द सिक्स्थ सेंस... - 24 रितेश एम. भटनागर... शब्दकार द्वारा थ्रिलर में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • आखेट महल - 19

    उन्नीस   यह सूचना मिलते ही सारे शहर में हर्ष की लहर दौड़...

  • अपराध ही अपराध - भाग 22

    अध्याय 22   “क्या बोल रहे हैं?” “जिसक...

  • अनोखा विवाह - 10

    सुहानी - हम अभी आते हैं,,,,,,,, सुहानी को वाशरुम में आधा घंट...

  • मंजिले - भाग 13

     -------------- एक कहानी " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ...

  • I Hate Love - 6

    फ्लैशबैक अंतअपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर...

श्रेणी
शेयर करे

द सिक्स्थ सेंस... - 24

राजवीर के दिल में तो सुहासी पहले ही काफी जगह बना चुकी थी पर आज सुहासी को भी अपने दिल में राजवीर के लिये एक खास जगह का एहसास हो गया था!!

सत्रह अट्ठारह साल की कच्ची उम्र का पहला प्यार वैसे भी लाजवाब होता है क्योंकि ये वो उम्र होती है जब पहली बार अपना दिल अपने अंदर किसी और के लिये धड़कते हुये शरीर में एक अजीब सी सिहरन पैदा करता है... एक अनजान, बेचैन और बेकरार कर देने वाली सिहरन!!

मन बेचैन होता है और उसे अपने सामने देखने के लिये बेकरार होता है,
आंखों में नींद नहीं और बस मिलने का इंतजार होता है.. हां पहला प्यार जब होता है तो धड़कनें बहुत तेज चलती हैं और दिल ऐसे ही परेशान होता है!! हैना..??

और आज सुहासी को भी उसका दिल ऐसे ही बेचैन और परेशान कर रहा था, वो सोने के लिये अपने बिस्तर पर लेटी तो थी लेकिन आंखे बंद करते ही उसके सामने राजवीर की डायरी में लिखी बातें जैसे घूमने सी लगती थीं और वो अकेले में ही ब्लश करके शर्माते हुये अपना मुंह अपने तकिये से छुपा लेती थी, बार बार घड़ी की सुइयों की तरफ देखकर सुबह होने का इंतजार करते करते उसे कब नींद आ गयी उसे कुछ पता ही नहीं चला!!

अगले दिन सुबह राजवीर जैसे ही क्लास में पंहुचा तो उसने देखा कि सुहासी पहले से ही अपनी बेंच पर बैठी हुयी है, उसने आज रेड कलर का बहुत ही प्यारा फर का सॉफ्ट सा जैकेट पहना हुआ है और रेड कलर की ही वूलेन कैप लगायी हुयी है, सुहासी वैसे ही इतनी क्यूट लगती थी ऊपर से उसका आज का Attire उसे बला की खूबसूरत बना रहा था, राजवीर ने उसे देखा तो बस देखता ही रह गया कि तभी सुहासी ने अपनी बेंच पर बैठे बैठे ही उसे "हाय राजवीर गुड मॉर्निंग..!!" कहते हुये आवाज लगायी, सुहासी के हाय का जवाब देते हुये राजवीर जब उसकी बेंच की तरफ बढ़ा तो सुहासी ने बहुत ही प्यारे और ग्रेसफुल तरीके से अपने छोटे छोटे हाथों से उसे अपने बगल में बैठने का इशारा किया और उसकी तरफ देख कर मुस्कुराने लगी, सुहासी की मुस्कुराहट में अपने लिये प्यार का एसेंस महसूस करके राजवीर को अजीब सी बेकरारी सी महसूस होने लगी और वो भी मुस्कुराता हुआ सुहासी के बगल में जाकर बैठ गया!!

राजवीर भले अमीर मां बाप का बेटा था, भले हमेशा से को-एड बोर्डिंग स्कूल में पढ़ा, भले उसकी कई सारी लड़कियों से दोस्ती थी लेकिन सुहासी के साथ में, उसकी हर बात में जो प्योरिटी राजवीर को महसूस होती थी वो पहले कभी किसी के साथ में नहीं महसूस हुयी थी , राजवीर तो पहले से वैसे ही सुहासी को पसंद करता था लेकिन कल से सुहासी की तरफ से जो लव वाइब्स उसे महसूस हो रही थीं उसकी वजह से सुहासी के सामने आते ही उसे भी अजीब सी खुशी महसूस हो रही थी!!

सुहासी ने अपने बगल में बैठे राजवीर से पूछा- जुबैर नहीं आया, अब ठीक है ना वो?

राजवीर ने कहा- हां अब ठीक है लेकिन डॉक्टर ने उसे दो दिन के बेड रेस्ट के लिये बोला था ना इसलिये वो रूम पर ही है, परसों से आयेगा!!

सुहासी और राजवीर अपनी बातचीत शुरू कर ही रहे थे कि तभी क्लास में टीचर आ गये और क्लास शुरू हो गयी, क्लास के दौरान सुहासी और राजवीर एक दूसरे से बात तो नहीं कर पा रहे थे लेकिन वो दोनों बार बार एक दूसरे से अपनी अपनी नजरें चुराकर एक दूसरे को देखने की कोशिश जरूर कर रहे थे, नजरें चुराकर एक दूसरे को देखते वक्त कभी दोनों की नजरें अगर मिल जातीं तो एक दूसरे को देखकर वो दोनों स्माइल करते और फिर सामने देखने लगते!! दोनों के बीच में बोले गये शब्दों का आदान प्रदान तो नहीं हो रहा था लेकिन दोनों की आंखों ने जरूर एक दूसरे से काफी कुछ कह दिया था, ऐसा लग रहा था जैसे दो दिलों में जली चिंगारी अब धीरे धीरे आग की शक्ल ले रही थी, सुहासी को राजवीर के साथ से ना सिर्फ सुकून मिल रहा था बल्कि वो जैसे मजबूर सी हुयी जा रही थी उस पर आंख बंद करके भरोसा करने के लिये!!

सच में ऐसा लग रहा था जैसे कोई बहुत गहरा कनेक्शन था उन दोनों के बीच जो उन्हे एक दूसरे के करीब आने के लिये मजबूर कर रहा था!!

क्रमशः