भुतिया एक्स्प्रेस अनलिमिटेड कहाणीया - 40 Jaydeep Jhomte द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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भुतिया एक्स्प्रेस अनलिमिटेड कहाणीया - 40

Ep ४०

डरावना ट्रक भाग 2



{डर यहीं ख़त्म नहीं होता.}







"ओ दादा..? मानो किसी भूत को देखकर चिल्ला रहा हो क्यों..?" सामने से एक इंसान जैसी आवाज आई, तभी रघु ने टपीर के अंदर देखा, उसे सामने दृश्य दिखाई दिया कि एक 20 वर्षीय युवक टिमटिमाते दीपक की रोशनी में खड़ा था, युवक ने पीली टी-शर्ट पहनी हुई थी और नीचे चॉकलेटी रंग का पेंट लगा हुआ था और उसके चेहरे पर युवक के बाल उग आए थे, इसलिए रघु डर के मारे उस पर चिल्लाया था, लेकिन देख रहा था। कि वह मानव था, वह पुनर्जीवित हो गया।

"क्या बात है... बेटा? तुम अचानक कहाँ से आ गये..?" रघु ने उस अजीब युवक से डरते हुए पूछा,

"यहाँ रहें...!"

युवक ने शून्य दृष्टि से देखते हुए कहा।

"लेकिन वहाँ कोई नहीं था जिसने मुझे देखा.??" रघु ने चेहरे पर नकली मुस्कान लाते हुए कहा क्योंकि वह बहुत डरा हुआ था।

"क्या हुआ भाई..! मैं इनवर्टर चेक कर रहा था, हाय इस टेबल के नीचे, तभी तुमने मुझे नहीं देखा, लेकिन जैसे ही तुमने मेरी आवाज सुनी, मैं खड़ा हो गया...!"

"तो...! तो बल्ब क्यों टिमटिमा रहा है...?"

रघु ने टिमटिमाते दीपक की ओर देखकर कहा,

"हाँ... हाँ!" युवक ने फिर से अपने चेहरे से बाल हटाते हुए कहा।

रघु ने युवक की ओर देखते हुए कहा।

इस वाक्य के साथ युवक ने रघु को बिसलेरी की एक बोतल देते हुए कहा.

"ठंड नहीं है...!"
"चल रहा हूँ..." राम्या ने इतना ही कहा, क्योंकि वह बहुत प्यासा था, और प्यास लगने पर भी किसी को गर्म या ठंडा कुछ नहीं दिखता, रघु ने समूहों में, समूहों में पानी पिया।

और राम्या हैरान हो गई, लेकिन पानी पीते समय रघु ने एक अजीब बात देखी, कि वह युवक हमेशा उन दोनों को फीकी मुस्कान के साथ देख रहा था, और आखिरकार देखते समय उसकी आँखें बिल्कुल भी नहीं हिल रही थीं, यह रघु को अजीब लग रहा था,

लेकिन इसके बारे में ज्यादा सोचे बिना उसने अपना बैग साइड टेबल पर रख दिया और दोनों टेबल के पास कुर्सियों पर बैठ गए।

"चाय क्यों लाओ...?" यह आवाज रघु के बिल्कुल करीब यानी उसके पीछे आई, अचानक आई आवाज को सुनकर रघु ने पीछे देखा, वह युवक रघु के पीछे खड़ा था।

"नई नई पनिच बस? हम तुरंत निकलना चाहते हैं..!" रघु को लगा कि लड़के का व्यवहार थोड़ा अप्रत्याशित और अजीब है, लेकिन रघु शहर में दिन में 3-4 बार चाय पीता था, लेकिन इस समय उसने किसी तरह खुद को रोक लिया। उसका आग्रह.

"उन्हें क्यों लाओ...?" युवक ने राम्या को जीभ चाटते हुए देखते हुए कहा।

"नहीं, नहीं....! यह चाय मत पियो....!" रघु ने झूठ बोला।

"तुम्हारा नाम क्या है बेबी? और तुम्हारे माता-पिता कहाँ हैं...?"

रघु ने युवक से पूछा,

"मैं होशियार हूँ...! मेरे माता-पिता..." युवक कुछ और कहने ही वाला था... एक बड़ा ट्रक नो पैडल की आवाज के साथ डायन जंगल में चला गया, मानो ट्रक जंगल की ओर तेजी से चला गया था, और तभी रघु की नज़र राजमार्ग पर पड़ी,

"यह उसकी कार को रोकने के लिए एक ट्रक है?" अपने आप से यह कहते हुए, रघु ने पीछे देखा और एक पल के लिए आश्चर्यचकित रह गया, क्योंकि सामने - क्योंकि अब सामने कोई नहीं था,

"कहाँ गई ये रोशनी...????" रघु ने निगलते हुए कहा।

"मैं हाय...की! राम्या जो मेज पर सिर रखकर बैठा था , उसने नशे में कहा, फिर रघु ने राम्या की ओर देखा और कहा,

"यहाँ, परिस्थिति क्या है और तू माद% त सो रहा हैं...!"

चलो राम्या, उठो! नहीं तो लात ही मारता है..धू×××त..! मा¤¤¤at "

"आपने मुझे बुलाया...???" पीछे से फिर वही आवाज़ आई और इस लगातार आवाज़ से फिर रघु का दिल डर से भर गया, एक पल के लिए उसे लगा कि उसे पता है कि क्या हो रहा है, उसने सीने पर हाथ रखकर उस युवक की ओर देखा और कहा,

"अरे पापा, आप भूत की तरह मेरे पीछे क्या कर रहे हो? आप नशा क्यों करना चाहते हो?"

रघु ने आह भरते हुए कहा,

"मैं यहीं था," उज्ज्वल ने फिर से अपने चेहरे से बाल साफ़ करते हुए कहा, तभी एक ट्रक के हॉर्न की आवाज़ फिर से वातावरण में गूँज उठी, इस आवाज़ के साथ रघु ने हाईवे पर एक नज़र डाली, हालाँकि वहाँ एक भी नहीं था राजमार्ग पर अकेला पक्षी.

"क्या बात है उज्वल, क्या तुमने ट्रक देखा?" रघु ने उज्वल की ओर प्रश्नवाचक दृष्टि से देखा, लेकिन उज्वल उसकी बातों पर ध्यान नहीं दे रहा था, वह बस सोती हुई राम्या को अपने होंठ चाटते हुए देख रहा था, जो रघु को थोड़ा अजीब लगा।

इस समय 6 बजे के बाद अंधेरा हो गया था क्योंकि यह ठंड का महीना था और यह एक जंगली इलाका था, वातावरण ठंडा हो रहा था और चारों ओर हल्का कोहरा था, और पक्षी आवाज के साथ घर जाने वाले थे। उनके पंखों का टिमटिमाता हुआ दीपक भी अब तक ठीक हो चुका था, जिसकी पीली रोशनी अब तीनों के चेहरे पर पड़ रही थी, राम्या का नशा भी थोड़ा कम हो गया था, क्योंकि राम्या अब कुर्सी पर अकड़कर बैठी थी।

रघु ने राम्या की ओर देखते हुए कहा। रघु के इस वाक्य पर राम्या ने एक बुद्धिमान लड़के की तरह केवल दो बार नीचे देखा, रघु को यह सब करने की आदत थी, उसने उज्वल की ओर देखा और कहा।

"चलो, लगता है हमारा काम हो गया!" रघु ने कहा


क्रमशः





महत्वाच संदेश- सदर कथेत उच्चार केलेल्या गावाच नाव आणि तिथली परिस्थिती हे सर्वकाही काल्पनिक असून .. वाचकांनी ही कथा ,त्यात असलेले पात्र, मृत व्यक्ति, एकंदरीत सर्वच्या सर्वच परिस्थिती काल्पनिक नजरेने पाहावी- आणी


फक्त मनोरंजन व्हावा ह्या हेतूने कथा वाचावीत🙏


ह्या कथेत लेखकाने गरज असल्याने भूत,प्रेत, अंधश्रद्धा दाखवली आहे - पन, लेखकाचा ह्या कथेवाटे समाजात अंधश्रद्धा पसरवण्याचा मुळीच हेतू नाही. जर कोणी लेखकाला पर्सनल मेसेज करून आक्षेपार्ह मेसेज आणि वागणूक दिली- तर कायद्यानूसार कारवाई करून कडक, एक्शन घेतली जाईल!


सदर कथेत शुद्धलेखनाच्या चुका असू शकतात तर कृपया करून लेखकास समजून घ्या !


लेखक चुका सुधारण्याचा प्रयत्न करत आहे ..


धन्यवाद..






कथा सुरु ...


महत्वपूर्ण संदेश- कहानी में वर्णित गांव का नाम और वहां की स्थिति सब काल्पनिक है।


कहानियाँ केवल मनोरंजन के लिए ही पढ़ी जानी चाहिए


इस उल्लेख आहे .

कथेत अंधश्रद्धा आहे परंतू लेखक तिला खतपाणी घालत नाही ... गरज असल्याने तिच वापर केल गेल आहे कृपया भयरसिकांनी कथा आन्ंद मिळाव ह्या उद्दीष्टाने वाचावी .


महत्वाच संदेश- सदर कथेत उच्चार केलेल्या गावाच नाव आणि तिथली परिस्थिती हे सर्वकाही काल्पनिक असून .. वाचकांनी ही कथा ,त्यात असलेले पात्र, मृत व्यक्ति, एकंदरीत सर्वच्या सर्वच परिस्थिती काल्पनिक नजरेने पाहावी- आणी फक्त मनोरंजन व्हावा ह्या हेतूने कथा वाचावीत अशी माझी प्रत्येक वाचका प्रती नम्र विनंती आहे. 🙏


ह्या कथेत लेखकाने गरज असल्याने भूत,प्रेत,पिशाच्च ,हडळ,डाकिनी ,याक्षिणी अशी भुत आनी अंधश्रद्धा दाखवली आहे - पन, लेखकाचा ह्या कथेवाटे समाजात अंधश्रद्धा पसरवण्याचा मुळीच हेतू नाही. हे वाचकांनी समजुन घ्या - जर कोणीही लेखकाला पर्सनल मेसेज करून आक्षेपार्ह शिवी गाळ करणारे मेसेज आणि वाईट ,हिंसक वागणूक दिली- तर कायद्यानूसार त्या वाचकावर कठोर कारवाई करून त्यावर कडक, एक्शन घेतली जाईल! सदर कथेत शुद्धलेखनाच्या चुका असू शकतात, कारण लेखक नवा आहे नवखा आहे , तर कृपया करून त्या लेखकास समजून घ्या ! तो पुढे जाऊन नक्कीच चांगल्या पद्धतीने लिहायला शिकेल ............ कथेत आढ्ळणा-या चुका लेखकास निदर्शनास आणून द्या..जेणेकरुन तो

लेखक चुका सुधारण्याचा प्रयत्न करिल.....

आनी नव्या जोशाने लिहिल..!

महत्वपूर्ण संदेश- सदर कथा उरार केलेलिया गावच नाव और तिथि पृष्टिति हे सर्वकाही काल्पनिक आसुन .. वाचकन्नी असले ही कथा, त्यात् ‍ यत् ले पात्र, मृत व्यक्ति, एकेंद्रित ‍ सर्वच सर्वाच पृष्टि ‍ काल्पनिक नजरें पाहावी- और वास्तविक मनोरंजन व्हावा हया हेतुने कथा वाचावित आशी माझी हर वाचका प्रति। नम्र विनन्ति आहे। 🙏

ह्या कथेत लेखक· गैर असल्याने भूत,प्रेत,पिशाच,हडळ,डाकिनी,यक्षिणी अशी भुत अनी अंधश्रद्धा देखावली एहे - पन,लेखक हया कथेवते समाजात् अंधश्रद्धा पसरव्याचा मुळीच हेतु नहीं। वाचकन्नी समजुन घ्या - एक जर कोनिही राइटरला पर्सनल मेसेज करून अक्सेरह शिवी गाळ कर्नारे मेसेज एनी वेट, हिंसक वागानुक डेली-टार कायद्यानुसार त्या वाचकवर हार्ड कारवाई करुन तयावर कडक, एक्शन घेतली जेल! सड कथेत शुद्धलेखनाच्या ने अस्सु शक्तात का भुगतान किया, क्योंकि लेखक नवा अहे नवाखा आहे , तर कृपया करून त्यास लेखक समजून ग्या ! तो पुढे जाऊं नक्की चांगल्या पद्धतिने लिहायला शिकेल ............ कथेत आध्लाना-या भुगतान लेखक निदर्शनास अनून द्या..जेनेकरुन तो

लेखक ने सुधार का प्रयास किया...

आनी नव्या जोशाने लिहिल..!



कथा सुर...


कथा सुरु...नेकस्ट एपिसोड.. दर एकदिवसाआड एक भाग पोस्ट होइल.

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सदर कथा काल्पनिक आहे !

कथेत भुत ,प्रेत अमानविय शक्तिंचे उल्लेख आहे .

कथेत अंधश्रद्धा आहे परंतू लेखक तिला खतपाणी घालत नाही ... गरज असल्याने तिच वापर केल गेल आहे कृपया भयरसिकांनी कथा आन्ंद मिळाव ह्या उद्दीष्टाने वाचावी .


धन्यवाद





कथा सुरु ...


महत्वपूर्ण संदेश- कहानी में वर्णित गांव का नाम और वहां की स्थिति सब काल्पनिक है।


कहानियाँ केवल मनोरंजन के लिए ही पढ़ी जानी चाहिए


इस कहानी में लेखक ने भूत-प्रेत और अंधविश्वास को आवश्यकता के कारण दर्शाया है - लेखक का इस कहानी के माध्यम से समाज में अंधविश्वास फैलाने का कोई इरादा नहीं है। यदि कोई व्यक्ति व्यक्तिगत संदेशों के माध्यम से लेखक को आपत्तिजनक संदेश और व्यवहार भेजता है तो कानून के अनुसार कड़ी कार्रवाई की जाएगी!


कहानी में वर्तनी की गलतियाँ हो सकती हैं, इसलिए कृपया लेखक को समझें!


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धन्यवाद..

यह कहानी काल्पनिक है!

कहानी में भूत-प्रेत और अमानवीय शक्तियों का जिक्र है।

कहानी में अंधविश्वास है लेकिन लेखक इसमें कुछ नहीं जोड़ता... इसका इस्तेमाल इसलिए किया गया है क्योंकि यह जरूरी है।


महत्वपूर्ण संदेश- कहानी में वर्णित गांव का नाम और वहां की स्थिति सब काल्पनिक है। विनम्र निवेदन। 🙏


इस कहानी में लेखक ने आवश्यकता के कारण भूत-प्रेत, लाश, पिशाच, पिशाच, डाकिनी, यक्षिणी जैसे भूत-प्रेत और अंधविश्वासों को दर्शाया है - लेकिन इस कहानी के माध्यम से समाज में अंधविश्वास फैलाने का लेखक का कोई इरादा नहीं है। पाठक इसे समझें - यदि कोई लेखक को आपत्तिजनक अपमानजनक संदेश और बुरे, हिंसक व्यवहार वाले व्यक्तिगत संदेश भेजता है - तो उस पाठक के खिलाफ कानून के अनुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी! इस कहानी में वर्तनी की गलतियाँ हो सकती हैं, क्योंकि लेखक नया है, इसलिए कृपया लेखक को समझें! वह आगे चलकर निश्चित रूप से बेहतर लिखना सीखेगा..........कहानी में गलतियों को लेखक को बताएं..ताकि वह

लेखक त्रुटियों को सुधारने का प्रयास करेगा...

और नये जोश से लिखेंगे..!

कहानी जारी है...अगला एपिसोड..हर एक दिन एक एपिसोड पोस्ट किया जाएगा।

।धन्यवाद


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