उजाले की ओर –संस्मरण Pranava Bharti द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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उजाले की ओर –संस्मरण

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नमस्कार मित्रों

आशा है आप सब स्वस्थ व आनंदपूर्वक हैं |

रीना मेरी बहुत प्यारी सहेली थी, मैं बात कर रही हूँ आज से बहुत वर्ष पहले की,जब हम कॉलेज में साथ पढ़ा करते थे | वह हर चीज़ में बहुत होशियार थी | कुछ ईश्वर ने भी उसे खूब सुंदर बनाया था जिसका उसे गुमान भी था |अक्सर सुंदरता व बुद्धिमत्ता का गुमान हो ही जाता है लोगों को | मेरे साथ उसकी ऐसी कोई बात नहीं थी कि वह मुझसे अकड़कर बात करती हो या मुझसे दूर भागती हो | आखिर हम बचपन से साथ थे,स्वाभाविक था एक-दूसरे की कमियों व अच्छाइयों से परिचित होना !

उसकी एक कमी सबसे बड़ी थी जिसके कारण वह जल्दी ही असहज हो जाती थी और वह यह कि अक्सर वह अपने सामने वाले को किसी फीते से नापने लगती थी |हम कुछ करीबी मित्र उसे समझाते कि किसी के बारे में कोई विचार बनाना ठीक नहीं है क्योंकि वह विचार हमारे दिमाग में एक छाप छोड़ देता है|किसी से थोड़ी देर के लिए मिलना हो और यदि वह हमें पसंद न भी आ रहा हो तब भी उससे मिलने के बाद उसके बारे में बेकार ही सोचते रहने में हम खुद को ही मानसिक रूप से बंद कर लेते हैं और वह व्यक्ति तो कुछ देर बाद हमारे सामने से ओझल हो जाता है लेकिन उसकी परछाई वहीं अपने दिमाग में हम न जाने कितने दिनों तक समेटे रहते हैं |

यदि उससे मिलने और उसके जाने के बाद हमारे मन में कुछ सकारात्मक बात बैठी रह जाए तब कोई हानि नहीं लेकिन यदि हम उसकी किसी नकारात्मक बात को अपने मन में बैठा लें तब वह तो चल जाता है लेकिन हम उसे अपने साथ न जाने कितने दिनों तक लिए घूमते हैं और अपना दिमाग खराब करते रहते हैं|रीना को अपनी इस आदत से बड़े होने पर कई परेशानियों का सामना करना पड़ा |

मित्रों!क्या कभी आपने ऐसा महसूस किया है कि जिस व्यक्ति से आप वार्तालाप कर रहे हैं, या जिनसे मिलने के लिए आप आए हैं, उनके सामने होते हुए आपको कुछ अजीब सा महसूस हो रहा है, आपको अपने आसपास नकारात्मकता का अनुभव हो रहा है?

आपका कोई नजदीकी व्यक्ति जिसके लिए आप बहुत कुछ करते हैं, आपके सामने दुख भरी बातें करता है, आपने उसके लिए बहुत किया उसके बावज़ूद भी वह आपसे शिकायतें करने लगता है और आप बस यही सोचते रह जाते हैं कि उनके भीतर आपके लिए इतनी नकारात्मकता आई कहां से? आप उनका दुख महसूस करने लगते हैं और ना चाहते हुए भी उनकी शिकायतों और परेशानियों को अपने ऊपर हावी होने देते हैं।

भले ही आपका उस व्यक्ति या उस व्यक्ति से जुड़ी नकारात्मकता से कोई लेना-देना ना हो, लेकिन ऐसी ऊर्जाएं आपके लिए किसी जहर से कम नहीं हैं, जिनसे जल्द से जल्द छुटकारा पाया जाना ही सही विकल्प है। हम इस प्रकार की बातों से छुटकारा पाने के लिए कुछ ऐसे स्टैप भी ले सकते हैं ---

चलिए,कुछ ऐसे सोचते हैं कि हम बहुत अच्छे हैं, फिर भी हम इस दुविधा में हैं कि सभी लोग हमें पसंद क्यों नहीं करते? ऐसा इसलिए क्योंकि ऐसा कोई नियम नहीं है कि सभी हमें पसंद करें, सभी हमसे प्यार, दुलार करें। इस पृथ्वी पर प्रत्येक प्राणी अलग-अलग उद्देश्यों के साथ रहता है और उन्हीं उद्देश्यों की पूर्ति के लिए ही उसके दूसरे लोगों के साथ संबंध बनते हैं । सबसे पहले हम खुद से प्रेम करना सीखेंगे तो सभी परेशानियां अपने आप ही हल हो जाएंगी।कच्ची सोच अविश्वास व प्रेम न करने का परिणाम देती है|

जिस प्रकार हम सभी को एक साथ खुश नहीं रख सकते उसी प्रकार सभी के नकारात्मक व्यवहार को भी सकारात्मकता में नहीं बदल सकते। इसलिए हमें खुद को नकारात्मकता से दूर रखना होगा ।

हमें अपने मन-मस्तिष्क को एक पवित्र स्थल की तरह समझना होगा,जहाँ आकर सब लोग नकारात्मकता छोड़कर सकारात्मकता की ओर बढ़ सकते हैं |उस सकारात्मक स्थान की ऊर्जा इतनी बढ़ जाएगी कि जहाँ कोई भी आने वाला सिर्फ़ और सिर्फ़ स्नेह लेकर वापिस लौटेगा |

अगर हम अपने हृदय का द्वार सभी के लिए खुला रखते हैं तो जो भी हमसे मिलेगा स्नेह व प्रेम में बंधकर जाएगा।यहीं से सकारात्मकता का कदम शुरू होगा |

रीना बहुत अच्छी थी लेकिन सबमें उसे कमियाँ ही कमियाँ दिखाई देतीं,अपने आपको सबसे सुंदर व बुद्धिमान समझने में वह यह भूल जाती कि हम सब 'परफेक्ट' नहीं हैँ |यदि उसमें अच्छाइयाँ हैं तो कुछ दुर्गुण भी तो है जिन्हें समझने व सुधारने के लिए हमें तैयार रहना चाहिए |

केवल दूसरों की बातों में नकारात्मकता ढूँढने से हम और अच्छे नहीं बन जाएंगे |हो सकता है सामने वाले की परिस्थिति ऐसी हो कि उसमें नकारात्मकता अधिक भर गई हो |यदि हम इस बात को इस प्रकार से नहीं देख सकते तो यह हमारी भी तो नकारात्मकता ही हुई न !

कमियाँ और अच्छाइयाँ हम मनुष्य के व्यक्तित्व के ही दो पलड़े हैं | एक ही तराजू में सबको तोलना ठीक नहीं है | रीना ने अपने इस प्रकार के स्वभाव से पहले अपने पति के मन में अपने प्रति एक ऐसी गाँठ बाँध दी जो जीवन भर नहीं खुल सकी जिसका प्रभाव बच्चों पर भी नकारात्मक ही हुआ | इसके अतिरिक्त अपने ऑफ़िस में भी उसकी सोच व व्यवहार का प्रभाव नकारात्मक ही हुआ और उसकी प्रगति में भी बाधा आई|

उसे कभी यह भी समझ में नहीं आया कि उसके सच्चे मित्र वे नहीं हैं जो उसके सामने उसकी सुंदरता और होशियारी का गाना गाते हैं बल्कि वे हैं जो उसको सच का आईना दिखला सकते हैं |

हम सबको पहले इस बात को समझना और भली प्रकार ग्रहण कर लेना चाहिए कि दूसरों की बातों पर ध्यान देकर हम उन्हें खुद को प्रभावित करने की ऊर्जा प्रदान कर रहे हैं। दूसरों के हाथ में इस अधिकार के जाते ही हमारा अपनी खुशियों पर से अधिकार कम होने लगता है। इसलिए खुद की अहमियत को समझें और दूसरों की बातों से प्रभावित होकर अपना जीवन व्यतीत ना करें जिससे इस छोटी सी ज़िंदगी में हम हाथ मलते रह जाएं ।

मित्रों! हम सब सोचें कि प्रकृति ने हमें कितने सुंदर उपकरणों से नवाज़ा है, उन उपकरणों का हम कैसे सुंदर प्रकार से उपयोग कर सकते हैं जिससे हमारा जीवन शांत, सहज, सुंदर व्यतीत हो सके |

 

आपकी मित्र

डॉ प्रणव भारती