बेपनाह मोहब्बत - 17 Anjali Vashisht द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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बेपनाह मोहब्बत - 17

अब तक :

राजीव ने अपनी कमर पर हाथ रखा और उसकी ओर हल्का झुकते हुए बोला " ऐसा क्या.. ?? पर अगर ऐसा है भी तो भी मैं तो सॉरी बोलने से रहा.. । लेकिन तुम्हे सॉरी बोलना ही पड़ेगा.. । और अगर तुमने नही बोला तो तुम आज कोई भी क्लास नही लगा पाओगी.. और तुम्हे मुझसे कोई नही बचा पाएगा.. " बोलते हुए राजीव ने दांत पीसते हुए उसकी आंखों में देखा । |

अब आगे :

राजीव अंजली को धमका ही रहा था कि तब तक माही मालविका अक्षत और श्वेता भी वहां पर आ गए ।

" say sorry... " राजीव ने लगभग उसे ऑर्डर देते हुए कहा ।

" I will not.. " बोलकर अंजली ने साफ इंकार कर दिया ।

राजीव उसकी ओर कदम बढ़ाते हुए बोला " अगर नहीं बोलोगी तो आगे भी करने के लिए बोहोत कुछ है मेरे पास.. " ।

राजीव को अपनी ओर बढ़ता देखकर अंजली अपने कदम पीछे लेते हुए बोली " जब मेरी गलती नही है तो मैं बिना बात के सॉरी क्यों बोलूं.. । आप ऐसे तानाशाही नही चला सकते... " । बोलते बोलते अंजली की पीठ पीछे दीवार से जा लगी ।

अंजली ने दीवार पर हाथ रख दिया । अब इससे पीछे वो नही जा सकती थी । राजीव उसके बिल्कुल सामने आकर खड़ा हो गया और सीटी बजाने लगा फिर उसके बैग को पकड़ते हुए बोला " अच्छा लाओ... तुम्हे और तुम्हारे बैग को क्लास तक छोड़ दूं.. " ।

अंजली ने देखा कि राजीव बैग ले रहा है तो उसने भी बैग को कसकर पकड़ लिया । " नही हम दोनो खुद से चले जायेंगे "

" अच्छा , अब इसको भी नही छोड़ोगी.. । चलो ठीक है । आज इस बैग की मजबूती चेक कर लेते हैं.. " बोलते हुए राजीव और मजबूती से बैग को खींचने लगा ।

" देखिए बैग छोड़ दीजिए.. ये फट जायेगा.. " बोलते हुए अंजली ने राजीव का हाथ बैग से हटाना चाहा लेकिन राजीव ने बैग नही छोड़ा ।

" इतनी फिक्र है तो तुम ही छोड़ दो.. फिर नही फटेगा.. " बोलकर राजीव ने बैग को अपनी ओर खींचा ।

अंजली ने बैग को देखा और फिर छोड़ दिया।

राजीव ने बैग को हवा में उछाला और फिर वापिस से कैच करके हंसते हुए बोला " क्या बात है.. । मान गए तुमको... । अच्छा अभी तुम जाओ.. अब से ये बैग मेरे पास रहेगा तुम्हारी घड़ी की तरह.. । और जब तुम पूरे कॉलेज के सामने जमीन पर नाक लगाकर मुझे सॉरी बोलोगी ना , तभी ये बैग तुम्हे वापिस मिलेगा.. " ।

बोलते हुए राजीव ने अंजली के चेहरे को देखा । उसकी आंखों में नमी भी आ गई थी ।

उसने अपना बैग लेना चाहा तो राजीव ने बैग और पीछे कर दिया । श्वेता आगे आई और बोली " राजीव एक काम कर.. बैग को नीचे से जला दे.. और फिर इसे वापिस दे दे.... । इसे ऐसे परेशान मत कर ना.. । देख कैसे मासूम सी बनकर देख रही है । एक ही बार में जलाकर बात खतम कर.. " बोलते हुए श्वेता ने राजीव के हाथ से बैग ले लिया और उससे लाइटर मांगा.. ।

राजीव ने श्वेता को लाइटर पकड़ा दिया । अंजली आंखें फाड़े श्वेता को देखने लगी ।

" नही जलाइए मत , मेरी किताबें हैं उसके अंदर । आप लोग विद्या का अपमान नही कर सकते " बोलकर अंजली आगे बढ़ी तो श्वेता और दूर चली गई ।

मालविका ने अंजली का हाथ पकड़ लिया ।
" छोड़िए मुझे , आप लोग गलत कर रहे हैं "

श्वेता हंस दी । अंजली छूटने की ओर कोशिश करने लगी तो मालविका ने और कसकर उसे पकड़ लिया।

श्वेता ने लाइटर जलाया और अंजली के बैग के नीचे लगा दिया ।

" मेरी बुक्स और बैग जल जायेंगे... प्लीज ऐसा मत कीजिए... " अंजली ने उनसे रिक्वेस्ट करते हुए कहा ।

" We don't care... । your please is under my feet.. " बोलते हुए श्वेता ने गुस्से से उसे घूरा ।

अंजली ने थककर आंखें बंद कर ली । वो समझ चुकी थी कि इन लोगों से कुछ भी कहने का कोई फायदा नही था , वो उसके bag को जलाकर ही छोड़ने वाले थे । और वो अपनी बुक्स और बैग को जलते हुए नहीं देख सकती थी ।

अक्षत आगे आया और बोला " श्वेता बैग मत जला.. । ये बोहोत गलत होगा.. " ।

" सही और गलत मुझे मत बताओ अक्षत । तुम्हे तो सारी चीजें ही गलत लगती हैं... " बोलते हुए श्वेता ने उसकी बात को नजरंदाज कर दिया ।

लाइटर अंजली के बैग को जलाने ही लगा था कि इतने में किसी ने आकर अंजली के बैग को श्वेता के हाथ से छीन लिया ।

अंजली ने कसकर आंखें बंद कर रखी थी ।

" Who the hell is this... you bloody.... " बोलते हुए श्वेता ने पलटकर देखा तो उसके चेहरे का रंग फीका पड़ गया ।

सामने शिवाक्ष खड़ा था जो बिना किसी भाव के उसे देख रहा था ।

" i am the hell श्वेता... " शिवाक्ष ने कहा तो श्वेता को मानो सांप सूंघ गया ।

" श श शिवाक्ष... " बोलते हुए श्वेता हकलाने लगी और बोली " शिवाक्ष मेरा वो मतलब नहीं था.. और मैने तुम्हे देखा भी नहीं था इसलिए मुंह से निकल गया... " श्वेता बोल ही रही थी पर शिवाक्ष ने उसपर कोई ध्यान नही दिया ।

" शिवाक्ष मुझे लगा कि कोई... " श्वेता बोल ही रही थी कि शिवाक्ष ने उसे बीच में ही रोकते हुए कहा " बैक ऑफ gyes.... रोज़ रोज़ एक ही इंसान को परेशान करना सही नहीं लगता.. । एक दिन छोड़कर परेशान करेंगे.... " बोलते हुए उसने मालविका की ओर देखा । मालविका ने मुंह बनाकर अंजली को छोड़ दिया ।

शिवाक्ष अंजली के सामने जाकर खड़ा हो गया । उसने उसकी आंखों में देखा जो नम हो गई थी और उसकी पलकों को भी भीगा चुकी थी ।

उसने पहले दिन भी देखा था कि अपनी किताबों को लेकर वो कितनी संजीदा थी ।

अंजली भी उसकी तरफ ही देखे जा रही थी । शिवाक्ष ने bag उसकी तरफ बढ़ाया तो उसने झट से bag पकड़ लिया और सीने से लगा लिया।

अक्षत ये देखकर मंद मंद मुस्कुरा दिया । अंजली की आंखों के किनारे से एक आसूं गिरने को हुआ तो शिवाक्ष ने हाथ आगे बढ़ाकर उसके आंसू को अपनी उंगली पर ले लिया ।

सब हैरानी से उसे देखने लगे । श्वेता ने गुस्से से मुट्ठी बना ली । शिवाक्ष ने आसूं को अपने हाथ में ही समा लिया और मुट्ठी बंद कर दी । ये शिवाक्ष क्या कर रहा था किसी को समझ नही आ रहा था।

" कुछ तो बदलने लगा है... " अक्षत ने धीरे से कहा । उसके बगल में खड़ी माही ने सुना तो अक्षत की ओर देखने लगी । अक्षत उसे देखकर हल्का सा मुस्कुरा दिया ।

राजीव ने शिवाक्ष को देखा और बोला " शिव तू क्या कर रहा है.. ? इसे हर बार थोड़ी छोड़ सकते हैं । पिछली बार भी तेरे बोलने पर इसके पीछे नहीं गए थे.. और आज तू फिर इसकी साइड ले रहा है... " ।

" मैं साइड नहीं ले रहा राजीव.... " बोलते हुए शिवाक्ष ने राजीव को देखा और फिर अंजलि को देखते हुए बोला " कुछ काम ऐसे हो जाते हैं जिनके बदले हमें भी कुछ देना पड़ता है और एक एहसान के बदले मैं इतना तो कर ही सकता हूं.. । बोलकर शिवाक्ष ने अंजली से नजरें फेर ली और वहां से निकल गया । श्वेता ने गुस्से से अंजली को देखा ।

अंजली शिवाक्ष को जाते हुए देखती रही । श्वेता ने अंजलि की आंखों के सामने चुटकी बजाते हुए कहा " उसे क्या देख रही हो ? तुम्हें क्या लगता है तुम्हारे उसे ऐसे देखते रहने से वो भी तुम्हें देखेगा.. ! "

अंजली ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी ।

" अगर तुम ऐसा सोचती हो तो मैं तुम्हें बता दूं कि वो तुम्हें पलट कर कभी नहीं देखने वाला और ना ही तुम उसके टाइप की लड़की हो । क्योंकि तुम जैसी तो उसके साथ दूर दूर खड़ी होने के लायक भी नहीं होती । तो बेहतर होगा कि उससे दूर ही रहो.. समझी.. " बोलकर श्वेता ने उसे कंधे से पीछे की ओर धकेला और अपने बालों को झटक कर वहां से चली गई ।

राजीव ने अंजली को घूरा और बोला " बहुत बचती हुई घूम रही हो ना... पर ज्यादा वक्त तक ऐसा होगा नही.. । अभी भी वक्त है सॉरी बोल दो.. " बोलकर राजीव उसकी आंखों में घूरने लगा ।

" अगर मेरी गलती होती और मुझे सॉरी बोलना होता तो मैं अब तक बोल चुकी होती लेकिन क्योंकि मैंने सॉरी नहीं बोला है तो इसका मतलब साफ है कि मेरी कोई गलती नहीं है और मैं सॉरी भी नहीं बोलूंगी..... " अंजली ने अपनी बात सहजता से रखते हुए कहा ।

" देख लूंगा तुम्हे... । " बोलकर वो भी वहां से चला गया ।

सब वहां से चले गए तो अंजलि भी अपनी क्लास की ओर जाने लगी तभी उसके कानों में एक आवाज पड़ी " thanks for your emotional support... , yesterday..." आवाज सुनकर अंजलि रुक गई और पलटकर देखा तो शिवाक्ष था। वो वापिस आया था ।

वो उसके सामने आकर खड़ा हुआ और बोला " पर कल के बाद ये मत समझना कि हम दोस्त बन गए हैं... क्योंकि ऐसा कुछ भी नही है... । शिवाक्ष राजवंश हर किसी से दोस्ती नही करता.. " ।

" मैने आपको मुझे दोस्त मानने को कहा भी नही है और न ही ऐसा कुछ सोचा है... " अंजली ने सहजता के साथ कहा ।

" good... । तो मैंने एहसान उतार दिया । मेरा रोना तुमने संभाला था , तुम्हारा रोना मैने संभाल लिया । So अब हमारे बीच कुछ नही बचा , आगे से उम्मीद मत रखना " ।

अंजली ने सुना तो फीका सा हंसते हुए बोली " आपको वो एहसान लगा होगा लेकिन मैने कोई एहसान नहीं किया था । और किसी को सहारा देना या खाना खिलाना एहसान नहीं होता , वो मेरा दिल था , जो समझ आया मैने किया । पर शायद आप सारी चीज़ों को give and take की तरह देखते हैं । लेकिन मैं वैसा नही देखती ।

और मुझे आपसे कोई उम्मीद है भी नही । तो दिमाग में ऐसी कोई बात मत रखिए । करते रहिए जो करते आए हैं । मुझे परेशान करने से खुशी मिलती है तो मत रोकिए खुद को । किसी भी एहसान के तले दबकर रहने की जरूरत नही है । और विश्वास कीजिए मैं कभी अपने एहसान नहीं गिनाऊंगी क्योंकि मैने कभी उनको एहसान माना ही नही " बोलकर वो वहां से निकल गई ।

शिवाक्ष वहीं खड़ा उसे जाते हुए देखता रहा । वो उसके दिल में एक अजीब सा एहसास देकर जा रही थी । शिवाक्ष को लगा था कि वो उससे उसकी मदद करते रहने के लिए विनती करेगी और दोस्ती करना चाहेगी लेकिन वो साफ साफ उसकी दोस्ती और मदद को लात मारकर निकल गई थी ।

आज तक किसी ने शिवाक्ष के साथ इस तरह से बात नही की थी । लेकिन आज अंजली उसके एटीट्यूड जितना नजरंदाज करके गई थी वो उसके दिल में चुभने सा लगा था।

कहीं ना कहीं वो चाहता था कि वो उससे बात करे और उसका साथ और मदद मांगे और इसलिए उसने जानबूझकर ये बातें कहीं थी । लेकिन सब इसका उल्टा हो गया था ।

उसने मुट्ठी बनाई और खुद से बोला " मदद नही मांगेगी । पर कैसे नही मांगेगी । आज नही तो कल एहसास होगा कि शिवाक्ष राजवंश कोई ऐरा गैरा इंसान नही है । कभी तो मेरी एहमियत का एहसास होगा ही " बोलकर वो खुद भी वहां से निकल गया ।

दूर खड़ी श्वेता ने दोनो को बातें करते देख लिया था । उससे ये बर्दाश्त नहीं था कि शिवाक्ष वापिस जाकर अंजली से बात करने लगा था।

उसका अंजली का bag बचाना और अंजली के आसूं को अपने हाथ पर लेना बार बार श्वेता की आंखों के आगे घूम रहा था ।

" I will kill her " बोलते हुए वो गुस्से से पैर पटककर निकल गई ।

अंजली क्लासरूम की सीढियां चढ़ते हुए खुद से बोली " ये शिवाक्ष राजवंश नही बल्कि राक्षस राजवंश हैं.. । ऐसे भी कोई बोलता है क्या । मैं समझ नहीं पा रही हूं कि ये हैं क्या.. । कल इतने अच्छे से बिहेव कर रहे थे। बिना नमक वाली खिचड़ी भी बिना शिकायत के खा गए.. और आज देखो तो उसे एहसान का नाम देकर फिर से लड़ने की बात लेकर तैयार हो गए "

बोलते हुए उसने बैग को कसकर पकड़ा और आगे बोली " सारी रात मुझे फीकी खिचड़ी खिलाने का गिल्ट था और आज मैं सॉरी भी बोलना चाहती थी लेकिन अब मैं कोई सॉरी नही बोलूंगी.. । बड़े आए thanks for your emotional support... बोलने वाले.. " बोलकर उसने मुंह बना लिया और अपनी क्लास लगाने चली गई ।

सारी क्लासेस अटेंड कर लेने के बाद अंजलि खुशी और आकाश college से बाहर आ गए ।

तीनों मोबाइल रिपेयर की शॉप पर करें तो अंजलि ने पूछा " भैया फोन ठीक हो गया क्या ? " ।

लड़के ने फोन को काउंटर पर रखकर अंजली की ओर बढ़ाते हुए बोला " ये अब ठीक नही होगा... । ये पूरी तरह से खराब हो चुका है । इसे ठीक करने से अच्छा है कि तुम नया फोन ही ले लो " ।

अंजली ने सुना तो उदास सी हो गई ।

" नही मुझे यही फोन चाहिए " अंजली ने मासूमियत के साथ कहा ।

तभी खुशी बोली " लेकिन क्यों अंजली ? नया ले लो ना । अगर मेरे पास ऐसा चांस होता तो मैं तो बिल्कुल नही सोचती और झट से नया फोन ले लेती "

अंजली ने उदासी से कहा " ऐसा नही होता खुशी , ये फोन मुझे अभी ही दिलाया गया था । बाबा ने मेरे जन्मदिन पर बहुत प्यार से दिया था । मैं इसको खोना नही चाहती थी पर... " बोलते हुए उसका गला रूंझ सा गया और वो रुक गई ।

आकाश ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा " मैं समझ सकता हूं अंजली । पर अब ये खराब हो चुका है ना , तो क्या कर सकते हैं "

अंजली ने दुकान वाले लड़के को देखकर एक बार फिर पूछा " क्या ये बिलकुल भी ठीक नहीं होगा ? "

लड़का बोला " इसको ठीक कराने में काफी खर्चा आ जायेगा.. और उसके बाद भी ये कितने वक्त तक सही चलेगा इस बात की कोई गारंटी नहीं है... । इसीलिए मुझे तो लगता है कि इसे ठीक करने में पैसे लगाने से अच्छा है कि , उन पैसों में थोड़े और पैसे जोड़कर एक नया फोन ही ले लिया जाए "

अंजलि ने सुना तो सिर हिला दिया फिर अपना खराब पड़ा हुआ फोन उठाते हुए बोली " जब थोड़े पैसे आ जायेंगे तो ठीक करवा लूंगी "

कहकर वो दुकान से बाहर निकल गई । खुशी और आकाश भी साथ चल दिए । उनके थोड़ा दूर जाने के बाद शिवाक्ष शॉप पर गया और काउंटर पर बाजू टिकाते हुए बोला " उस लड़की को वापस बुला और बोल कि उसका फोन ठीक हो जाएगा.. " ।

लड़के ने शिवाक्ष को देखा और बोला " पर शिवाक्ष भाई... वो फोन बिल्कुल टूट चुका है और अब इतनी आसानी से ठीक नहीं होगा काफी खर्चा आ जाएगा "

शिवाक्ष ने उसे घूरा और बोला " कान बंद कर चुके हैं क्या ? मैंने जो बोला वो सुनाई नहीं दिया ? " । बोलते हुए शिवाक्ष की आवाज बेहद सख्त थी ।

लड़के ने उसे देखा और बोला " ठीक है , जैसा आप बोलें.. " बोलकर उसने अपनी दुकान पर काम कर रहे एक छोटे लड़के को अंजली से फोन लेने के लिए भेज दिया । लड़का जल्दी से अंजली के पीछे भाग गया ।

शिवाक्ष ने जेब से atm card निकाला और काउंटर पर रखते हुए बोला " जैसा फोन उसका है बिल्कुल वैसा ही फोन लेकर आओ... और वो जितने का आएगा उतनी पेमेंट काट लो " ।

लड़के ने atm card को देखा फिर card swipe Machine निकाल दी। शिवाक्ष ने कार्ड को स्वाइप करके 20000 रुपए उसे दे दिए और वहां से निकल गया ।

लड़का अपना सिर खुजाते हुए उसे जाते हुए देखता रहा फिर बोला “ कमाल है.. । कौन है ये लड़की जिसके लिए शिवाक्ष भाई नया फोन खरीदवा रहे हैं ? बहन होगी क्या ? “ बोलते हुए उसकी सवालिया नजरें जाते हुए शिवाक्ष का पीछा कर रही थी ।

क्यों कर रहा है शिवाक्ष अंजली के लिए ये सब ? क्या खींच रहा है उसे अंजली की तरफ ? चलने लगी हैं प्यार की हवाएं या है सिर्फ अपनी अहमियत दिखाने का सवाल ?