बीस्ट: ए टेल ऑफ़ लव एंड रिवेंज - भाग 6 Rituraj Joshi द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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बीस्ट: ए टेल ऑफ़ लव एंड रिवेंज - भाग 6

बीस्ट: ए टेल ऑफ़ लव एंड रिवेंज
" एक श्राप से घिरी राजकुमारी "
Episode - 06

Episode 06 बीस्ट: ए टेल ऑफ़ लव एंड रिवेंज (Beast: A Tale of Love and Revenge) : " एक श्राप से घिरी राजकुमारी "

अब तक अपने पढ़ा---------------------

सुधीर की तीसरी और पसंदीदा पत्नी वैभवी ने एक सुंदर पुत्र को जन्म दिया था . जैसे ही उसे पुत्र को सुधीर के हाथों में दिया , उस पुत्र ने हलचल करनी बंद कर दी .
कोई कुछ समझा पता , तभी एक दासी दौड़ते - दौड़ते प्रसव कक्ष से बाहर की ओर आई . जहां इस समय सुधीर और दाई मां मौजूद थे . दासी ने दाई मां और सुधीर को कुछ ऐसा बताया , जिसे सुनकर उनके होश उड़ गए .
आखिर क्या बताया दासी ने ? आईये देखते हैं .....!

अब आगे-----------------

दासी ने दाई माँ की तरफ देखा और घबराते हुए बोली .
दाई माँ बोली------------ दाई अम्मा जल्दी चलिए . महारानी के सासें तेजी से ऊपर - नीचे हो रही है .
इतना सुनते ही दाई मां घबराकर प्रसव कक्ष की तरफ गई . तो वहीं सुधीर भी दाई माँ के पीछे-पीछे उस कक्ष तक आ गया . सुधीर ने देखा उसकी दोनों रानियां भी वहीं मौजूद है , लेकिन उसकी जो सबसे प्रिया रानी वैभवी थी , जो भी उसको उसका वंश देने वाली थी . वह अभी जिंदगी और मौत के बीच लड़ रही थी . दाई माँ ने उपचार करना शुरू किया . थोड़ी देर में वहां वैद्य जी भी आ गए . वैद्य जी ने रानी वैभवी को ठीक करने के लिए जड़ी बूटी देनी चाही थी , कि तभी रानी का चेहरा एक तरफ लुढ़क गया . आंखें बाहर आ गई और हाथ - पैर बेजान और ठंडा हो गए .

कोई कुछ समझ पाता उससे पहले ही वैद्य जी ने सुधीर की तरफ देखते हुए कहा .
वैद्य जी बोले---------- महाराज , महारानी नहीं रही .

यह सुनते ही सुधीर के ऊपर एक वज्रपात सा पड़ गया था , जिसे सुधीर चाह कर भी अपना नहीं पा रहा था . एक साथ दो - दो बुरी खबरों ने उसके होश को उड़ा दिया . सुधीर चिल्लाने लगा . उसकी बाकी दोनों रानियां ने सुधीर को शांत करने का बहुत प्रयास किया , लेकिन सुधीर इस दुख में कब बेहोश हो गया उसे खुद नहीं पता चला .

कुछ ही देर बाद सुधीर को होश आया , तो वह फिर से यह याद करके जोर-जोर से रोने लगा , कि उसका पुत्र अब इस दुनिया में नहीं है . और उसकी सबसे प्रिया रानी , जिससे वह अत्यधिक प्रेम करता था . वह भी उसे छोड़कर हमेशा के लिए चली गई . सुधीर गुस्से से सभी को वहां से जाने के लिए कहते हुए बोला .
सुधीर बोला------------- अभी के अभी निकल जाओ तुम सब लोग यहां से . मैं अकेले रहना चाहता हूं . लेकिन सुधीर की जो पहली पत्नी थी , वह सुधीर को छोड़ने के लिए तैयार नहीं थी .

पर सुधीर के बहुत ज्यादा गुस्सा करने पर उसे भी वहां से जाना पड़ा . थोड़ी ही देर बाद वहां से सभी लोग चले गए . सुधीर ने अपने आप को कमरे में बंद कर लिया .

बाहर हर कोई यही सोच रहा था , कि अब क्या होगा तो वहीं दाई माँ अपना काम करके वहां से जा चुकी थी . रानी वैभवी की लाश पर आंगन में रखी हुई थी , हर कोई अब बस इंतजार कर रहा था , कि महाराज आए उसके बाद अंतिम क्रिया की सब विधि पूरी की जाए . सुधीर को बुलाया गया . बड़ी मुश्किल से सुधीर राज महल के परागण में पहुंचा , तो उसने फिर से अपनी पत्नी का शव को देखा . और वह एक बार फिर टूट गया . वह अपनी पत्नी के पास बैठकर फुट-फुट के रोने लगा था . उसे बाकी सभी लोगों ने संभाला और समझाया , तो उसके दिमाग में यह बात आ गई , कि उसकी पत्नी अब उसे छोड़कर जा चुकी है और अब उसके कितना ही रोने - धोने से उसकी पत्नी वापस नहीं आने वाली है .

थोड़ी ही देर में महारानी के शव को शमशान घाट की ओर ले जाया गया . क्रिया क्रम विधि होने के बाद सभी लोग राजमहल लौट गए . महारानी की अस्थियां विसर्जित करवा दी गई थी . सुधीर राजमहल पहुंचा और सीधे अपने कमरे की तरफ चला गया . उसने सभी से खुद को एकांत में रहने के लिए कह दिया था . और उसे कोई भी परेशान ना करें यह चेतावनी देकर सुधीर ने अपने कमरे का दरवाजा बंद कर दिया . सुधीर अपनी पत्नी की मृत्यु और उससे भी ज्यादा उसके वंश को बढ़ाने वाले बेटे की मौत से ज्यादा दुखी था . हर कोई बस यही प्रार्थना कर रहा था कि सुधीर जल्द से जल्द ही दुख से उभरे .

तभी वहां महारानी वैभवी के पिता यशवंत सिंह जी आ चुके थे . हर किसी ने उनका स्वागत तो किया , लेकिन यशवंत सिंह जी बहुत गुस्से में थे . वह अकेले नहीं आए हुए थे , बल्कि अपने साथ उस महल के राज पंडित को लेकर आए थे . जो की यशवंत जी के भी महल के बहुत जाने-माने पंडित थे . कुछ देर में सुधीर को यह बताया गया , कि पंडित जी उनसे मिलने आए हैं . तो सुधीर बिना मन के पंडित जी से मिलने के लिए चला गया .

वह राज दरबार में पहुंचा , तो उसने देखा महल के राज पंडित दरबार में आए हुए हैं . राज पंडित ने सुधीर की तरफ देखते हुए कहा .
राज पंडित जी बोले---------- महाराज क्षमा करिएगा . यह समय तो नहीं है आपसे यह बात करने का , लेकिन बात करनी जरूरी थी . रानी वैभवी के पिता हमसे आकर मिले थे . उन्होंने यहां हुई सब घटना के बारे में हमें बताया . जहां तक हमें लगता है महाराज आपके पुत्र की मृत्यु अकारण नहीं बल्कि एक बहुत बड़े कारण , के कारण हुई है .

जैसे ही सुधीर ने यह सुना , तो उसने राज पंडित की तरफ देखकर कहा .
सुधीर बोला------------- कहने का क्या मतलब है आपका राज पंडित जी ?
राज पंडित जी बोले---------- महाराज मैंने रानी वैभवी की कुंडली देखी थी , उनकी कुंडली में पुत्र योग के साथ - साथ संपूर्ण जीवन व्यतीत करने का योग लिखा हुआ था . मैंने रानी वैभवी की जन्म कुंडली बनाई थी , और मैं उसी समय घोषणा कर दी थी , की महारानी से एक उत्तम , स्वस्थ पुत्र जन्म लेगा . लेकिन मुझे यह समझ नहीं आ रहा , कि मेरी भविष्यवाणी अचानक गलत कैसे हो सकती है ? इसलिए मैंने बहुत विचार किया . और इसीलिए मैं आपसे मिलने आया .
सुधीर बोला----------- तो आप हमसे क्या चाहते हैं ?


आखिर ऐसी क्या बात बताई पंडित जी ने सुधीर को . जिसे सुन कर सुधीर के साथ - साथ वहां खड़े हर एक एक शख्स के उड़ गए होश . जानना दिलचस्प होगा !
क्या यह श्रापित राज आज सबके सामनेजाएगा ? या फिर सुधीर , जिसने अपने अतीत के कुछ राजों को दबा कर रखा है . या फिर वह हमेशा - हमेशा के लिए पंडित जी का मुंह बंद कर देगा . यह तो हम जानेंगे कहानी के आने वाले भाग में !
फिलहाल आप लोग कमेंट सेक्शन में यह बताना ना भूलिएगा , की आपको कहानी का यह भाग कैसा लगा ?
!!.... धन्यवाद ....!!