भुतिया एक्स्प्रेस अनलिमिटेड कहाणीया - 39 Jaydeep Jhomte द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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भुतिया एक्स्प्रेस अनलिमिटेड कहाणीया - 39

Ep ३९
डरावना ट्रक 1
भाग ---- पहला



शाम के 5:30 बज रहे थे, सूरज अभी भी आसमान में था और अपनी शानदार रोशनी ज़मीन पर फेंक रहा था, दो-तिहाई जवान हाईवे पर कहीं चल रहे थे, आइए देखते हैं कौन हैं ये जवान और कहां हैं घूम रहे हैं।
"ओह आओ....राम्या...! चल या जोर से....भें......त?"
रघु ने अपनी दोस्त यानी राम्या से कहा
रघु- और राम्या बहुत करीबी दोस्त थे, रघु शरीर से पतला और आकार में बड़ा और स्वतंत्र था, जबकि राम्या अपने स्वभाव से अलग थी, राम्या को शराब की लत थी, वह शरीर के आकार में बहुत मोटा और लंबा था, ये दोनों भी एक दूसरे के थे गाँव में कोई काम न होने के कारण वे दोनों शहर आ गये, शहर आने के बाद दोनों को एक ही कंपनी में नौकरी मिल गयी, फिर वे दोनों शहर में एक किराये के कमरे में रहने लगे। हफ़्तों तक शहर में रहने के बाद वे वापस आते थे और 5-6 महीने बाद फिर वही क्रम शुरू हो जाता था, उसी तरह आज भी 6 महीने बाद वे दोनों अपने गाँव की ओर चल पड़े, जिस गाँव में वे जाते थे हर बार एक विशेष रिक्शा और आज भी

उन्होंने एक ही रिक्शा लिया था, लेकिन आज उनकी किस्मत ख़राब निकली, यानी रिक्शा आधे रास्ते में बंद हो गया, और अब दोनों को पैदल ही अपने गाँव जाना पड़ा, नाम एक ही था
"जादुई जंगल शुरू होता है...!" रघु ने सामने देखते हुए कहा। सड़क के बगल में एक बड़ा नीला बोर्ड था, जिस पर बड़े-बड़े सफेद अक्षरों में वह वाक्य लिखा था, जो रघु ने कुछ देर पहले ही कहा था।
"क्या...? परम्भा...?" राम्या ने नशे में अलग स्वर में कहा,
"ये बेवड्या...परंभ नई....रे...? शुरू करो...!"रघु ने नशे में झूम रही राम्या की ओर देखते हुए कहा।
"पानी ही क्या...? तनावग्रस्त हो गया...!"
रम्या ने अपनी जीभ चाटते हुए कहा.
"अरे...भ$#$#थ....त्यो...मुत पलाई तो कामी ही का! ...अब मुझे पानी चाहिए...!"
रघु ने राम्या को डांटा, क्योंकि वह भी प्यासा था, कमरे से बाहर निकलते समय रघु ने राम्या को अपने साथ पानी की बोतल रखने के लिए कहा, लेकिन नशे में धुत राम्या को रघु की कोई बात समझ नहीं आई और उसने इधर-उधर देखा कि पानी उपलब्ध है या नहीं। रघु को थोड़ी दूरी पर एक चाय की टपीर दिखी तो रघु और नशे में धुत्त राम्या उस टपीर की ओर चलने लगे।

हाथ में बैग संभालते हुए उन दोनों ने एक कदम उस टपीर की ओर बढ़ाया, नीले प्लास्टिक और लकड़ी से बनी वह चाय की टपीर बहुत डरावनी लग रही थी, पूरे जंगल में वह एकमात्र टपीर थी, जैसे ही वे टपीर के पास पहुँचे, रघु ने उसे ले लिया अंदर देखा, पूरा टपीर काला था, वहां कोई नहीं था, लेकिन एक बात रघु ने नोटिस की कि टपरी के सामने टेबल पर सारा सामान था, टोपी और जार के अंदर कुछ प्लास्टिक के जार, बिस्कुट और टोस्ट थे।
"यह सब सामान यहाँ है, नमस्ते कहो? क्या कोई यहाँ हो सकता है?"
रघु ने खुद से कहा, और चारों ओर देखते हुए आवाज लगाई।
"कौन है का आत...????" रघु ने जोर से कहा, उसकी आवाज सुनकर राम्या जोर-जोर से चिल्लाने लगी।
"म्या हाय...म्या हाय...! रम्या ने नशे में बैल की तरह सिर हिलाते हुए कहा।
"ओह, राम्या, तुम चुप क्यों हो, लेका...? तुम बहुत चढ़ गई हो..!"
राम्या ने राघ्या की ओर देखा और कहा, उसकी बात पर राघ्या ने बच्चों की तरह अपने हाथ जोड़ लिए और उसके मुंह पर अपनी उंगली रख दी, कि उसी समय तपीर में पीला बल्ब टिमटिमाती रोशनी के साथ जलने लगा और उसी की रोशनी में टिमटिमाते दीपक में एक मानव जैसी आकृति खड़ी थी,
चूंकि रघु काफी पीछे था, इसलिए उसने अभी तक आकृतियां नहीं देखी थीं, लेकिन वे जो भी अमानवीय अवतार थे, उसकी नजर उन दोनों पर टिकी थी...! रघु को लगने लगा था कि उसके पीछे कोई खड़ा है इसलिए उसने एक कदम पीछे हटकर पीछे देखा और जैसे ही अगला दृश्य देखा तो उसके मुँह से जोर की चीख निकल गई!

आ...................!!!!!!


क्रमश:








महत्वाच संदेश- सदर कथेत उच्चार केलेल्या गावाच नाव आणि तिथली परिस्थिती हे सर्वकाही काल्पनिक असून .. वाचकांनी ही कथा ,त्यात असलेले पात्र, मृत व्यक्ति, एकंदरीत सर्वच्या सर्वच परिस्थिती काल्पनिक नजरेने पाहावी- आणी


फक्त मनोरंजन व्हावा ह्या हेतूने कथा वाचावीत🙏


ह्या कथेत लेखकाने गरज असल्याने भूत,प्रेत, अंधश्रद्धा दाखवली आहे - पन, लेखकाचा ह्या कथेवाटे समाजात अंधश्रद्धा पसरवण्याचा मुळीच हेतू नाही. जर कोणी लेखकाला पर्सनल मेसेज करून आक्षेपार्ह मेसेज आणि वागणूक दिली- तर कायद्यानूसार कारवाई करून कडक, एक्शन घेतली जाईल!


सदर कथेत शुद्धलेखनाच्या चुका असू शकतात तर कृपया करून लेखकास समजून घ्या !


लेखक चुका सुधारण्याचा प्रयत्न करत आहे ..


धन्यवाद..






कथा सुरु ...


महत्वपूर्ण संदेश- कहानी में वर्णित गांव का नाम और वहां की स्थिति सब काल्पनिक है।


कहानियाँ केवल मनोरंजन के लिए ही पढ़ी जानी चाहिए


इस उल्लेख आहे .

कथेत अंधश्रद्धा आहे परंतू लेखक तिला खतपाणी घालत नाही ... गरज असल्याने तिच वापर केल गेल आहे कृपया भयरसिकांनी कथा आन्ंद मिळाव ह्या उद्दीष्टाने वाचावी .


महत्वाच संदेश- सदर कथेत उच्चार केलेल्या गावाच नाव आणि तिथली परिस्थिती हे सर्वकाही काल्पनिक असून .. वाचकांनी ही कथा ,त्यात असलेले पात्र, मृत व्यक्ति, एकंदरीत सर्वच्या सर्वच परिस्थिती काल्पनिक नजरेने पाहावी- आणी फक्त मनोरंजन व्हावा ह्या हेतूने कथा वाचावीत अशी माझी प्रत्येक वाचका प्रती नम्र विनंती आहे. 🙏


ह्या कथेत लेखकाने गरज असल्याने भूत,प्रेत,पिशाच्च ,हडळ,डाकिनी ,याक्षिणी अशी भुत आनी अंधश्रद्धा दाखवली आहे - पन, लेखकाचा ह्या कथेवाटे समाजात अंधश्रद्धा पसरवण्याचा मुळीच हेतू नाही. हे वाचकांनी समजुन घ्या - जर कोणीही लेखकाला पर्सनल मेसेज करून आक्षेपार्ह शिवी गाळ करणारे मेसेज आणि वाईट ,हिंसक वागणूक दिली- तर कायद्यानूसार त्या वाचकावर कठोर कारवाई करून त्यावर कडक, एक्शन घेतली जाईल! सदर कथेत शुद्धलेखनाच्या चुका असू शकतात, कारण लेखक नवा आहे नवखा आहे , तर कृपया करून त्या लेखकास समजून घ्या ! तो पुढे जाऊन नक्कीच चांगल्या पद्धतीने लिहायला शिकेल ............ कथेत आढ्ळणा-या चुका लेखकास निदर्शनास आणून द्या..जेणेकरुन तो

लेखक चुका सुधारण्याचा प्रयत्न करिल.....

आनी नव्या जोशाने लिहिल..!

महत्वपूर्ण संदेश- सदर कथा उरार केलेलिया गावच नाव और तिथि पृष्टिति हे सर्वकाही काल्पनिक आसुन .. वाचकन्नी असले ही कथा, त्यात् ‍ यत् ले पात्र, मृत व्यक्ति, एकेंद्रित ‍ सर्वच सर्वाच पृष्टि ‍ काल्पनिक नजरें पाहावी- और वास्तविक मनोरंजन व्हावा हया हेतुने कथा वाचावित आशी माझी हर वाचका प्रति। नम्र विनन्ति आहे। 🙏

ह्या कथेत लेखक· गैर असल्याने भूत,प्रेत,पिशाच,हडळ,डाकिनी,यक्षिणी अशी भुत अनी अंधश्रद्धा देखावली एहे - पन,लेखक हया कथेवते समाजात् अंधश्रद्धा पसरव्याचा मुळीच हेतु नहीं। वाचकन्नी समजुन घ्या - एक जर कोनिही राइटरला पर्सनल मेसेज करून अक्सेरह शिवी गाळ कर्नारे मेसेज एनी वेट, हिंसक वागानुक डेली-टार कायद्यानुसार त्या वाचकवर हार्ड कारवाई करुन तयावर कडक, एक्शन घेतली जेल! सड कथेत शुद्धलेखनाच्या ने अस्सु शक्तात का भुगतान किया, क्योंकि लेखक नवा अहे नवाखा आहे , तर कृपया करून त्यास लेखक समजून ग्या ! तो पुढे जाऊं नक्की चांगल्या पद्धतिने लिहायला शिकेल ............ कथेत आध्लाना-या भुगतान लेखक निदर्शनास अनून द्या..जेनेकरुन तो

लेखक ने सुधार का प्रयास किया...

आनी नव्या जोशाने लिहिल..!



कथा सुर...


कथा सुरु...नेकस्ट एपिसोड.. दर एकदिवसाआड एक भाग पोस्ट होइल.

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सदर कथा काल्पनिक आहे !

कथेत भुत ,प्रेत अमानविय शक्तिंचे उल्लेख आहे .

कथेत अंधश्रद्धा आहे परंतू लेखक तिला खतपाणी घालत नाही ... गरज असल्याने तिच वापर केल गेल आहे कृपया भयरसिकांनी कथा आन्ंद मिळाव ह्या उद्दीष्टाने वाचावी .


धन्यवाद





कथा सुरु ...


महत्वपूर्ण संदेश- कहानी में वर्णित गांव का नाम और वहां की स्थिति सब काल्पनिक है।


कहानियाँ केवल मनोरंजन के लिए ही पढ़ी जानी चाहिए


इस कहानी में लेखक ने भूत-प्रेत और अंधविश्वास को आवश्यकता के कारण दर्शाया है - लेखक का इस कहानी के माध्यम से समाज में अंधविश्वास फैलाने का कोई इरादा नहीं है। यदि कोई व्यक्ति व्यक्तिगत संदेशों के माध्यम से लेखक को आपत्तिजनक संदेश और व्यवहार भेजता है तो कानून के अनुसार कड़ी कार्रवाई की जाएगी!


कहानी में वर्तनी की गलतियाँ हो सकती हैं, इसलिए कृपया लेखक को समझें!


लेखक गलतियों को सुधारने का प्रयास कर रहा है..




धन्यवाद..

यह कहानी काल्पनिक है!

कहानी में भूत-प्रेत और अमानवीय शक्तियों का जिक्र है।

कहानी में अंधविश्वास है लेकिन लेखक इसमें कुछ नहीं जोड़ता... इसका इस्तेमाल इसलिए किया गया है क्योंकि यह जरूरी है।


महत्वपूर्ण संदेश- कहानी में वर्णित गांव का नाम और वहां की स्थिति सब काल्पनिक है। विनम्र निवेदन। 🙏


इस कहानी में लेखक ने आवश्यकता के कारण भूत-प्रेत, लाश, पिशाच, पिशाच, डाकिनी, यक्षिणी जैसे भूत-प्रेत और अंधविश्वासों को दर्शाया है - लेकिन इस कहानी के माध्यम से समाज में अंधविश्वास फैलाने का लेखक का कोई इरादा नहीं है। पाठक इसे समझें - यदि कोई लेखक को आपत्तिजनक अपमानजनक संदेश और बुरे, हिंसक व्यवहार वाले व्यक्तिगत संदेश भेजता है - तो उस पाठक के खिलाफ कानून के अनुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी! इस कहानी में वर्तनी की गलतियाँ हो सकती हैं, क्योंकि लेखक नया है, इसलिए कृपया लेखक को समझें! वह आगे चलकर निश्चित रूप से बेहतर लिखना सीखेगा..........कहानी में गलतियों को लेखक को बताएं..ताकि वह

लेखक त्रुटियों को सुधारने का प्रयास करेगा...

और नये जोश से लिखेंगे..!

कहानी जारी है...अगला एपिसोड..हर एक दिन एक एपिसोड पोस्ट किया जाएगा।

।धन्यवाद


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यह कहानी काल्पनिक है!

कहानी में भूत-प्रेत और अमानवीय शक्तियों का जिक्र है।

कहानी में अंधविश्वास है लेकिन लेखक इसमें कुछ नहीं जोड़ता... इसका इस्तेमाल इसलिए किया गया है क्योंकि यह जरूरी है।


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