बैरी पिया.... - 10 Anjali Vashisht द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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बैरी पिया.... - 10

डॉक्टर ने शिविका की पट्टी कर दी तो संयम शिवाक्ष को गोद में उठाए बाहर निकल गया ।


शिविका पीछे मुड़कर केबिन की ओर देखती रही जहां से अभी भी डॉक्टर के चिल्लाने की आवाज आ रही थी ।


संयम ने उसे डाइनिंग टेबल पर बैठा दिया । बाहर के एरिया में वो सब आवाज़ें आनी बंद हो गई थी । वहां की हर एक दीवार साउंड प्रूफ लग रही थी ।


" Keep sitting here... " बोलकर संयम वापिस से लिफ्ट की ओर चल दिया ।


शिविका ने उसे जाते हुए देखा और फिर सोच में पड़ गई । संयम उसे यहीं बैठने को कहकर गया था और शिविका अब उसकी बात को ना मानकर और मुसीबतें मोल नही लेना चाहती थी । शिविका हाथ जोड़कर उस डॉक्टर के लिए pray करने लगी ।

हालांकि उसने संयम से शादी करने के लिए खुद पूछा था लेकिन उसे नहीं पता था कि वो इतना निर्दई इंसान होगा । मंदिर में जो लोग मारे गए थे वो सब गुंडे थे और हवशी थे ये शिविका जानती थी । इसलिए उन लोगों का मारा जाना शिविका को कोई खास एफेक्ट नहीं कर रहा था ।

लेकिन एक बेचारा डॉक्टर जो शायद कोई क्रिमिनल ना रहा हो उसके साथ संयम ऐसा कैसे कर सकता था । शिविका का दम घुटने लगा था ।


कुछ देर बाद संयम नहाकर वापिस से नीचे आ गया और शिविका के सामने आर्मचेयर पर बैठ गया ।


उसने ब्लैक कलर की शर्ट और ब्लैक कलर की स्ट्रेट पैंट पहनी हुई थी । बाल वेल सेटल्ड थे और स्लीव्स उपर चढ़ा रखी थी । संयम को vein lines उसके हाथों और बाजुओं में नजर आ रही थी । वो बोहोत hot लग रहा था । शिविका मुंह खोले उसे देखने लगी । फिर सिर हिलाते और आंखें बंद करते हुए उसने नजरें फेर ली ।


शिविका ने हिम्मत करते हुए उससे बोला " आप प्लीज उन डॉक्टर को छोड़ दीजिए.... । उनकी गलती नही थी.... " ।


संयम ने एक ठंडी सी नजर शिविका पर डाली ।
" Are you more wiser than me... । Are you strong enough to rule over me..... ?? " बोलते हुए संयम की आवाज बोहोत हार्श थी ।


" ले लेकिन ये गलत है... " शिविका ने डरते हुए कहा ।


संयम ने अपनी आंखें बंद की फिर गर्दन में हाथ फेरा और प्लेट के पास रक्षा fork टेबल में चुभो दिया । शिविका उसकी हरकत देखकर घबरा गई । संयम उठकर शिविका की कुर्सी के पास आ गया । फिर उसकी कुर्सी को घुमाकर अपनी ओर करके शिविका के जबड़े को हाथों से कसकर पकड़ लिया फिर उसके उपर झुकते हुए चिल्लाकर बोला " You are nothing more than a bloody slut.... और एक slut या कोोई और भी मेरे आगे इतनी जुबान चलाए... मुझे बर्दाश्त नहीं... समझी.... " बोलते हुए उसने झटके से शिविका को छोड़ दिया ।

फिर चेयर के दोनो ओर हाथ रखते हुए बोला " गलती किसिकी भी हो सजा संयम अपने हिसाब से ही देगा.. । दुश्मनों से तो दुश्मनी की उम्मीद होती ही है लेकिन जब अपना पाला हुआ कोई कुत्ता गद्दारी करे तो उसकी सजा सिर्फ मौत होती है... " ।


शिविका उसकी vibes से सहम सी गई । वहीं बार बार slut कहा जाना शिविका को बोहोत हर्ट कर रहा था । आखिर उसने ऐसा क्या किया था जो संयम इतनी नफरत उसके लिए भरे बैठा था ।


Exact उसी वक्त सर्वेंट्स किचन से खाना लेकर बाहर आ गए । और टेबल पर रख दिया ।


संयम अपनी चेयर पर बैठ गया । शिविका अपने हाथो में अपना चेहरा भरे घबराई हुई सी बैठी हुई थी । संयम का रवैया उसे कुछ कुछ समझ में आने लगा था । उसके गुस्से की कोई हद नहीं थी ये भी शिविका जान चुकी थी ।


शिविका सहमी हुई सी वहां बैठी रही ।


संयम ने एक गहरी सांस ली और शिविका के मासूम से चेहरे को देखने लगा । कुछ तो कशिश थी उसमे जो संयम की नज़र उसपर ठहर सी जाती थी । संयम ने कुछ सोचा और फिर शिविका की ओर अपना हाथ बढ़ाकर उसे आंखों से अपने पास आने का इशारा कर दिया ।


शिविका ने कुछ सेकंड उसके हाथ को देखा और फिर जल्दी से अपना हाथ उसके हाथ में रख दिया । शिविका समझ चुकी थी कि उसका संयम की बातें ना मानना उसे मुसीबतों में डाल सकता था ।


संयम ने उसे झटके से अपने करीब खींच लिया । शिविका संयम के उपर जा गिरी । संयम ने कमर से शिविका को पकड़ लिया था जिससे वो पूरी उसके उपर नहीं गिरी थी । बस उसके हाथ संयम के कंधे पर चले गए थे और संयम से उसकी नाक टच हो रही थी ।


संयम ने घुमाकर उसे अपनी गोद में बैठा लिया । और पीछे से बाहों में भर लिया । शिविका संयम की इस हरकत से हैरान थी ।


फिर शिविका के चेहरे को अपनी ओर घुमाया और उसके चेहरे पर आए बालों को कान के पीछे किया । फिर शिविका के चेहरे पर उंगली फेरते हुए बोला " जितना बोला जाए.... उतना किया करो... Hmmm...... । Now come on tell me... राठी कहां है... ?? " । ।


एक बाद फिर से वही सवाल सुनकर शिविका परेशान सी हो गई । उसकी धड़कने तेज चल रही थी । उसे नहीं पता कि राठी कौन है और वो कहां है । लेकिन ये बात वो संयम से कैसे कहे.... ?? ।


" को कौन राठी... ??? " शिविका ने घबराए हुए पूछा ।


" वही जिसकी तुम शागिर्द हो.. । जिसे तुमने बड़ी होशियारी से भगा दिया था... " बोलते हुए संयम अभी भी बड़ी शांति से उसके चेहरे पर उंगली फेर रहा था ।


शिविका ने तिरछी नजरों से अपने चेहरे पर चल रही संयम की ऊंगली को देखा । उसको समझ आ गया था कि संयम किसकी बात कर रहा था । उस दिन जिस इंसान को शिविका ने बचने में मदद की थी उस आदमी का नाम शायद राठी था ।

शिविका ने याद किया तो उस दिन दक्ष ने भी यही नाम लिया था ।


शिविका ये भी समझ रही थी कि संयम की ये शांति तूफान से पहले की ही है । और अगर अभी उसने इस तूफान को और हवा दी... तो वो ही इस तूफान में बोहोत बुरी फंसेगी... । शिविका ने कुछ सोचा और फिर बोली " एक जगह है जहां वो मिल सकते हैं... । " ।


संयम ने आंखें बंद करते हुए पीछे चेयर से सिर टिकाते हुए पूछा " where.... ??? " ।


शिविका को समझ में नहीं आया कि अब वो क्या जगह बताए । ये पूरा शहर उसके लिए नया था तो उसे नही पता कि यहां पर कौनसी जगह क्या है... ।
शिविका ने थूक की एक घूंट गले से नीचे उतारी और फिर हकलाते हुए बोली " जहां पर से उस दिन वो भागे थे वहीं.... " ।


शिविका ने बस जो दिल में आया वो कह दिया ।


" Are you sure..... " संयम ने एक आइब्रो उपर करते हुए पूछा तो शिविका ने जल्दी से हां में सिर हिला दिया ।


संयम ने शिविका को खड़ा किया और फिर उसे गोद में उठाए वहां से बाहर निकल गया । शिविका तो खाना खाने का इंतजार कर रही थी लेकिन शायद आज भी वो उसके नसीब में नहीं था । वो पीछे मुड़कर टेबल पर रखे खाने की ओर देखने लगी । फिर उसने जीभ से होंठ को lick कर लिया ।


जब संयम उसे लेकर बाहर निकला तो बाहर का खुला आसमान देखकर शिविका ने चैन से खुलकर सांस ली ।


संयम ने उसे गाड़ी में बैठा दिया । और खुद उसके बगल में आकर बैठ गया ।


ड्राइवर ने गाड़ी चला दी । शिविका शीशे से पीछे छूटते विला को देखते हुए मन में बोली " कोशिश करूंगी कि दुबारा यहां ना आऊं.... । गलती की थी तो अब उसको सुधारने का मौका है शिवि... भाग जा..... । वर्ना ये राक्षस जीते जी मार डालेगा.. " । सोचते हुए शिविका ने बाहर की ठंडी हवा को गहरी सांस लेके अंदर भरा और आंखें बंद कर ली... ।

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अब शिविका का क्या इरादा है ???

क्या वो अब भागना चाहती है ???

और अगर भागी तो क्या संयम पकड़ लेगा... ????