पागल - भाग 37 Kamini Trivedi द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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पागल - भाग 37

भाग –३७

मैं सोचती थी कि शायद अब इसी से राजीव मेरे प्यार को समझ पाएगा और हमारे बीच सब ठीक होगा और ना भी हुआ तो मैं उसके बच्चे को लेकर उसकी जिंदगी से कहीं दूर चली जाऊंगी। मैं भले ऊपर से खुश दिखती थी ।लेकिन अंदर ही अंदर अब टूटने लगी थी । शादी को 6 महीने बीत चुके थे , राजीव के करीब रहने से मेरे प्यार में उसके लिए बस बढ़ोतरी ही हो रही थी । लेकिन वो निर्मोही समझता ही नही था ।

राजीव की पकड़ मुझ पर मजबूत होने लगी उसने मुझे बाहों में भरकर किस करना शुरू किया ।

राजीव ने फिर खुद को मुझसे दूर करते हुए कहा
"किट्टू , तुम अपनी जिंदगी किसी और के साथ शुरू करके बच्चा पैदा कर सकती हो। ये गलत है इससे तुम्हारी जिंदगी खराब हो जायेगी। यह कहकर वो कमरे से बाहर जाने लगा तो मैने दौड़कर उसे रोकते हुए कमरे का दरवाजा बंद कर दिया । और उसे बाहों में भरकर कहा
"राजीव प्लीज , आई नीड यू, प्लीज राजीव , मुझे प्यार चाहिए तुम्हारा , मुझे प्यार करो, मुझे परवाह नहीं किसी की , मुझे अब किसी के साथ नई जिंदगी नही शुरू करनी है । प्लीज ,राजीव , आई लव यू सो मच"
हां आज फाइनली मैने उसे अपने दिल की बात कह दी थी। मैं उसके आगे गिड़गिड़ा कर उसका प्यार मांग रही थी।
"तुम मुझसे प्यार करती हो?"राजीव को यकीन नही हो रहा था।
"हां" मैने उसे कहा और फिर उसे किस किया।
राजीव असमंजस में था वो क्या करे। कुछ देर के लिए उसका दिमाग ब्लैंक हो गया, फिर उसके दिमाग में अनेकों विचार आने लगे ।
"कीर्ति ने मेरे लिए बहुत कुछ किया है , मैं उसे ये खुशी भी नही दे पाऊंगा तो खुद को माफ नही कर पाऊंगा।लेकिन इस सबके बाद उसे छोड़ देना कितना गलत होगा।
पर मैं कीर्ति से प्यार नहीं करता हूं । उसके साथ जिंदगीभर में नही रह पाऊंगा।" वो ये सब सोच ही रहा था कि मैंने उसे लेजाकर फिर से बिस्तर पर धकेल दिया ।
और मैं राजीव के ऊपर बैठ गई । मैने राजीव के गले को चूमना शुरू कर दिया । वो बहकने लगा था । और मैं उसे और ज्यादा उकसाने और बहकाने में लगी थी। मैने उसके हाथों को उठाकर अपने सीने पर रख दिया ।
अब राजीव भी खुद पर काबू खो चुका था ।
देखते ही देखते कुछ पलों में उसके और मेरे बीच की तमाम दूरियां मिट गई । हम दोनों के शरीर पूरी तरह से एक दूसरे में इस तरह विलीन हो चुके थे कि देखने वाले को हम दो नहीं बस एक ही दिखाई दे।
राजीव का इस तरह मुझे प्यार करना मेरे जख्मों पर मरहम लगाने जैसा था। जैसे मेरी बरसो की प्यास को वो मिटा रहा था, मैं धीरे धीरे बहुत खुशी महसूस कर रही थी । दिमागी तौर पर रिलैक्स हो रही थी।
आखिर में राजीव थक कर मेरे दाई तरफ लेट गया । मैं उसके सर पर बहुत सारे किस करके नहाने चली गई।
वापिस लौटी तो राजीव कमरे में नही था । मैने सबके लिए खाना बनाया। मैं बहुत खुश थी । मुस्कुराए जा रही थी और उन पलों को याद कर रही थी जो मैने राजीव के साथ बिताए थे। शरीर में गुदगुदी सी होने लगती जब भी कुछ याद आता ।
राजीव रात को देर से घर आया । वह परेशान था ।मैं समझ चुकी थी कि वह मुझसे प्यार नही करता और जो हुआ उस वजह से वह बहुत परेशान है मैने सोच लिया था मैं अब राजीव से दूर हो जाऊंगी कॉन्ट्रैक्ट के समय के बाद मैं उसे छोड़कर चली जाऊंगी। मेरा दिल रोना चाह रहा था अपना सबकुछ देने के बाद भी मैं राजीव का प्यार ना पा सकी , ठगा सा महसूस कर रही थी मैं, आखिर मुझे ऐसी किस्मत देकर क्यों भेजा भगवान ने ।
दो दिन बाद मीशा को छुट्टी मिल गई । वो घर आई ।
आज राजीव फिर लेट घर आया और वह नशे में चूर था ।लड़खड़ाते हुए उसने मुझे आवाज दी। मैं जब बाहर आई तो राजीव की नजर सोफे पर बैठे मिहिर पर पड़ी।

"ओह, तो तुम यहां मौजूद हो?"
मिहिर को कुछ समझ नही आया ना ही घर में और किसी को कुछ समझ आ रहा था । जीजू के मम्मी पापा सोने के लिए जा चुके थे । जीजू और मीशा भी अपने कमरे में थे। बाहर मिहिर ,सम्राट अंकल और रोहिणी आंटी थे राजीव की आवाज से मैं बाहर आई। मेरे साथ निशी रसोई में बाकी बचे कामों में हाथ बंटा रही थी। वो भी बाहर आई।

"मिहिर , मिहिर, मिहिर, एक बीवी घर में तो रखी है और अपनी गर्लफ्रेंड से मिलने आए हो?"
"ये क्या बकवास कर रहे हो राजीव?" मिहिर ने गुस्से में खड़े होते हुए कहा ।
"हां मैने सुना था , जब हमारी शादी साथ हो रही थी तब तुमने कीर्ति को खींचकर अकेले में ले जाकर उससे कहा कि ये शादी मत कर, उसके बाद कीर्ति का तुझे फोन करके बताना जो भी हमारे बीच की बातें है। हनिमुन पर भी वो मेरे साथ बीच घूमने नही आई तुझे कॉल करने कमरे में रुकी थी , और भी कई बार ऐसा हुआ , मेरे आते ही कीर्ति तुझ से साइड में जाकर बात करती है । क्यों? तुझे कीर्ति से प्यार था तो निशी से शादी क्यों की?"
"राजीव" मिहिर ने उसे जोर से चिल्लाते हुए कहा ।
"चिल्लाने से सच्चाई नहीं बदलेगी मिहिर"
घर के शोर से सभी अपने अपने कमरों से बाहर आ चुके थे। मीशा को जीजू सहारा देकर बाहर लेकर आए। हालाकि उसकी हालत अच्छी नहीं थी लेकिन आवाज से परेशान होकर उसने ज़िद की।

"राजीव तुम ये सब क्या कह रहे हो?" मैने आंखों में आंसू लिए उससे पूछा ।

क्या होगा आगे अब? क्या राजीव की गलातफेमी दूर कर पाएगा मिहिर? या उंगलियां उठेगी मेरे चरित्र पर?