भुतिया एक्स्प्रेस अनलिमिटेड कहाणीया - 43 Jaydeep Jhomte द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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भुतिया एक्स्प्रेस अनलिमिटेड कहाणीया - 43

Ep ४३
डरावणा ट्रक भाग -५.




वह एक भयानक अमावस्या की रात थी, और चूंकि वह अमावस्या की रात थी, चंद्रमा आकाश में काले बादलों के पीछे छिपा हुआ था, क्योंकि चंद्रमा पृथ्वी पर चमक नहीं रहा था, अंधेरा था, एक छड़ी भी दिखाई नहीं दे रही थी इसके सामने।
अमावस्या की इस भयानक रात में, राम्या और राघ्या कांटेदार पेड़ से दूर भागते हुए जंगल में उस चुड़ैल का इंतजार कर रहे थे, पेड़ पर बैठा उल्लू अभी भी चिंतित था कि आगे क्या होगा, उसकी भेदक आँखें, उल्लू राम्या और राघ्या को देखते हुए, राघ्या और राम्या दोनों एक झाड़ी के पीछे छुपे हुए थे, 20-25 मिनट तक दौड़ने के बाद उन दोनों की सांसें थम गईं। कुछ देर बाद दोनों को बेहतर महसूस होने लगा, सांसें सामान्य हो गईं, तब राम्या ने एक बार राघ्या की ओर देखा और कहा।
"अर राघ्या..? मुझे बताओ क्या हो रहा है, कृपया? हमें ऐसे मूर्खतापूर्ण कदमों से क्यों भागना चाहिए...?"
"श्श! धीरे बोलो...!" राघ्या ने मुँह पर उंगली रखते हुए कहा।
"र...राम्या..! तुमने बग कहा....! या उस पासे का हिस्सा ठंडा है..?"
"हाहा, क्यों!" राम्या ने इतना कहा.
राघ्या ने कहा, ''राम्या उस दिन शरीर को ठंडा कर देती थी'', राम्या सिर्फ सिर हिलाकर हां का इशारा कर रही थी।
"वह उजला शरीर मुर्दे के समान ठंडा है...!" राघ्या ने आँखें चौड़ी करते हुए कहा।
"आर एम राघ्या..! इसमें इतना डरने की क्या बात है? क्या वे बीमार हैं या गरीब हैं! आपको कितनी ठंड लगी और क्या आपने उस लड़के के इलाज के लिए 500 रुपये दिए?"

राम्या ने कहा.
"राम्या! इलाज जीवित व्यक्ति है, लेकिन मृत नहीं?" राघ्या ने उसके सिर को छूते हुए कहा। और राघ्या के इस वाक्य के साथ
उन दोनों के चारों ओर एक गुमनाम सन्नाटा फैल गया था, जो बीच-बीच में किसी जानवर के चिल्लाने से टूट जाता था, जिसकी आवाज़ से एक पल के लिए दोनों में सिहरन दौड़ जाती थी।
"मांजी! वे दोनों हो..!"
"भूत व्हति," राघ्या ने राम्या का आधा वाक्य पूरा किया। और वह जारी रहा.
"राम्या, देखो जो बोतल तुमने मुझे दी थी वह मेरे हाथ से नीचे गिर गई...!"
"वाह, वाह"
"तो फिर मैं बोतल लेने के लिए झुकूंगा...?" राघ्या ने कहा.
..हा...हा..." राम्या ने बैल की तरह सिर हिलाते हुए कहा। फिर राघ्या ने बोलना जारी रखा "मैं झुक जाऊंगी" मुझे अपनी दादी की एक कहानी याद आ गई.. कि भूतों के पैर उल्टे होते हैं ! फिर मैंने अपनी जेब में हाथ डाला और फोन निकाला, ''राघ्या कुछ कहने जा रहा था, तभी उस पेड़ पर बैठा उल्लू उड़ गया, और वातावरण में वह भयानक सन्नाटा फिर टूट गया,
प...प...आप आगे क्या देखेंगे...?" राम्या का सिर घूम गया, उसने कहा।
"मैंने अपनी जेब में हाथ डाला और अपना फोन निकाला और टॉर्च चालू कर दी! और गोताखोर के पैरों पर प्रहार किया! यह कहते हुए राघ्या ने नीचे जमीन की ओर देखा और उसी क्षण उसने कुछ अद्भुत देखा, कि
थोड़ी देर के लिए वह अपनी आँखें चौड़ी करके नीचे देखने लगा, उसकी आँखें इतनी बड़ी थीं कि वे अपनी जेब से बाहर निकल जातीं, राघ्या का अप्रत्याशित व्यवहार देखकर राम्या ने उसके कंधे पर हाथ रखा और कहा।
"क्या हुआ....? राम्या के इस वाक्य को राघ्या घूरकर देख रही थी, तभी राम्या ने भी नीचे की ओर देखा और उसी समय राम्या का चेहरा भी डर से सफेद हो गया और उसकी आँखें चौड़ी हो गईं, उसका दिमाग कुछ देर के लिए बहरा हो गया, क्योंकि नीचे न तो भूमि थी और न ही कोई राजमार्ग था, और वे दोनों राजमार्ग के बीच में बैठे थे, उन दोनों को भी एक चाल सूझी, और शैतान रूप बदल कर उन दोनों को अपने जाल में खींच रहा था। झाड़ियां।



क्रमशः








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यह कहानी काल्पनिक है!

कहानी में भूत-प्रेत और अमानवीय शक्तियों का जिक्र है।

कहानी में अंधविश्वास है लेकिन लेखक इसमें कुछ नहीं जोड़ता... इसका इस्तेमाल इसलिए किया गया है क्योंकि यह जरूरी है।


कथा प्रारंभ





महत्वाच संदेश- सदर कथेत उच्चार केलेल्या गावाच नाव आणि तिथली परिस्थिती हे सर्वकाही काल्पनिक असून .. वाचकांनी ही कथा ,त्यात असलेले पात्र, मृत व्यक्ति, एकंदरीत सर्वच्या सर्वच परिस्थिती काल्पनिक नजरेने पाहावी- आणी


फक्त मनोरंजन व्हावा ह्या हेतूने कथा वाचावीत🙏


ह्या कथेत लेखकाने गरज असल्याने भूत,प्रेत, अंधश्रद्धा दाखवली आहे - पन, लेखकाचा ह्या कथेवाटे समाजात अंधश्रद्धा पसरवण्याचा मुळीच हेतू नाही. जर कोणी लेखकाला पर्सनल मेसेज करून आक्षेपार्ह मेसेज आणि वागणूक दिली- तर कायद्यानूसार कारवाई करून कडक, एक्शन घेतली जाईल!


सदर कथेत शुद्धलेखनाच्या चुका असू शकतात तर कृपया करून लेखकास समजून घ्या !


लेखक चुका सुधारण्याचा प्रयत्न करत आहे ..


धन्यवाद..




सदर कथा काल्पनिक आहे !

कथेत भुत ,प्रेत अमानविय शक्तिंचे उल्लेख आहे .

कथेत अंधश्रद्धा आहे परंतू लेखक तिला खतपाणी घालत नाही ... गरज असल्याने तिच वापर केल गेल आहे कृपया भयरसिकांनी कथा आन्ंद मिळाव ह्या उद्दीष्टाने वाचावी .


महत्वाच संदेश- सदर कथेत उच्चार केलेल्या गावाच नाव आणि तिथली परिस्थिती हे सर्वकाही काल्पनिक असून .. वाचकांनी ही कथा ,त्यात असलेले पात्र, मृत व्यक्ति, एकंदरीत सर्वच्या सर्वच परिस्थिती काल्पनिक नजरेने पाहावी- आणी फक्त मनोरंजन व्हावा ह्या हेतूने कथा वाचावीत अशी माझी प्रत्येक वाचका प्रती नम्र विनंती आहे. 🙏


ह्या कथेत लेखकाने गरज असल्याने भूत,प्रेत,पिशाच्च ,हडळ,डाकिनी ,याक्षिणी अशी भुत आनी अंधश्रद्धा दाखवली आहे - पन, लेखकाचा ह्या कथेवाटे समाजात अंधश्रद्धा पसरवण्याचा मुळीच हेतू नाही. हे वाचकांनी समजुन घ्या - जर कोणीही लेखकाला पर्सनल मेसेज करून आक्षेपार्ह शिवी गाळ करणारे मेसेज आणि वाईट ,हिंसक वागणूक दिली- तर कायद्यानूसार त्या वाचकावर कठोर कारवाई करून त्यावर कडक, एक्शन घेतली जाईल! सदर कथेत शुद्धलेखनाच्या चुका असू शकतात, कारण लेखक नवा आहे नवखा आहे , तर कृपया करून त्या लेखकास समजून घ्या ! तो पुढे जाऊन नक्कीच चांगल्या पद्धतीने लिहायला शिकेल ............ कथेत आढ्ळणा-या चुका लेखकास निदर्शनास आणून द्या..जेणेकरुन तो

लेखक चुका सुधारण्याचा प्रयत्न करिल.....

आनी नव्या जोशाने लिहिल..!

महत्वपूर्ण संदेश- सदर कथा उरार केलेलिया गावच नाव और तिथि पृष्टिति हे सर्वकाही काल्पनिक आसुन .. वाचकन्नी असले ही कथा, त्यात् ‍ यत् ले पात्र, मृत व्यक्ति, एकेंद्रित ‍ सर्वच सर्वाच पृष्टि ‍ काल्पनिक नजरें पाहावी- और वास्तविक मनोरंजन व्हावा हया हेतुने कथा वाचावित आशी माझी हर वाचका प्रति। नम्र विनन्ति आहे। 🙏

ह्या कथेत लेखक· गैर असल्याने भूत,प्रेत,पिशाच,हडळ,डाकिनी,यक्षिणी अशी भुत अनी अंधश्रद्धा देखावली एहे - पन,लेखक हया कथेवते समाजात् अंधश्रद्धा पसरव्याचा मुळीच हेतु नहीं। वाचकन्नी समजुन घ्या - एक जर कोनिही राइटरला पर्सनल मेसेज करून अक्सेरह शिवी गाळ कर्नारे मेसेज एनी वेट, हिंसक वागानुक डेली-टार कायद्यानुसार त्या वाचकवर हार्ड कारवाई करुन तयावर कडक, एक्शन घेतली जेल! सड कथेत शुद्धलेखनाच्या ने अस्सु शक्तात का भुगतान किया, क्योंकि लेखक नवा अहे नवाखा आहे , तर कृपया करून त्यास लेखक समजून ग्या ! तो पुढे जाऊं नक्की चांगल्या पद्धतिने लिहायला शिकेल ............ कथेत आध्लाना-या भुगतान लेखक निदर्शनास अनून द्या..जेनेकरुन तो

लेखक ने सुधार का प्रयास किया...

आनी नव्या जोशाने लिहिल..!



कथा सुर...


कथा सुरु...नेकस्ट एपिसोड.. दर एकदिवसाआड एक भाग पोस्ट होइल.

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सदर कथा काल्पनिक आहे !

कथेत भुत ,प्रेत अमानविय शक्तिंचे उल्लेख आहे .

कथेत अंधश्रद्धा आहे परंतू लेखक तिला खतपाणी घालत नाही ... गरज असल्याने तिच वापर केल गेल आहे कृपया भयरसिकांनी कथा आन्ंद मिळाव ह्या उद्दीष्टाने वाचावी .


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कथा सुरु ...


महत्वपूर्ण संदेश- कहानी में वर्णित गांव का नाम और वहां की स्थिति सब काल्पनिक है।


कहानियाँ केवल मनोरंजन के लिए ही पढ़ी जानी चाहिए


इस कहानी में लेखक ने भूत-प्रेत और अंधविश्वास को आवश्यकता के कारण दर्शाया है - लेखक का इस कहानी के माध्यम से समाज में अंधविश्वास फैलाने का कोई इरादा नहीं है। यदि कोई व्यक्ति व्यक्तिगत संदेशों के माध्यम से लेखक को आपत्तिजनक संदेश और व्यवहार भेजता है तो कानून के अनुसार कड़ी कार्रवाई की जाएगी!


कहानी में वर्तनी की गलतियाँ हो सकती हैं, इसलिए कृपया लेखक को समझें!


लेखक गलतियों को सुधारने का प्रयास कर रहा है..




धन्यवाद..

यह कहानी काल्पनिक है!

कहानी में भूत-प्रेत और अमानवीय शक्तियों का जिक्र है।

कहानी में अंधविश्वास है लेकिन लेखक इसमें कुछ नहीं जोड़ता... इसका इस्तेमाल इसलिए किया गया है क्योंकि यह जरूरी है।


महत्वपूर्ण संदेश- कहानी में वर्णित गांव का नाम और वहां की स्थिति सब काल्पनिक है। विनम्र निवेदन। 🙏


इस कहानी में लेखक ने आवश्यकता के कारण भूत-प्रेत, लाश, पिशाच, पिशाच, डाकिनी, यक्षिणी जैसे भूत-प्रेत और अंधविश्वासों को दर्शाया है - लेकिन इस कहानी के माध्यम से समाज में अंधविश्वास फैलाने का लेखक का कोई इरादा नहीं है। पाठक इसे समझें - यदि कोई लेखक को आपत्तिजनक अपमानजनक संदेश और बुरे, हिंसक व्यवहार वाले व्यक्तिगत संदेश भेजता है - तो उस पाठक के खिलाफ कानून के अनुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी! इस कहानी में वर्तनी की गलतियाँ हो सकती हैं, क्योंकि लेखक नया है, इसलिए कृपया लेखक को समझें! वह आगे चलकर निश्चित रूप से बेहतर लिखना सीखेगा..........कहानी में गलतियों को लेखक को बताएं..ताकि वह

लेखक त्रुटियों को सुधारने का प्रयास करेगा...

और नये जोश से लिखेंगे..!

कहानी जारी है...अगला एपिसोड..हर एक दिन एक एपिसोड पोस्ट किया जाएगा।

।धन्यवाद


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कथा