बेपनाह मोहब्बत - 9 Anjali Vashisht द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

बेपनाह मोहब्बत - 9

अब तक :

आकाश ने राजीव को देखा और मन में बोला " लो.. हो गया सत्यानाश.. । अगर दोस्त या ब्वॉयफ्रेंड होता तो खुशी का breakup भी हो ही जाता लेकिन ये तो भाई निकल गया.. । अब तो हमारा कुछ भी नही हो सकता.. । और अगर कहीं गलती से भी इसे पता चला कि मैं खुशी को पसंद करता हूं.. तो न जाने मेरा क्या हाल करेगा.. । " सोचते हुए आकाश में थूक का घूंट गले से नीचे निगला... और माथे से निकलते पसीने को साफ करने लगा । |

अंजली और आकाश दोनो एक दूसरे को देखने लगे । दोनो को ही राजीव के खुशी का भाई होने से बड़ा झटका लगा था ।

अब आगे :

खुशी आगे बोली " और भाई ये दोनो है अंजली.. और आकाश.. और नए दोस्त.. " बोलते हुए खुशी मुस्कुरा दी ।

राजीव ने अंजली को देखते हुए नाम रिपीट करते हुए कहा "अंजली "

" nice to meet you anjali ji " बोलते हुए राजीव ने उसकी ओर हाथ मिलाने के लिए हाथ आगे बढ़ा दिया ।

अंजली ने एक झलक खुशी को देखा फिर राजीव से हाथ मिलाते हुए बोली धीमी सी आवाज में बोली " mee too ....... " ।

राजीव अपने हाथ से उसके हाथ को दबाने लगा , अंजली ने उसकी हरकत देखी तो उसे घूरने लगी । " आह ! " अंजली चीखी तो राजीव ने उसका हाथ छोड़ दिया ।

अंजली ने अपना हाथ देखा तो वो लाल पड़ चुका था ।

राजीव ने देखा कि खुशी उसे ही देख रही थी तो अंजली के हाथ को देखते हुए बोला " oops I am sorry , I didn't mean to hurt । मैने सोचा कि अपने किसी दोस्त से ही हाथ मिला रहा हूं.. इसलिए जोर से पकड़ लिया.. । " कहकर वो sarcastic सी smile पास करने लगा ।

अंजली समझ गई थी कि उसने जान बूझकर ऐसा किया था और खुशी के सामने वो अपनी गलती को छुपा रहा था ।

राजीव ने आकाश की ओर देखा और फिर उसकी ओर हाथ बढ़ाते हुए बोला " and nice to meet you too mr. akash " ।

आकाश ने उसके हाथ की ओर देखा और फिर हाथ जोड़कर उसे नमस्ते कर दी । राजीव हंस दिया और अपना हाथ पीछे ले लिया ।

खुशी ने देखा तो हंसते हुए बोली " आकाश , इस तरह तो लड़कियां भी हाथ मिलाने से नहीं शर्माती.. , तुम इतना क्यों शर्मा रहे हो " ।

" it's okay खुशी... सबका अपना अंदाज होता है.. " बोलते हुए राजीव ने आकाश का गाल पकड़ा और जोर से पिंच करते हुए इधर उधर हिलाते हुए बोला " innocent boy... " बोलकर राजीव ने गाल थपथपाया और वहां से वापिस अपनी गैंग के पास चला गया ।

आकाश अपना गाल सहलाते और अंजली अपना हाथ पकड़े राजीव को जाते हुए देखते रहे ।

खुशी को थोड़ा अजीब लगा पर फिर भी वो फीका सा हंसते हुए बोली " थोड़ा वीयर्ड था.. but it's okay... । चलो.. गिटार बजाते हैं.. " ।

बोलकर खुशी अंजली को गिटार सिखाने लगी ।

शिवाक्ष म्यूजिक रूम में आया तो उसकी नज़र अंजली के चेहरे पर पड़ी । उसे अंजली का चेहरा उतरा हुआ लगा ।

श्वेता ने शिवाक्ष को देखा तो उसका हाथ पकड़कर उसे अपने साथ ले गई और बोली " शिवाक्ष मुझे भी गिटार सिखाओ ना.. । मेरा भी बोहोत मन है कि मैं तुमसे गिटार सीखूं.... " बोलते हुए श्वेता ने उसके हाथ पर अपना हाथ रख दिया ।

शिवाक्ष उससे दूर हुआ और बेंच पर बैठते हुए बोला " मैं कोई टीचर नही हूं श्वेता.. मैं सिखाना नही जानता... " बोलकर शिवाक्ष ने इनकार कर दिया और अंजली को देखने लगा ।

शिवाक्ष को अंजली की ओर देखा देख कर श्वेता ने मुट्ठी बांध ली और शिवाक्ष के आगे आकर खड़ी हो गई और बोली " तो कुछ बजा कर ही दिखा दो शिवाक्ष.. " बोलते हुए श्वेता मुस्कुरा दिया और अपने बालों की लट को घुमाने लगी ।

शिवाक्ष ने उसकी अदाओं पर कोई ध्यान नहीं दिया और गिटार बजाने लगा ।

वहीं अंजली और आकाश एक दूसरे की तरफ देखते हुए इशारों में एक दूसरे से बात करने लगे । दोनो ही डिसाइड नही कर पा रहे थे कि खुशी को राजीव के उन्हें बुली करने वाली बात बताएं या नहीं ।

खुशी ने दोनो को एक दूसरे की आंखों में देखते हुए देखा तो झट से बोली " क्या नैन मटक्का चल रहा है.. ?? "

अंजली और आकाश झेंप गए और खुशी की ओर देखकर दोनो ने जल्दी से ना में सिर हिला दिया ।

करीब 4 : 00 बजे तक वो लोग music room में ही बैठे हुए guitar सीखते रहे । वॉचमैन अंदर आया और बोला " चलिए सब लोग बाहर निकलिए अब कॉलेज के बंद होने का वक्त हो गया है.. । " ।

Watchmen के कहने पर सब लोग वहां से बाहर निकल गए ।

Music room से बाहर आकर शिवाक्ष को याद आया कि उसने अपने guitar 🎸 का cover music room में ही छोड़ दिया था । उसने अपना बैग बाहर बेंच पर रखा और बिना किसी से कुछ कहे वापिस music room में चला गया ।

कमरा अभी बंद नही हुआ था तो शिवाक्ष अंदर चला गया ।

वहीं दूसरी तरफ ground में पहुंचकर अंजली ने जब अपना बैग देखा तो उसे पता चला कि वह अपना फोन म्यूजिक रूम में ही भूल आई थी । आकाश और खुशी चले गए थे ।

अंजली ने वापिस कॉलेज की तरफ देखा और फिर बोली " अगर मां बाबा ने फोन किया और मैंने नही उठाया तो वो लोग परेशान हो जायेंगे... । फोन को यहां छोड़कर तो नही जा सकती... । एक काम करती हूं वापिस जाकर देखती हूं.. अगर तुम खुला हुआ तो फोन ले आऊंगी... " बोलते हुए अंजलि वापस म्यूजिक रूम की ओर चल दी ।

म्यूजिक रूम के बाहर आकर अंजलि ने देखा तो रूम का दरवाजा खुला हुआ था । अंजलि जल्दी से कमरे के अंदर चली गई । और जिस बेंच पर वह बैठी थी वहां पर जाकर अपना फोन देखने लगी ।

बेंच के ड्रॉर में उसे अपना फोन रखा हुआ मिल गया ।

दरवाजे के पास खड़ी श्वेता ने अंजली को अंदर देखा तो मुस्कुरा दी और दरवाजे को बंद करते हुए बोली " bye bye मुसीबत... । अब कल सुबह तक तुम्हारी अक्ल पूरी तरह से ठिकाने आ जायेगी.. " बोलकर उसने धीरे से दरवाजे को बंद किया और बाहर से ताला लगा दिया ।

अंजली बाहर निकलने के लिए मुड़ी तो देखा कि दरवाजा बंद कर दिया गया था । अंजली दरवाजे की ओर भागी ।

" दरवाजा खोलिए प्लीज.. मैं अंदर ही बंद हो गई हूं.. " बोलते हुए अंजली दरवाजा खटखटाने लगी ।श्वेता ने चाबी हवा में उछाली और फिर उसे कैच करते हुए बोली " अब आयेगा ना असली मजा.. । Let the devil die of dark... " बोलकर श्वेता तिरछा मुस्कुराई और वहां से निकल गई ।

शिवाक्ष जो बुक शेल्फ के पीछे खड़ा होकर गिटार में cover चढ़ा रहा था , अंजली की आवाज सुनकर सामने आ गया ।

" अरे क्या कर रही हो.. दरवाजा क्यों पीट रही हो.. " बोलते हुए शिवाक्ष उसकी ओर बढ़ा ।

" बाहर से दरवाजा बंद कर दिया है और मैं यहां अंदर ही फंस गई हूं.. प्लीज मुझे बाहर निकालिए... " बोलते हुए अंजली दरवाजे को ही देखे जा रही थी ।

" तुम बंद हो तो मैं भी बंद ही हूं ना.. " बोलते हुए शिवाक्ष उसके बगल में आकर खड़ा हो गया ।

अंजली ने उसकी ओर देखा और फिर दरवाजे को देखने लगी । उसे तो लग रहा था कि आवाज बाहर से आ रही थी ।

उसे शिवाक्ष को घूरते हुए देखा और फिर हैरानी से बोली " आप.. !! आप यहां क्या कर रहे हैं.... ?? " ।

" मैं.. " बोलते हुए शिवाक्ष ने अंजली के फिक्र से भरे चेहरे को देखा और फिर आगे बोला " मैं तो यहां घूमने आया था । what a wonderful place to visit... " ।

अंजली ने घुटकर उसे देखा और बोली " ये सब आपने ही किया है ना.. ताकि आप मुझे परेशान कर सकें.. "।

शिवाक्ष ने अपनी कमर पर हाथ रखे और बोला " हान हान मेरी तो मति मारी गई है जो मैं तुम्हारे साथ खुद को भी बंद कर लूंगा... " ।

अंजली ने शक भरी निगाहों से उसे देखा और फिर से दरवाजा खटखटाने लगी ।

अंजली दरवाजे को धक्का देने लगी । शिवाक्ष ने उसे पीछे खींचा और दरवाजा खटखटाते हुए बोला " anyone outside.. !! Please open the door... "।

शिवाक्ष ने कहा पर बाहर से कोई response नहीं आया । " अरे किसी को आपकी इंग्लिश नही सुननी है.. थोड़ा जोर से आवाज लगाइए.... " बोलते हुए अंजली ने शिवाक्ष को पीछे खींचा और जोर से दरवाजा पीटते हुए बोली " कोई है प्लीज मदद कीजिए... " ।

शिवाक्ष " कोई फायदा नही है.. । लगता है वॉचमैन ताला लगाकर चला गया " ।

अंजली ने सुना तो उसके चेहरे के भाव उड़े हुए हो गए ।

" हे भोलेनाथ... एक और मुसीबत । पता नहीं इन मुसीबतों को मेरा address कहां से मिल जाता है ? " । बोलते हुए अंजली ने सिर पीट लिया ।

" अक्सर हसीन चीजें सबको नजर आ ही जाती हैं.. " बोलते हुए शिवाक्ष उसे देखने लगा ।

अंजली ने सुना तो तिरछी नजरों से शिवाक्ष को देखने लगी ।

शिवाक्ष एक टक उसे देखे जा रहा था । दोनो की नजरें आपस में टकरा रही थी । जहां शिवाक्ष फ्लर्टिंग अंदाज में उसे देख रहा था वहीं अंजली गुस्से से उसे घूरे जा रही थी ।

अंजली ने उसे घूरा और फिर आवाज बुलंद करते हुए बोली " आप तो खुद को बहुत पावरफुल समझते हैं ना... तो तोड़ दीजिए ये दरवाजा.... । और निकालिए हमे बाहर... " ।

शिवाक्ष ने आइब्रो उपर की ओर उसके चेहरे को घूरते हुए बोला " मैं पावरफुल हूं लेकिन लोहे का हथौड़ा नही हूं तो इस लोहे के गेट से टकराऊं जाकर.. । दिमाग ने भूसा नही भरा मेरे.. जो लोहे के दरवाजे को तोड़ने की कोशिश करूंगा... " ।

बोलते हुए शिवाक्ष ने दरवाजे की ओर प्वाइंट आउट किया ।

अंजली ने रोशन दान की तरफ देखा और बोली " हम लोग वहां से तो निकल सकते हैं ना... " ।

शिवाक्ष ने उसकी नज़रों का पीछा करते हुए रोशनदान की तरफ देखा और sarcasm से बोला " हान हान जाओ ना... । छिपकली बनो.. 14 फीट की दीवार पर चढ़ो और रोशनदान से बाहर कूद जाओ... " ।

" आपको क्या दिक्कत है.. । आप यहां से बाहर निकलना ही नहीं चाहते हैं ना... ?? " बोलते हुए अंजली ने कमर पर हाथ रखे हुए उसे देखा ।

" निकलना चाहता हूं.. लेकिन अगर कोई रास्ता हो तो निकलूंगा ना.... । अब बाहुबली बनके दरवाजा थोड़ी उखाड़ दूंगा... या फिर मोगली बनके रोशनदान पे थोड़ी चढ़ जाऊंगा... । " बोलते हुए शिवाक्ष चिढ़ गया ।

अंजली ने भी बाजुएं फोल्ड की ओर दूसरी ओर घूम गई ।

वही श्वेता इलेक्ट्रिसिटी डिपार्टमेंट में गई और वहां जाकर पूरे कॉलेज की बिजली की सप्लाई उसने बंद कर दी ।

सभी कमरों में जल रही लाइट्स और फैंस चलने बंद हो गए ।

अंजली कमरे में इधर उधर देख ही रही थी कि एक दम से बिजली चली जाने पर वो घबराते हुए बोली " अब ये क्या हुआ.. ?? बिजली क्यों चली गई.. " ।

" मैने बोला कि तुम भी अब छुट्टी ले लो.. थक गई होगी... " बोलते हुए शिवाक्ष ने अपने गिटार को बैंच पर रख दिया ।

अंजली उसे घूरने लगी । " क्या घूर क्या रही हो.. ?? अरे मुझे क्या पता क्यों चली गई । मैने थोड़ी भेजा है जो मुझसे पूछ रही हो.. " बोलकर शिवाक्ष बैंच पर बैठ गया ।

अंजली ने दूसरी ओर चेहरा घुमा लिया । फिर अपने बैग में रखे फोन को निकालते हुए बोली " खुशी को फोन करती हूं.... । वो मदद कर सकती है... " ।

शिवाक्ष ने अंजली के हाथ में फोन देखा तो अपनी जेब चेक करने लगा ।

" damm.. मेरा फोन तो बैग में ही रह गया.. " बोलते हुए शिवाक्ष अंजली के फोन को देखने लगा ।

अंजली ने खुशी को फोन मिलाया पर उसने उठाया ही नही.. । अंजली ने एक और बार कोशिश की पर इस बार भी कोई जवाब नही आया ।

शिवाक्ष उसके पास आया और अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए बोला " फोन इधर दो.. , मैं अक्षत को फोन करता हूं , वो आके हमें निकाल लेगा " ।

अंजली ने उसे घूरा और बोली " नहीं मैं आकाश को फोन करूंगी , वो आ जायेगा " ।

शिवाक्ष ने अपने बालों में हाथ फेरा और बोला " तुम और तुम्हारे दोस्त इस कॉलेज में नए आए हो , उन्हें नहीं पता चलेगा कि चाबियां कहां रखी होती हैं । तुम फोन इधर दो , मुझे बात करने दो । अक्षत आकर हम लोगों को बाहर निकाल लेगा " बोलते हुए शिवाक्ष ने अपना हाथ उसकी ओर बढ़ा दिया ।

अंजली अपने हाथ और फोन दूर ले जाते हुए बोली " मैं अपना फोन आपको क्यों दूं... । मुझे पता है ये सब आपने ही किया है... । और मैं आपकी किसी चाल में नही फसूंगी.. " ।

शिवाक्ष ने कमर पर हाथ रखा और बोला " अरे क्या बोले जा रही हो.. ?? मैने कहा ना कि मैंने ये सब नही किया है... । और तुम अभी फोन दो.. " बोलकर शिवाक्ष ने अंजली की ओर कदम बढ़ाया ।

अंजली ने अपने कदम और पीछे ले लिए और उसे घूरने लगी ।

शिवाक्ष इरिटेट होते हुए बोला " क्या. ? अरे फोन दो ना.. , आज यहीं बंद रहने का इरादा है क्या ? " ।

अंजली " जी नही मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं है... । लेकिन ये आपकी ही कोई चाल है इतना मुझे पता है.. अब आप अपने दोस्त से कहिए कि हमे यहां से बाहर निकाले.. । " ।

" अरे वाह.. कितनी होशियार हो तुम तो... सब कुछ पहले से ही पता है.. " बोलते हुए शिवाक्ष ने ताली बजाई और आगे बोला " तो अब अगर तुम्हे सब कुछ पता ही है तो फोन दे दो.. मैं अक्षत को बुलाकर दरवाजा खोल देता हूं... " ।

" नई.. मैं आपको फोन नही दूंगी.... आप मेरे नंबर का गलत इस्तेमाल भी तो कर सकते है... । मैं आपको फोन नहीं दूंगी.. आप अपने फोन से क्यों नहीं करते.... ?? " बोलते हुए अंजली ने फोन को अपनी पीठ के पीछे कर लिया । " मैं अपना फोन बाहर bag में ही भूल आया हूं.. तो इसलिए नही कर सकता.. । अभी आप फोन दे दीजिए.. " बोलते हुए शिवाक्ष ने एक और बार प्यार से उससे फोन मांगने की कोशिश की ।

अंजली ने मुंह बनाया और दूसरी ओर घूमकर आकाश का नंबर डायल करने लगी ।

शिवाक्ष को अब बोहोत ज्यादा irritation होने लगी थी । इतना मनाने पर भी अंजली उसकी बात नही सुन रही थी । शिवाक्ष ने झटके से अंजली के हाथ से फोन छीन लिया ।

" मेरा फोन वापिस दीजिए.. " बोलते हुए अंजली अपना फोन वापिस लेने की कोशिश करने लगी ।

शिवाक्ष ने फोन को उपर ऊंचा उठा लिया ताकि अंजली उस तक न पहुंच पाए । और फिर अक्षत का नंबर मिलाने लगा । अंजली उछलते हुए फोन लेने की कोशिश करने लगी ।

काफी कूदने के बाद भी जब अंजली फोन तक नही पहुंच पाई तो उसने शिवाक्ष के पैर के उपर अपना पैर मार दिया । शिवाक्ष अपने पैर को पकड़ने के लिए नीचे झुका तो अंजली ने झट से उसके हाथ से फोन छीन लिया । और उससे दूर भागने लगी ।

शिवाक्ष ने उसे भागते देखा तो उसका दुपट्टा पकड़ लिया । अंजली को दुपट्टे से अपने गले में खिंचाव महसूस हुआ तो वो रुक गई ।

और अपने गले पर लिपटे दुपट्टे को उसने कसकर पकड़ लिया । उसकी धड़कने भी बढ़ने लगी थी ।