इश्क. - 14 om prakash Jain द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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इश्क. - 14

सिम्मी आज शेखर से एक गार्डन में मिलता है सिम्मी के आंखों में आंसू है ।और बहुत उदास दिखाई दे रही है। शेखर सिम्मी को देखकर कहता है -
भाभी आप मेरे रहते चिंता ना करें मैं आपका शुभचिंतक हूं ।आपका दर्द मैं जानता हूं।
शेखर -वेदांत भैया आपसे बहुत प्यार करते हैं ,वह अभी राज प्रोडक्शन कंपनी मुंबई में फिल्म निर्माण करने को जाने वाले हैं। राज सर उसे बुला रहैं है ।उनके टैलेंट को देखकर अंधेरी में एक बंगला भी बुक कर दिया है। मैं सोचता हूं कि आप दोनों जल्द ही शादी कर ले ।
नहीं शेखर भैया मेरे घर वाले इतना जल्दी मानने वाले नहीं है। मैं इसीलिए बहुत उदास रहती हूं ,कहीं शेखर मेरे जीवन से ना दूर हो जाए क्या करूं मेरे पिताजी का बुद्धि विनाशकारी को जन्म दे रहा है ।केवल एक ही रट लगाकर बैठा है कि मैं उस चपरासी के बेटा को शादी कर लूं ।आप कुछ करो मेरे माता-पिता अमेरिका वाली सहेली से मिलना चाहते हैं। मैं अमेरिका वाली सहेली कहां से लाऊं ।
आप चिंता ना करें भाभी अमेरिका वाली सहेली मिल गई है।
ठीक है आप कल अमेरिका वाली सहेली को लेकर घर आ जाना ।
अच्छा ओके।
इसी समय वेदान्त का फोन आता है।
हेलो !शेखर तुम जल्दी मेरे बंगले में आओ। कहां हो तुम ।
मैं एक अर्जेंट मीटिंग में हूं शेखर ,वेदान्त से कहता है ।आने में समय लगेगा ,क्या बात है सिम्मी की याद आ रही है क्या ।
हां,बहुत याद आ रही है उनकी ।तुम शाम को सिम्मी से मिलने वाले थे क्या हुआ ।
सिम्मी मेरे सामने है ।बात करो ।
वेदान्त हैलो !सिम्मी ,आई लव यू। सिम्मी रोने लगती है ।
क्यों रो रही है तुम ,मैं हूं ,ना शेखर है ना ,सब ठीक हो जाएगा ।कल आपके पिताजी से मिलने आएंगे आपके हाथ मांगने ।सिमी केहती है -
नहीं अभी तुम मत आना अभी मेरे पिताजी का दिमाग ठीक नहीं है । मुझसे बहुत नाराज है ।चपरासी के बेटे से शादी करना चाहते हैं। मैं क्या करूं रात की नींद उड़ गई है मेरी ।मां भी पिताजी के पक्ष ले रहे हैं। मां को भी हम दोनों के प्रेम की जानकारी नहीं है ।मैं बहुत डर गई हूं अब क्या होगा।हम दोनों का प्यार घर वाले जान जाएंगे तब । तुम ही बताओ मैं मर जाउंगी। तुम मेरे दिल में बस गई हो ।वेदान्त कहता है-तुम मेरे रहते चिंता मत करो ।मैं किसी कंपनी के चपरासी बन जाऊंगा फिर आपके हाथ मांगने आपके पिताजी से आ जाऊंगा ।
वेदान्त तुम बकवास मत करो मुझे मजाक अच्छा नहीं लगता ।मेरा दिल में बहुत पीड़ा होती है।फोन कट हो जाता है ।शेखर सिम्मी से कहता -
है मैं कल अमेरिका वाली सहेली को लेकर आऊंगा आपके घर बाबूजी को बता देना ठीक है ।
जल्दी आना कोई गड़बड़ ना हो जाए।
शेखर कहता है- मैं संभाल लूंगा आप दोनों का प्यार एक न एक दिन आपके माता-पिता को मालूम चल ही जाएगा और आपके घर में भूचाल आना तय है। अंत में प्यार का जीत ही होता है। डरना मत ।
शेखर भैया आपके साथ हूँ ,नहीं डरती।
शेखर ,वेदांत मुंबई जाना क्यों जानाचाहता है। यहां उनका तो काम अच्छा चल रहा है। डाली की बहुत नाम हो रही है ।उनका फिल्म तो सुपरहिट हो गया है। मोना को क्यों निकाल दिया बहुत सुशील नाइका थी। मैं तो उनकी फैन भी हूं।
ठीक है ,भाभी में ये सब बिजनेस की बात है। राजसर वेदान्त से कह चुका है वह सिम्मी को लेकर हमारे अंधेरी वाले बंगले में रह सकते हैं ।
सिम्मी कहती है मैं मुंबई जाऊंगी। वह मजा आ जाएगा ।मेरी तो भाग ही खुल गई है। बाबूजी क्यों नहीं समझते मैं कैसे बताऊं अपने दिल के बाद को। रूढ़िवादी है वह पुराने ख्याल के हैं अपने को बहुत आशा वादी समझते हैं।