द सिक्स्थ सेंस... - 22 रितेश एम. भटनागर... शब्दकार द्वारा थ्रिलर में हिंदी पीडीएफ

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द सिक्स्थ सेंस... - 22

क्लासेज़ खत्म होने के बाद वादे के मुताबिक राजवीर सुहासी को लेकर बॉयज हॉस्टल चला तो गया लेकिन वो ये भूल गया था कि बॉयज हॉस्टल में लड़कियों को एंट्री अलाउड नहीं है!!
राजवीर सुहासी को लेकर जैसे ही हॉस्टल के गेट के अंदर घुसा वैसे ही गेट के ठीक अंदर किसी दुकान के काउंटर जैसे एक स्पेस में बैठे हेड वार्डन ने आवाज लगाते हुये सुहासी से कहा- Excuse me miss!! U can not go inside the boys' hostel!! Dont you know this?

उस वार्डन के आवाज लगाने पर सुहासी पलटी और रिक्वेस्ट करते हुये उससे बोली- Sir i am sorry and i know that i can not go inside boys' hostel but my childhood friend Zubair is not well and i am very much worried about him, he is like family member for me, please sir allow me just for half an hour please sir!!

सुहासी को इस तरह रिक्वेस्ट करते देख राजवीर ने भी उस वार्डन से कहा- Yes sir she is right she will stay here just for half an hour and you also know that our friend Zubair is not well and also an other warden sir is there in the room so please sir allow her!!

चूंकि वो वार्डन जानता था कि जुबैर की तबियत खराब है और राजवीर सही कह रहा है कि एक और वार्डन उसके रूम में है इसलिये उसने राजवीर और सुहासी की रिक्वेस्ट मानते हुये उन्हें आधे घंटे के लिये रूम में जाने की परमीशन दे दी जिसके बाद वो दोनों बिना टाइम वेस्ट किये रूम में चले गये|

दवाइयों के असर की वजह से जुबैर अपने बेड पर आंखे बंद करके लेटा शायद सो रहा था, कमरे में आते ही सुहासी ने जैसे ही जुबैर को देखा वैसे ही वो "ज़ुबी कैसी तबियत है अब..!!" बोलकर उसे हिलाने लगी, सुहासी की आवाज सुनकर अपनी आंखे बंद किये हुये लेटे जुबैर ने आंखे खोलकर उसकी तरफ देखा और बहुत बुझी बुझी तरह से मुस्कुराने लगा, उसके चेहरे से साफ दिख रहा था कि तबियत खराब होने की वजह से वो शायद कमजोरी महसूस कर रहा था लेकिन इससे पहले कि सुहासी उससे कुछ कह पाती वो उसे देखकर खुद ही बड़े अलसाये और कमजोर से लहजे में बोला- बहुत भूख लगी है यार सुहासी, कल रात से कुछ नहीं खाया!!

जुबैर की ये बात सुनकर सुहासी बोली- अच्छा.. तूने कल रात से कुछ नहीं खाया और कल रात में मेस में मेरे साथ बैठकर तू डिनर कर रहा था उसका क्या?

जुबैर बड़ी मासूमियत से बोला- हां पर वो तो कल ही निकल गया ना वोमैटिंग में..!!

जुबैर की बात सुनकर पास ही खड़ा राजवीर बोला- चलो मैं तुम दोनों के लिये कुछ ले आता हूं खाने के लिये|

अपनी बात कहकर राजवीर सुहासी को देखकर मुस्कुराया और वहां से कुछ खाने के लिये लेने चला गया, उसके जाने के बाद जुबैर सुहासी से बोला- सुहासी राजवीर अच्छा है यार, कल रात से एक मिनट के लिये भी उसने मुझे अकेला नहीं छोड़ा, सुबह भी जब ये मुझे लेकर हॉस्टल आ गया तभी ये कॉलेज गया और पता है रात में मैंने यहीं रूम में वोमेटिंग कर दी थी और थोड़ी सी इसके ऊपर भी...!! पर ये बिल्कुल गुस्सा नहीं हुआ बल्कि बड़े प्यार से इसने मुझे संभाला और कुल्ला कराने के बाद सारा रूम साफ किया, उसके बाद भी जब मेरी तबियत नहीं ठीक हुयी तब इसी ने वार्डन से कहकर मेरे हॉस्पिटल जाने का इंतजाम किया!!

जुबैर की ये बात सुनकर सुहासी जो पहले से ही अपने दिल के किसी कोने मे़ राजवीर के लिये जगह बना चुकी थी.. वो राजवीर के बारे में ये सब सुनकर उसके लिये और जादा अच्छा फील करने लगी थी, जुबैर की बात सुनकर सुहासी उससे बोली- अच्छा अब जादा बात मत कर, आंखे बंद करके लेट, पहले कुछ खा ले फिर बात करना!!

जुबैर को चुपचाप लेटने का कहकर सुहासी भी आराम से बैठ गयी और राजवीर के बारे में सोचकर मुस्कुराते हुये इधर उधर देखने लगी कि तभी उसकी नजर जुबैर और राजवीर के बेड के बीच में रखी टेबल पर रखी एक डायरी पर पड़ी, शायद ये राजवीर की ही डायरी थी, सुहासी ने ऐसे ही बड़े कैजुयली वो डायरी उठायी तो उसने देखा कि उस डायरी के बीच में एक पन्ने में एक पेन फंसा हुआ है शायद कुछ लिखने के बाद राजवीर ने वो पेन उसी पेज पर लगा दिया था, सुहासी ने वो पेज खोलकर देखा और उसमें जो लिखा था उसे पढ़ने के बाद वो ब्लश करने लगी और अपने होठों को अपने दांतो से दबाकर मुस्कुराने लगी फिर थोड़ी देर बाद जब उसे राजवीर के आने की आहट महसूस हुयी तो उसने वो डायरी वैसे ही रख दी जैसी वो टेबल पर रखी हुयी थी!!

क्रमशः