किस्मत से मिला रिश्ता भाग - 17 Saloni Agarwal द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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किस्मत से मिला रिश्ता भाग - 17

अब आगे,

तनवी ने अभय को एक निक नेम दे दिया होता है जिस के बाद सब अपना अपना डिनर कर रहे होते है पर आज एक ही डाइनिंग टेबल पर तनवी, आकाश, राज, रवि और अभय पांचों को खाना खाते देख..!

राजपूत विला के सारे नौकर, गार्ड्स और वहा पर मौजूद हर इंसान शॉक में होता है साथ में उन्हें अपनी ही आंखो पर विश्वास नहीं हो रहा होता है कि क्या ये सब जो वो देख रहे हैं वो सच में सच है...!

आकाश, राज, रवि और अभय बार बार सब तनवी को खाते हुए ही देख रहे होते है पर अभय को छोड़ बाकी तीनों के आंखो में आंसुओ आ जाते है तो तनवी अपने सामने बैठे राज और रवि की आंखों में आए आंसु की झलक को देख लेती हैं..!

जिस के बाद वो, अब आकाश की ओर देखती है तो उस का भी वही हाल हो रहा होता है पर अभय ये सब देख कर भी शांत होता है क्योंकि वो जानता है कि ये तीनों की आंखो में आंसुओ क्यू है..!

फिर तनवी, राज को देखते हुए उस कहती हैं,

"राज भैया, मैं आप से कुछ पूछूं, तो क्या आप मुझे बताएंगे...!"

तनवी का इतनी तमीज से बात करना ही राज को पिघला चुकी होती हैं वही वो तनवी की बात सुन, राज उस से कहता है,

" हां, पूछिए तनवी...!"

राज आगे बोलता उस से पहले ही रवि उस के हाथ को पकड़ लेता है और उस को अपनी आंखे दिखा रहा होता है जैसे कह रहा हो अगर तूने और कुछ कहा तनवी के आगे तो तू उस का जिमेदार खुद होगा, रवि का इशारा समझ अब राज तनवी से कुछ भी नही कहता है..!

तो अब तनवी, राज से हस्ते हुए उस को ही देखते हुए उस से पूछती हैं,

" कुछ और भी कहना है, आप को...!"

तनवी की बात सुन, राज अपना सिर ना मे हिलाने लगता है। जिसे देख अभय के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है और साथ में उस को आज ये सब देखने में अलग ही मजा भी आ रहा होता है..!

अब तनवी, राज से पूछती हैं,

" आप की फैमिली में कौन कौन है...?"

तनवी का सवाल सुन, राज से कुछ बोला नहीं जा रहा होता है तो अभय, तनवी को राज की तरफ से जवाब देता है,

" मै ही इस का परिवार हु...!"

अभय की बात सुन, तनवी उस से कहती हैं,

" वो तो मैं जानती ही हु कि हम सब राज भैया के परिवार की तरह ही है पर इनका अपना भी तो परिवार होगा ही न, मै उनके बारे मे पूछ रही हु...!"

तनवी की बात सुन, अभय कुछ कहता उस से पहले ही राज, तनवी से कहता है,

" मेरा इस दुनिया में कोई नही है क्यूंकि मैं एक अनाथ हु, मैने कभी भी अपने माता पिता को नही देखा है...!"

राज अपनी बात कहकर अपने आंख में आते आंसु को साइड से पोंछ लेता है। और अपना खाना लाने लगता है..!

राज की बात सुन, तनवी उस को थोड़ी देर तक देखती है और फिर उस से कहती है,

"राज भैया, आप ऐसा केसे कह सकते हो आप का कोई नही है जबकि आप के पास पूरा परिवार हैं...!"

तनवी की बात सुन, राज, रवि, आकाश और अभय अब तनवी को देखने लगते है तो तनवी फिर से राज से कहती है,

" मेरा मतलब है कि आप के पास बड़े भाई के रूप में अभी भैया है, और छोटे भाई के रूप में रवि और आकाश भैया है, और एक छोटी बहन के रूप में मै भी तो हु ना, तो फिर आप अनाथ केसे हुए बताओ मुझे...!"

तनवी की बात सुन, राज के साथ साथ बाकी लोग भी हैरान रह जाते है क्योंकि तनवी ने आज पहली बार नोकर को अपना परिवार बताया था..!

हालाकि अभय राज, रवि और आकाश को नोकर नही मानता है पर तनवी ने अपनी याददाश जाने से पहले कभी भी उन्हे नोकर से ज्यादा नही कुछ भी नही समझा था पर आज तनवी की याददाश नही है तो वो उस को अपना परिवार बता रही होती हैं..!

जब तनवी को अपने ऊपर सब की नजर महसूस होती हैं तो वो उन सब पर थोड़ा गुस्सा करते हुए कहती है,

" अरे कितना घूरते हो आप लोग मुझे, जैसे मै कोई आंठवा अजूबा हु....!"

तनवी की बात सुन, अभय के साथ साथ सब अपनी नजरे नीचे कर लेते है पर अभी भी सब के दिमाग में बस तनवी की बाते ही घूम रही होती है। पर तनवी अब राज से फिर से पूछती हैं,

" राज भैया, जब मेरी शादी होगी तो क्या आप मेरे जाने से दुखी होगे...?"

तनवी का ऐसा सवाल सुन, राज उस को देखने लगता है क्योंकि उस को तो कुछ समझ में ही नही आता है कि वो इस सवाल का क्या ही जवाब दे..!

राज के कुछ न बोलने पर तनवी एक बार फिर राज से पूछती हैं,

"अरे भैया बोलो ना कि अगर आप की कोई छोटी बहन होती और उस की शादी हो जाती तो क्या आप उस के अपने ससुराल चले जाने से दुखी होते...!"

तनवी की बात सुन, अब की बार राज कुछ कहता तो नही है पर अपना सिर हां मे जरूर से हिला देता है पर अभय, तनवी से पूछता है,

"बच्चा तुम, मुझे बताओगी कि ऐसे सवाल क्यू कर रही हो...?"

अभय की बात सुन, तनवी उस से तो कुछ नही कहती हैं, मगर राज को जरूर से जवाब देती हैं,

" अगर आप की हां तो फिर मैं भी आप की ही बहन हु तो आप मेरे जाने से भी दुखी होगे न...!"

तनवी के ऐसे कहने से राज एक बार फिर अपनी गर्दन हां मे हिला देता है जिस पर तनवी उस से कहती है,

" तो फिर उस समय के लिए अपने इन अंशुओ को बचा कर रखो और क्यू ऐसे अपनी आंखो में आंसुओ भर रखे हैं आप तीनो ने, जबकि मै अभी आप सब को छोड़ इतनी जल्दी कही नही जाने वाली हु...!"

तनवी की बात सुन, राज, रवि, आकाश और अभय हैरान रह जाते है क्योंकि तनवी ने उनकी आंखो में आए सिर्फ अंशुओं की झलक भी देख ली होती है..!

जबकि अगर हमारी पहले वाली तनवी होती तो उस के सामने कोई अपनी जान की भी भीख मांगता था या कोई तड़प कर भी मर रहा होता तो भी तनवी अपना खाना बीच में नही छोड़ती थी और अब तो तनवी के याददाश जाने के बाद क्या ही कहने थे...!

तनवी की बात सुनने के बाद, राज अपने होश में आता है और उस से कहता है,

" नही ऐसा कुछ नही है वो मेरी आंखो में कुछ चला गया था...!"

राज की बात सुन, तनवी अब रवि और आकाश की तरफ बारी बारी से देखते हुए कहती हैं,

" अच्छा तो आप दोनो अपनी अपनी सफाई मे क्या कहना चाहेंगे...!"

तनवी की बात सुन, अब आकाश और रवि दोनो ही राज को घूर के देख रहे होते हैं और जैसे कह रहे हो कि क्या जरूरत थी तुझे ये बोलने की...!

आकाश और रवि को अपनी अपनी सफाई में कुछ नही कह रहे हैं तो तनवी उन दोनो से दुबारा से पूछती हैं,

" बोलिए न...!"

तनवी की बात सुन, अब रवि उस से कहता है,

" वो मुझे, आप को देख अपनी छोटी की याद आ गई, बस इसलिए ही मेरी आंखो में अंशु आ गए...!"

रवि की बात सुन, तनवी खुश होते हुए उस से पूछती हैं,

" क्या सच में और आप का परिवार कहा पर रहता है क्योंकि मुझे भी मिलना है आप की छोटी बहन से...!"

तनवी की बात सुन, रवि उस को बताता है,

" मेरा पूरा परिवार उत्तर प्रदेश में रहता है और आप सच में उनसे मिलना चाहती हैं तो मै उनको यहां ही बुला लूंगा...!"

रवि की बात सुन, तनवी उस से कहती हैं,

" नही उस की कोई जरूरत नही है बल्कि मै आप के साथ आप के घर चलूंगी और क्या आप मुझे अपने घर लेकर चलेंगे...!"

तनवी की बात सुन, रवि जो खाना खा रहा होता है वो उस के गले में अटक जाता हैं जिस से वो खांसने लगता है जिस से तनवी जल्दी से अपनी सीट से उठ कर रवि के पास पहुंच जाती हैं और उस की पीठ थापथपने लगती हैं...!

और साथ में पानी का गिलास उस की तरफ बढ़ा देती हैं जिसे देख अभय को फिर जलन महसूस होने लगती हैं और अब वो, रवि को ही घूर रहा होता है..!

वही तनवी का ऐसा व्यवहार देख ही रवि की खांसी ही नही रुक रही होती है वही तनवी वहा खड़े नोकर से कहती हैं,

" जाओ जाकर जल्दी से शहद लेकर लाओ...!"

तनवी की बात सुन, वो नोकर भाग कर किचन से शहद लेकर आता है तो तनवी उस नोकर के हाथ से शहद लेकर रवि को बड़े प्यार से किसी बच्चे को खिला रही हो उस तरह एक चमच शहद लेकर उस को खिलाने लगती है जिस से कुछ देर बाद रवि की खांसी ठीक हो जाती हैं और अब वो अच्छा फील कर रहा होता है..!

वही अभय इस बात से ही हैरान रह जाता हैं कि तनवी को केसे पता कि किस चीज के खाने से खासी को रोका जा सकता है...! और क्यू बार बार अभय को अपने ही लोगो से हो रही है जलन..?

To be Continued....❤️✍️

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