हीर... - 2 रितेश एम. भटनागर... शब्दकार द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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हीर... - 2

अंकिता.. अजीत से बात करने के बाद फटाफट से तैयार हुयी और बिल्कुल ठीक समय पर उससे रियो रेस्टोरेंट में मिलने के लिये घर से निकल गयी..

रियो रेस्टोरेंट काफ़ी बड़ा और बहुत खूबसूरत तरीके से बना हुआ भुवनेश्वर के सबसे महंगे रेस्टोरेंट्स में से एक था और यही वजह थी कि अंकिता ने अजीत को मिलने के लिये वहां बुलाया था...

असल में बचपन से ही जिस माहौल में वो रही उसकी वजह से उसे लग्ज़रीज़ की आदत थी लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं था कि अंकिता सामने वाले से ही खर्च करवाती थी...वो खुद भी खर्च करती थी लेकिन उसे सस्ती मद्दी जगहों पर जाना पसंद ही नहीं था...

रियो रेस्टोरेंट के ठीक बाहर पंहुचने के बाद अंकिता रेस्टोरेंट के बाहर ही बनी ओपन पार्किंग में अपनी कार पार्क कर ही रही थी कि तभी उसने देखा कि अजीत की कार पहले से ही वहां खड़ी हुयी है.. चूंकि अजीत और अंकिता करीब दो साल से एक दूसरे को जानते थे और बहुत अच्छे दोस्त थे इसलिये अंकिता और अजीत को एक दूसरे के बारे में काफ़ी कुछ पता था इसीलिये अजीत की कार देखकर अंकिता समझ गयी थी कि वो उससे मिलने के लिये टाइम से पहले ही रेस्टोरेंट में आ चुका है।

अजीत की कार को देखकर अंकिता ने अपनी सीट के बगल वाली सीट से एक पॉलीबैग उठाया और मुस्कुराते हुये कार से बाहर आकर रेस्टोरेंट के अंदर जाने लगी... इधर रेस्टोरेंट के अंदर बैठा अजीत बेसब्री से अंकिता का इंतजार कर तो रहा था लेकिन "यार काश अंकिता अकेली आती!!" सोचते हुये उसका मन बार बार खराब सा हो जाता था...

रेस्टोरेंट में अंदर बैठा अजीत.. अंकिता का बेसब्री से इंतज़ार कर ही रहा था कि तभी उस रेस्टोरेंट के कांच के दरवाजे के ठीक पास आकर उसे खोलती हुयी अंकिता पर जैसे ही उसकी नज़र पड़ी... वो एकदम से जैसे खिल सा गया और ये सोचते हुये कि "यार ये तो अकेले है!!" गेट की तरफ़ जाने लगा...

इधर गेट से अंदर आते हुये अंकिता ने भी जब अजीत को देखा तो वो भी उसी की तरह एकदम से चहकने सी लगी और अंदर आने के बाद खुश होते हुये उसकी तरफ़ बढ़ते हुये बोली- हाई... कैसे हो यारा? लुकिंग कूल मैन...

अजीत भी उसी गर्मजोशी से अंकिता की तरफ़ बढ़ते हुये बोला- तुम बहुत क्यूट लग रही हो यार.. इतने दिनों बाद तुम्हे देखकर आंखों को बहुत सुकून मिल रहा है, I missed you alot..

अंकिता ने ब्लू जींस पर पिंक कलर का बहुत सुंदर सा टॉप पहना हुआ था और सिर के ऊपर लाइट ब्लू कलर का ट्रांसपैरेंट ग्लास वाला चश्मा फंसाया हुआ था... और इन सब चीजों के साथ उसकी खिली खिली स्माइल.. वाह क्या कहने!! वो पहले से ही बहुत खूबसूरत थी और आज तो वाकई बला की सुंदर दिख रही थी...

अंकिता के बिल्कुल पास पंहुचकर अजीत ने उसे हल्का सा हग करते हुये सबसे पहला सवाल यही पूछा- आंटी कहां हैं? वो नहीं आयीं.. तुम उन्हें लाने वाली थीं ना?

अजीत के सवाल का जवाब देते हुये अंकिता उसकी नकल उतारकर उसे चिढ़ाते हुये से लहजे में बोली - ह.. ह.. ह.. ह.. हां, तु.. तु.. तु.. तु.. तु.. तुम, ल.. ल... ल.. ल!!ऐसे किसकी जुबान लड़खड़ा गयी थी मम्मी का नाम सुनकर...

अंकिता की करी गयी शैतानी को देखकर अजीत हंसते हुये बोला- अरे वो तो बस ऐसे ही लेकिन तुम उन्हें लायी क्यों नहीं?

अंकिता ने कहा- हम उन्हें लाने वाले थे ही नहीं, हम तो बस तुम्हे सरप्राइज़ देने वाले थे...

अजीत बोला- तुम्हारी सरप्राइज़ देने वाली ये आदत ना.. उफ्फ!! बहुत जोर से झटका देती है!!

अजीत की ये बात सुनकर पता नहीं क्यों पर "अबे तेरी ये सरप्राइज़ देने की आदत की वजह से ना किसी दिन मेरा दिल बैठ जाना है!!" कहता हुआ राजीव का चेहरा अंकिता की आंखों के सामने से कुछ सेकेंड्स के लिये जैसे नाचता हुआ सा निकल गया और उसका खुद का चेहरा थोड़ा डल सा हो गया लेकिन अजीत के सामने वो खुद को संभालकर हंसते हुये बोली- यहीं खड़े रहना है कि बैठना भी है??

"ओह हां!!" कहते हुये अजीत.. अंकिता के साथ अपनी टेबल की तरफ़ चला गया...

टेबल पर जाने के बाद एक जेंटलमेन की तरह अजीत ने अंकिता को चेयर बाहर खींचकर जब बैठने के लिये कहा तो अंकिता बोली- क्या फॉर्मैलिटी कर रहे हो यार.. पहले हमारे सामने आओ, हमें जरूरी काम है.. पहले हम वो कर लें तब बैठेंगे!!

अंकिता के कहने पर अजीत सामने वाली चेयर के पास जाकर खड़ा हो गया, उसके वहां जाने के बाद अंकिता ने अपने साथ में लाया पॉलीबैग उसकी तरफ़ बढ़ाते हुये कहा- तुम्हारी नयी जॉब लगी है इसलिये ये हमारी तरफ़ से तुम्हारे लिये गुडलक गिफ्ट!!

अजीत हिचकते हुये और उस गिफ्ट को पकड़ते हुये बोला - अरे पर इसकी क्या जरूरत थी!!

अंकिता ने कहा- जरूरत थी और बहुत जरूरत थी तुम इसे ओपन करके तो देखो एक बार...

अंकिता के कहने पर अजीत ने जब वो गिफ्ट खोलकर देखा तो एकदम से हैरान होते हुये अपना मुंह खोलकर अंकिता की तरफ़ देखने के बाद ऐसे रियेक्ट करने लगा जैसे उस गिफ्ट को देखकर उसे यकीन ही नहीं हो रहा हो कि अंकिता उसके लिये उसका मनपसंद गिफ्ट लेकर आयी है...

अंकिता.. अजीत के लिये बहुत महंगी और ब्रांडेड.. अलग अलग रंग और अलग अलग डिज़ाइन्स की पांच टाइज़ और उनके साथ अलग अलग डिज़ाइन की बहुत अट्रैक्टिव टाई पिन्स लाई थी!!

अजीत को ऐसे रियेक्ट करते देख अंकिता स्माइल करते हुये बोली- हम जानते थे कि तुम्हें टाईज़ का शौक है और नयी जॉब के लिये इससे अच्छा गिफ्ट तो हो ही नहीं सकता और जब तुम पंद्रह दिनों की ट्रेनिंग के लिये जा रहे थे ना.. हमने तभी ये खरीद ली थीं ये सोचकर कि जब तुम वापस आओगे तब हम तुम्हे ये देंगे ताकि नेक्सट डे से तुम यही टाईज़ पहनकर अपनी नयी शुरुवात करो...

अजीत को वाकई टाईज़ का बहुत शौक था और जिस तरीके से अंकिता ने उसकी पसंद का ध्यान रखते हुये आज उसे ये गिफ्ट दिया और जो बात बोली.. उसे सुनकर कुछ देर तक तो उसे समझ ही नहीं आया कि वो अंकिता के सामने कैसे रियेक्ट करे... वो बस अपनी प्यार भरी नज़रों से मुस्कुराते हुये उसे देखता रह गया!!

इसके बाद कुर्सी पर बैठकर खुद की फीलिंग्स को संभालते हुये अजीत ने भी दो बड़े से गिफ्ट रैप किये हुये पैकेट्स अंकिता को देते हुये कहा- मैं भी तुम्हारे लिये और आंटी के लिये कुछ लेकर आया था, होप सो.. तुम्हे पसंद आ जाये!!

अंकिता ने खुश होते हुये अजीत के हाथ से वो दोनों बॉक्स जैसे पैकेट्स लिये और उनमें से एक पैकेट खोलने के बाद वो भी हैरान होते हुये बोली - वॉव यार ग्रीन कलर की इतनी क्यूट साड़ी!! आई एम श्योर ये मम्मी के लिये है.. हैना?

"हां" अजीत ने कहा...

अंकिता थोड़ा सरप्राइज़ सा होते हुये बोली- अच्छा... उस दिन तुम इसीलिये हमसे हमारी और मम्मी की कलर्स में च्वाइस पूछ रहे थे!!

अंकिता की बात सुनकर अजीत मुस्कुराने लगा.. इसके बाद अंकिता ने जब दूसरा पैकेट खोला तो वो और जादा सरप्राइज हो गयी और खुश होते हुये अजीत से बोली- मरजेंटा कलर की साड़ी..!! वॉव यार... पर साड़ी क्यों?

अजीत ने कहा- वो ऑफिस के ऐनुअल फंक्शन में तुम्हें साड़ी में देखा था ना.. तुम बहुत क्यूट लग रही थीं, तो मैंने सोचा ऐसा कुछ गिफ्ट दिया जाये जिसे तुम जब भी यूज़ करो तुम्हें अलग ही खुशी मिले और मरजेंटा तुम्हारा फेवरेट कलर भी है!!

अंकिता ने कहा- थैंक्यू यार.. तुम हमारा कितना ध्यान रखते हो, पता है हमें साड़ी पहनना बहुत अच्छा लगता है पर जादा चांस ही नहीं मिलता साड़ी पहनने का और अगर कभी शौक शौक में पहन भी लो तो सबका एक ही सवाल... शादी तय हो गयी क्या? बस इसीलिये हम नहीं पहन पाते...

अंकिता को खुद का दिया गिफ्ट देखकर खुश होते हुये देख अजीत की आंखों से और उसके होंठों से अंकिता के लिये प्यार से सराबोर फीलिंग्स जैसे बार बार बाहर निकलने की कोशिश करने लगी थीं, उसने बस जैसे तैसे करके अपनी फीलिंग्स को अपने दिल में दबाया हुआ था और अंकिता को देखकर बस ब्लश किये जा रहा था...

अंकिता से अपने दिल की बात कहने की नीयत से अजीत ने खुद की फीलिंग्स पर कंट्रोल करते हुये उससे कहा- अम्म्... अंकिता तुम्हें सच में याद नहीं कि आज संडे के अलावा क्या है?

अंकिता ने बड़े कैजुयलि अजीत की बात का जवाब देते हुये कहा- अम्म्... तुम्हारा बर्थ डे हमें याद है 20th August तो वो तो है नहीं आज बाकी हमें सच में नहीं याद कि आज संडे के अलावा कुछ और भी है!!

अपनी बात कहते हुये अंकिता ने जैसे ही अपना फोन अपने बैग से निकाल कर देखा तो वो थोड़ी सी सरप्राइज सी होते हुये खुद से अपने मन में बोली- ओsssss... आज 14th Feb. है इसीलिये अजीत बार बार ये बात पूछ रहा है और इसी वजह से आज राजीव भी परेशान होकर इतने दिनों के बाद सुबह से लगातार हमें कॉल कर रहा था!! खैर... हमें क्या मतलब कि वो परेशान हो रहा है या क्या कर रहा है, ये तो उसे हमारी मम्मी को बुरा भला बोलने से पहले सोचना चाहिये था कि हम उसे ऐसे दिन भी दिखा सकते हैं, हुंह.. अब भुगतने दो और ऐसे ही तड़पने दो उसे...!!

जहां एक तरफ़ अंकिता रियो रेस्टोरेंट में अजीत के साथ बैठी राजीव के बारे में ये सब सोच रही थी वहीं दूसरी तरफ़ दिल्ली के अपने किराये के स्टूडियो फ्लैट में अपने बिस्तर पर नशे में धुत्त होकर निढाल सा पड़ा राजीव.. अंकिता को याद करके दर्द से भरी सिसकियां लेते हुये बार बार अपने आंसू पोंछे जा रहा था लेकिन आंसू थे कि रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे..!!

आज वैलेंटाइंस डे के दिन राजीव को अंकिता की बहुत जादा याद आ रही थी लेकिन अंकिता थी कि उसके साथ जैसे रंजिश मान बैठी हो... उससे बात ही नहीं करती थी!!

बिस्तर पर निढाल सा होकर पड़ा राजीव आज सुबह से शराब पी रहा था.. वो पहले ही बहुत जादा शराब पी चुका था इतनी जादा कि उससे उठा भी नहीं जा रहा था लेकिन फिर भी... वो अपनी पूरी ताकत समेट कर अपने बिस्तर से उठा और पास ही पड़ी शराब की बोतल से शराब एक गिलास में निकालने की कोशिश करने लगा.. उसने दो तीन बार शराब को गिलास में डालने की कोशिश तो करी लेकिन वो इतने जादा नशे में था कि उसे समझ में ही नहीं रहा था कि वो शराब गिलास में डाल रहा है या नीचे ज़मीन पर....

दो तीन बार कोशिश करने के बाद भी जब शराब गिलास में नहीं गिरी तब नशे में बुरी तरह से धुत्त राजीव ने इरिटेट होते हुये सीधे बोतल ही अपने मुंह में लगा ली और... बोतल में जितनी भी शराब बची थी उसे नीट ही पी गया!!

नीट शराब पीने के बाद वो और भी भयानक नशे में आ गया और नशे में बदहवास और बेहद भारी हो चुकी अपनी आवाज़ में... "रोज़ हद से ज़ादा शराब चढ़ाता हूं मैं, तब जाकर आंसुओं के ज़रिये कहीं मेरे दिल से उतरती हो तुम!!".. कहते हुये धप्प से जमीन पर औंधे मुंह गिर पड़ा और बेहोश हो गया...

क्रमशः