पागल - भाग 39 Kamini Trivedi द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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पागल - भाग 39

भाग –३९
मीशा ने खत को जोर से पढ़ना शुरू किया।

"डियर रावण,

तुम से बहुत प्यार करती हूं मैं , हमेशा से , जबसे तुम्हे देखा है तबसे, हर पल दुआ की तुम्हे पाने की। पागल कहते थे लोग मुझे , क्योंकि पागलों जैसा प्यार था मेरा। लेकिन बस तुम नहीं महसूस कर पाए।
मैं तुम्हारा सब सितम बर्दाश्त कर सकती हूं पर ये इल्जाम नही कि मैंने कल तुमसे जो संबंध बनाए थे वो मेरी भूख थी। वो मेरा प्रयास था तुम्हे हमेशा के लिए अपना बनाने का ।एक लड़की के लिए किसी को अपना शरीर दे देना आसान बात नहीं होती राजीव । रही बात मिहिर की तो उससे जब भी बात की तुम्हारे बारे में की मैं अपना फोन कमरे में छोड़ कर जा रही हूं उसमे देख लेना तुम सारी बाते है उसमे मैने कुछ डिलीट नही किया यहां तक की कॉल रिकॉर्डिंग्स भी है। सुन लेना । शायद तब समझ पाओ मेरे प्यार को ।
लेकिन अब मैं तुम्हारी जिंदगी से दूर जा रही हूं हमेशा हमेशा के लिए । मुझे ढूंढने की कोशिश मत करना । खुश रहना ,
अंत में बस इतना कहूंगी, मैंने अपनी जिंदगी में सिर्फ और सिर्फ तुमसे मुहब्बत की है ।
तुम्हारी
"पागल"
खत पढ़ते पढ़ते मीशा रोए जा रही थी।
कीर्ति राजीव को छोड़कर जा चुकी थी।
राजीव ने उसके कमरे में जाकर उसका फोन देखा वो वही पड़ा था उसका लोक खुला था।

उसने बाइक की चाबी उठाई और मेरे घर की और बाइक भगाई।

सम्राट अंकल ने भी मेरे पापा को घर पर फोन किया।
"भाई साहब कीर्ति आई है वहां?"
"नही भाई साहब लेकिन हुआ क्या?"
उतने में राजीव की बाइक घर के बाहर रुकी । पापा ने कहा , "भाईसाहब राजीव आया है मैं आपसे बाद में बात करता हूं"
"पापा, कीर्ति कहां है?" राजीव जल्दी से अन्दर आकर बोला।
"बेटा वो तो तुम्हारे घर होनी चाहिए ? क्या हुआ है ऐसा कहां है कीर्ति?" पापा ने घबराते हुए पूछा ।

कहां निकल पड़ी थी मैं ? क्या मैने आत्महत्या करने का सोच लिया था ? क्या मैं अपना जीवन खत्म कर देने वाली थी?
यही सब सोचकर मेरे पापा मम्मी भी परेशान हो रहे थे।
राजीव ने और सभी घर वालों ने मुझे ढूंढने की कोशिश की पूरा दिन दरबदर भटकते हुए राजीव थक कर घर लौटा । घर के बाहर सीढ़ियों पर बैठ गया । और जोर से मेरा नाम लेकर चीख पड़ा
"किर्तीई$$$" उसकी आवाज से सम्राट अंकल दौड़कर बाहर आए ।
"राजीव बेटा क्या हुआ संभालो अपने आप को"
"मुझे कीर्ति चाहिए अंकल , बहुत बड़ी भूल हो गई मुझसे , मैं जी नही पाऊंगा उसके बिना, वैशाली के कारण मुझे लड़कियों से और प्यार से नफरत होने लगी थी पर मैं समझ नही पाया हर लड़की वैशाली जैसी नहीं होती कुछ कीर्ति जैसी भी होती है जो दूसरों की खुशी की लिए अपनी जिंदगी दांव पर लगा देती है । अंकल मुझे कीर्ति लाकर दे दो , फिर मैं कभी उसे दुख नहीं दूंगा । "
मेरे पापा भी वही मौजूद थे, राजीव उनके पास जाकर बोला" पापा मुझे कीर्ति ला दो।" उसकी हालत देखकर घर के हर एक सदस्य की आंख में आंसू थे । सभी रोने लगे ।
मेरे पापा मम्मी भी फूट फूट कर रो रहे थे । उन्हे मीशा ने सारी सच्चाई बता दी थी।
"पता नही कहां चली गई मेरी बच्ची" मम्मी ने कहा और रोने लगी।

"बेटा कल हम जाकर पुलिस की मदद लेंगे अभी तू कुछ खा ले और कमरे में जाकर आराम कर । "रोहिणी आंटी ने कहा ।

"हिम्मत मत हारो राजीव बेटा , कीर्ति मिल जायेगी" मीशा के ससुर ने उसे सहारा देकर उठाया । और सभी को एक एक करके वो अंदर ले गए सभी को मीशा की सास और रोहिणी आंटी ने जबरदस्ती खाना खिलाया । कोई भी ठीक से नहीं खा पाया । किसी के गले से खाना उतार कहां रहा था।

खाना खाने के बाद राजीव को अचानक कुछ याद आया उसने अपना फोन निकाल कर एक कॉल किया दूसरी और फोन की स्क्रीन पर राजीव का नंबर देख कर निशी ने कहा
"कॉल नहीं उठाओगे तुम मिहिर"
"हो सकता है इसे कुछ काम हो"
"नही मिहिर प्लीज" निशी की बात मानकर मिहिर कॉल नही उठाता ।

अगले ही पल मिहिर की स्क्रीन पर कीर्ति नाम दिखता है।
मिहिर निशी से कहता है "इससे तुम बात करो"
"हेलो"
"हेलो , निशी , मैं राजीव "
"क्यों कॉल किया है तुमने यहां ? आइंदा कॉल मत करना " कहकर निशी ने फोन रख दिया ।
"कौन था?"
"राजीव , अब कीर्ति के फोन से फोन कर रहा है।"
"निशी मेरे खयाल से एक बार उसकी बात सुन लेना चाहिए ।"
फिर से फोन बजता है , निशी कहती है तुम ही बात करो।
मिहिर फोन उठाता है लेकिन कुछ कहे उसके पहले राजीव कहता है" निशी प्लीज फोन मत रखना प्लीज बात सुन लो" राजीव की परेशानी भरी आवाज से मिहिर भी घबरा कर पूछता है
"क्या हुआ राजीव?"
"मिहिर, मिहिर कीर्ति आई है क्या वहां?"
"कीर्ति ? यहां ?" मिहिर भौचक्का रह जाता है वो लोग तो वहां से निकल गए थे ना जाने उसके बाद क्या हुआ राजीव सोचने लगा।
"मिहिर वो,, कही चली गई है " कहते हुए राजीव रोने लगता है ।
"कहां चली गई है ? मिहिर ने निशी की और देखते हुए पूछा ।

"कुछ पता नही एक खत छोड़ गई है बस " राजीव ने रोते हुए कहा । हम आ रहे है वेट"कहते हुए मिहिर तेजी से उठा और बोला चलो निशी।
निशी ये समझ चुकी थी कि कुछ तो गलत हुआ है उसने रास्ते में मिहिर से पूछा तो मिहिर ने सारी बात उसे बता दी।
"वैसे तुम्हे कैसे पता चला कि कीर्ति ने कॉन्ट्रैक्ट मैरिज की है?"
"मैने तुम्हे परेशान देखा तो कीर्ति और तुम्हारी चैट्स पढ़ी थी। आई एम सॉरी पर मैं टेंशन में आ गई थी।" निशी ने कहा ।
"इट्स ओके" मिहिर ने कहा ।
वो लोग राजीव के घर पहुंच चुके थे।
क्या मिहिर जानता था मैं कहां हूं? क्या राजीव ढूंढ पाएगा मुझे ? क्या होगा आगे जानने के लिए इंतजार कीजिए अगले भाग का ।