बीस्ट: ए टेल ऑफ़ लव एंड रिवेंज - भाग 2 Rituraj Joshi द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

बीस्ट: ए टेल ऑफ़ लव एंड रिवेंज - भाग 2

बीस्ट: ए टेल ऑफ़ लव एंड रिवेंज
" एक श्राप से घिरी राजकुमारी "
Episode - 02

Episode 02 बीस्ट: ए टेल ऑफ़ लव एंड रिवेंज (Beast: A Tale of Love and Revenge) : " एक श्राप से घिरी राजकुमारी "

अब तक अपने पढ़ा---------------------

राजस्थान के सबसे बड़े सियासत के महाराज के बेटे ने जो कि कुछ दिनों में हुकुम सा की गद्दी को संभालने वाला था , उसने राज्य की एक पुरोहित कन्या के साथ गलत काम किया और उसके बाद माफी मांगने के बजाय वह बेशर्म की तरह अपने काम को करके खुश था .
लेकिन महाराज और महारानी समझ रहे थे , कि उनके बेटे ने क्या काम किया है ? वह अपने बेटे की करनी की बार-बार माफी मांग रहे थे , लेकिन अवंतिका कुछ सुनने को तैयार नहीं थी .
फिर अवंतिका ने महाराज की तरफ देखते हुए कुछ ऐसा कहा , जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी .
आईये देखते हैं अवंतिका ने महाराज और बाकी सब को क्या कहा ...?

अब आगे
-----------------

महाराज ने यहां तक की महारानी ने भी अवंतिका से माफी मांगी अपने बेटे की किए पर वह काफी शर्मिंदा थे लेकिन सुधीर ना जाने किस आकार में था उसने अवंतिका से माफी में ना मांगने के साथ-साथ उसे और भी ज्यादा बुरा भला का जो की अवंतिका के गुस्से में घी डालने का काम कर रहा था उसे कैसे तेवर को देखकर अवंतिका खुद पर काबू न कर सके और फिर गुस्से से सभी की ओर देखते हुए बोली
अवंतिका बोली------------ अपना यह माफी मांगने का दिखावा अपने पास रखिए महाराज . और तुम सुधीर प्रताप सिंह , अब मेरी बात सुन और साथ ही में यह पूरा परिवार मेरी यह बात सुन ले .
(मैं एक पवित्र लड़की थी, दो दिन बाद मेरी शादी होने वाली थी . मेरे होने वाले पति को महाराज आपके बेटे ने अपनी हवस के कारण मार डाला था . ताकि तू मुझे पाकर अपनी हवस मिटा सके . सुधीर प्रताप सिंह मेरी नजरों में तेरे लिए अब इज्जत बची नहीं है . तुम तो होने वाले हुकुम सा थे , पर अब नहीं होंगे . क्योंकि मैं पुरोहित कन्या अवंतिका वशिष्ठ तुम्हें और तुम्हारे पूरे खानदान को श्राप देता हूं , " तुम्हारे खानदान में यह दर्द तुम्हें और तुम्हारे आने वाली पीढ़ी को भोगना पड़ेगा . तुम्हारे खानदान की हर पीढ़ी में जिस इंसान की बेटी होगी , वह कभी खुश नहीं रह पाएगी . उसकी शादी से पहले उसे भी यह दर्द सहना पड़ेगा . जो दर्द मुझे आज सहना पड़ा है . वह लड़की अपनी आंखों के सामने अपनी पवित्रता खोते हुए देखेगी . साथ ही में देखोगे तुम सब . अपने सामने अपनी बेटी की आबरु उड़ते हुए . मैं तुम सब के साथ-साथ तुम्हारे पूरे खानदान को और आने वाली पीढ़ियों को यह श्राप देता हूं . अगर तुम्हारे खानदान में बेटी हुई , तो उसका घर कभी सुख से नहीं बस पाएगा . वह कभी खुश नहीं रह पाएगी . जो भी मेरे साथ हुआ है वह उसके साथ भी होगा . और सुधीर प्रताप सिंह तु कान खोलकर सुन ले . अगर तूने गलती से भी शादी करने की सोची , तो तेरा वंश उसी समय नष्ट हो जाएगा . तू मौत मांगेगा लेकिन तुझे मौत नहीं आएगी . तू तिल - तिल के मारेगा . तेरे शरीर को कीड़े खा जाएंगे , मौत के लिए तू यमराज के सामने भीख मांगेगा , लेकिन यमदूत और यमराज हंसते-हंसते तेरे उसे मौत का तमाशा देख कर लुफ्त उठाएंगे . जब - जब प्रताप खानदान में जो भी बेटा सुधीर प्रताप सिंह की तरह बनेगा , वह मेरे इस श्राप को भुगतेगा . उसका भी वही हस्र होगा , जो सुधीर प्रताप सिंह का होगा .")

इतना कहकर अवंतिका ने छत से कूद कर अपनी जान दे दी . कोई उसे बचा पाता उससे पहले ही अवंतिका कमरे की बालकनी से कूद चुकी थी . और बची तो सिर्फ उसके द्वारा दिए गए श्राप की आवाज . जो अभी तक कमरे में गूंज रही थी .

भानु प्रताप सिंह तो अवंतिका के इस दिए गए श्राप से जिंदा लाश बन चुके थे . तो वही मेनावती आंखों में आंसू लिए अपने पति को संभाल रही थी , लेकिन सुधीर प्रताप सिंह उसके चेहरे पर तो जरा भी दुख झलक नहीं रहा था . उसे यही लग रहा था अवंतिका ने बस यूं ही उसे बोल दिया है . वह इस बात से खुश था , कि चलो भला टली .

वह वहां से अपने कमरे की तरफ निकलने ही वाला था , कि तभी भानु प्रताप सिंह सुधीर प्रताप सिंह से बोले .
भानु प्रताप सिंह जी बोले------- सुधीर अभी के अभी निकल जाओ राजमहल से . अब तुम्हारा यहां कोई नहीं है . मैं नहीं चाहता अवंतिका के दिए श्राप की मनहुस छाया भी इस महल पर पड़े जो उसने तुम्हें दिया है . दफा हो जाओ यहां से .

इतना कह कर भानु प्रताप सिंह ने सिपाहियों से कहकर सुधीर प्रताप सिंह को महल और राज्य से धक्के मार कर निकाल फेंका . अवंतिका के पिता को जब यह खबर पता चली की अवंतिका ने राजमहल में खुदकुशी कर ली है , तो वह दौड़े दौड़े राजमहल आए . तब उन्हें अवंतिका के साथ हुई जत्तियों के बारे में पता चला . पुरोहित जी राजस्थान के बहुत बड़े पंडित थे , उनके मुंह से निकाली गई हर एक बात सच होती थी फिर चाहे वह फिर किसी को आशीर्वाद देना हो या फिर को श्राप ! उनके मुंह से कभी खाली नहीं जाता था .

भानु प्रताप सिंह को जब पता चला , कि पुरोहित जी राजमहल आए हैं , तो वह अपने बेटे की गलती की माफ़ी माँगने के लिए पुरोहित जी के पास गए और पुरोहित जी से बोले .
भानु प्रताप सिंह बोले---------- क्षमा पंडित जी ! हमें नहीं पता था कि जिस सपूत के पैदा होने के लिए हमने इतने दान पुण्य करे थे , वह कपूत निकलेगा ! हमारा बड़ा बेटा यह हरकत करेगा हमें नहीं पता था .
पुरोहित अपनी बेटी की मृत्यु से पहले से ही सदमे में थे . फिर जब उन्हें उनकी बेटी की मृत्यु का सच पता चला , तो उन्हें काफी गुस्सा आया .

पंडित जी अपनी बेटी की मृत्यु से सदमे में जा चुके थे और आ चुके हैं वह राजमहल में . अब देखना यह है , कि क्या रंग लेती है यह कहानी ? और क्या करते हैं पंडित जी अपनी बेटी के शव को देखकर ? जानना दिलचस्प होगा !
आपको मेरी यह पहले हॉरर टाइप स्टोरी का पहला दूसरा कैसा लगा ? कमेंट सेक्शन में कमेंट करके जरूर बताइएगा !
दोस्तों यह मेरी पहली हॉरर स्टोरी है . अगर आपको कुछ बुरा लगे तो माफ करिएगा . मैं कोई प्रोफेशनल राइटर नहीं हूं . हां कोशिश जरूर कर सकती हूं , इस कोशिश के चलते आज यह हॉरर स्टोरी लिखने जा रही हूं . आशा है कि आप सभी को पसंद आएगी .
!!..... धन्यवाद .....!!