बेपनाह मोहब्बत - 6 Anjali Vashisht द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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बेपनाह मोहब्बत - 6

अंजली अपने रूम पहुंची तो उसका मन बोहोत उदास हो चूका था । ।

दिल में गुस्सा भरा था जो कैसे शांत होगा उसे नही पता था ।

अंजली ने शीशे में चेहरा देखा तो उसका चेहरा कुछ जगह से छिला हुआ था । अंजली ने छुआ तो " मम्मा.. " कहते हुए उसकी सिसकी निकल गई ।

तभी उसका फोन रिंग होने लगा तो अंजली ने फोन उठाकर देखा । स्क्रीन पर मां लिखा हुआ आ रहा था । मां नाम देखते ही उसकी आंखों में नमी तैर गई ।

उसने फोन उठाया तो सामने से आवाज़ आई "हेलो अंजली... " ।

अंजली ने कुछ बोलना चाहा तो उसके गला भर आया और गले से आवाज ही नहीं निकली । उसकी आंखें रोने को भर आई थी । उसने मुंह पर हाथ रख दिया और फोन को मुंह से दूर कर दिया ।

" हेलो अंजली.... तू सुन रही है ना.. " पूनम जी फिर से कहा ।

अंजली ने आंखें पोंछी और गला साफ करते हुए बोली बोली " हान हां मां... मैं सुन रही हूं.... ।

पूनम जी ने उसकी आवाज में नमी महसूस की तो बोली " क्या हुआ अंजली... सब ठीक तो है ना... ? कुछ हुआ है क्या.. ?? " ।

" इनको नही बता सकती कि क्या हुआ.. ?? वर्ना मेरी फिक्र करते हुए अपनी तबियत खराब कर लेंगी.. । और मां तो पहले ही मेरे दूर जाने के खिलाफ थीं... अगर इन्हें बताया तो यहां तो बिल्कुल नही रहने देंगी.... " सोचते हुए अंजली ने गहरी सांस ली और बोली " नही तो... ऐसा तो कुछ नही है.... । सब ठीक ही है मां... । " ।

पूनम जी " झूठ क्यों बोल रही हो.. ?? क्या मैं तुम्हे जानती नही हूं.. ? सच बताओ अंजली.. क्या हुआ है.... । मुझे फिक्र हो रही है तुम्हारी... मैं उधर आऊं क्या.. " ।

अंजली " अरे नही नही मां । सच में मैं ठीक हूं । मुझे कुछ नही हुआ है.. बस वो मैं गिर गई थी तो थोड़ी सी चोट लग गई... । आप इतनी फिक्र मत कीजिए... " ।

पूनम जी " कैसे फिक्र न करूं.. । एक तो दिल पे पत्थर रखकर तुझे दूर पढ़ने भेज दिया है और अब फिक्र भी न हो.... । अच्छा कहां चोट लगी है बता.. । " ।

" चेहरे पे थोड़े से स्क्रैचेस आए हैं बस... " । अंजली ने सहजता के साथ कहा ।

पूनम जी " अच्छा तू गिरी और सिर्फ तेरे चेहरे पर ही निशान पड़े.... हाथ और पैर पर चोट नहीं लगी.. । " ।

अंजली उनकी बात सुनकर कुछ पल को चुप हो गई ।

पूनम जी ने उसे शांत पाया तो बोली " मुझे सब पता है कि तू मुझे सच नही बता रही है.. । और मुझसे बात छुपा रही है... ताकि मैं फिक्र न करने लग जाऊं... " ।।

अंजली " आपकी फिक्र का क्या है मां आपकी फिक्र से तो फिक्र को भी फिक्र हो जाए... । लेकिन मैं आपसे कुछ झूठ नही बोल रही । मुझे ज्यादा चोट नही लगी है बस चेहरे पे थोड़े स्क्रैच पड़ गए हैं । और कुछ नही... तो आपको फिक्र करने की कोई भी जरूरत नहीं है... । "

पूनम जी " अच्छा... तो कुछ दवाई लगाई या नही.. । " ।

" हान अभी दवाई लगा लूंगी मां.. । आप मेरा छोड़िए अपना बताइए.. । आपने दवाई ली या नही... " बोलते हुए अंजली ने बात को घुमा दिया ।

पूनम जी " हान... खा ली थी मैने दवाई.. । अंजली एक बात सुन ना बेटा... " बोलते हुए उनका गला भर आया ।

" बोलिए ना मां.. " अंजली ने प्यार से कहा ।

" जब अपना बच्चा आंखों से दूर होता है तो हर वक्त चिंता लगी ही रहती है । शायद तुझे ये बात अभी समझ में ना आए । देख तू पढ़ाई के लिए वहां चली तो गई लेकिन अगर अपना खयाल नहीं रखेगी तो कैसे चलेगा.. । और मुझसे कुछ छुपाकर तो कैसे ही चलेगा... । देख तू अच्छा फ्यूचर बनाना चाहती है तो अच्छी बात है । मैं तुझे वापिस यहां आने के लिए नही कह रही हूं और तेरे फैसले में तेरे साथ भी हूं.... । लेकिन अगर कोई परेशानी होती है तो मुझसे छुपा मत बेटा.. । जो भी दिक्कत है वो बता ना.. । दर्द बांटने से कम ही होता है... और तू अपनी मां से ही बातें छुपाना चाहती है... " ।

अंजली की आंखों से आंसू की एक बूंद बह निकली । " मां... " उसने रोती हुई आवाज में कहा ।

" Hmm अब बता क्या हुआ.. ?? " पूनम जी ने सच जानने की कोशिश करते हुए कहा ।

अंजली " कॉलेज के सीनियर्स ने परेशान किया... और.... " । बोलते हुए अंजली ने पूरी बात पूनम जी को बता दी।

" hey भगवान... बस इतनी सी बात.. मुझे तो लगा न जाने क्या बात हो गई जो ऐसा हाल हो रखा है... । " ।

अंजली ने सुना तो कुछ पल को एकदम चुप हो गई फिर बोली " क्या ये इतनी सी बात है मां... ?? " ।

अंजली के सवाल पर पूनम जी ने प्यार से कहा " और क्या... । इसमें तो बात ही क्या है.. इससे भी बड़ी बड़ी बातें हो जाती हैं... । और ये तो लगभग हर जगह होता है चाहे कहीं भी देख लो । और इस तरह की बात पर तुम उदास हुई बैठी हो... "। ।

अंजली गौर से उनकी बातों को सुन रही थी ।

" तो बुरा नही लगना चाहिए क्या... ?? कोई बिना बात इतना परेशान कर रहा है... । दो जोड़ कपड़े खराब कर दिए । और इसके बाद भी मैं चुप रहूं.. " ।

पूनम जी " नही बिल्कुल नही.. किसने कहा कि चुप रहो.. । बोलो.. बताओ उनको कि वो गलत कर रहे हैं.. उनको उन्हीं की भाषा में जवाब दो.. लेकिन इस बात पर रो मत... । रोकर क्या मिलेगा भला.. । और जहां तक मैं तुम्हे जानती हूं... तो मेरा बच्चा बोहोत बहादुर है.. । इतनी छोटी छोटी बातों पर रोना उसे नही आ सकता... " ।

अंजली ने सुना तो मुस्कुरा दी ।

" आप सही कह रही हैं मां.. । पता नही मुझे क्या हो गया । उनका परेशान करना आंखों में आंसू ले आया... । लेकिन अब मैं इस बात पर नही रोऊंगी.. । और उन्हीं की भाषा में उन्हें जवाब भी दूंगी... " ।

पूनम जी " ये हुई न बात.. चलो अब दवाई लगाओ और हल्दी वाला दूध पी लो... " ।

" ठीक है मां.. मैं बाद में बात करूंगी... । bye... "। फोन cut गया तो अंजली ने अपने चेहरे पर हल्दी तेल लगा लिया । और बाहर बालकनी में आकर हाथ में किताब लिए बैठ गई ।

" मैं मां को ये बात बताने में कतरा रही थी.. इस डर से कि कहीं वो मेरे लिए ज्यादा परेशान न होने लगें.. लेकिन वो तो मुझे ही हिम्मत दे गई.. । सही कहा आपने मां आपसे अपनी प्रोब्लम शेयर करके वो कम हो गई । अब अच्छा सा लग रहा है.. " बोलते हुए अंजली ने फोन में उनकी फोटो निकाली और स्क्रीन पर किस करते हुए बोली " थैंक यू मां.. लव यू... " ।

बोलकर वो कुछ देर फोटो को देखती रही फिर कुछ देर पढ़कर कमरे में चली आई ।




दूसरी तरफ जब शिवाक्ष अपने घर पहुंचा तो अंजली के बारे में सोचते हुए थोड़ा चिढ़ा हुआ सा था । न जाने क्यों अंजली अपने आप ही उसके दिमाग में चले जा रही थी ।

शिवाक्ष की मॉम प्रेरणा जी ने उसे देखा तो उन्हें वो कुछ खोया हुआ सा लगा ।

" शिवाक्ष " बोलते हुए वो उसकी ओर आई और उसके बालों को सही करते हुए बोली.. क्या हुआ कहां ध्यान है तुम्हारा.. ?? "




शिवाक्ष ने अपने बालों को सहलाते हुए उनके हाथ को पकड़ा और बोला " कुछ नही हुआ mom.. आप अभी मेरी कंघी बनकर बाल मत बनाइए.. " ।

शिवाक्ष को चिढ़ते देख प्रेरणा जी बोली " हान हान प्यार से बाल सहलाए तो मैं तो कंघी बन गई... । अभी ये बताओ कि इतने चिढ़े हुए क्यों हो.. ?? "

प्रेरणा जी के सवाल पर शिवाक्ष की आंखों के आगे अंजली का रूमाल फेंकना आ गया ।

" नही कुछ खास नही... मैं ठीक हूं... बोलते हुए शिवाक्ष ने किचन की तरफ देखते हुए बोला " भूख लग रही है खाना भिजवा दीजिए.. "

" अभी लाती हूं.. " बोलकर प्रेरणा जी रसोई की ओर चली गई । शिवाक्ष भी अपने कमरे में चला आया ।

उसने अपना गिटार उठाया और खिड़की के पास बैठते हुए गिटार बजाते हुए गाने लगा

" एक अजनबी हसीना से यूं मुलाकात हो गई..

फिर क्या हुआ ये ना पूछो कुछ ऐसी बात हो गई.. "

गाना गाते वक्त अंजली का चेहरा उसकी आंखों के सामने घूमे जा रहा था ।

शिवाक्ष ने गिटार को साइड रखा और खिड़की पर हाथ रखकर दूर आसमान में देखने लगा ।

दरवाजा खुला ही था तो प्रेरणा जी अंदर आते हुए बोली " क्या बात है शिव.. किस हसीना से मुलाकात हो गई ?? "।

शिवाक्ष ने पलटकर उनकी ओर देखा और उनकी ओर आते हुए बोला " किसी से नही mom.. बस गाना दिमाग में आया तो गा दिया । " ।

बोलते हुए शिवाक्ष ने उनके हाथ से खाने की ट्रे ली और उन्हें लेकर bed पर बैठ गया ।

प्रेरणा जी ने उसके चेहरे को देखा और बोली "क्या हुआ क्या है तुम्हे आज ? "

" कुछ भी तो नही " बोलते हुए शिवाक्ष ने ना में सिर हिलाया और खाने की ट्रे के उपर से प्लेट हटा दी । और खाना खाने लगा ।

प्रेरणा जी ने उसके हाथ से प्लेट ली और खुद उसे खिलाते हुए बोली " कुछ तो हुआ है.. वर्ना इतनी जल्दी तो तुम घर कभी नहीं आते... । " । कहते हुए प्रेरणा जी ने शिवाक्ष की ओर निवाला बढ़ा दिया । |

शिवाक्ष ने निवाला मुंह में लिया और बोला " हान आपके हिसाब से तो मैं घर के बाहर बोहोत देर तक आवारा घूमता रहता हूं और कभी जल्दी घर आ ही नही सकता... । "। ।

शिवाक्ष ने कहा तो प्रेरणा जी उसे गुस्से ओर नाराजी से घूरते हुए देखकर बोली " अब मैंने ऐसा कब कहा शिव.. । तुम भी ना कुछ भी बोलते हो.... । ऐसा कुछ नही है.. । तुम इतनी जल्दी आते नही हो इसलिए पूछा.. " ।

" मेरे आने के लिए आप घर में रहती भी कब हैं मॉम.. । कभी कभी ये दिन आता है जब आप यहां दिख जाती हैं.. वर्ना अपने पति की तरह आप भी अब घर से गायब ही रहने लगी हैं.. । जल्दी आ भी जाऊं तो घर में होता ही कौन है जो मेरा इंतजार कर रहा हो... इसलिए मुझे बाहर रहना ही अच्छा लगता है... "। बोलते हुए शिवाक्ष ने एक निवाला लेकर प्रेरणा जी की ओर बढ़ा दिया ।

प्रेरणा जी ने निवाला खाया और खामोश होकर शिवाक्ष के चेहरे को देखने लगी । उनके पास शिवाक्ष की बातों के जवाब में बोलने के लिए कुछ नही था इसलिए वो चुप ही रहीं ।

दोनो ने खाना खाया और प्रेरणा जी वहां से जाने लगी । ।

" mom.. " कहकर शिवाक्ष ने उन्हें पुकारा तो प्रेरणा जी ने पलटकर शिवाक्ष को देखा । ।

शिवाक्ष ने आगे बढ़कर उन्हें hug कर लिया । प्रेरणा जी ने उसकी पीठ को सहलाया और फिर उसके माथे को चूमते हुए बोली " i love you मेरा बच्चा... " ।

" मैं भी... " बोलते हुए शिवाक्ष ने उनके हाथ को चूम लिया।

प्रेरणा जी वहां से बाहर निकल गई ।

प्रेरणा जी गई तो शिवाक्ष फिर से गिटार पकड़े बैठ गया और आंखें बंद किए देर तक गिटार बजाता रहा ।

आंखें बंद करने पर अंजली का चेहरा बार बार शिवाक्ष की आंखों के सामने घूमता रहा । मिट्टी लगे चेहरे से अंजली का उसे घूरना शिवाक्ष की आंखों में जैसे बस सा गया था ।

कुछ तो बात थी उसमे जो शिवाक्ष को खयालों में पल पल उसका दीदार होने लगा था ।