किस्मत से मिला रिश्ता भाग - 18 Saloni Agarwal द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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किस्मत से मिला रिश्ता भाग - 18

अब आगे,


तनवी की शहद वाली बात पर, अभय उस से पूछता है, "बच्चा, तुम्हे केसे पता कि खासी को रोकने के लिए क्या उपयोग में लाया जा सकता है क्योंकि तुम तो बस बिजनेस से जुड़ी चीजों को ही जानने में इंटरेस्ट रखती हो तो फिर केसे...?"


अभय की बात सुन, अब राज, रवि और आकाश भी तनवी को ही देख रहे होते है क्योंकि अभय ने जो कुछ भी कहा वो सोलह आने सच बात थी...!


जब तनवी को लगता है कि सब उस को ही देख रहे हैं तो वो, अभय की बात का जवाब देते हुए कहती है, "पता नही भैया, बस दिमाग में आया तो मैंने बोल दिया...!"


तनवी का जवाब सुन, अभय उस से कुछ नही कहता है क्योंकि वो अपनी छोटी बहन को परेशान नहीं करना चाहता था कही उस के दिमाग पर कोई असर न हो जाए इसलिए...!


अब अभय का पर्सनल बॉडीगार्ड राज, तनवी से कहता है, "तनवी, आप भी बैठ कर खाना खा लो, अब ये (रवि) अब बिल्कुल ठीक है...!"


राज की बात सुन कर, तनवी अपना सिर हां मे हिला कर अपनी सीट पर जाकर बैठ जाती हैं और खाना खाने लगती हैं..!


तनवी को खाना खाते देख, अभय का पी ए आकाश चेन की सांस लेते हुए अपना खाना खा ही रहा होता है कि तभी तनवी उस से पूछती है, "अरे आकाश भैया आप ने नही बताया कि आप की आंखो में अंशु क्यू आए थे...?"


तनवी का सवाल सुन, आकाश के होश उड़ जाते है और वही राज, रवि और अभय हसने लगते है और अभय अपने मन में कहता है, "सही मे, ये मेरी ही बहन है और उस की याददाश बहुत ही तेज है, और खासकर अपनी बात तो बिलकुल भूल ही नही सकती हैं...!"


जब आकाश, तनवी की बात का कोई जवाब नही देता हैं तो तनवी उस से एक बार फिर से कहती हैं, "आकाश भैया बताओ ना, और क्या आप मेरी विदाई मे रोने के लिए अभी से तैयारी कर रहे हो क्योंकि सारे भैया चाहे पूरी जिंदगी कितना ही क्यों न लड़ ले चाहे कितना ही मना कर ले कि उन को कोई फर्क नही पड़ता है पर जब उनकी बहन की विदाई होती हैं तो वो ही सबसे ज्यादा अकेलापन वही महसूस करते हैं और उनकी आंखो में अंशु आ ही जाते है...!"


तनवी ये सब अपने आप में बोले जा रही होती है वही अभय, तनवी पर से अपनी नजर नही हटा पता है क्योंकि उस को तो आज तक लगा ही नही था कि तनवी उस की कोई बहन है बल्कि उसने तो तनवी को अपने बच्चे की तरह पाला होता है और उस की हर जिद पूरी की होती हैं..!


तनवी अपनी बात कहकर आकाश से कहती है, "आप भी कुछ बोलो आकाश भैया, या बस मै ही हु बोलती रहूंगी...!"


तनवी की बात सुन, आकाश अपने चेहरे पर फीकी सी मुस्कान लाते हुए कहता है, "नही ऐसा कुछ भी नही है, तनवी...!"


और तनवी के आगे मैम लगाने की हिम्मत नही होती हैं...!


तनवी ने आकाश के चेहरे पर फीकी मुस्कान को देख लिया होता है जिसे देख तनवी अपनी मासूमियत से, आकाश से कहती हैं, "क्या आकाश भैया, आप को तो ठीक से हंसना भी नही आता ये फीकी मुस्कान जाकर किसी और को दिखाना और अब सच सच बताओ क्या बात है, नही तो मै आप से नाराज हो जाऊंगी...!"


तनवी की बात सुन, आकाश हैरान ही रह जाता है और अपने मन में कहता है, "आज उस की तनवी मैम ने उस की फीकी मुस्कान तक को पकड़ लिया है और वो मुझ जैसे नौकर से नाराज होने की बात कर रही है जबकि उन को तो मेरा होना ही पसंद नही था...!"


आकाश को ऐसे अपने ख्यालो मे खोया हुआ देख तनवी उस से पूछती हैं, "क्या आकाश भैया, घर में एक अभी भैया कम थे क्या अपने ख्यालो मे खोने के लिए जो अब आप भी खो जाते हो...!"


अब तनवी अपनी बात कहकर, अभय को देख खिलखिलाने लगती हैं वही अभय उस को घूर रहा होता है पर तनवी को ऐसे खिलखिलाता देख उस के चेहरे पर भी मुस्कान आ जाती है और उस को आज एक अलग सी ही खुशी हो रही होती हैं..!


तनवी की बात सुन, आकाश कुछ सोचते हुए कहता है, "वो मुझे आज खाने में कुछ ज्यादा ही तीखा लग रहा है बस इसलिए ही आंखो में अंशु आ गए हैं...!"


आकाश की बात सुन, तनवी उस से कहती हैं, "अच्छा इसलिए आप इतना पानी पी रहे थे कि ऐसा लग रहा था कि आप खाने से नही बल्कि पानी पीकर ही अपना पेट भरना चाहते हैं..!"


अब तनवी, आकाश से पूछती है, "वैसे आकाश भैया, आप को खाने में क्या क्या पसंद है...?"


तनवी की बात सुन, आकाश तनवी को देखने लगता है और फिर अभय को देखता है तो अभय अपनी पलके झपका देता है जैसे कह रहा हो तनवी जो पूछ रही है उस का जवाब दो, तो आकाश कुछ सोचते हुए तनवी से कहता है, "जी, मुझे आलू, प्याज और पनीर के परांठे और वो भी आम के अचार के साथ पसंद है..!"


आकाश की बात सुन, तनवी अब सविता आंटी को बुलाने लगती हैं तो सविता जी जल्दी से भाग कर तनवी के पास पहुंच जाती है, और तनवी से पूछती है, "जी, बेटा तुम ने मुझे बुलाया...!"


सविता जी की बात सुन, तनवी उन से कहती है, "आप जल्दी से आलू, प्याज और पनीर के परांठे और साथ में आम का अचार ले आइए और यहां से आकाश भैया की प्लेट को ले जाइए...!"


तनवी की बात सुन कर, सविता जी आकाश के सामने से खाने की प्लेट ले जाती हैं और वहा से रसोई घर की तरफ मुड़ जाती है..!


सविता जी के जाते ही आकाश, तनवी को हैरानी से देख रहा होता है आज इतने सारे चमत्कार देने के बाद वहा पर किसी को न तो अपनी आंखो पर विश्वास हो रहा था और नही कानो पर...!


कुछ देर बाद,


सविता जी, आकाश के लिए आलू प्याज और पनीर के परांठे और आम का अचार ले आती हैं तो आकाश तो बहुत ही ज्यादा खुश होता है और वही राज और रवि के मुंह में पानी आ रहा होता है..!


जिसे देख तनवी, राज और रवि को देखते हुए हसते हु कहती है, "आप दोनो भी खा सकते हैं यू देखने की कोई जरूरत नही है...!"


तनवी की बात सुन, राज और रवि दोनो ही झट से अपना सिर नीचे कर लेते है और फिर तनवी उन दोनो की प्लेट में आलू प्याज और पनीर के परांठे रख देती हैं..!


तनवी के रखने के बाद ही दोनो झट से खाने लगते है वही अभय आकाश को ही घूर रहा होता है क्योंकि वो तो ऐसे खा रहा होता है जैसे उसने कही दिनों से खाना नही खाया हो..!


आकाश को जब अपने ऊपर किसी की नजर महसूस होती हैं तो वो अपना सिर उठा कर देखता है तो उस को पता चलता है कि अभय उस को ही घूर रहा है जिसे देख उस का खाना उसके मुंह में ही अटक जाता है और जिस से वो खांसने लगता है...!


तो तनवी उस के पास जाकर उस को अपने हाथो से पानी पिलाने लगती हैं और साथ मे उस की पीठ थप थापा रही होती हैं और साथ मे उस से कहती हैं, "आप ठीक तो हो ना आकाश भैया, और आप को इतनी भी क्या जल्दी है खाना खाने की, आप आराम से भी तो खा सकते हो ना...!
"


तनवी अब थोड़े गुस्से के साथ आकाश से आगे कहती हैं, "और अब जब तक आप आराम से अपना पूरा खाना खा नही लेते ना तब तक मैं आप को, अभी भैया के साथ काम करने के लिए जाने नही दूंगी और ये मेरा ऑर्डर है और आप को मेरा भी ऑर्डर मानना पड़ेगा क्योंकि मेरे अभी भैया आप के बॉस है और मै आप के बॉस की बहन हु साथ में आप छोटी बहन भी...!"


तनवी की बात सुन, कोई कुछ नही कहता है पर सब के चेहरे पर मुस्कान होती हैं और तीनो अपना खाना आराम आराम से खाने में बिजी हो जाते है और अभय अपनी बहन को देखने में..!


तो अब देखते हैं कि तनवी, अभय के जिंदगी और उस से जुड़े लोगों को और क्या क्या चमत्कार या फिर शॉक देने वाली है...!


To be Continued....❤️✍️


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