे, चारू चली जा यहां से... याद रखना मुझे दिखना नहीं वरना आज मेरा हाथ उठ जायेगा!!

अपनी बात कहकर राजीव बाथरूम में गया और गुस्से से धाड़ करके बाथरूम का गेट बंद कर लिया....

राजीव तो बाथरूम में चला गया लेकिन उसकी बात सुनकर अपनी जगह पर खड़ी सुबक रही चारू ने धीरे से कहा- उठा ले अपना हाथ और मार ले मुझे... पर मैं तुझे अकेला छोड़ कर किसी भी कीमत पर यहां से नहीं जाउंगी!!

क्रमशः

क्या राजीव सच में चारू पर हाथ उठा देगा क्योंकि चारू तो उसे लिये बिना नहीं जाने वाली... किसकी जिद जीतेगी? राजीव की या चारू की??