अलक्षितप्रेम Abhijeet Yadav द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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अलक्षितप्रेम

 

प्रस्तावना


प्रयागराज, जहां गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का संगम होता है, वहां के घाट पर प्रेम की अनगिनत कहानियाँ बसी हुई हैं। यहाँ का गंगा घाट न केवल धार्मिक बल्कि प्रेम की पवित्रता का भी प्रतीक है। यह कहानी है शिव और शिवांगी की, जिनके प्रेम ने इस घाट की पवित्र धारा में अमरता पाई।

 

पहली मुलाकात


शिव और शिवांगी की कहानी की शुरुआत प्रयागराज के एक छोटे से कॉलेज से हुई थी। शिव एक उत्साही और हंसमुख इंजीनियरिंग का छात्र था, जो अपनी पढ़ाई के साथ-साथ दोस्तों के साथ समय बिताना पसंद करता था। दूसरी ओर, शिवांगी एक गंभीर और मेहनती मेडिकल की छात्रा थी, जो अपनी पढ़ाई में डूबी रहती थी।

कॉलेज के फेस्टिवल के दौरान, जब सभी छात्र अपनी-अपनी गतिविधियों में व्यस्त थे, शिव ने शिवांगी को पहली बार देखा। वह एक किताब के साथ बेंच पर बैठी थी, और उसके आस-पास शांति का वातावरण था। शिव ने हिम्मत जुटाकर उसके पास जाकर बैठने का निर्णय लिया।

शिव: "hello, क्या यहाँ बैठ सकता हूँ?"

शिवांगी: (किताब से नजर उठाते हुए) "जी, बैठ जाइए।"

इस साधारण से प्रश्न और उत्तर में कुछ खास था। शिव और शिवांगी के बीच पहली बार बातचीत शुरू हुई, जिसमें शिवांगी ने अपनी पढ़ाई के बारे में बताया और शिव ने अपनी इंजीनियरिंग की बातें साझा कीं।

दोस्ती और प्रेम की शुरुआत


समय के साथ, शिव और शिवांगी की दोस्ती गहरी होती गई। वे अक्सर गंगा घाट पर मिलने लगे, जहां वे घंटों बैठकर बातें करते थे। घाट की शांत वातावरण और गंगा की लहरें उनके दिलों की गहराइयों तक पहुँचती थीं।

शिव: "तुम्हें यहाँ आना कितना अच्छा लगता है, न?"

शिवांगी: "हाँ, यहाँ की शांति और पवित्रता मुझे बहुत भाती है। यहाँ आकर लगता है कि सारी परेशानियाँ बह जाती हैं।"

शिव: "मुझे भी यहाँ आना बहुत अच्छा लगता है। खासकर जब तुम साथ होती हो।"

शिवांगी: (मुस्कुराते हुए) "तुम्हारे साथ समय बिताना हमेशा सुखद होता है।"

उनकी बातचीतें गहराती गईं, और धीरे-धीरे उनका रिश्ता दोस्ती से बढ़कर प्यार की ओर बढ़ने लगा। वे एक-दूसरे की छोटी-छोटी बातें, आदतें और सपने साझा करने लगे।

प्रेम का इज़हार


एक दिन, जब सूर्यास्त का समय था और गंगा की लहरें सुनहरी हो रही थीं, शिव ने तय किया कि वह अपने दिल की बात शिवांगी से कहेगा। उसने एक खूबसूरत सी जगह चुनी जहां सूरज डूब रहा था और हल्की-हल्की ठंडी हवा चल रही थी।

शिव: "शिवांगी, मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ।"

शिवांगी: "क्या बात है, शिव?"

शिव: "शिवांगी, तुम मेरे लिए बहुत खास हो। मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता। मैं तुमसे प्यार करता हूँ।"

शिवांगी: (चौंकते हुए) "शिव, यह अचानक... यह सब क्या है?"

शिव: "मैंने हमेशा तुम्हारे साथ हर पल बिताने का सपना देखा है। तुम्हारे बिना मेरे जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता।"

शिवांगी की आँखों में आँसू थे। उसने गहरी साँस ली और शिव की ओर देखा, उसकी आँखों में प्यार की चमक थी।

शिवांगी: "शिव, मैं भी तुमसे प्यार करती हूँ। तुम्हारे बिना मुझे भी जीना मुश्किल हो जाता।"

उस पल, गंगा घाट पर सब कुछ अद्भुत और चिरकालिक लग रहा था। सूर्य की किरणें गंगा की लहरों पर चमक रही थीं, और दोनों के दिल एक दूसरे के प्यार में डूबे हुए थे।

 

परिवारों की अस्वीकृति


जब शिव और शिवांगी ने अपने परिवारों को अपने प्यार के बारे में बताया, तो उन्होंने एक कड़ा विरोध का सामना किया। शिव के परिवार ने उसकी जाति और समाज के अनुसार एक दूसरी जाति की लड़की से शादी नहीं करने की बात कही, जबकि शिवांगी के माता-पिता को शिव की आर्थिक स्थिति पर चिंता थी।

शिव के पिता: "शिव, यह शादी हमारे समाज के नियमों के खिलाफ है। हम इसे स्वीकार नहीं कर सकते।"

शिवांगी की माँ: "शिवांगी, तुम हमारे सपनों को छोड़ रही हो। यह लड़का हमारे स्तर का नहीं है।"

इस कड़ी अस्वीकृति से दोनों के लिए यह समय बहुत कठिन था। उन्होंने अपने परिवारों को मनाने की हर संभव कोशिश की, लेकिन हर बार असफलता ही मिली।

 

प्रेम का संघर्ष


शिव और शिवांगी ने अपने प्यार को बचाने के लिए कई बार सोचा कि क्या करना चाहिए। उनके दिल में एक ही सवाल था—क्या उन्हें अपने परिवारों को छोड़कर कहीं दूर जाना चाहिए?

शिव: "शिवांगी, हमारे पास और कोई विकल्प नहीं है। हमें भागकर अपनी नई जिंदगी शुरू करनी होगी।"

शिवांगी: "मुझे डर लगता है कि शायद हम एक गलती कर रहे हैं। लेकिन तुम्हारे बिना रहना मेरे लिए असंभव है।"

शिव: "हमारे प्यार में सच्चाई है, इसलिए हमें इसका मौका देना चाहिए।"

शिव और शिवांगी ने भागने का निर्णय लिया। वे गंगा घाट पर एक रात मिलेंगे और वहां से किसी दूसरे शहर की ओर निकलेंगे।

भागने की योजना


शिव और शिवांगी ने गंगा घाट पर रात को मिलकर भागने की योजना बनाई। उन्होंने सब कुछ गुप्त रखा ताकि परिवारों को पता न चले।

शिव: "हम कल रात को निकलेंगे। गंगा घाट पर मिलेंगे और फिर ट्रेन पकड़ लेंगे।"

शिवांगी: "ठीक है, शिव। मैं तुम्हारे साथ हूँ।"

 

दुर्घटना और मृत्यु


रात के अंधेरे में, जब वे शहर से बाहर जा रहे थे, एक तेज रफ्तार ट्रक ने उनकी बाइक को टक्कर मार दी। दुर्घटना इतनी भयानक थी कि दोनों की मौत हो गई। उनका प्यार, जो कभी अधूरा नहीं होना चाहिए था, वह उस रात अधूरा रह गया।

 

आत्माओं का मिलन


शिव और शिवांगी की आत्माएं गंगा घाट पर आ गईं। वे अब इस दुनिया में नहीं थे, लेकिन उनकी आत्माएं एक-दूसरे के साथ थीं।

शिव: "शिवांगी, हमारी जिंदगी में जो कुछ भी हुआ, उसके बावजूद हम अब भी साथ हैं।"

शिवांगी: "हाँ, शिव। हमें दुख है कि हमारे परिवारों को हम समझा नहीं पाए, लेकिन अब हमें कोई जुदा नहीं कर सकता।"

गंगा की लहरें धीरे-धीरे बह रही थीं, जैसे कि वे दोनों आत्माओं की बात सुन रही हों। दीपक जलते जा रहे थे, और गंगा घाट पर प्रेम की इस अदृश्य कहानी ने एक नई उमंग भर दी थी।

 

गंगा घाट पर एक और प्रेम कहानी


गंगा घाट पर बैठे एक युगल को देखकर शिव और शिवांगी की आत्माएं उनकी ओर खिंची चली गईं। वह युगल भी अपने प्यार को लेकर संघर्ष कर रहे थे।

लड़का: "मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता। लेकिन हमारे परिवार कभी हमें एक नहीं होने देंगे।"

लड़की: "मुझे भी डर लगता है। लेकिन क्या हम अपने प्यार के लिए लड़ नहीं सकते?"

शिव: (युगल को देखते हुए) "शिवांगी, हमें हमारी याद आ रही है। क्या इनसे भी वही होगा जो हमारे साथ हुआ?"

शिवांगी: "हमें इन्हें चेतावनी देनी चाहिए। शायद हमारे अनुभव से ये कुछ सीख सकें।"

 

एक अदृश्य संदेश


शिव और शिवांगी ने अपनी आत्माओं की शक्ति से उस युगल को एक संदेश देने की कोशिश की। उन्होंने हवा के झोंकों में एक गीत भेजा, जो उन दोनों के दिलों तक पहुँच सके।

गीत की आवाज़: "प्यार की राह में कांटे होते हैं, पर सच्चे प्यार को कोई नहीं रोक सकता। लड़ो, अपने प्यार के लिए, क्योंकि यही जीवन की सच्चाई है।"

युगल ने अचानक हवा में एक अजीब सी मिठास महसूस की। उन्होंने महसूस किया जैसे कोई उन्हें समझाने की कोशिश कर रहा हो।

लड़का: "क्या तुमने सुना? यह हवा... यह गीत?"

लड़की: "हाँ, शायद यह हमारे लिए एक संकेत है। हमें अपने प्यार के लिए लड़ना चाहिए।"

अमर प्रेम और आत्माओं का विलय


शिव और शिवांगी की आत्माओं ने देखा कि वह युगल अपने प्यार के लिए मजबूत हो रहा था। उन्होंने महसूस किया कि उनकी अधूरी कहानी किसी और की मदद कर सकती है।

शिव: "शिवांगी, शायद यही हमारी मुक्ति है। दूसरों की खुशियों में अपनी खुशी ढूँढना।"

शिवांगी: "हाँ, शिव। अगर हम किसी की मदद कर सकते हैं, तो हमें करना चाहिए। यही हमारी आत्मा की शांति होगी।"

गंगा की लहरें धीरे-धीरे बह रही थीं, जैसे कि वे दोनों आत्माओं की बात सुन रही हों। दीपक जलते जा रहे थे, और गंगा घाट पर प्रेम की इस अदृश्य कहानी ने एक नई उमंग भर दी थी। शिव और शिवांगी की आत्माएं धीरे-धीरे गंगा की ओर बढ़ गईं, जैसे कि वे गंगा की पवित्र जलधारा में विलीन हो गई हों।

लेकिन उनका प्रेम अमर था। उनकी अधूरी कहानी गंगा की लहरों में हमेशा के लिए बसी रही। एक अनकही दास्तान, जो कभी खत्म नहीं होगी, और हमेशा इस घाट पर बहेगी, अनंत काल तक।

समाप्ति
प्रेम, एक ऐसा एहसास जो न केवल जीवन में बल्कि मृत्यु के बाद भी जीवित रहता है। शिव और शिवांगी की आत्माएं आज भी गंगा घाट पर रहती हैं, उन सभी प्रेमियों की रक्षा करने के लिए जो अपने प्यार के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उनका प्यार अधूरा था, लेकिन उनकी आत्माएं कभी भी अलग नहीं हो सकतीं।

प्रयागराज का घाट, गंगा की पवित्र धारा, और उन दोनों आत्माओं का अमर प्रेम, यह सब एक ऐसे प्रेम की कहानी है जो कभी खत्म नहीं होगा। यही तो प्रेम है - अनंत, अमर, और शाश्वत।