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इश्क. - 3

शेखर -सिम्मी से भाभी मत आना तुम ।अब सेचुवेसन बदल गया है ।मैं तुम्हें लेने आधे रस्ते तक लेने पहुँच गया हूँ ।तुम घर वापस चले जाइये ।अब फ़िल्म की गति बदलने लगी है ।वेदांत दीवाना हो गया है ।क्यों ,कैसे ।तुम ही पूछ लेती तो भला है ।हम कहा दे तो हमारा कचूमर ही निकाललेगा ।बात करती हूं ।ओके भाभी।तुम स्वीट बाय हो ।शेखर बहुत खुश होता है ।मन ही मन सोचता है ।वेदांत का मजा चखाऊउंगा ।भाभी तुम न आये तो बढ़िया।करनाल की पहाड़ी जंगलो से धिरी हुई है ।जंगली जानवरों का दिन में ही डर बना रहता है ।शेखर मैं वापस नहीं जाऊंगी।निकल चुकी हूं वेदांत से मिलने न मेरा पैर रुक रहा है ना मेरा मन ।तुम कहाँ हो ।मैं बिच रास्ते में ।भाभी आज सूटिंग केंसल हो गया है।क्यों??तुम्हें कौन बताया ।वेदांत के मूड आज खराब हो गया है ।उसका हीरोइन भाव खा रही है । सिन ही नहीं दे रही है ।डाइरेक्टर के साथ मेरा बहुत बहस हुआ है ।क्यों करता है बहस ।वेदांत के बेवकूफी से मुझे लड़ना पड़ता है ।वेदांत एक नंबर की कामचोर है ।दो कौड़ी हीरोइन के पीछे खिंचे जा रहा है।सच मे शेखर।भाभी क्या मैं कभी झूठ बोला हुँ।नहीं मैं कुछ नहीं सुनती आ रही हूं मैं।मुझे जानवर खा जाए कोई परवाह नहीं है ।भाभी, सूटिंग करने पहाड़ी के नीचे करने आये थे।परंतु सब डिसमिस हो गया ।भाभी तुम वापस जाओ मैं वही मिलता हु।गरमा गरम चाय पीटें है ।ठीक ,तुम कहते हो तो मैं मान जाती हूँ ।

वेदांत -शेखर तुम कहाँ हो।अरे यार भाभी बहुत नाराज है तुम से।क्यों ??तुम ही पूछ लो ।तू जलदी आ हम कुझ रोमांस सीन करने जा रहे है ।भाभी नहीं आ रही है।वापस हम रेस्टोरेंट में चेपी रहें है।तेरे करतूती से बहुत नाराज हैं ।कौन?? और कौन भाभी।अरे तू उल्टा सीघा पाठ पढ़ कर सुनाया होगा ।नालायक दरिद्र।कब सुधरेगा ।मैं सुघरा हूँ तुम सुघरना ।अरे यार तू जल्दी नाराज हो जाता है ।लाइन में आया न ।बता तो ।क्या।सीम्मी क्यों नाराज हैं।बोल रही थी वेदांत उस हीरोइन के पीछे फिदा हो गया है ।मैं मर जाऊंगी।किसने बताया।मुझे क्या मालूम ।तू मुझे पागल कर देगा ।सीम्मी-शेखर तू हनुमान से कम नहीं ।वेदांत तेरा पक्का दोस्त है ।हाँ भाभी।तुम जितना प्यार करते हो वेदांत से उससे ज्यादा मैं उस लफंगे से नफरत करता हूँ ।तुम दोनों की केमिस्ट्री मुझे कुझ समझ नही आई ।न समझो तो अच्छा है ।भाभी, तुम एक पागल से प्यार कर के पसतायेगी ।क्यां करू ,वेदांत मेरे दिलो में ,सांसो में बस गई है ।

वेदांत-हेलो सीम्मी ,मुझे तुम से बात नहीं करना है ।तुझे क्या हो गया ।मेरा दिल चुरा कर ,उस हीरोइन से नजर ...आगे क्या कहूँ सरम आता है ।समझ गया ओ दुष्ट हनुमान की कारस्तानी है ।आज रात को उसका कीमा बनाकर कुत्तो को खिलाऊंगा।एक कुत्तों को नहीं पूरी बसती की कुकुरो को दावत दूंगा ।कीमा के साथ बिरयानी भी रहेगा ।तुम क्यों नहीं आई।मैं तेरा इंतिजार कब से कर रहा हूँ ।रोमांस सिन की सूट भी करने की तैयारी में है।करो उस मेढकी के साथ ।ईश्क़ भी लड़ाओ।सीम्मी तू पागल गई है क्या ।हाँ।शेखर से बात करा ।हाँ वेदांत भैया मेरा क्या गलती है।जैसा तू बोल रहा था वही भाभी को बताया है।तेरे सूटिंग के चक्कर मे भाभी को जंगल झाड़ी में बिना मतलब की परेसान करता ।उस छिपकिल्ली हीरोइन को देख कर बम हो जाती ।मेरा नाम को उस हीरोइन के साथ क्यों जोड़ता है।मैं इतना गिरा इंसान हूं ।अच्छा मिर्चि लगी तो मैं क्या करूँ ।अबे तेरा मुरब्बा बना दूँगा।ढोंगी पंडित नेहरू का औलाद ।ठीक है ठीक है ,मैं भाभी को घर छोड़ आता हूँ ।तुम जैसा छिछोरा नहीं हूं ।तेरा मैं खून पी जाऊंगा ।बताऊँ भाभी को ।सॉरी यार तुम से चेटिंग कर रहा था ।तू एक काम कर सीम्मी को शॉपिंग करा दे ,जल्दी भेज 20 हजार ए टी एम में ।10 मेरा कीमा बिरयानी और वाइन का ।सीम्मी को पता चलेगा तू दारू पीता है ।तेरा क्या बुरा हाल करेगी तू सात जन्म में भी नहीं सोचा होगा ।मुझे तू मत बोल मुझे चिढ़ लगता है तुमसे ।

डाइरेक्टर -वेदांत सर आप के साथ काम करने से बहुत मजा आता है ।चुप ,तुझे मजा सुध रहा है ,मेरा कीमा बन रहा है ।समझा नहीं सर।न समझो तो अच्छा है ।सर अब मैं समझ गया ,ये हमारी हीरोइन मोनिका ज्यादा ही अकड़ दिखा रही है ।इसे निकाल देता हूँ ।आप चिंता न करे ।एक अच्छी लड़की देखता हूँ ।आप का भी सेवा करे ।अबे डाईरेक्टर शेखर क्या बिगाड़े है बेचारा ।

मोनिका-वेदांत सर मेरी कारण से आप का मूड बहुत खराब हो गया है ।समझता हूं ।आप का छोड़ा नुकसान हुआ है ।और सूट में होना ही चाहिए।सॉरी सर माफ कर देना ।उस डाइरेक्टर के विहेवियर से हुआ है ।मैं आप का मूड ठीक कर देति हूं ।सर मैं आप के सेवा के लिए उस खसूट डाइरेक्टर को कभी मना नहीं किया है ।आप को मिस गाइड किया है ।मुझसे जबरदस्ती अपने मन की काम को मनवा रही थी। वेदांत-वेरी गुड मोनिका ।हैम बहुत खुश है ।एक लड़की को अदाकारी के साथ ये गुण भी होना चाहिए।तभी अभिनेत्री तरक्की रातों रात कर सुपर स्टार बन जाती है ।अब समझा मैं ।रात -दिन कोल्हू के बैल जैसा काम करते रहता हूँ ।

राज का काल--हेलो मिस्टर वेदांत ,तुम्हारे स्क्रिप्ट पर काम चालू हो गया है ।वेरी इंटरेस्टिंग जॉब ।काम करने में बहुत मजा आ रहा है ।गजब के कहानीकार और लेखक हो जी।तुम्हे तो बॉम्बे के माया नगरी में होना था ।तुम छालीवुड को सीने में लगा कर कब तक बैठे रहोगे ।एक ने काम लिया सब की बात नही है ।


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