इश्क. - 5 om prakash Jain द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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इश्क. - 5

वेदांत अपने बेड रूम में बैठा हुआ है। पंखे की ओर उसकी नजर टिकी हुई है। और अतीत को सोच रहा है ।जिस तरह फंखा अपने द्वारा सेट किए हूए गति में घूम रहा है उसी तरह ही हमारी जिंदगी है ।हमारी जिंदगी की रिमोट भगवान के हाँथ में है ।सुनहरा कलर की घड़ी दीवाल में टंगी हुई है ।अपना समय सेकंड ,मिनट ,घंटे में चल रहा है ।हमें इसी समय के मुक़ाबिक शेड्यूल बनाना होगा ।फिर पंखे से अपना निगाह हटा कर अपने सूटिंग के काम मे ध्यान जाता है । कल की जितना सूट किये है उसकी समीक्षा कर रहा है और आज की सूट की जाने वाली लोकेशन और ड्रेसेज़ ,कैमरा ,ट्राली,विशेष सामग्री की प्रबंध में लगा है।स्क्रिप्ट की भी जांच पड़ताल भी करने में ब्यस्त है। काका किचन से वेदांत की बेड रुम में आता है और वेदांत से पूछता है-बेटा ,आज नास्ता में क्या खाना पसंद करोगे।।
आप की मर्जी काका जो खिला दो ,शेखर से एक बार पूछ लेते ओ क्या खाना पसंद करेगा ।और शेखर से कहा दे मेरा हेल्प करने आ जाये ।9 बजे निकलना है।
हाँ ठीक है ,लंच तो बाहर ही करोगे न
जी हाँ...
नास्ता बन कर तैयार है।वेदांत और शेखर बॉथ रुम को ले कर लड़ाई कर रहे हैं ।और जल्दी- जल्दी तैयार भी हो रहें है ।ये दोनों कभी भी नहीं सुधरेंगे।न सुधर सकते है।अरे ये बहुत नटखट बच्चें हैं ।एक दूसरे के तौलिया और चड्डी खिंचने लगे थे।काका ने देख लिया ।उन दोनों का जम कर खिंचाई किया ।नाना प्रकार से डांटने लगा ।फिर कहीं लाइन मेआये।ये दोनों पियादा की मित्रता अजीबो ,गरीब भी है।
डाइरेक्टर मनोज वर्मा आ कर बैठक में सोफ़े में बैठा हुआ है।साथ में एक हेंडसम लड़की भी है।मनोज तो वेदांत के घर आया जाया करता ही रहता है।वह नई लड़की बंगले को देख कर बहुत ही प्रभावित होती है।अपने मन में सोच रही है ,बहुत सुंदर बंगला है।प्रोड्यूसर भी स्मार्ट होगा।बैठक इंटीरियर डिजाइनिंग और आर्ट से सजा है।मुझे एक बार वेदांत प्रोडक्शन में काम मिल तो जाए ।मैं एसा जलवा दिखाउंगी।वेदांत को अपने जिस्म,और मेरे सुंदरता से खींच ही लूंगा।रहा सवाल मनोज सर को भी अपने प्रेम जाल में फ़सा कर रखना होगा ।और फिल्मों में लीड रोल लेना है तो ये तो मुझे करना ही होगा ।बॉलीवुड में आम बात है,ये नई, नवेली हीरोइन हमारे छत्तीशगढ़ के फ़िल्म इंडस्ट्रीज को बदनाम करने की साजिश कर रही है मुझे तो उस लड़की की मानसिकता पर घृणा हो रहा है।नई सुंदरी अपने आप में सोच रही है -समाज,लाज,मर्यादा,संस्कृति ये सब गांव की लड़कियों के लिए लागू होता है ।समाज में और अपने आप में डरी और सहमी हुई रहती है ।ऐसे लड़कियां कभी भी तरक्की नहीं कर सकते है।केवल लाज ,सरम से जीवन नरक बना लेते है।और पति की प्रेतारणा सहन करते रहते हैं, यह मुझे पसंद नहीं है।
शेखर तैयार हो कर बैठक में आता है मनोज शेखर को नमस्कार करता है नमस्कार का प्रतिउत्तर देता है ।शेखर काका को दो कप चाय के लिए ऑर्डर करता है।नई हीरोइन की नजर शेखर की पर्सनाल्टी पर टिकता है ।जैसी सोची वैसे ही है प्रोड्यूसर सर।
शेखर-मनोज से ये लड़की कौन है।मनोज कुछ बताना चाहता है उसके पहले ही बात काट कर कहती है ।मेरा नाम डाली शर्मा है ।मैं एक्ट्रेस हूँ।सर एक बार मुझे अपना हीरोइन बना लीजिए।आप की सब सेवा करूंगी।प्लीज सर।बॉम्बे में भी कुछ समय अभिनेत्रियों के साथ काम की हूँ।सर मेरा फ़ाइल है।
शेखर फ़ाइल रखते हुए ,लड़की पर आंख लड़ा कर ,तुम बहुत सुंदर हो।तुम मुझे पसंद हो।पर ।क्या सर मुझमें कोई कमी है ।नहीं ।वर्मा जी में कमी दिखाई दे रहा है ।वर्मा जी आज की सूटिंग की तैयारियां कर लियो हो न ।
जी शेखर भैया ।इस हीरोइन का क्या करे ये तो वेदांत ही बता सकते है ।
वर्मा ,शेखर से कहता है-वेदांत सर के लिए ,पुरानी हीरोइन भाव खाती रहती है ।
शेखर क्या ये आलू खाएगी ।नई लड़की को कास्टिंग नहीं करेंगे ।सिखाते ही सूटिंग खत्म हो जाएगी।किसने कहा नई कास्टिंग करने के लिए।ओ पुरानी हीरोइन तो है।ओ बुरी नहीं है जितना तुम सोचते हो ।वर्मा को डांटने लगे।डाइरेक्टर की सिट्टी -पिट्टी गोल हो गया ।नई हीरोइन की तो नस ही कट गई।सोचती है ये तो पागल है।मैं अपना पूरा जिस्म देने को तैयार हूं ।मुझे एक बार भी प्यार से देख भी नहीं रहें है।और वेदन्त
कौन है?डाली ,वर्मा को कातर नजरों से देखती है ।
वेदांत ,काका को आवाज देता है जा रहा हूँ काका घर का ध्यान देना ,शेखर तुम कार निकालो ,निकलता हूं ,तुम्हारा नौकर हूं।चल बे तू नौकर नहीं है तो लाड साहब है ।
वर्मा, वेदांत से -सर नई हीरोइन आप की ।अभी समय नहीं देखने के लिए ।पुरानी हीरोइन मर गई है का??
जिंदा है ना।मरने के लिए तैयार है।।
जी सर
चलो स्पॉट पर ही बात करते है।वर्मा यैसे लड़कियों को घर में ले कर ना आया करो ।मुझे पसंद नहीं।
आई एम सॉरी सर।
आइंदा ध्यान देना।
रास्ते में मनोज ,डाली को डांट रही है ।तुम वेदांत को नहीं जानती बहुत सख्त है।उससे ज्यादा शेखर है।
कौन शेखर ये साहब बन कर पहले आये नौकर ,ड्राइवर है।साहब बन रहा था ।
अबे डाली चुप तू कुछ नहीं समझ नही सकती ।नौकर मालिक की खेल को मैं नहीं समझ सका।तू तो अंडे से अभी निकली है ।
डाली ,वर्मा जी आप का भी बिस्तर गरम कर दूंगी।तू मेरा वेदांत से टांका फिट भर कर दे ।
नहीं होगा असंभव ,कोसिस करता हूँ।आज मेरे कमरे में आ जाना ।खाली हाँथ मत आना कुछ चिकन बिरयानी लेते आना ।
सूटिंग की तैयारी पुरानी हीरोइन वेदांत से वर्मा की शिकायत कर रही है ।मुझे जबरदस्ती अपना काम मनवाना चाहते है ।और नियत पर सक है।सर मैं आप की सेवा करना चाहती हुँ।आप का मूड ठीक कर दिया करूंगी ।सर आप एक बार कहा के देखो ।
शेखर का मूड ठीक कर देना ,अब मेरा मुड ठीक है।
शेखर ,आग है।बाबा उस से कौन कहेगा येसी बात ।मुझे तो इमली की चटनी बना देगा सर।
तुम अच्छा काम करो ,फ़िल्म हीट होनी चाहिए।
फ़िल्म हीट हो रही है सर।बस डाइरेक्टर को चेंज कर दीजिए ।
सोचता हूँ ।