बीस्ट: ए टेल ऑफ़ लव एंड रिवेंज - भाग 8 Rituraj Joshi द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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बीस्ट: ए टेल ऑफ़ लव एंड रिवेंज - भाग 8

बीस्ट: ए टेल ऑफ़ लव एंड रिवेंज

" एक श्राप से घिरी राजकुमारी "

Episode - 08


Episode 08 बीस्ट: ए टेल ऑफ़ लव एंड रिवेंज (Beast: A Tale of Love and Revenge) : " एक श्राप से घिरी राजकुमारी "


अब तक अपने पढ़ा---------------------


सभी ने सुधीर को काफी भारत भला बुरा कहा , क्योंकि सुधीर ने अपना यह सच किसी को नहीं बताया था , कि अवंतिका ने उसे श्राप दिया है . और अब तो हर कोई समझ रहा था कि होना हो खोट सुधीर में ही है


सुधीर वहां से गुस्से से अपने कमरे की तरफ चला गया .


अब देखना दिलचस्प होगा कि आखिर सुधीर के साथ क्या होता है ?


क्या अवंतिका की बद्दुआ और श्राप काम आता है ? आईए देखते हैं .....!


अब आगे-----------------


सुधीर को अब अपने किए का पछतावा हो रहा था . बार-बार अवंतिका का चेहरा उसके लिए श्राप की गूंज उसके कानों में गूंज रही थी . सुधीर समझ रहा था उस लड़की की दी गई बद्दुआ उसको यू लगेगी . जैसा कि अवंतिका ने उसे श्राप दिया था कि वह तिल - तिल करके मारेगा और मौत भी उसके पास नहीं आएगी . अब ठीक वैसा ही हो रहा था . सुधीर मौत की इच्छा कर रहा था , लेकिन मौत ने मानो उसके पास आने से साफ इनकार कर दिया . धीरे-धीरे समय बिता सुधीर की पहली पत्नी और दूसरी पत्नी सुधीर को छोड़कर हमेशा - हमेशा के लिए परिवारिक जीवन को त्याग कर चली गई .


इतने बड़े राजमहल में अब सुधीर अकेला रह गया . यही तो अवंतिका का श्राप था , कि वह कभी खुश नहीं रह पाएगा . हमेशा अकेला रहेगा . सुधीर इस बात से दिन प्रतिदिन मन ही मन में कुड़ता जाता . धीरे - धीरे अंदर ही अंदर उसे यह बात खाई जाती , कि उसने किसी के साथ बुरा किया था , तो उसके साथ अच्छा कैसे हो सकता था ?


समय अपनी गति से दौड़ता गया . फिर एक समय ऐसा आया जब सुधीर का राज्य पूरी तरीके से तबाह हो गया . कोई गंभीर बीमारी सुधीर का शरीर जकड़ लिया . चेचक नाम की बीमारी से उसके पूरे शरीर में छोटे-छोटे दाने होने लगे . और उन दोनों ने कब विकराल रूप ले लिया , पता ही नहीं चला . उसके शरीर के दानों पर अब कीड़े रहने लगे थे .


अवंतिका का श्राप सुधीर को आखिरकार लग ही गया . उसके पूरे साम्राज्य को भी इसी बीमारी ने जकड़ लिया. धीरे - धीरे हर कोई या तो राज्य छोड़कर चला जाता या फिर मौत को प्यारा हो जाता . अपने सामने सुधीर ने अपने पूरे साम्राज्य को नष्ट होते देखा था , जिसे वह सह नहीं पा रहा था . धीरे-धीरे उसके शरीर पर उन घाव के होने वह और ज्यादा लाचार और बेबस हो गया . जिस ऐश्वर्य के पीछे वह हमेशा भागा - फिरता था , आज वह ऐश्वर्य भी काम नहीं आ रहा था . कोई भी अब इस हालत में सुधीर के पास नहीं रहना चाहता था . सुधीर ने अपनी जिंदगी के आखिरी पल यूं ही दर्द में कराहते - कराहते काटे . लेकिन सुधीर कम नहीं था , उसने सोच लिया था कि वह अवंतिका के इस श्राप को हमेशा - हमेशा के लिए काट के रहेगा .


इसलिए उसने कुछ तांत्रिकों की सहायता ली . तांत्रिकों ने उसकी इस श्राप को काटने से तुरंत इनकार कर दिया , लेकिन सुधीर के बड़े मिन्नत करने पर तांत्रिकों ने उसे एक रास्ता बताया .


तांत्रिक बोले------- अगर अवंतिका के दिए श्राप का तोड़ उन्हें पता चल जाए , जो उसी की आत्मा ने एक सुरक्षित घेरे में बांधकर रखा है . तो शायद उसका यह श्राप कट सकता है और उसे तांत्रिक अपनी तंत्र विद्या से खत्म कर सकते हैं . लेकिन अवंतिका के श्राप का तोड़ मिलना मुमकिन नहीं था .


जब यह बात सुधीर ने तांत्रिकों को बताइए , तो वह इस बात पर बोल उठे की तो उनके हाथ में कुछ नहीं है . सुधीर को अपना पूरा जीवन इसी तरीके से व्यतीत करना पड़ेगा .


सुधीर हार मानने वालों में से तो नहीं था . इसलिए वह कोशिश कर रहा था , कि उसे कहीं से भी अवंतिका के श्राप का तोड़ मिल जाए . लेकिन हर जगह उसे निराशा ही मिल रही थी .


समय बिता गया और सुधीर के जख्मों पर अब कीड़े पड़ने शुरू हो चुके थे . वह कीड़े उसके जख्मों के सहारे धीरे-धीरे उसके शरीर के हर एक-एक हिस्से को खा रहे थे . जो सुधीर एक समय पर अपनी ताकत का लोहा मानवता था , आज वह किसी कोने पर असहाय रूप से पड़ा हुआ है . उसे अब अपनी करनी की सजा मिल रही है . वह बार-बार अवंतिका के श्राप को याद कर रहा था . और यह सोच रहा था , कि श्राप झूठे नहीं होते हैं .


सुधीर जोर से चिल्लाया और फिर बोला .


सुधीर बोला------------- अवंतिका ...! यह तुमने ठीक नहीं किया . तुमने मुझे श्राप तो दिया लेकिन साथ ही में तुमने मेरी पूरी पीढ़ी को खराब दे दिया . क्यों ...? क्यों किया तुमने ऐसा ..? क्यों...?


इतना सुनते ही अचानक थोड़ी ही देर में हवाओं ने अपना रुख बदला . जो हवाएं , जो मौसम इस समय साफ था . वह अचानक काले बादल और कई हवाओं से घिर गया .


तभी एक जोरदार हंसने की आवाज सुधीर को सुनाई दी . सुधीर ने इधर-उधर देखा , तो उसे कौन कोई ना दिखाई दिया . सुधीर जोर-जोर से चिल्ला रहा था .


सुधीर--------- कौन है...? कौन हंस रहा है ...? सामने आओ . अगर अपनी जिंदगी चाहते हो , तो सामने आओ ...! तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई ? हम पर हंसने की .


आ चुकी है अवंतिका की आत्मा और अब देखना दिलचस्प होगा , क्या अवंतिका की आत्मा सुधीर को माफ करती है ?

या फिर कहानी में आता है कोई नया मोड़ ! जो बदल के रख देगा इस पूरी कहानी के पटकथा को ! जानना दिलचस्प होगा .

आपको कहानी का यह भाग कैसा लगा ? कमेंट सेक्शन में कमेंट करके बताना ना भूलिएगा .


!!.... धन्यवाद ....!!