इश्क - 1 om prakash Jain द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • अनोखा विवाह - 10

    सुहानी - हम अभी आते हैं,,,,,,,, सुहानी को वाशरुम में आधा घंट...

  • मंजिले - भाग 13

     -------------- एक कहानी " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ...

  • I Hate Love - 6

    फ्लैशबैक अंतअपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर...

  • मोमल : डायरी की गहराई - 47

    पिछले भाग में हम ने देखा कि फीलिक्स को एक औरत बार बार दिखती...

  • इश्क दा मारा - 38

    रानी का सवाल सुन कर राधा गुस्से से रानी की तरफ देखने लगती है...

श्रेणी
शेयर करे

इश्क - 1

वेदांत बीस बरस में बहुत तरक्की कर लिया है ।फ़िल्म निर्माता और उपन्यास कार लेखक भी है।बंगले के लान में मैना पक्षी के जोड़े को देखते ही रहा जाता है ।दोनों में इश्क हो रहा था ।रामू काका कहता है-चाय प्याली को बढ़ाते हुए।
काका मन भर अभी चाय पी लिया हूँ।कुदरत ने कई हसीन मोहबातें दिया है।मैना की ओर इशारा करते हुए।ओह!सब समझ गया ।कब से तुम्हे इश्क का बुखार चढने लगा है।काका आप से मैने कोई बात छुपाई है क्या ??
"नही तो कब सिकायत किया है "
यही तो मुझे एक लड़की से प्यार हो गया है।मेरे सपनें में आई थी।
चलता हूँ कीचन देखना है।
सुनों काका आज न मच्छी भात बनाना ठीक है तुम्हारी मर्जी कहते हुए प्याली ट्रे लेकर चले गए।काका के जाने के दो मिनट नहीं हुए होंगे शेखर का फोन आया ।हेलो ,वेदांत तेरी सपने वाली बाजार में दिखी थीं ।
कहाँ ,किसके साथ ,कौन सी ड्रेस में थी।अरे यार मैं ड्रेस जज नहीं किया हां याद आया गुलाबी रंग था ।सुनहरा कलर की सेंडल ।ज्यादा पूछ मत अधेड़ ऊमर की एक औरत साथ मे थी।बाकी तू फोन कर के पूछ क्यों नहीं लेता ।मेरे पास उनका कॉन्टेक्ट नंबर नहीं है ।लेलेना नहीं तो पागल ही हो जाएगा समझे।
ठीक है ,बस इक्तिफाक में मिल गईथी वह ।स्कूटी में रस्ता चलते सब कुछ बातें हो गया और प्यार भी।रास्ते मे मुझे ही राह देख रही थी।जीवन में कई लड़कियां आई परंतु कभी भी इश्क़ की फिलिंग महसूस नहीं किया ।पल भर में हम प्रेम के बंधन में बंध गए ।
बेवकूफ तुम ने कॉन्टेक्ट नंबर लेना लॉजिक नहीं समझा ।समझा तो पर क्या पर बताता हूँ यार ओ अपनी कम्यूटर सेंटर ले गई।और कही ये मेरा एस एस सी कमान सेंटर है।और लेबरों का भी पंजीयन बीमा आन लाइन वर्क होता है।
'अब्बे भोंदू मोबाइल चेक तो कर सेफ किया होगा।हाँ चेक करता हूँ कहता हुआ -हाँ वाट्सएप में नम्बर है ।सिम्मी को अपना नंबर पेड बुक पर लिख कर दिया था मैं।किसने नंबर लिखने को कहा ।वही लडक़ी नाम बताई थी ,हाँ ,क्या ,सिम्मी ok बाबा ।
गुड दिखा मुझे मोबाइल यही तो है।सिम्मी तो लिखा है ।लगा फोन लगता हूँ ।तुझे कैसे मालूम कि सिम्मी से प्यार हो गया ।तू तो पैदल हो चुका है ।इतना लेखक,प्रोड्यूसर बन जाने से भी सब भूल जाता है।मुझे लवेरिया हो गया है ।पहले कभी नहीं भूलता था ।सात दिन में सब भूलने लगा हूँ ।हाँ यार शेखर एक नदी के पास पुल के ऊपर से हम दोनों सेल्फी लिया था उसे डैम को ही तुम्हे सेंट किया था।
साले तुझे यही तो समझा रहा हूँ ।मैंने एक बार तस्वीर देख लिया फिल्मो की तरह अपने मानस पटल में बिठा लेता हूँ ।टीम जैसे भुल्लकड़ नहीं हूं ।
आरे यार माफ़ कर देना ।तुझे समझना होगा ऐसा ही होता है ।दिल में कुछ- कुछ होता है।
हाँ हाँ पहले मोबाइल वाटस ऐप्स से नेट आन कर काल कर सिम्मी भाभी को।आज जस्न मनाएंगे।कर रहा हूँ सब्र कर मेरा हाँथ कप रहा है।हार्दबीट बढ़ जा रहा है।दे मोबाइल मैं बात करता हूँ ।एकदम झोलतु आदमी है।कैसा बड़े बड़े फ़िल्म बना लेता है ।लिख लिख कर उपन्यास का ढेर लगा दिया है ।समझ नहीं आता एक गॉंव की लड़की से बात करने पसीना छूट रहा है।तू नालायक कुझ तो समज जब से देख रहा हूँ ।गाली ही देते जा रहा है ।मेरा पर्सनल मामला है ।मैं मन रूपी मंदिर में देवी मां को समाँ लिया है।मोबाइल शेखर के पास तेज गति से फोन की लंबी घंटी बजता है ।कौन आई एम कलिंग to बॉम्बे ।कहिए सर ।हाँ आप वेदांत सर है ना उनका दोस्त शेखर ।सर को बता दीजिए उनका स्क्रिप्ट को फ़िल्म स्टार राज सर को बहुत पसंद है।20 लाख तक देने को तैयार है ।ये फ़िल्म 250 कड़ोर की बनने वाली है।
इतना में नहीं चलेगा वेदांत ने 10 बरस लिखने में समय गुजरे हैं ।एक खोका हो तो कॉपी राइट दे देंगे ।अच्छा ठीक है मैं राज सर से बात कर के काल करता हूँ ।एक काम करो मेरा एक डिब्बा मिठाई दे देना ।ओके ।
लगा न बे सिम्मी भाभी को फोन।तू लगा ले ।देख सब मैं करू ।तेरा पर्सनल मामला मैं कुछ अड़चन नहीं करूंगा ।मैं इतना नालायक नहीं हूं ।
वेदांत ,सिम्मी से फोन करता है--हेलो घंटी बज रही है।कोई जवाब नहीं बार बार तीन बार काल कर डाला ।वेदांत की घबराहट तेज होने लगा ।सिम्मी संकट में है।ए बार और लगा ।हेलो सिम्मी ,हाँ तुम वेदांत ।कैसे पहचाना ।तुम मेरे सांसो में बस चुके हो ।मैं बॉथ रम में थी।सारी ।मैं सोचा था तुम काल करोगे।वेदांत एक नजर में तुमसे इश्क हो गया।वेदांत कहता है आई लव यू सिम्मी।
शेखर देख बे तू लक्की है एक कड़ोर की दिल हो गई ।अभी मेरे मोबाइल से डील कर ही दिया ।बधाई हो दोस्त ।तुम छत्तीसगढ़ी फ़िल्म से बॉलीवुड में छलांग मार दिए।ये तो है ।तू जल्दी इसी वक्त काल कर डिनर में कहां मिलेगी ।करता हूँ ।हेलो सिम्मी ,वेदांत तुम कब मिल रहे हो।आज डिनर कर लेते है ।पापा से पूछना पड़ेगा।मुझे गाँव से पांच किलोमीटर आना पड़ेगा ।कार शेखर ले कर आएगा ।कौन शेखर ।मेरा दोस्त ,भाई।ठीक है।कल मैं मामा के घर जाऊंगी। ओके ।बाय ।
सिम्मी ,पापा मुझे सहर जाना है ।मेरा सहेली अमेरिका से इंडिया आई है ।डीनर पार्टी में ---ठीक है मैं भी चलूंगा।कान्हा पापा आप ।तू अकेली सुन सान जगह नदी,नाला से स्कूटी से।नहीं ।सहेली की भाई शेखर कार ले कर आएगा।जाओ इजाजत है।
गिफ्ट कैसा लगा पहला प्यार की पहली मुलाकात है ना ।बहुत सुंदर रूप है तुम्हारा ।तुम ही मेरे उपहार हो ।क्या करते है आप ।ऊ...ऊ...ऊ..।
ये क्या बताएगा ,मैं बता देता हूँ ।इसे लवेरिया हो गयाहै ।जुबान फिसलने लगा है ।सी जी फ़िल्म प्रोड्यूसर और लेखक है ।सिम्मी उछल पड़ी ।आई एम स्योर ।मेरा सपना देखा वही निकल ।फिल्मे काम देखता हूँ ।परंतु फिल्मो में काम करने की इक्षा है।तुम स्योर हो ।हम मिल कर काम करेंगे।
शेखर कहता है-कुझ ऑर्डर करोगे या सपने देखते रहोगे।कर दो न ऑर्डर ।मैं रोक हु तुझे।कभी नहीं सुधरेगा ।कर तो दूंगा भाभी की पसंद भी है तब न।ओह!सॉरी ।सिम्मी बहुत अच्छा डीनर ।शेखर और तुम्हारा केमिस्ट्री तगड़ी है ।शेखर कहता है-
भाभी आज ही ये बेकुफ़ को एक करोड़ की डील हुआ है ।किस चीज का ।बताता हूँ ।अरे तू क्या बताएगा ।मैं बता दु ।अपने मुंह से बताने में मजा नहीं आता।एक नंबर का भुल्लकड़ है।एक स्क्रिप्ट लिखा था ।राज ने एक करोड़ देने को तैयार होगये है।कौन राज ।बॉलीवुड की सुपर स्टार ।मैं राज का फैंन हु।वेरी गुड सो मच।तुम दोनों बहुत तरक्की करोगे।मैं बहुत गरीब घर की बेटी हु।वेदांत --ऐसा न बोलो ।शेखर भाभी आप की बर्थ कब का है।चलेगा वेदांत ,सिम्मी से कहता है।मैं तीन साल का छोटा हु।कोई बात नहीं ।तुम्हारे इश्क ने लक्ष्मी का आगमन हुआ है।
पापा का फोन आता है ।सिम्मी -बस निकल रहे है।आप फीकर न करे शेखर है ना ।