द सिक्स्थ सेंस... - 23 रितेश एम. भटनागर... शब्दकार द्वारा थ्रिलर में हिंदी पीडीएफ

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द सिक्स्थ सेंस... - 23

जहां एक तरफ राजवीर के कमरे में आने की आहट सुनकर सुहासी ने उसकी डायरी को बंद करके वैसे ही टेबल पर रख दिया था जैसे वो पहले रखी थी वहीं दूसरी तरफ राजवीर कैन्टीन से सबके खाने के लिये कुछ फ्लेवर्ड ब्रेड केक्स, स्नैक्स और कॉफी ले आया था|

राजवीर के कमरे में आते ही अपने बिस्तर पर आंख बंद करके लेटा जुबैर तुरंत उठकर बैठ गया, राजवीर के हाथों में खाने पीने की चीजें देखकर उसकी आंखो में एक अलग ही चमक आ गयी, जुबैर को ललचायी हुयी नजरों से उन चीजों की तरफ देखते देख राजवीर बोला- हां हां तेरे लिये ही लाया हूं, जो चीज डॉक्टर ने कही है तुझे देने के लिये वही चीज लाया हूं सिवाय इन स्नैक्स के, ये मेरे, सुहासी और वार्डन सर के लिये हैं!!

राजवीर की बात सुनकर जुबैर बच्चों की तरह मुंह बनाकर बोला- म्म्म्म् मुझे भी खाने हैं स्नैक्स प्लीज!!

जुबैर की बात सुनकर सुहासी बोली- नहीं बिल्कुल नहीं, अभी कल तबियत खराब हो चुकी है ना तो जो डॉक्टर ने कहा है खाने के लिये सिर्फ वही खाना है!!

सुहासी की डांटते हुये कही गयी ये बात सुनकर जुबैर मुंह बनाकर चुपचाप ब्रेड केक खाने लगा!!

आधे घंटे हो चुके थे इसलिये सुहासी जुबैर से बोली- ज़ुबी मैं जा रही हूं अपना ध्यान रखना और कुछ भी उल्टा सीधा नहीं खाना है ओके!! मैं राजवीर से पूछुंगी और अगर उसने कुछ भी बताया कि तूने कुछ उल्टा सीधा खाया है तो मैं तुझसे कभी बात नहीं करूंगी!!

जुबैर को समझाकर सुहासी ने बहुत प्यारी और प्यार से भरी नजरों से राजवीर की तरफ देखा और उससे बोली- मैं जा रही हूं राजवीर..!!

राजवीर ने कहा- हम्म्म् ओके, चलो मैं तुम्हे नीचे गेट तक छोड़ देता हूं!!

इसके बाद राजवीर और सुहासी दोनों रूम से बाहर आ गये, रूम से बाहर आने के बाद वो दोनों बिना कुछ बोले बिल्कुल चुपचाप नीचे की तरफ जाने लगे, जहां एक तरफ राजवीर थकान की वजह से चुप था वहीं दूसरी तरफ सुहासी के मन में राजवीर को लेकर एक अजीब सी ही बेचैनी हो रही थी, बार बार उसका मन कर रहा था कि वो अपने साथ चल रहे राजवीर को एक बस एक और बार देख ले, वो बार बार अपना सिर हल्का सा राजवीर की तरफ करती और उसको एक झलक देखकर ब्लश करके नीचे की तरफ देखने लगती, उसके मन में राजवीर के लिये कुछ अलग तरह की ही मीठी मीठी सी फीलिंग्स पनप रही थीं.. वो इसलिये चुप थी!! ऐसे ही चुपचाप दोनों बॉयज हॉस्टल के बाहर आ गये!!

चूंकि कॉलेज कैम्पस काफी बड़ा था इसलिये बॉयज और गर्ल्स हॉस्टल कैंपस में ही थोड़ी दूर वॉकिंग डिस्टेंस पर ही बने थे, बॉयज हॉस्टल से बाहर आने के बाद सुहासी थोड़ा शर्माते हुये राजवीर की तरफ देखकर बोली- अम्म् ओके राजवीर मैं चलती हूं!!

राजवीर ऊपर रूम से लेकर नीचे गेट पर आने तक कुछ बोला तो नहीं लेकिन वो भी शायद सुहासी के दिल से निकल रहीं लव वाइब्स को अपने दिल पर महसूस कर रहा था इसलिये सुहासी के इस अलग अंदाज में वहां से जाने के लिये कहने पर वो सुहासी की तरफ बहुत प्यार से देखकर मुस्कुराया और बस "हम्म्!!" बोलकर उसकी तरफ देखने लगा!!

राजवीर को इतने प्यार से अपनी तरफ देखते हुये देखकर सुहासी ने मुस्कुराते हुये अपना सिर नीचे किया और फिर अपने बालों को अपने कान के पीछे करके फिर से उसकी तरफ देखते हुये बोली- जुबैर का ध्यान रखना, अम्म् औऔर अपना भी!!

सुहासी के दिल में राजवीर के लिये जो उमड़ रहा था वो उसके गोरे चेहरे पर लालिमा बन कर साफ दिखाई पड़ रहा था, सुहासी का गोरा चेहरा हल्का हल्का गुलाबी होने लगा था!!

उसने राजवीर से अपनी बात कहकर फिर से उसकी तरफ प्यार भरी शर्मायी हुयी सी नजरों से देखा और "अच्छा चलती हूं!!" कहकर धीरे धीरे कदमों से वहां से जाने लगी, राजवीर को सुहासी के बात करने का तरीका बहुत अच्छा लग रहा था उसके मन में भी एक अजीब सी सिहरन होने लगी थी, सुहासी धीरे धीरे करके उससे दूर जा रही थी और वो वहीं खड़ा उसे बस देखता जा रहा था, दूर जाते जाते एक जगह ऐसी आयी जहां से सुहासी को अपने हॉस्टल के लिये मुड़ना था, उस मोड़ पर पंहुचकर सुहासी चलते चलते रुकी और झटके से उसने पीछे की तरफ देखा तो राजवीर उसे वहीं उसी जगह पर खड़ा दिखाई दिया जहां वो उसे छोड़कर आयी थी, राजवीर को वहां खड़े होकर अपनी तरफ देखते हुये देखकर सुहासी ने धीरे से अपना हाथ हिलाकर उसे बाय किया और मुस्कुराने लगी, सुहासी की तरफ से आये इस प्यार भरे रियेक्शन को देख कर राजवीर मन ही मन जैसे उछल सा गया और उसने भी सुहासी को मुस्कुराते हुये बाय का इशारा कर दिया!!

इसके बाद सुहासी उस मोड़ से अपने हॉस्टल जाने के लिये मुड़ गयी और राजवीर अपने मन में सुहासी की लव वाइब्स को महसूस करते हुये हॉस्टल के अंदर आ गया!!

क्रमशः

Love is in the air!!