बंधन Vijay Sanga द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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बंधन

ये कहानी लखनऊ मे रहने वाले ऐसे दो लोगों की है, जिनको अपनी मर्जी के बिना अपने परिवार वालों के कारण शादी करनी पड़ी। वो दोनो शादी के बाद भी एक दूसरे के लिए अजनबी की तरह थे। ना ज्यादा एक दूसरे से बोलना ना ही एक दूसरे से कुछ पूछना।

सुबह के 7 बज रहे थे, सब तरफ लोगों की चहल पहल बनी हुई थी। लोग अपने अपने काम पर जा रहे थे। इन्ही लोगों मे दो लोग ऐसे थे जो बाकी लोगों के मुकाबले कुछ ज्यादा ही हड़बड़ी मे नजर आ रहे थे।

जैसे ही एक रिक्शा उनकी तरफ आती हुई दिखाई दी, उन दोनों ने एक साथ आवाज देकर उस रिक्शा वाले को रूकने का इशारा किया।

जैसे ही रिक्शा रूकी, वो दोनो एक साथ रिक्शा में बैठ गए। “ओ हेलो मिस्टर...! मैं इस रिक्शा मे पहले बैठी हूं , तुम अभी के अभी नीचे उतरो।” उस रिक्शा मे बैठी लड़की ने उसके बगल मे बैठे लड़के को घूरते हुए कहा।

उस लड़की की बात सुनकर वो लड़का भी उसको घूरते हुए बोला, “तुम नही बल्कि मैं इस रिक्शा मे पहले बैठा था, इसलिए मैं नही तुम इस रिक्शा से नीचे उतरोगी।"

“अच्छा...! अभी पता कर लेते हैं की कौन पहले बैठा था।” उस लड़के को इतना कहते हुए उस लड़की ने रिक्शा वाले के कंधे पर हाथ थपथपाते हुए पूछा, “सुनिए भईया, अब आप ही बताइए की हम दोनो मे से आपकी रिक्शा मे कौन पहले बैठा था ?"

उस लड़की की बात सुनते ही रिक्शा वाले ने उन दोनो को देखते हुए कहा, “देखिए मैडम, अगर आप दोनो को चलना है तो चलिए , नही तो दोनो रिक्शा से नीचे उतरिये। ये मेरी बोनी का समय है इसलिए जल्दी फैसल कीजिए की आपको चलना है या नही?"

रिक्शा वाले की बात सुनकर वो दोनो एक दूसरे को देखने लगे। उन दोनो को ही जल्दी थी और दोनो को समय पर कहीं पहुंचना था। अगर उनसे वो रिक्शा छूट जाती तो वो दोनो लेट हो जाते । वो दोनो एक दूसरे की सकल देख कर सोच ही रहे थे की क्या करें, क्या करें, तभी उस रिक्शे वाले ने उन दोनो को देखते हुए कहा, “देखो मैडम, आप दोनो कोई और रिक्शा कर लो, मैं इतना इंतजार नही कर सकता।"

रिक्शे वाले की बात सुनकर उन दो ने एक साथ कहा, “ठीक है भईया चलिए।"

“अच्छा आपने ये तो बताया ही नहीं की आप दोनो को जाना कहां है?" उस रिक्शे वाले ने उन दोनो से पूछा।

रिक्शे वाले का सवाल सुनते ही उन दोनो के मुंह से एक साथ निकला, “गोमती नगर।" इतना कहते ही दोनो ने एक पल के लिए एक दूसरे को देखा, और फिर दूसरे ही पल दोनो ने दूसरी तरफ मुंह फेर लिया।

गोमती नगर एक ऐसे जगह हैं जहां पर बहुत सी IT Companies हैं। ये दोनो अजूबे जो सुबह सुबह रिक्शा मे बैठ कर लड़ रहे थे, ये हैं यश और सलोनी। ये दोनो ही software developer हैं, और आज दोनो अपनी जॉब इंटरव्यू के लिए जा रहें हैं।

कुछ देर बाद रिक्शा वाला उन दोनो को गोमती नगर छोड़ देता है। वहां से सलोनी आगे जाने लगती है। उसी के पीछे पीछे यश भी चल रहा था। यश को अपने पूछे चलता देख सलोनी पीछे पलटी और उससे बोली, “तुम मुझे follow क्यों कर रहे हो ?"

सलोनी के मुंह से ये सुनते ही यश उसके आगे आगे चलने लगा। सलोनी उसको गुस्से से देखी जा रही थी। कुछ दूर चलने के बाद वो दोनो एक कंपनी के पास पहुंच गए। उस कंपनी के बड़े से गेट पर एक बड़ा सा बोर्ड लगा हुआ था, जिसमे लिखा था, “NaxMox Solutions" ।

ताजुब की बात थी की, यश और सलोनी पहले एक ही रिक्शे में आए , उसके बाद एक ही जगह पर रिक्शे से उतरे, और अब एक ही कंपनी मे इंटरव्यू देने के लिए जा रहे थे। दोनो ने गेट पर गार्ड को अपने अपने कार्ड दिखाए जो की कंपनी ने उनको इंटरव्यू से कुछ दिन पहले ही दिए थे। उसके बाद वो दोनो अंदर चले जाते हैं।

इंटरव्यू होने के बाद जब यश और सलोनी कंपनी से बाहर निकले तो उन दोनो के चेहरे खुशी से खिले हुए थे। उनके खिले चेहरे देख कर ही पता चल रहा था की दोनो इंटरव्यू मे पास हो चुके थे।

वो दोनो गेट के बाहर खड़े खड़े इधर उधर देख ही रहे थे की तभी अचानक वहां पर एक लड़का एक चमचती हुई sports bike पर आया। यश को लगा की वो लड़का इसी कंपनी मे काम करता होगा, लेकिन उसी समय उस लड़के ने बाइक एक तरफ खड़ी की, और फिर सलोनी के पास जाकर उसको गले मिलते हुए बोला, “तो बताओ बेबी, तुम्हारा इंटरव्यू कैसा रहा ?”

“अरे बेबी मेरा इंटरव्यू बहुत अच्छा रहा , और यही नहीं, मेरा सिलेक्शन भी हो गया है। उन्होंने कहा है की कल तक joining letter घर पर पहुंच जाएगा, उसके बाद मैं जॉब पर आ सकती हूं।" सलोनी ने खिलखिलाते हुए उस लड़के से कहा।

“अच्छा तो ये इसका boyfrined है !” सलोनी और उस लड़के को बात करता देख यश ने अपने मन ही मन मे कहा।

“चलो बेबी मैं आज तुम्हे अपनी जॉब लगने की खुशी मे किसी अच्छी जगह पर ट्रीट देती हूं।" सलोनी ने मुस्कुराते हुए अपने boyfriend से कहा। जॉब लगने से वो बहुत ज्यादा खुश थी। इसके बाद सलोनी और उसका boyfriend बाइक पर बैठकर वहां से चले जाते हैं। थोड़ी देर बाद यश भी रिक्शा मे बैठकर घर के लिए निकल जाता है।

अगले दिन सलोनी और यश को उनका joining letter मिल जाता है। यश तैयार होकर अपने घर से थोड़ी दूरी पर मैन रोड पर रिक्शा के आने का वेट करने लगता है। कुछ देर बाद वहां पर एक रिक्शा आ जाती है। जैसे ही यश रिक्शे मे बैठा, उसी समय एक लड़की भी रिक्शा मे बैठ जाती है। यश ने जब उस लड़की को देखा, तो ये कोई और नहीं बल्कि सलोनी थी।

यश ने सलोनी को हैरानी से देखते हुए कहा, “तुम फिर से !"

सलोनी ने यश की बात का कोई जवाब ना देते हुए रिक्शा वाले से कहा, “भईया गोमती नगर चलो।" उसकी जॉब का ये पहला दिन था और वो किसी वजह से अपना मूड खराब नही करना चाहती थी। इसलिए उसने यश की बात का कोई जवाब नही दिया।

वहीं यश उसको देख कर अपने मन ही मन कहने लगा, “अपने आप को समझती क्या है ? घमंडी कहीं की।" उसी समय अचानक से सलोनी को हिचकी आनी शुरू हो गई। वो हिचकी लेते हुए यश को घूरने लगी।

“मुझे ऐसे घूर क्यों रही हो ? पानी पियो पानी।” यश ने उसको ऐसे घूरते देख कर कहा।

कुछ ही देर के बाद वो लोग कंपनी पहुंच गए। कंपनी के पहले दिन ही सलोनी की बहुत से लोगों से जान पहचान हो गई थी। और हो भी क्यूं ना ! वो थी ही इतनी खूबसूरत और अट्रैक्टिव की हर किसी से उसकी पहली मुलाकात मे ही जान पहचान हो गई।

वहीं दूसरी तरफ यश को कोई पूछने वाला भी नही था। शायद ये यश के लुक की वजह से था। ना ही वो ज्यादा handsome था और ना ही ज्यादा अट्रैक्टिव। दिखने मे बहुत सिंपल और सीधा साधा सा था।

ऑफिस की छुट्टी के बाद यश और सलोनी अपने अपने घर के लिए निकल गए। घर पहुंच कर सलोनी ने कुछ देर तक अपने टैपटॉप मे ऑफिस का दिया हुआ काम किया उसके बाद तैयार होकर अपने दोस्तों से मिलने के लिए निकल गई। वो अपनी जॉब लगने की खुशी मे उनको ट्रीट देने वाली थी।

कुछ देर बाद सलोनी एक बड़े से रेस्टोरेंट मे पहुंची। रेस्टोरेंट के अंदर जाते ही उसने देखा, उसके दोस्त पहले से ही वहां पर मौजूद थे। वो भी उनके पास जाकर बैठ गई।

“अरे सलोनी ! तेरा बढ़िया है यार, IT Company मे जॉब लग गई। यहां हम लोगों को देख, किसी किसी की तो शादी हो चुकी है , और बाकी लोगों की भी शादी होने वाली है। वैसे तू बता, तू कब शादी कर रही है ? और हां , अभी तक अपने boyfriend विशाल के बारे मे अपने घर वालो को बताया या नही?" सलोनी की दोस्त जिसका नाम पलक था, उसने सलोनी से पूछा।

“विशाल के बारे मे अभी नही बताया यार। और रही बात शादी की तो मैं तो अपने घर वालो से बोल दूंगी की शादी करूंगी तो विशाल से ही।” सलोने ने मुस्कुराते हुए अपनी दोस्त से कहा।

“तेरी किस्मत तो बहुत अच्छी है यार, पहले मनपसंद लड़का और अब मनपसंद जॉब। अब फटाफट अपने घर वालो को विशाल के बारे मे बता दे, नही तो कहीं देरी हो गई तो वो खुद ही कहीं ना कहीं तेरा रिश्ता पक्का कर देंगे।” पलक ने मुस्कुराते हुए सलोनी से कहा। उसकी बात सुनते ही सलोनी ने उसकी सर पर एक टपली मार दी।

सलोनी अपनी दोस्त से कुछ कहने ही वाली थी की तभी उसकी नजर किसी पर पड़ी। उसको देखते ही वो बोलते बोलते रूक गई। उसको ऐसे अचानक चुप होता देख उसकी एक दोस्त ने उससे पूछा, “क्या हुआ सलोनी ! अचानक बात करते करते चुप क्यों हो गई ?"

“अरे कुछ नही यार , बस ऐसे ही कुछ सोच रही थी।” सलोनी ने इतना कहा, और फिर दुबारा उसी ओर देखने लगी जिस ओर वो पहले देख रही थी। लेकिन इस बार उसकी सहेली ने उसको उस ओर देखते हुए देख लिया। उसने देखा की सलोनी एक लड़के को देख रही थी।

“तू उस लड़के को जानती है क्या ? दिखने मे तो कुछ खास नहीं लग रहा।” पलक ने उस लड़के को देखते हुए सलोनी से पूछा।

पलक का सवाल सुनकर सलोनी पलटी और पलक से बोली, “तू किस लड़के की बात कर रही है ?"

“अरे उसी लड़के की जो वहां उस टेबल पर बैठा हुआ है , और जिसको तू इतने गौर से देख रही थी।" पलक ने उस लड़के को देखते हुए पूछा।

”अरे मैं उसको थोड़ी ना देख रही थी। वो तो मैं विशाल का सोच रही थी की वो कब तक आएगा ! उसने कहा था की वो मुझसे यहीं पर मिलने के लिए आने वाला है।” सलोनी ने अपनी दोस्त पलक से कहा।

“अच्छा तो ऐसी बात है ! मुझे तो लगा की तू उस लड़के को देख रही होगी जो वहां उस टेबल पर बैठा हुआ है।” पलक ने सलोनी से इतना कहा, और फिर जूस पीने लग गई।

असल मे जिस लड़के की वो बात कर रहे थे , और वो जो उनसे थोड़ी दूरी पर बैठा था, वो कोई और नहीं, बल्कि यश था। जब सलोनी की नजर अचानक से उसपर पड़ी तो वो चौंक गई। वो ये सोच रही थी की, जहां जहां वो जाती थी, वहां वहां यश कैसे पहुंच जाता था? वो ये सब सोच ही रही थी की तभी उसकी दोस्त पलक ने उसको यश को देखते हुए देख लिया। और फिर उससे उसके बारे मे पूछने लगी। लेकिन सलोनी ने उससे साफ बोल दिया की वो उसको नही जानती और वो अपने boyfriend विशाल के आने का wait कर रही है, जो की उससे उसी रेस्टोरेंट मे मिलने के लिए आने वाला था।

वहीं दूसरी तरफ यश आराम से अपना मोबाइल चलते हुए कॉफी पी रहा था। कॉफी पीते पीते अचानक से उसका ध्यान उससे थोड़ी दूर बैठी लड़कियों के ग्रुप पर जाता है। वो उस तरफ देख ही रहा था की तभी उसने देखा की सलोनी भी उनके साथ बैठी हुई है।

“अरे यार फिर से ये लड़की ! ये तो गोंद की तरह चिपक गई है, जहां जाता हूं वहां पहुंच जाती है।” यश ने सलोनी को देखते हुए अपने आप से कहा। वहीं सलोनी भी उसको देख कर यही same चीज सोच रही थी जो यश उसको देख कर सोच रहा था।

कुछ ही देर बाद सलोनी का boyfriend भी वहां पर आ जाता है। कुछ देर तक उसने भी सलोनी के दोस्तों से बात की उसके बाद वो दोनो वहां से निकल गए। सलोनी ने अपनी दोस्त को पहले ही बता दिया था की उसकी और विशाल की स्पेशल डेट थी। कुछ देर बाद यश भी वहां से अपने घर जाने के लिए निकल जाता है।


यश और सलोनी को IT Company मे काम करते हुए 2 महीने बीत चुके थे। एक सुबह जब सलोनी तैयार होकर अपने ऑफिस जाने के लिए निकल ही रही थी की तभी उसकी मम्मी ने उसको रोकते हुए कहा, “बेटा सलोनी ! आज ऑफिस से थोड़ा जल्दी आ जाना , घर पर कुछ मेहमान आने वाले हैं।"

अपनी मां की बात सुनकर सलोनी ने उनसे पूछा, “कौन से मेहमान आने वाले हैं मां ?"

“वो तुझे शाम को खूब पता चल जायेगा।” सलोनी की मां ने उससे कहा। सलोनी को लगा की उनके कोई रिश्तेदार उनके घर पर आने वाले होंगे। यही सोचते हुए वो ऑफिस के लिए निकल गई।

सलोनी के ऑफिस जाने के बाद सलोनी की मां ने सलोनी के पापा से कहा, “सुनिए जी ! आपने सलोनी को क्यों नहीं बताया की शाम को लड़के वाले उसको देखने के लिए आने वाले हैं ?"

“अरे शांति, अब इसमें बताने वाली क्या बात है, वैसे भी कभी न कभी तो उसको शादी तो करनी ही है ना ! वैसे भी लड़के वाले बस उसको देखने ही तो आ रहे हैं। और हो सकता है की सलोनी को लड़का पसंद आ जाए। और कभी सलोनी को लड़का पसंद नही भी आया, तो हम उसके लिए दूसरा लड़का देखेंगे।” सलोनी के पापा ने अपनी पत्नी शांति से कहा।

“हां वो सब तो सही है, लेकिन मुझे लगता है की आपको उसको बता देना चाहिए था।" शांति अपने पति सुरेंद्र से कहती है।

“अरे वो सब छोड़ो और फटाफट मेरा टिफिन पैक कर दो। मेरे भी ऑफिस का समय हो गया है।” सुरेंद्र ने अपनी पत्नी से कहा। इसके बाद शांति ने उनसे कुछ नही कहा, और उनके लिए टिफिन पैक करने के लिए किचन मे चली गई। सलोनी को तो इस बात की भनक भी नही थी की शाम को उसको देखने के लिए लड़के वाले आने वाले थे।

शाम को ऑफिस के बाद जब सलोनी अपने घर पर पहुंची ही थी की , उसकी मम्मी ने उसको अपने साथ उसके कमरे की तरफ ले जाते हुए कहा, “फटाफट तैयार हो जा, वो लोग आते ही होंगे !"

अरे मां ! आखिर ऐसे कौनसे मेहमान आ रहे हैं जो आप मुझे इस समय तैयार होने के लिए बोल रही हो ?” सलोनी ने अपनी मम्मी से पूछा।

इससे पहले की उसकी मम्मी उसको कुछ बताती, उसके पापा अपने कमरे से नया नया कुर्ता पजामा पहने तैयार होकर वहां पर आ गए। वो सलोनी को देखते हुए बोले, “बेटा आज तुम्हे लड़के वाले देखने के लिए आ रहें हैं, इसलिए फटाफट तैयार हो जाओ।"

अपने पापा की बात सुनकर सलोनी का मुंह खुला का खुला रह गया। उसने तो सोचा भी नही था की अचानक ऐसा कुछ हो जायेगा। इससे पहले की वो अपने पापा से कुछ कह पाती, उसके पापा ने उसकी मम्मी को उसको उसके कमरे मे ले जाने के लिए बोल दिया। सलोनी बेचारी “पापा...! पापा...!” बोलती रह गई। लेकिन उसके पापा ने उसकी एक नही सुनी।

कमरे मे जाने के बाद सलोनी ने अपनी मम्मी से साफ साफ बोल दिया की उसको अभी शादी नहीं करनी है। सलोनी की बात सुनकर उसकी मम्मी ने उसको समझाते हुए कहा, “बेटा लड़के वाले बस देखने के लिए ही तो आ रहें हैं। तेरे पापा ने कहा है की अगर तुझे लड़का पसंद नही आया तो तू माना कर देना।"

अपनी मां की बात सुनने के बाद सलोनी ने उन्हे विशाल के बारे मे बता दिया। उसने उनसे ये भी कहा की अगर वो शादी करेगी तो विशाल से ही करेगी। नही तो किसी से नहीं करेगी।

सलोनी से विशाल के बारे मे जानने के बाद उसकी मां ने उसको देखते हुए कहा, “अच्छा तो ये कारण है जो तू लड़के को देखने के लिए मना कर रही है ! देख बेटा अब हमने उनको बुला तो लिया है, इसलिए ऐसे माना नही कर सकते। एक काम कर ना, लड़के को पहले देख ले, उसके बाद भी तुझे वो पसंद ना आए तो माना कर देना।"

सलोनी को तो यकीन नही हो रहा था की उसने उन्हे विशाल के बारे मे बता दिया उसके बाद भी वो ये बात बोल रही थीं। सलोनी अब समझ चुकी थी की ऐसे तो कोई भी उसकी बात नही सुनने वाला। इसलिए उसने सोचा की लड़के वालों को आमने सामने ही कोई reason देकर मना कर देगी।

अपनी मम्मी के समझाने के बाद कुछ ही देर मे सलोनी तैयार हो गई। तैयार होकर जैसे ही अपने कमरे से बाहर निकली, तो उसकी मां ने उसको देख कर मुस्कुराते हुए कहा, “मेरी बच्ची कितनी सुंदर लग रही है , बिल्कुल किसी परी की तरह।”

“अरे क्या मम्मी आप भी, अब बस भी करो।” सलोनी ने अपनी मम्मी से कहा। वो दोनो बात कर ही रहे थे की तभी दरवाजे की घंटी बजी। सलोनी के पापा ने जब दरवाजा खोला तो उन्होंने देखा सलोनी की सहेलियां आई हुई थीं, जिनको सलोनी की मम्मी ने ही फोन करके बुलाया था। उनमें सलोनी की खास दोस्त पलक भी थी।

सलोनी के सभी दोस्तों ने सलोनी के पापा को देखते हुए हांथ जोड़कर एक साथ कहा, “नमस्ते अंकल”।

“नमासे बेटा, नमस्ते नमस्ते, आओ आओ अंदर आओ।" सलोनी के पापा ने उन सभी से कहा, उसके बाद वो सभी घर के अंदर आ गए। अंदर आने के बाद वो लोग सीधा सलोनी के कमरे की तरफ जाने लगे, लेकिन सलोनी उनको अपने कमरे के बाहर ही अपनी मम्मी से बात करती हुई मिल गई।

“Congratulation सलोनी...।" सलोनी की सभी दोस्तों ने उसको देखते हुए एक साथ कहा। अपने दोस्तों को वहां देख कर सलोनी के चेहरे पर मुस्कान आ गई। उसने उन सभी को देखते हुए पूछा, “अरे तुम सब यहां कैसे ?”

“अरे आंटी जी ने आज सुबह ही हमको फोन करके बता दिया था की तुझे शाम को लड़के वाले देखने के लिए आने वाले हैं, और उन्होंने हम सबको बुलाया भी था, इसलिए हम सब आ गए।” सलोनी की एक दोस्त ने अपने सभी दोस्तों की तरफ देखते हुए सलोनी से कहा।

“अरे बेटा सही समय पर आए हो तुम सब, लड़के वाले किसी भी समय आ सकते हैं। तुम सब एक काम करो, सलोनी के साथ हॉल मे बैठे, और हां पलक तू मेरे साथ किचन मे आ।” सलोनी की मम्मी ने उसके सभी दोस्तों से कहा, उसके बाद पलक को अपने साथ लेकर किचन मे चली गई।

जहां एक तरफ सलोनी अपनी सहेलियों के साथ हॉल मे बैठकर बातें कर रही थी, वहीं दूसरी तरफ पलक किचन मे उसकी मम्मी का हांथ बटा रही थी। सलोनी की मम्मी समोसे और कचौरियां बनाने मे लगी हुई थी।

कुछ ही देर बाद दरवाजे की घंटी बजी। सलोनी के पापा ने दरवाजा खोला तो देखा, लड़के वाले आ चुके थे। आइए आइए मोहन भाई, आने मे कोई तकलीफ तो नही हुई ?"

“अरे सुरेंद्र भाई यहां से थोड़ी ही दूर पर तो हमारा घर है। इतनी सी दूरी मे क्या तकलीफ होगी।” लड़के के पापा ने सलोनी के पापा से मुस्कुराते हुए कहा। असल मे सलोनी के पापा और लड़के के पापा बहुत अच्छे दोस्त थे। लेकिन इस बारे मे सलोनी को बिलकुल भी पता नही था।

वो लोग अंदर हॉल मे आए ही थे की तभी सलोनी ने लड़के को देखा। उसको देखते ही सलोनी को आंखे फटी की फटी रह गई। क्योंकि जो लड़का सलोनी को देखने के लिए आया था वो कोई और नहीं बल्कि यश था।

यश ने जब सलोनी को देखा तो वो भी भौचक्का रह गया। सलोनी को देख कर उसकी भी आंखे फटी की फटी रह गई। “हे भगवान, पता नही मुझे किस बात की सजा मिल रही है ? मेरे पापा मम्मी को पूरे लखनऊ मे यही लड़की मिली थी मेरे लिए ?" यश ने सलोनी को देखते हुए अपने मन ही मन कहा। वहीं सलोनी भी यश को देख कर सोच रही थी की उनको पूरे लखनऊ मे यश के अलावा और कोई नही मिला उसके लिए !

दोनो परिवार वाले आमने सामने बैठकर बातें करने लगे। सलोनी भी यश को घूरकर देखने मे लगी हुई थी। अब यश भी कहां पीछे रहने वाला था, वो भी उसको उसी की तरह घूरकर देखने लगा।

“पापा...! मुझे आपसे 2 मिनट कुछ जरूरी बात करनी है।” सलोनी के अपने पापा से कहा। वो अपने पापा को साफ साफ बोल देना चचती थी की यश उसको पसंद नही आया।

सलोनी को बात सुनकर उसके पापा ने धीरे से उसके कान मे कहा, “बेटा वो बात हम बाद मे कर लेंगे।”

इसके बाद यश की मां ने सलोनी से उसी तरह से सवाल जवाब करना शुरू कर दिया, जिस तरह बाकी लोग लड़की देखने जाने के समय लड़की से करते हैं। सलोनी ने भी उनके है सवाल का जवाब दे दिया।

यश की मां को सलोनी से बात करके बहुत अच्छा लगा। वो उनको बहुत संस्कारी और सीधी साधी सी लगी। थोड़ी देर बाद दुबारा सलोनी ने अपने पापा से कहा, “पापा...! मुझे आपसे बहुत जरूरी बात करनी है।"

इस बार सलोनी को बात सुनकर उसके पापा ने यश के पापा से कहा, “मोहन जी मैं दो मिनट मे आया। लगता है मेरी बेटी को मुझसे अकेले मे कुछ बात करनी है।”

“अरे बिल्कुल सुरेंद्र भाई, आप बात कर लीजिए, उसके बाद हम आगे की बात करते हैं।” यश के पापा ने सलोनी के पापा से मुस्कुराते हुए कहा।

सलोनी के पापा सलोनी के साथ टेरिस की तरफ जाने लगे। टेरीस पर पहुंचकर सलोनी के पापा ने उससे कहा, “चल बेटा बता तुझे क्या बात करनी है ?

“पापा मैं इस लड़के को जानती हूं। ये मेरे ऑफिस मे ही काम करता है। एक नंबर का बत्तमीज है। इसको लड़कियों से ठीक तरह से बात तक करना नही आता।” सलोनी ने अपने पापा को यश के बारे मे बताते हुए कहा।

“इसका मतलब तुझे ये लड़का पसंद नही ?" सलोनी के पापा ने उससे पूछा।

“जी पापा, मुझे ये लड़का बिल्कुल पसंद नहीं।” सलोनी ने अपने पापा से कहा।

“अच्छा तो ठीक है मैं उनको बोल देता हूं की तुझे ये रिश्ता मंजूर नहीं। लेकिन उससे पहले मैं तुझसे एक बात पूछना चाहता हूं। ये बता ये विशाल कौन है, और तू उसको कैसे जानती है ?” सलोनी के पापा ने उससे पूछा।

अपने पापा के मुंह से विशाल का सुनकर सलोनी हक्की बाकी रह गई। उसके समझ ही नही आ रहा था की उसके पापा को विशाल के बारे मे कैसे पता चला?

“पापा हम दोनो एक दूसरे को पसंद करते हैं, और शादी भी करना चाहते हैं।” सलोनी ने अपने पापा से कहा। अब जब उसके पापा को विशाल और उसके बारे मे पता चल ही गया था तो उसने सोचा की उसको उनसे इस बारे मे बात कर लेना चाहिए।

सलोनी अपने पापा की लाडली थी। और उसके पापा भी उससे बहुत प्यार करते थे, इसलिए वो उसकी ये इच्छा भी पूरी करने के लिए तैयार थे। ”ठीक है बेटा मैं मोहन जी को मना कर देता हूं । लेकिन हां, तुझे जितनी जल्दी हो सके, हमे उससे और उसके परिवार से मिलवाना होगा। उसके बाद मैं तुम्हारे और उसके रिश्ते की बात कर लूंगा।"

अपने पापा की बात सुनने के बाद सलोनी खुशी के मारे अपने पापा के गए लग जाती है। “thankyou so much पापा।" सलोनी अपने पापा से कहती है।

इसके बाद सलोनी के पापा वापस हॉल मे आकर बैठते हैं और फिर यश के पापा को सारी बात बता देते हैं। सलोनी को तो लग रहा था की उसके पापा से सारी बात सुनकर यश के पापा भड़क जायेंगे। लेकिन ऐसा कुछ भी नही हुआ।

“अरे कोई बात नही सुरेंद्र भाई, अगर बिटिया को कोई और लड़का पसंद है तो इसमें हम क्या ही कर सकते हैं। चलिए ठीक है अब हम चलते हैं।" यश के पापा ने सलोनी के पापा से कहा। यश के पापा बहुत ही सुलझे मिजाज के थे। वो उन लोगों मे से नही थे जो बिना किसी बात को समझे किसी से लड़ पड़ती हों।

“ मोहन भाई हमे माफ कर दीजिएगा। हम लोगों को वजह से आप...!” सलोनी के पापा ने इतना कहा ही था की तभी उनको यश के पापा ने रोकते हुए कहा, “अरे सुरेंद्र भाई , क्या आप भी इतनी सी बात पर इतना सोच रहे हो। अब छोड़िए भी।"

इसके बाद यश और उसका परिवार वहां से चला गया। अगले दिन जब यश और सलोनी ऑफिस पहुंचे, तो दोनो एक दूसरे से बच बच कर चलने लगे। ऐसा लग रहा था जैसे दोनो को एक दूसरे से कोई दिक्कत हो।

ऑफिस से छूटने के बाद जब सलोनी गेट से बाहर आई तो उसने देखा, हमेशा की तरफ उसका boyfriend विशाल गेट के बाहर उसको लेने के लिए आया हुआ था। सलोनी उसकी बाइक पर बैठी, उसके बाद वो दोनो वहां से चले गए।

यश को उस दिन उसके कुछ दोस्तों ने मिलने के लिए बुलाया था, जो उसके साथ कॉलेज मे पढ़ते थे। कुछ देर बाद यश उनसे मिलने के लिए उनके बताए हुए रेस्टोरेंट मे पहुंच गया। वो वहां पहुंचकर अपने दोस्तों के साथ बैठा ही था की तभी उसकी नजर उसके पास वाली टेबल पर गई। वहां पर सलोनी और विशाल बैठे हुए थे। सलोनी और विशाल को देखते ही यश उनकी तरफ पीठ करके बैठ गया।

यहां यश अपने दोस्तों से बात करने मे लगा हुआ था, वहीं सलोनी और विशाल एक दूसरे से बात कर रहे थे। “अच्छा विशाल एक बात बताऊं ! मैने कल पापा को तुम्हारे बारे मे बता दिया। उन्होंने कहा है की वो तुमसे और तुम्हारे परिवार वालो से मिलना चाहते हैं।”

“ये तो बहुत अच्छी बात है, मैं आज ही अपने पापा मम्मी से इस बारे मे बात कर लूंगा।” विशाल ने मुस्कुराते हुए सलोनी से कहा। विशाल की बात सुनकर सुहानी के चेहरे पर भी मुस्कान आ गई।

कुछ देर बाद वो दोनो वहां से चले जाते हैं। वहीं यश अपने दोस्तों के साथ बैठा बातें करने मे लगा हुआ था। कुछ देर बाद उन्होंने खाना ऑर्डर किया, उसके बाद बातें करते हुए खाना खाने लगे। खाना खाने के बाद यश और उसके दोस्त भी वहां से अपने अपने घर चले जाते हैं।

सलोनी घर पहुंचने के बाद अपने पापा को बताती है की उसने विशाल से बात कर ली है, और विशाल ने उससे कहा है की वो भी अपने मम्मी पापा से बात कर लेगा। सलोनी की खुशी देख कर उसके पापा भी बहुत खुश थे।

कुछ दिनों बाद जब एक शाम सलोनी के पापा अपने ऑफिस से छूटने के बाद रिक्शा से घर को आ रहे थे, तब इन्होंने देखा, एक बड़ी सी कार मे कुछ लड़के एक लड़की को जबरदस्ती बिठाने की कोशिश कर रहे थे। इससे पहले की सलोनी के पापा उनको रोक पाते, वो लोग उस लड़की को लेकर वहां से चल देते हैं।

सलोनी के पापा रिक्शे वाले को उनकी कार का पीछा करने के लिए कहते हैं। उन्होंने इस बारे मे पुलिस को फोन करके भी बता दिया था। सलोनी के पापा उस कार का पीछा करते हुए एक खंडर पड़ी बिल्डिंग के पास पहुंचे। वो जगह बहुत ही सुनसान सी थी। देख कर लगता था जैसे वहां पर कोई भी आता जाता ना हो।

सलोनी के पापा रिक्शा से उतरे तो उन्होंने देखा वो कार उस बिल्डिंग के बाहर खड़ी थी। जब उन्होंने कार के पास जाकर देखा तो उसमे कोई भी नही था। सलोनी के पापा उस रिक्शे वाले के साथ इधर उधर देख ही रहे थे की तभी उनको किसी लड़की की चीख सुनाई दी।

लड़की के चीखने की आवाज बिल्डिंग के अंदर से आ रही थी। सलोनी के पापा और वो रिक्शा वाला जब बिल्डिंग के अंदर पहुंचे, तो उन्होंने देखा वो लड़के उस लड़की के साथ जबरदस्ती करने की कोशिश कर रहे थे।

“ये क्या कर रहे हो तुम लोग ? तुम्हे जरा सी भी शर्म नही आ रही एक लड़की के साथ ऐसा करते हुए ?" सलोनी के पापा ने उन लोगों से इतना कहा ही था की तभी उनकी नजर उन लड़कों मे से एक लड़के पर पड़ी। उसको वहां देख कर हैरानी के मारे उनकी आंखे फटी की फटी रह गई। उन्होंने उस लड़के को देखते हुए गुस्से मे कहा, “विशाल तुम ! मुझे अंदाजा भी नहीं था की तुम इतने नीच लड़के होगे ?"

जैसे ही विशाल ने देखा की वो कोई और नहीं सलोनी के पापा थे। उसने अपने सभी साथियों को वहां से भागने को बोल दिया। वो भी उनके साथ वहां से भाग गया। कुछ देर बाद वहां पर पुलिस भी पहुंच गई। जब पुलिस ने उस लड़की से पूछा की वो कौन लोग थे जो उसके साथ जबरदस्ती करने की कोशिश कर रहे थे, तो वो कुछ भी नही बोली। वो बुरी तरह से डरी हुई थी, और कुछ भी बताने की हालत मे नही लग रही थी।

इसके बाद जब पुलिस ने सलोनी के पापा से पूछा, तो उन्होंने उन्हे विशाल के बारे मे बता दिया। बाकी उसके साथ जो लड़के थे उनके बारे मे उन्हे कुछ भी नही पता था।

जब सलोनी के पापा घर पहुंचे और सलोनी को इस बारे मे बताया, तो उसको उनकी बातों पर जरा भी विश्वास नहीं हुआ। वो मान ही नहीं सकती थी की विशाल ऐसा कर सकता था। लेकिन सलोनी के पापा ने अपनी आंखों से विशाल को देखा था।

“आज के बाद तुम विशाल से कोई रिश्ता नहीं रखोगी। यहां तक की उससे मिलने का सोचोगी भी नही।” सलोनी के पापा ने उससे कहा। लेकिन सलोनी को ये बिलकुल मंजूर नहीं था। उसको विशाल पर पूरा विश्वास था। वो मान ही नहीं सकती थी की विशाल ऐसा कुछ कर सकता था।

सलोनी को उसके पापा ने समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन उसको उसके पापा की किसी भी बात पर भरोसा नही था। वो विशाल के प्यार मे पूरी तरह अंधी हो चुकी थी।

दूसरे दिन जब सलोनी को पता चला की उसके पापा के बयान की वजह से विशाल को पुलिस ने पकड़ लिया है, तो वो उनसे लड़ पड़ी। वो उनसे उनके बयान वापस लेने के लिए बोल रही थी। लेकिन उसके पापा ऐसे इंसान को सजा दिलवाए बिना नहीं मानने वाले थे।

दो दिन बाद सलोनी के पापा को पता चला की जिस लड़की के साथ विशाल और उसके दोस्तों को पुलिस ने छोड़ दिया। जब उन्होंने पुलिस स्टेशन जाकर पूछा की उसको क्यों छोड़ दिया गया, तो उन्होंने उन्हे बताया की उस लड़की ने कैस वापस ले लिया।

सलोनी के पापा को यकीन था की उस लड़की को डराया धमकाया गया होगा, तभी उसने कैसे वापस ले लिया। अब सलोनी के पापा समझ गए थे की विशाल कोई मामूली लड़का नही था। अब उनको अपनी बेटी की फिकर हो रही थी जो विशाल के पीछे पागल हुई पड़ी थी।

एक दिन अचानक से सलोनी के फोन पर विशाल का फोन आया। सलोनी ने जब फोन उठाकर विशाल से पूछा की वो कहां है और उससे मिल क्यों नहीं रहा है, तो विशाल ने उससे कहा की वो अब उससे कोई रिश्ता नहीं रखना चाहता। और वो भी उससे मिलने की कोशिश ना केरी।

विशाल की बात सुनने के बाद जब सलोनी ने उससे पूछा की वो अचानक ऐसा क्यों बोल रहा है, तो उसने उससे कहा, ”देख यार मैं कोई तुझसे शादी वादी करने वाला नही था। तू बस मेरे लिए टाइमपास थी। और हां , आजके बाद मुझे गलती से भी फोन मत करना, नही तो मैं तेरा वो हाल करूंगा जो तूने कभी सोचा भी नही होगा।" इतना कहने के बाद विशाल फोन काट देता है।

विशाल की सच्चाई जानने के बाद सलोनी पूरी तरह से टूट चुकी थी। जिस इंसान से उसने इतना प्यार किया, वो बस उसका इतने समय तक इस्तेमाल कर रहा था। जिस पर उसको इतना भरोसा था, उसने उसको इतने समय तक धोखे मे रख रखा था।

उस दिन सलोनी को लड़कों से नफरत सी हो गई। उसने सोच लिया था की ना अब वो किसी से कभी प्यार करेगी और ना ही कभी किसी से शादी करेगी। अब वो बस ऑफिस जाति और फिर ऑफिस से सीधा घर आ जाती। उसने अपने दोस्तों से भी मिलना जुलना बंद कर दिया था। ऑफिस मे भी वो हमेशा गुमसुम सी दिखाई देती थी।

यश को उसको देख कर समझ नही आ रहा था की जो लड़की हर किसी से हंसी मजाक करती रहती थी, और हर किसी से घुल मिल कर रहती थी, वो अचानक से ऐसे गुमसुम सी क्यों रहने लगी। जब उसने सलोनी से पूछने की कोशिश की के उसको क्या हुआ है, तो उसने उसकी किसी भी बात का जवाब नही दिया।

यश को अब लगने लगा था की जरूर सलोनी के साथ कुछ हुआ होगा तभी वो ऐसे अचानक गुमसुम सी रहने लगी है। यश को लगा की उसको सलोनी के पापा से इस बारे मे पूछना चाहिए। यही सोचकर वो एक दिन सलोनी के पापा से मिलने के लिए उनके घर चला गया।

यश ने जब सलोनी के पापा से पूछा की अचानक से सलोनी को क्या हो गया है, तो उन्होंने उसको सारी बात बताई। सारी बात जानने के बाद यश को सलोनी के लिए बुरा लगने लगा।

एक दिन जब सलोनी अपने ऑफिस मे अपना काम कर रही थी, तब उसके फोन पर उसके पापा का फोन आया। “जी पापा बोलिए।” सलोनी ने फोन उठाते हुए अपने पापा से कहा।

“बेटा तू जल्द से जल्द सिटी हॉस्पिटल आजा। तेरी मम्मी को अचानक से दिल का दौरा पड़ गया है।" सलोनी के पापा ने रोते हुए उससे कहा। जैसे ही सलोनी ने अपने पापा से सुना की उसकी मम्मी को दिल का दौरा पड़ गया था, वो अपना सारा काम छोड़कर हड़बड़ी मे ऑफिस से बाहर जाने लगी।

“अरे सलोनी क्या हुआ ? तुम इतनी हड़बड़ी मे कहां जा रही हो ?” यश ने सलोनी को इतनी हड़बड़ी मे जाता देख पूछा। लेकिन सलोनी उसकी बात का जवाब दिए बिना ही वहां से निकल गई। यश को लगा की जरूर कुछ गड़बड़ है, इसलिए वो भी सलोनी के पीछे पीछे चल दिया।

कुछ देर बाद यश , सलोनी का पीछा करते करते सिटी हॉस्पिटल पहुंच गया। वहां पहुंच कर उसे पता चला की सलोनी की मां को दिल का दौरा पड़ा था और वो वहां पर एडमिट थी।

सलोनी अपनी मम्मी के पास बैठ कर रोने लगी। “चुप हो जा बेटा, तेरी मम्मी को कुछ नही होगा।” सलोनी के पापा ने सलोनी को चुप करवाते हुए इतना कहा ही था की उसी समय डॉक्टर वहां पर आ जाते हैं। डॉक्टर सलोनी की मम्मी को देखते हुए सलोनी और उसके पापा से कहते हैं , “देखिए इन्हे बस एक माइनर अटैक आया था। वैसे तो डरने की कोई बात नही है, लेकिन फिर भी आप लोग ध्यान रखिएगा की इनपर किसी तरह का तनाव ना पड़े। और हां ऐसा कुछ भी मत कीजिएगा, जिससे इनकी हालत बिगड़े। इनको हमेशा खुश रखने की कोशिश कीजिएगा।”

डॉक्टर की पूरी बात सुनने के बाद सलोनी और उसके पापा हां मे सर हिला देते हैं। वही यश दरवाजे के पीछे खड़ा होकर ये सब सुन रहा था। जैसे ही डॉक्टर उस कमरे से बाहर निकले, यश भी वहां से चला गया।

2 दिन बाद सलोनी की मम्मी को सलोनी और उसके पापा घर ले आए। अब वो लोग घर पर ही उनका खयाल रख रहे थे। एक दिन जब सलोनी अपने कमरे मे बैठे हुए अपने ऑफिस का काम कर रही थी, तब उसकी मम्मी उसके कमरे मे आई और उसके पास बैठ गई।

“बेटा सलोनी, मेरी और तेरे पापा की बहुत इच्छा है की हम लोग तेरी शादी किसी अच्छे लड़के से बड़ी धूमधाम से करवाएं। अगर तू हां करे तो हम लोग तेरे लिए रिश्ता ढूंढ सकते हैं।” सलोनी की मां ने सलोनी के सर पर हांथ फेरते हुए कहा।

अपनी मां की बात सुनकर सलोनी ने मुस्कुराते हुए उनसे कहा, “जैसा आप लोग ठीक समझो मां।" सलोनी की बात सुनकर उसकी मां के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई। वो सलोनी के इस फैसले से बहुत खुश थी।

सलोनी को लगा की उसकी वजह से उसके मम्मी पापा को कोई तकलीफ ना हो, इसलिए वो उनकी बात मान गई। कुछ दिनों बाद सलोनी के लिए एक लड़के का रिश्ता आया। उसके लिए ये जो रिश्ता आया था वो किसी और का नही बल्कि यश का ही था।

यश के मम्मी पापा को भी सलोनी बहुत पसंद थी। वो अच्छे से जानते थे की वो पहले किसी और लड़के को पसंद करती थी, लेकिन जब उन्हें पता चला की वो लड़का किस तरह का था, तो उन्हे सलोनी का सोचकर बहुत बुरा लगा।

यश के परिवार वाले बहुत आजाद खयालों वाले लोग थे। वो किसी को उसकी past life से judge करना बिल्कुल भी सही नही समझते थे। उनको लगा की सलोनी से बेहतर बहु उन्हे ढूंढने से भी नही मिलगी। और ऊपर से सलोनी और यश के पापा बहुत अच्छे दोस्त थे। अपने परिवार वालो की खुशी के लिए वो दोनो शादिंके लिए राजी हो गए थे।

कुछ दिनों बाद दोनो परिवारों ने एक पंडित को बुलवाया और फिर सगाई की डेट फिक्स करवा दी। एक महीने बाद ही यश और सलोनी की सगाई हो गई। सगाई होने के बाद भी सलोनी और यश के बीच कुछ नही बदला था। वो दोनो अब भी पहले की ही तरह रहते थे।

कुछ महीनों बाद सलोनी और यश की शादी का भी दिन आ गया। दोनो की शादी बड़ी ही धूमधाम से हुई। शादी के बाद यश को लगा की अब जब उन दोनो की शादी हो ही गई थी, तो अब उन्हें अपने रिश्ते को आगे बढ़ाना चाहिए। लेकिन सलोनी इस चीज के लिए तैयार नहीं थी। जब भी यश उसके नजदीक जाने की कोशिश करता, वो उससे दूरी बनाने लगती।

यश और सलोनी की शादी को अब कुछ महीने हो चुके थे। लेकिन अब तब उनके बीच मे पति पत्नी जैसा कुछ भी नही था। बस कहने मात्र को वो दोनो पति पत्नी थे।

कुछ दिनों बाद यश ने एक कार खरीद ली। अब वो और सलोनी कार से ही ऑफिस आना जाना करते थे। ऑफिस मे वो दोनो ऐसे रहते थे जैसे बहुत खुश हों। लेकिन सच तो सिर्फ उनको ही पता था। एक सुबह जब सलोनी और यश नाश्ता कर रहे थे, तब सलोनी ने यश से कहा, “सुनो यश, मुझे आज शाम को अपने दोस्तों से मिलने के लिए जाना है, इसलिए में ऑफिस के बाद सीधे उनसे मिलने के लिए चली जाऊंगी।"

“अच्छा ऐसी बात है ! तो तुम एक काम करो, तुम कार ले जाना। वैसे भी रात मे कभी रिक्शा मिलती है और कभी नही मिलती। कहां परेशान होती रहोगी।" यश ने सलोनी से कहा।

“लेकिन फिर तुम घर कैसे आओगे ?” यश की बात सुनने के बाद सलोनी ने पूछा।

“अरे मैं तो ऑटो से घर आ जाऊंगा।” यश ने मुस्कुराते हुए सलोनी से कहा।

“ठीक है फिर, मैं कार से चली जाऊंगी।" सलोनी ने यश से कहा। इसके बाद वो दोनो ऑफिस के लिए निकल गए।

शाम को ऑफिस ने छूटने के बाद सलोनी कार लेकर अपनी सहेलियों से मिलने के लिए चली गई। यश भी ऑटो से घर के लिए निकलने ही वाला था की तभी एक लड़का भागता हुआ वहां पर आया, और फिर यश को रोकते हुए बोला, “अरे रूकिए यश जी, आपकी पत्नी जल्दबाजी मे अपना पर्स वहीं ऑफ मे भूल गई थी। ये लीजिए आप उन्हे दे दीजिएगा।" उस लड़के ने यश को सलोनी का पर्स देते हुए कहा।

उस लड़के से सलोनी का पर्स लेने के बाद यश वहां से जाने को ही था की तभी उसने सोचा की अगर सलोनी को उसके पर्स की जरूरत पड़ी तो फिर वो क्या करेगी? क्योंकि उसके पर्स मे पैसों के साथ साथ उसके atm card और id वगैरा ही रखी हुई थी। यश ने ये बताने के लिए सलोनी को फोन लगाया, लेकिन उसका फोन बंद आ रहा था।

“सुनिए भईया, आप मालती नगर ले चलिए।” यश ने उस ऑटो वाले से कहा। मालती नगर मे ही वो रेस्टोरेंट था जहां पर सलोनी अक्सर अपने दोस्तों से मिला करती थी। इसलिए यश को लगा को वो इस बार भी अपने दोस्तों से मिलने के लिए वहीं पर गई होगी।

यश ऑटो से मालती नगर जा ही रहा था की तभी एक जगह पर उसको उसकी कार दिखाई दी। उसने ऑटो वाले को कार के पास चलने के लिए कहा ही था की तभी उसने कुछ ऐसा देख लिया जिसकी वजह से उसने ऑटो वाले को वहीं पर रूकने के लिए बोल दिया।

यश ने देखा की सलोनी कार के बाहर एक लड़के से गले मिल रही थी। जब यश ने उस लड़के को देखा तो हैरानी के मारे उसकी आंखे फटी की फटी रह गई। ये लड़का कोई और नहीं बल्कि विशाल था। जो सलोनी का ex boyfriend था। उन दोनो को ऐसे एक दूसरे से गले मिलता देख यश का तो दिमाग ही खराब हो गया। तभी अचानक सलोनी और विशाल कार मे बैठे और फिर वहां से निकल गए।

उनके वहां से जाने के बाद यश ने सलोनी के मोबाइल पर कॉल किया , लेकिन उसका फोन अभी भी बंद आ रहा था। अब यश को समझ आ रहा था की सलोनी उन दोनो के रिश्ते को आगे क्यों नहीं बढ़ाना चाहती थी। इतना कुछ होने के बाद भी सलोनी अब तक विशाल के साथ थी।

घर पहुंचने के बाद यश ने खाना खाया, उसके बाद अपने कमरे मे अपने ऑफिस का काम करने लगा। वो काम पर फोकस करने की बहुत कोशिश कर रहा था लेकिन बार बार उसके दिमाग मे सलोनी और विशाल को लेकर उल्टे सीधे खयाल आ रहे थे।

रात के 11 बजे यश को कार की आवाज सुनाई दी। वो समझ गया था की सलोनी आई होगी। सलोनी जैसे ही कार पार्क करने के बाद कमरे मे आई, तो यश ने उसको देखते हुए कहा, “कुछ जायद ही समय लग गया घर आने मे ?"

“अरे मैं तो जल्दी आना चाहती थी, लेकिन दोस्तो ने कहा की खाना खाकर जाओ, इसी चक्कर मे देरी हो गई।” सलोनी ने मुस्कुराते हुए यश से कहा। उसने यश से ऐसे झूठ बोला जैसे वो कुछ जानता ही ना हो।

“अरे कोई बात नही, इसी बहाने तुम्हारा मन तो बहल गया।” यश ने मुस्कुराते हुए सोनी से कहा। ऊपर ऊपर तो वो मुस्कुरा रहा था , लेकिन अंदर गुस्से के मारे अंगारे धधक रहे थे। बड़ी मुश्किल से उसने गुस्से को काबू कर रखा था।

“वैसे आज के बाद कहीं जाओ तो फोन बंद मत रखना। तुम अपना पर्स भी ऑफिस मे ही भूल गई थी।” यश ने सलोनी को उसका पर्स देते हुए कहा।

“अरे हां वो मैं जल्दी जल्दी मे पर्स ऑफिस मे ही भूल गई थी, अच्छा हुआ तुम ले आए। और वो फोन की बैटरी भी डिस्चार्ज हो गई थी इसलिए फोन बंद था।” सलोनी ने यश से अपना पर्स लेते हुए कहा। इसके बाद वो दोनो सो गए।

कुछ समय बाद एक दिन जब sunday होने की वजह से ऑफिस की छुट्टी थी। तब यश किसी काम से मार्केट गया हुआ था। वो एक शॉप से कुछ खरीद ही रहा था की तभी उसने सलोनी और विशाल को एक होटल के अंदर जाते हुए देखा।

“अब मैं ये सब बर्दाश नही करने वाला। आज तो इन दोनो की खैर नहीं।” यश ने सलोनी और विशाल को देखते हुए गुस्से मे कहा, उसके बाद वो भी उनके पीछे पीछे होटल के अंदर चला गया। होटल के अंदर जाकर उसने देखा, वो दोनो वहां रिसेप्शन से रूम की चाभी ले रहे थे। चाभी लेने के बाद वो दोनो रूम की तरफ जाने लगे।

यश उन दोनो को रेंज हांथ पकड़ना चाहता था, इसलिए उसने थोड़ा सब्र किया और फिर उन दोनो का रूम मे जाने का इंतजार करने लगा। जैसे ही वो दोनो रूम के अंदर गए, उसके थोड़ी ही देर बार यश ने उनके रूम का दरवाजा खटखटाया।

दूसरी तरफ रूम के अंदर सलोनी और विशाल को लगा की रूम सर्विस वाला होगा। सलोनी अपनी जगह से उठी और जैसे ही रूम का दरवाजा खोला, उसकी तो हालत ही खराब हो गई। उसकी नजरों के सामने यश खड़ा था और उसको गुस्से से देख रहा था।

“क्या हुआ बेबी, रूम सर्विस वाले से बोल दो की अभी हमे कुछ नही चाहिए।” रूम के अंदर से विशाल ने कहा। विशाल की आवाज सुनकर यश ने सलोनी को एक तरफ धक्का दिया और फिर रूम के अंदर घुस गया। रूम के अंदर घुसते ही उसने देखा, विशाल अपने कपड़े उतारने मे लगा हुआ था।

यश का गुस्सा अब सातवे आसमान पर पहुंच चुका था, उसने आव देखा ना ताव, सीधे विशाल पर टूट पड़ा। वो विशाल को बुरी तरह पटक पटक कर मार रहा था। अचानक से विशाल ने यश को धक्का मारा, और फिर अधनंगी हालत मे रूम से बाहर भाग गया।

यश को इतने गुस्से मे देख कर सलोनी की तो हालत ही खराब हो गई थी। “अच्छा...! तो ये है वो सहेली जिससे तुम मिलने जाया करती थी ? अगर तुम्हे विशाल ही चाहिए था तो मुझसे शादी क्यों की ? इतने दिनो से क्यों जबरदाती ये रिश्ता निभाने का दिखाया कर रही थी ?” यश ने गुस्से मे चिलाते हुए सलोनी से पूछा। इससे पहले की सलोनी उससे कुछ बोल पाती, यश ने उसको एक तरफ धाक दिया और फिर गुस्से मे वहां से बाहर निकल गया।

सलोनी को लगा की कहीं वो इस बारे मे अपने घर पर या उसके मम्मी पापा को ना बता दे। इसलिए वो उसको रोकने के लिए उसके पीछे पीछे होटल से बाहर आ गई। लेकिन इससे पहले की वो उसको रोक पाती, यश कार मे बैठकर वहां से निकल जाता है।

सलोनी भी एक ऑटो से घर के लिए निकल जाती है। जब वो घर पहुंचती है, तो देखती है की यश की कार घर के बाहर खड़ी थी। वो जल्दी जल्दी घर के अंदर जाने लगती है। घर के अंदर जाकर वो यश को इधर उधर देखने लगती है। जब यश उसको कहीं नजर नहीं आता तो वो सीधे अपने कमरे की तरफ जाने लगती है।

जैसे ही सलोनी कमरे मे पहुंचती है, वो देखती है की यश रोते हुए किसी से फोन पर बात कर रहा था। इससे पहले की वो कुछ समझ पाती, यश फोन काटता है और फिर उसको देखते हुए कहता है, “तुम अभी के अभी मेरे घर से निकल जाओ।”

इससे पहले की सलोनी , यश से कुछ कह पाती, उसके मोबाइल पर उसके पापा का कॉल आने लगता है। “जी पापा।” सलोनी फोन उठाते हुए अपने पापा से कहती है।

“ये तूने क्या किया ? तूने तो जीते जी हम लोगों को मार दिया। अब हम दुनिया को क्या मुंह दिखाएंगे ?” सलोनी के पापा रोते हुए उससे कहते हैं।

सलोनी अपने पापा से कुछ कहने को ही थी की तभी उसेक पापा की आवाज आती है, “शांति....!! तुम मुझे ऐसे अकेला छोड़कर नही जा सकती।" ये सुनते ही सलोनी के हांथ से मोबाइल छूटकर नीचे गिर जाता है। सलोनी को भी एक जोरदार झटका लगता है, वो भी नीचे गिर जाती है।

“हेलो पापा...! क्या हुआ ?” यश, सलोनी का फोन उठाकर उसके पापा से पूछता है।

फोन के दूसरी तरफ से सलोनी के पापा की आवाज आती है, “मेरी शांति, मुझे अकेला छोड़कर चली गई।" ये सुनते ही यश के हांथ से मोबाइल छूट जाता है। यश दौड़ते हुए घर से बाहर जाता है , और फिर कार स्टार्ट करके अपने सास ससूर के घर के लिए निकल जाता है। जब यश वहां पर पहुंचा, तो उसने देखा उसकी सास गुजर चुकी थी।

असल मे जब यश अपने ससूरजी से बात कर रहा था, तब उसकी सास ने उन दोनो की बात सुन ली थी। उन दोनो से सलोनी के बारे मे सुनते ही उनको दिल का दौरा पड़ गया, और उसी समय वो चल बसी।

यश के घर से निकाले जाने के बाद जब सलोनी अपने मां बाप के घर गई, तो वहां उसके पापा ने भी उसको घर के अंदर आने से मना कर दिया। सलोनी अब कहीं की भी नही रह गई थी। उसकी एक लापरवाही ने, या यूं कहें कि उसकी एक गलती ने सब कुछ तबाह करके रख दिया।

किसी भी रिश्ते मे जबरदस्ती बंधे रहने से सिर्फ तकलीफ ही मिलती है। इसलिए ऐसे रिश्ते मे बंधने से अच्छा है की सोच समझ कर सही फैसल किया जाए, ताकि ना आपको आगे चलकर तकलीफ हो, और ना ही आपके फैसले की की वजह से किसी और को तकलीफ हो।

लेखक – विजय सांगा