इश्क फरेबी Vijay Sanga द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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इश्क फरेबी

दिल्ली शहर....! कहते हैं दिल्ली दीवालों की है दिलबरों की है । लेकिन कहते हैं ना, हर खूबसूरत दिखने वाली चीज खूबसूरत नही होती ! वैसे ही दिल्ली भी है। भारत मे सबसे ज्यादा क्राईम रेट कहीं है, तो वो दिल्ली मे ही है।

चलिए अब आपको दिल्ली मे रहने वाली एक ऐसी लड़की की कहानी सुनाता हूं , जिसने किसी से दिलों जान से मोहब्बत किया, और उस मोहब्बत के बदले उसको सिवाए धोखे के कुछ और नहीं मिला।

ये कहानी है शिवानी बत्रा की, जो एक अच्छे खासे परिवार से belong करती थी। उसके पापा दिनेश बत्रा का गारमेंट्स का बिजनेस था। शिवानी अपने मम्मी पापा की लाडली थी ।

शिवानी बहुत ही खुशमिजाज और सबसे बहुत जल्दी घुल मिल जाने वाले लोगों मे से थी। किसी से भी दोस्ती करने मे उसको ज्यादा समय नहीं लगता था।

एक सुबह शिवानी तैयार होकर कॉलेज के लिए निकलने ही वाली होती है की तभी उसके पापा उसको रोकते हुए कहते हैं, “बेटा शिवी..! आज कॉलेज से आने के बाद कहीं मत जाना, मैं आज फैमिली लंच प्लेन किया है। इसलिए आज तुम्हारे कॉलेज से आ जाने के बाद हम लोग लंच के लिए चलेंगे।”

अपने पापा की बात सुनकर शिवानी के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। वो मुस्कुराते हुए उनसे कहती है, “जी ठीक है पापा , अब मैं चलती हूं नही कॉलेज के लिए लेट हो जाऊंगी।”

शिवानी के वहां से जाती ही उसकी मां इधर उधर देखते हुए अपने पति से कहती है, “आपने शिवी को उसके गिफ्ट के बारे मे तो नही बताया ना...?"

“अरे भाग्यवान, तुम मुझे इतना बुद्धू समझती हो क्या ? उसको भनक तक नहीं लगने दी मैंने की हम लोग उसको आज कुछ खास गिफ्ट देने वाले हैं ।” दिनेश मुस्कुराते हुए अपनी पत्नी सुमित्रा से कहते हैं।

असल मे आज शिवानी का जन्मदिन था। वो अपनी दुनिया मे इतनी खोई रहती थी की उसको अपना जन्मदिन याद ही नहीं रहता था। वो हर साल अपना जन्मदिन भूल जाया करती थी।

कॉलेज पहुंचते ही जब शिवानी के दोस्तों ने उसको बर्थडे विश किया, तब जाकर उसको पता चला की उसके मम्मी पापा ने लंच प्लेन क्यों किया था।

“और शिवानी..! आज जन्मदिन की पार्टी कहां दे रही है ?” शिवानी की दोस्त दीक्षा मुस्कुराते हुए उससे पूछती है। दीक्षा के पूछने के बाद बाकी लोग भी शिवानी से यही पूछते हैं।

“अच्छा तो तुम सबको बर्थडे पार्टी चाहिए...! चलो ठीक है शाम को मेरे घर पर मिलो, वहीं पर पार्टी करेंगे।" शिवानी अपने सभी दोस्तों से कहती है।

“अरे यार शिवानी, अब तू छोटी बच्ची थोड़ी ना है की घर मे अपना बर्थडे मनायेगी..! कहीं बाहर पार्टी करते हैं यार, किसी होटल या क्लब में...! क्या कहते हो दोस्तों ?” शिवानी का दोस्त ध्रुव , शिवानी और उसके बाकी दोस्तों से कहता है।

ध्रुव की राय सभी लोगों को सही लगती है। शिवानी को भी लगा की शायद यही सही होगा..! उसने अपने सभी दोस्तों से मुस्कुराते हुए कहा, “ठीक है एक काम करते हैं, शाम को blue rose क्लब मे मिलते हैं। शाम को बर्थडे की पार्टी वहीं होगी।”

शिवानी के मुंह से ये सुनते ही उसके सभी दोस्तों के चेहरों पर मुस्कान आ जाती है। शिवानी और उसके दोस्त अक्सर blue rose क्लब जाया करते थे। इसलिए शिवानी को वही जगह बर्थडे पार्टी के लिए सही लगी।

कॉलेज के बाद शिवानी जब घर पहुंची तो उसने देखा, उसी मम्मी पापा पहले से ही तैयार बैठे हैं। शिवानी भी फटाफट तैयार हुई और फिर वो तीनो लंच के लिए होटल उपहार जाने के लिए निकल गए।

शिवानी के पापा दिनेश ने पहले ही होटल उपहार मे टेबल रिजर्व कर रखी थी। वो तीनो होटल पहुंचे और फिर अपनी टेबल पर जाकर बैठ गए। तभी शिवानी के पापा ने एक वेटर को इशारा करते हुए कुछ कहा।

शिवानी के पापा का इशारा मिलते ही उस वेटर ने मुस्कुराते हुए हां मे सर हिला दिया। तभी कुछ लोग music instrument लेकर शिवानी के पास आकर खड़े हो गए।

“Happy birthday बेटा ।” शिवानी के पापा मम्मी ने शिवानी को बर्थडे विश करते हुए कहा। तभी वो लोग जो music instrument लेकर खड़े थे, वो लोग happy birthday वाला music बजाने लगे।

शिवानी ये सब देख कर बहुत खुश थी। तभी वहां पर एक वेटर एक बहुत ही खूबसूरत सा केक लेकर वहां पर आ जाता है। शिवानी केक काटने ही वाली थी की तभी उसके पापा ने उसको रोकते हुए कहा, “बेटा एक मिनट रूको , अपना बर्थडे गिफ्ट तो देख लो।”

अपने पापा की बात सुनकर शिवानी के चेहरे पर मुस्कान आ गई। खुशी से उसका चेहरा खिल उठा था। तभी शिवानी के पापा ने अपनी जेब से एक रिबन निकाला और फिर उस रिबन से शिवानी की आंखे बंद करके उसको अपने साथ होटल के बाहर ले जाने लगे।

होटल के बाहर पहुंचकर जब शिवानी के पापा ने उसकी आंखों से पट्टी हटाई, तो उसने देखा, उसकी नजरों के सामने एक चमचमाती हुई brand new car खड़ी थी।

“तो बताओ बेटा, तुम्हे तुम्हारा ये गिफ्ट कैसा लगा ?” शिवानी के पापा ने मुस्कुराते हुए शिवानी से पूछा।

शिवानी कार को देखने के बाद खुशी के मारे उछल पड़ी और फिर अपने पापा मम्मी के गले लग गई। “thankyou papa... Thankyou mummy... ” शिवानी ने अपने पापा मम्मी से कहा।

इसके बाद वो लोग वापस होटल के अंदर गए और फिर शिवानी ने अपना बर्थडे केक काटा। उसके बाद उन लोगों ने खाना ऑर्डर कर दिया। खाना खाने के बाद वो लोग घर के लिए निकल गया।

घर पहुंचकर शिवानी ने अपने पापा से कहा की उसके दोस्त बर्थडे पार्टी चाहते थे इसलिए उसने शाम को उन्हे blue rose क्लब मे पार्टी देने का promise कर दिया है।

शिवानी के पापा बहुत खुले विचारों वाले इंसान थे । वो कभी भी शिवानी को किसी बात के लिए रोक टोक नही करते थे। वो उसकी बात पर राजी हो जाते हैं।

शाम को बर्थडे सेलीब्रेट करने के लिए शिवानी अपनी brand new कार से जब होटल blue rose पहुंचे तो उसके दोस्त उसकी कार देखकर हैरान रह गए।

“अरे शिवानी...! ये गिफ्ट तो पक्का तेरे मम्मी पापा की तरफ से होगा...?” शिवानी का एक दोस्त शिवानी से पूछता है।

“तुमने सही कहा, ये कार मुझे पापा मम्मी ने गिफ्ट मे दी है।” शिवानी अपनी कार को देखकर मुस्कुराते हुए अपने दोस्तों से कहती है।

इसके बाद वो लोग क्लब मे जोर शोर से पार्टी करने के बाद अपने अपने घर के लिए निकल जाते हैं। घर पहुंचने के बाद शिवानी सीधे अपने कमरे मे जाकर सो जाती है। उसने थोड़ी ज्यादा शैंपियन पी ली थी, इसलिए उसको बहुत ज्यादा नींद आ रही थी।

कुछ दिनों बाद शिवानी रोज की तरह अपनी कार से कॉलेज जा रही होती है तभी उससे एक लड़के का एक्सीडेंट हो जाता है जो की बाइक से उसके आगे आगे चल रहा था।

असल मे शिवानी कार चलाते हुए अपने दोस्त से फोन पर बात करने मे लगी हुई थी, उसकी इसी लापरवाही की वजह से उसने उस बाइक वाले लड़के को अपनी कार से ठीक दिया।

एक्सीडेंट के बाद शिवानी उस लड़के को देखने के लिए कार से बाहर आती है तब वहां आस पास मौजूद लोग शिवानी और उसकी कार को घेरकर खड़े हो जाते हैं।

“देखो तो सही, इस रहीजजादी ने अपनी कार से इस बेचारे लड़के को ठोक दिया, इसको तो पुलिस के हवाले कर दो।” वहां खड़े लोग शिवानी के लिए इसी तरह की बाते कर रहे थे।

तभी वो बाइक सवार लड़का अपने पैर पकड़ते हुए उठता है और फिर शिवानी और वहां खड़े लोगों को देखते हुए कहता है, “अरे आप लोग इन्हें कुछ मत बोलिए , असल मे मेरी ही गलती थी। मेरा ध्यान ही नहीं था की मेरे पीछे कार आ रही है...! मैने ही अचानक से ब्रेक लगा दिया था, इसलिए मेरा एक्सीडेंट हो गया।”

शिवानी को समझ नही आ रहा था की वो लड़का झूठ क्यों बोल रहा है। वो कुछ बोलने ही वाली होती है की तभी वो लड़का उसको इशारों मे चुप रहने के लिए बोल देता है।

इसके बाद वहां मौजूद सभी लोग वहां से चले जाते हैं। सभी लोगों के वहां से जाने के बाद शिवानी उस लड़के से पूछती है, “Excuse me..! आपने उन लोगों से झूठ क्यों बोला ?”

मैडम अगर मैं उस समय झूठ नही बोलता तो आप को अभी पुलिस अपने साथ पुलिस स्टेशन ले जा रही होती। वैसे भी मुझे ये बिल्कुल अच्छा नहीं लगता की मेरी वजह से किसी लड़की को जेल जाना पड़े।”

उस लड़के की बात डी नकार शिवानी के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। वो उस लड़के को हॉस्पिटल चलने के लिए कहती है लेकिन वो लड़का हॉस्पिटल जाने से मना कर देता है।

जब शिवानी उसको हॉस्पिटल ना जाने की वजह पूछती है, तो वो उससे कहता है की वो फालतू मे अपने पैसे बर्बाद नही करना चाहता।

शिवानी उससे कहती है की वो उसके इलाज का खर्चा वो देगी , लेकिन वो इस बात के लिए भी माना कर देता है।

“मैडम आप मेरी टेंशन मत लो, मैं बिल्कुल ठीक हूं ।” वो लड़का शिवानी से कहता है।

उस लड़के की बात सुनने के बाद शिवानी मुस्कुराते हुए उससे पूछती है, “वैसे तुम्हारा नाम क्या है..?”

“मेरा नाम विक्रांत है, और आप ?” वो लड़का शिवानी को अपना नाम बताने के बाद उससे उसका नाम पूछता है।

“मेरा नाम शिवानी है।” शिवानी उस लड़के विक्रांत से कहती है। इसके बाद वो लड़का वहां से चला जाता है। शिवानी भी अपने कॉलेज जाने के लिए निकल जाती है।

एक दिन शिवानी अपने दोस्तों के साथ कॉलेज के बाद वहीं पास वाले गार्डन मे बैठी होती है तभी उसको वहां से थोड़ी दूरी पर विक्रांत बैठा हुआ नजर आता है।

शिवानी अपने दोस्तों को 2 मिनट मे आने का बोलकर विक्रांत की तरफ जाने लगती है। विक्रांत वहां बैठकर एक बुक पढ़ रहा होता है। शिवानी कब उसके बगल मे आकर बैठ गई उसको पता ही नही चला।

“इतने गौर से क्या पढ़ रहे हो ?” शिवानी , विक्रांत से पूछता है। अचानक शिवानी को अपने पास बैठा देख कर विक्रांत चौंक जाता है।

“अरे मैडम आप यहां कैसे ?” विक्रांत , शिवानी से पूछता है।

“पहली बात तो तुम मुझे मैडम कहकर बुलाना बंद करो। और रही बात मेरे यहां होने की तो मैं अपने दोस्तों के साथ यहां पर आई हुई थी। मैं अपने दोस्तों से बात कर रही थी तभी मेरी नजर तुम पर पड़ी। अब जब तुम्हे देख ही लिया था तो सोचा की तुम्हारा हाल चाल पूछ लूं...! ये बताओ अब तुम ठीक तो हो ना..?” शिवानी पूरी बात बताते हुए विक्रांत एस पूछती है।

“मुझे क्या होना है..! मैं तो बिल्कुल ठीक हूं ।” विक्रांत मुस्कुराते हुए शिवानी से कहता है।

“चलो ये तो अच्छी बात है की तुम बिलकुल ठीक हो। चलो अब मैं चलती हूं , मेरे दोस्त मेरा इंतजार कर रहे होंगे ।” इतना कहने के बाद शिवानी वहां से चली जाती है।

इसी तरह से शिवानी और विक्रांत की कई बार चलते फिरते मुलाकात हो जाती है। अब इसको इत्तेफाक के लो या किस्मत का खेल...! पर दोनो की बार बार की मुलाकात दोस्ती मे बदल जाती है।

अब शिवानी अपने कॉलेज के दोस्तों के साथ काम और विक्रांत के साथ ज्यादा रहने लगी थी। उसने अपने दोस्तों को विक्रांत से मिलवा भी दिया था।

एक दिन शिवानी और विक्रांत रोड के किनारे लगी एक पानी पूरी के ठेले पर पानी पूरी खा रहें होते हैं तभी वहां पर एक कार आकर रूकती है। शिवानी उस कार को देखते ही पहचान जाती है। ये कार किसी और की नही बल्कि उसके पापा की थी।

तभी उसके पापा कार से निकलकर उसके पास आकर खड़े हो जाते हैं। शिवानी मुस्कुराते हुए अपने पापा से पूछती है , “पापा आप यहां...?”

“अरे वो मैं किसी काम से यहीं पास मे आया हुआ था। वापस जा ही रहा था की अचानक तुम दिख गई तो सोचा मिलता चलूं..! वैसे ये बताओ की ये लड़का कौन है ?” शिवानी के पापा विक्रांत को देखते हुए उससे पूछते हैं।

“पापा ये मेरा दोस्त विक्रांत है। और विक्रांत..! ये मेरे पापा हैं ।" शिवानी उसके पापा और विक्रांत को एक दूसरे से मिलवाते हुए कहती है।

शिवानी के पापा मुस्कुराते हुए विक्रांत से हांथ मिलाने के लिए अपना हांथ आगे बढ़ाते हैं। विक्रांत भी थोड़ा हिचकिचाते हुए उनसे हांथ मिला लेता है।

“चलो ठीक है बेटा तुम लोग enjoy करो, मैं चलता हूं ।” इतना कहकर शिवानी के पापा वहां से चले जाते हैं।

शिवानी के पापा के वहां से जाने के बाद विक्रांत शिवानी से खेता है, “अरे यार शिवानी...! तुम्हारे पापा तो बड़े फ्रैंकली हैं, मुझे तो लगा था की अब मेरी खैर नहीं।”

विक्रांत की बात सुनकर शिवानी हंसने लगती है। वो उससे कहती है की उसके पापा ऐसे ही हैं। पानी पूरी खाने के बाद शिवानी विक्रांत को उसके घर पर छोड़ती है उसके बाद अपने घर के लिए निकल जाती है।

विक्रांत एक किराए के घर मे अकेला रहता था। उसने शिवानी को बताया था की वो दिल्ली सिर्फ अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के लिए आया था। और वो पार्ट टाइम जॉब भी करता था इसलिए हॉस्टल की बजाए किराए के कमरे मे रहता था।

शिवानी को इस बात से कोई प्राब्लम नही थी। उसको तो विक्रांत के साथ समय बिताना अच्छा लगता था।

कुछ दिनों बाद जब शिवानी और विक्रांत इंडिया गेट घूमने गए तो वहां पर विक्रांत ने शिवानी को प्रपोज कर दिया। शिवानी भी विक्रांत मन ही मन पसंद करती थी इसलिए उसने भी उसको हां कर दिया। अब दोनो रिलेशनशिप मे आ चुके थे।

शिवानी और विक्रांत के बारे मे उसके दोस्तों को सब पता था। वो उनके रिलेशनशिप के बारे मे भी जानते थे। जल्द ही शिवानी के पापा को भी शिवानी पर कुछ शक सा होने लगा। जल्द ही वो समय भी आ गया जब शिवानी के पापा को शिवानी और विक्रांत के बारे मे पता चल गया।

शिवानी के पापा को इस बात से कोई प्रॉब्लम नहीं थी की विक्रांत किस परिवार से था..! या अमीर था या गरीब...! वो बस ये चाहते थे की जिसको उनकी बेटी पसंद करे वो इंसान अच्छा हो, भरोसे के लायक हो।

शिवानी के पापा ने अपने एक दोस्त से बात करके विक्रांत के बारे मे पता करवाने का फैसला किया। उनके दोस्त एक डिटेक्टिव एजेंसी चलते थे।

शिवानी के पापा नही चाहते थे की एक छोटी सी गलती से उनकी बेटी की जिंदगी बर्बाद हो जाए। इसलिए उन्होंने इस मामले। मे अपने दोस्त अनिल।से मदत करने को कहा।

जल्द ही शिवानी के पापा के दोस्त विक्रांत के बारे मे सब कुछ पता कर लेते हैं। लेकिन उनको विक्रांत की जो जानकारियां मिली थी वो चौंका देने वाली थी।

एक दिन शाम को शिवानी के पापा के दोस्त उनके घर पर आएं । उन्होंने विक्रांत के बारे मे सबकुछ पता कर लिया था।

“अनिल भाई , ये बताओ की विक्रांत के बारे मे कोई जानकारी मिली? क्या वो भरोसे का लड़का है ?” शिवानी के पापा अपने दोस्त अनिल से पूछते हैं।

शिवानी के पापा को अपने दोस्त अनिल से पता चला की विक्रांत बहुत तिगड़म इंसान था। पहले तो वो लड़कियों को बहला फुसला कर अपने प्यार के जाल मे फंसाता था, उसके बाद उन्हे देह व्यापार करने वालो को बेच दिया करता था। वो बहुत बार जेल भी जा चुका था।

शिवानी के पापा के दोस्त ने अपनी पहचान की वजह से विक्रांत के काले कारनामों की फाइल भी पुलिस स्टेशन से निकलवा ली थी। उन्होंने वो फाइल शिवानी के पापा को दी और फिर वहां से चले गए।

विक्रांत के बारे मे सब कुछ जानने के बाद शिवानी के पापा जब उसको विक्रांत के बारे मे ये सब बताते हैं तो उसको उनकी बातों पर यकीन नही होता।

शिवानी को यकीन दिलाने के लिए उसके पापा ने उसे वो फाइल भी दिखाई जिसमे विक्रांत के काले कारनामों की सच्चाई थी, लेकिन तब भी शिवानी को अपने पापा की बातों पर यकीन नही हुआ।

अब शिवानी को तो उसके पापा की किसी बात पर भरोसा नही था, इसलिए उन्होंने कुछ लोगों को हायर किया जो दिनभर शिवानी पर नजर रखते थे। शिवानी की सुरक्षा की जिम्मेदारी उन्ही लोगों पर थी।

शिवानी के पापा सब कुछ बहुत सोच समझ कर कर रहे थे। वो जानते थे की अगर उन्होंने शिवानी पर कोई रोक टोक की तो उसका उनपार से भरोसा उठ जायेगा, उन्हे इस बात का भी डर था की कहीं इस वजह से वो कोई गलत कदम ना उठा ले। इसलिए वो अब सबकुछ अपने हिसाब से करके अपनी बेटी की आंखों मे बंधी पट्टी खोलना चाहते थे।

एक दिन शाम को शिवानी विक्रांत के घर मे बैठकर उससे बात कर रही होती है तभी विक्रांत उससे पूछता है, “शिवानी..! मैं चाय बनाने जा रहा हूं , क्या तुम चाय पियोगी ?”

“हां जरूर , अब तुम्हारे हांथ से बनी हुई चाय पीने का मौका मैं कैसे छोड़ सकती हूं ।” शिवानी मुस्कुराते हुए विक्रांत से कहती है।

इसके बाद विक्रांत चाय बनाने के लिए किचन मे चला जाता है। चाय बनने के बाद विक्रांत 2 कप चाय लेकर शिवानी के पास आकर बैठ जाता है।

“विक्रांत , थोड़ा पानी मिलेगा..?” शिवानी मुस्कुराते हुए विक्रांत से कहती है।

जब विक्रांत शिवानी के लिए पानी लाने के लिए किचन मे जाता है तब शिवानी चाय के कप बदल देती है। असल मे कुछ देर पहले जब विक्रांत किचन मे चाय बना रहा था तब शिवानी को प्यास लग रही थी। वो जब पानी पीने के लिए किचन मे गई तो उसने देखा विक्रांत चाय के एक कप मे कुछ मिला रहा था। ये देख कर शिवानी चुपचा वापस आकर अपनी जगह पर बैठ गई थी।

अब जब शिवानी सबकुछ देख ही चुकी थी , इसलिए उसने विक्रांत से पानी के लिए कहा। जैसे ही विक्रांत पानी लेने के लिए किचन मे गया, उसने चाय की कप बदल दी।

विक्रांत शिवानी के लिए एक गिलास मे पानी लेकर आया और फिर शिवानी को दे दिया । शिवानी ने पानी पिया उसके बाद चाय पीने लगी। विक्रांत भी शिवानी को देखते हुए चाय पी रहा था।

कुछ ही देर मे विक्रांत को कुछ अजीब सा महसूस होने लगा। देखते ही देखते वो बेहोश हो गया। विक्रांत के बेहोश होते ही शिवानी ने अपने पापा को फोन करके सब कुछ बता दिया।

शिवानी से बात करने के बाद उसके पापा ने उन लोगों को फोन किया जो शिवानी पर दिनभर नजर रखते थे। उन्होंने उनसे कहा की वो तुरंत विक्रांत को पकड़ ले और शिवानी को घर लेकर आ जाएं।

वो लोग वहीं पास मे ही थे इसलिए शिवानी के पापा का फोन आने के तुरंत बाद वो सब विक्रांत के घर के अंदर घुसे और उसके हांथ पैर बांधकर उसको पुलिस स्टेशन ले जाकर पटक दिया।

शिवानी के पापा ने शिवानी को पहले ही फोन पर उन लोगों के बारे मे बता दिया था। इसलिए उसे उन लोगों को देख कर कोई हैरानी नहीं हुई।

घर पर आने के बाद शिवानी ने अपने पापा से अपनी गलती की माफी मांगी। उसके पापा ने उसको विक्रांत के बारे मे जैसा बताया था वो वैसा ही निकला।

इस तरह एक पिता की सतर्कता की वजह से उनकी बेटी की जिंदगी बर्बाद होने से बच गई। प्यार करना गलत नही, पर अंधा प्यार आपकी जिंदगी तबाह करके रख सकता है, इसलिए थोड़ा सतर्क और सावधान रहना जरूरी है।