ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 6 astha singhal द्वारा क्राइम कहानी में हिंदी पीडीएफ

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ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 6

कविता ने नीलम की सभी दोस्तों को फोन किया। पर उनसे कुछ खास खबर नहीं मिल पाई। सबका एक ही कहना था कि उनकी ज़्यादा बातचीत या मुलाकात नहीं होती नीलम से। पर …. सबने किसी सोनम का नाम लिया। सोनम और नीलम एक ही स्कूल से पढ़े थे। शायद वो जानती हो नीलम के बारे में।


कविता ने तुरंत अमोल को फोन मिलाया।


"नमस्ते भाभी। कुछ…पता चला नीलम का?" अमोल ने फोन उठाते ही पूछा।


"अमोल….सोनम कौन है? इसका नम्बर आपने हमें नहीं दिया?" कविता ने छूटते ही कहा ‌।


"अ…भाभी…सोनम, नीलम की बचपन की सहेली है। दरअसल मैंने इसका नम्बर इसलिए नहीं दिया क्योंकि ये यहांँ नहीं अमेरिका रहती हैं। नीलम के वॉट्सएप पर ज़रुर होगा इनका नम्बर।"


"तो नीलम की इससे बातचीत नहीं थी?" कविता ने पूछा।


"ऐसा नहीं है कि बातचीत नहीं थी। मेरे ख्याल से वॉट्सएप पर चैट होती होगी। फोन ज़्यादा नहीं हो पाते थे। अमेरिका और इंडिया में दिन और रात का अंतर है ना भाभी। वहाँ दिन तो यहांँ रात…"


"ठीक है अमोल।" ये कह कविता ने फोन रख दिया।


कविता ने नीलम का फेसबुक अकाउंट खोला और उसकी की गई सभी पोस्ट को देखने लगी। कुछ तस्वीरों को उसने बहुत गौर से देखा और उन्हें कॉपी कर लिया। देखते - देखते वो कुछ पुरानी तस्वीरों पर पहुंँची। नीलम ने अपने स्कूल की कुछ तस्वीरें डाल रखीं थीं। और लिख रखा था, "टू माई बैस्ट फ्रैंड सोनल!"


काफी देर फेसबुक अकाउंट खंगालने के बाद कविता को कुछ बहुत ठोस जानकारियांँ प्राप्त हुई। उसने किसी को फोन किया और उसे खिड़की एक्सटेंशन के थाने में आने को कहा। फिर वह उठी और विक्रम के ऑफिस की तरफ निकल गई।


************


रास्ते में कविता ने ना जाने क्या सोचकर अपनी स्कूटी खिड़की एक्सटेंशन की तरफ मोड़ ली और‌ मोनिका के घर के सामने रोक दी। दरवाज़े की घंटी बजाई तो मोनिका के छह वर्षीय बेटे दीपक ने दरवाज़ा खोला।


“अरे! आप तो वही आंटी हो ना जो पुलिस अंकल के साथ थीं।” दीपक ने उछलते हुए कहा।


“वाह! आप तो बहुत इंटेलिजेंट हो! मम्मी घर पर हैं?” कविता ने उसे एक टॉफी निकाल कर देते हुए कहा।


“नहीं, वो चित्रा के घर गयी हैं।” चार वर्षीय अमायरा ने झट से उत्तर दिया और टॉफी के लिए अपना हाथ आगे कर दिया।


कविता उसकी मासूमियत पर मुस्कुरा दी। उसको टॉफी दी और प्यार से उसके गाल पर चूम लिया।


“मम्मी वहाँ क्या कर रहीं हैं?” कविता ने पूछा।


“वो कह रहीं थीं कि नीलम आंटी के घर की सफाई करवाने जा रहीं हैं।” दीपक बोला।


तभी कविता की नज़र टेबल पर पड़ी। वहाँ एक एल्बम खुली रखी थी।


“आप लोग पुरानी फोटो देख रहे थे?” कविता ने प्यार से बच्चों से पूछा।


“हाँ, पुरानी फोटो देख कर चित्रा और रोहित को याद कर रहे थे। वो दोनों नानी के घर चले गए ना इसलिए।” अमायरा बोली।


कविता गौर से उन तस्वीरों को देखने लगी।


“ये देखिए आंटी, ये कुछ महीने पहले हम सब कुतुब मीनार घूमने गए थे। और ये देखिए, पिछले साल की न्यू ईयर पार्टी की फोटो।” दीपक उसे एक के बाद एक फोटो दिखाता गया।


“वाह! ब्यूटीफुल फोटो। मैं इस फोटो की फोटो खींच लूँ क्या?” कविता ने प्यार से दोनों बच्चों से पूछा।


“हाँ खींच लो।” अमायरा बोली।


फोटो खींचते हुए कविता की नज़र एक फोटो पर गयी जिसमें नीलम नाच रही थी।


“अरे! आपकी नीलम आंटी डांस भी करती हैं?” कविता ने पूछा।


“हाँ आंटी, नीलम आंटी तो बहुत ब्यूटीफुल डांस करती हैं, पर…” ये कह दीपक चुप हो गया।


“पर क्या बेटा?” कविता ने उससे प्यार से पूछा।


“वो…अमोल अंकल को नीलम आंटी का डांस करना पसंद नहीं है।” दीपक ने बताया।


“क्यों? अमोल अंकल को क्यों पसंद नहीं है?”


“पता नहीं आंटी, पर न्यू ईयर पार्टी वाली रात जब मैं क्लब हाउस से टॉयलेट करने जा रहा था तब अंकल और आंटी में झगड़ा हो रहा था। अंकल आंटी को डांट रहे थे। कह रहे थे कि तुमको सबके सामने डांस नहीं करना चाहिए था।” दीपक ने उस दिन की बात को याद करते हुए कहा।


“और नीलम आंटी…वो चुप थीं या कुछ बोलीं?” कविता ने प्रश्न भरे लहज़े में पूछा।


“वो…शायद रो रहीं थीं। उनकी बात समझ नहीं आई आंटी। पता नहीं क्या वर्ड बोला उन्होंने अंकल को कि तुम्हें मुझपर…ट्…ट्र.. कुछ ट से था वो वर्ड।” छह साल का दीपक अपने नन्हें से दिमाग पर ज़ोर देते हुए बोला।


“ट्रस्ट कहा था क्या उन्होंने?” कविता बोली।


“हाँ, हाँ आंटी, यही वर्ड था, वो बोल रहीं थीं कि तुम को मुझ पर ट्.. ट्रस्ट नहीं है।”


“अच्छा, क्या मुझे एक गिलास पानी मिल सकता है।” कविता ने अमायरा से कहा।


“मैं लाकर देता हूँ पानी।” दीपक बोला।


“नहीं, मैं लाऊँगी, आंटी ने मुझे कहा है।” अमायरा ज़िद्द पकड़कर बैठ गई।


“अरे! अरे! सो स्वीट! आप दोनों ला दो!” कविता ने हँसते हुए कहा।


दोनों किचन की तरफ भाग गए। कविता ने नज़रें घुमा कर मोनिका के घर को देखा। वो थोड़ा हैरान हुई ये देखकर कि मोनिका ने अपने घर को नीलम की तरह सजाने की कोशिश की थी। वैसे ही पर्दे, मिलते-जुलते डिज़ाइन के सोफ़ा कवर, दीवार पर तस्वीरें लगाने का वही तरीका। ऐसा लग रहा था कि वो मोनिका का नहीं नीलम का ही घर देख रही थी।


तभी दरवाज़ा खुला और मोनिका अंदर आई। मोनिका बहुत ही खुश नज़र आ रही थी। पर कविता को अंदर खड़ा देख मानो उसके होश उड़ गए। उसके चेहरे से मुस्कुराहट छूमंतर हो गई और चिंता और डर की लकीरें उसके माथे पर उभर आईं।


“आप…आप यहाँ? क्यों…मतलब कुछ काम था?” मोनिका अपनी चुन्नी सही करते हुए बोली।


“कुछ पूछना था आपसे मोनिका जी। आप किसी सोनम नाम की लड़की को जानती हैं?” कविता ने मोनिका को ऊपर से नीचे तक देखते हुए पूछा।


“सोनम? सोनम…हाँ, वो नीलम की अमेरिका वाली सहेली है।” मोनिका ने अपने आपको संभाला और सोफे पर बैठते हुए कहा।


“गुड, तो आप मुझे उनके‌ बारे में कुछ बताएं।” कविता ने कहा।


“मैम, मैं उसके बारे में ज़्यादा कुछ नहीं जानती। इतना जानती हूँ कि वो नीलम की दोस्त हैं और अमेरिका में रहती है।”


“तो, नीलम ने कभी आपको उसके बारे में कुछ जानकारी नहीं दी?”


“नहीं, कभी कोई बात नहीं हुई उसके बारे में।”


“हम्ममम…अच्छा ये बताएं कि क्या नीलम घर से कुछ काम करती थी?”


“मतलब?” मोनिका ने चौंकते हुए पूछा।


“मतलब, जैसे बहुत सी औरतें घर से ऑनलाइन काम करती हैं वैसा कुछ।”


“नहीं मैम, नीलम ऐसा कुछ काम नहीं करती थी। करती होती तो मुझे ज़रूर बताती।” मोनिका ने जवाब दिया।


“वैसे आप और नीलम बहुत अच्छे दोस्त हैं। वरना कौन किसी और के घर की सफाई करवाता है।” कविता ने व्यंग्यात्मक लहज़े में कहा।


“नीलम को साफ-सुथरा घर बहुत पसंद है। मुझे यकीन है कि जल्द आप लोग उसे ढूंढ लेंगे। जब वो घर लौट कर आएगी, तब उसे अपना घर साफ मिलना चाहिए ना।” मोनिका ने कहा।


“तभी आप कामवाली से घर साफ करवा रहीं थीं।” कविता बोली।


“नहीं, मैं खुद ही कर रही थी। मेरी कामवाली के पास समय नहीं था और नीलम की कामवाली को अमोल जीजू ने छुट्टी दे रखी है। इसलिए मैं खुद ही साफ़ सफाई कर आई।” मोनिका ने उत्तर दिया।


“क्यों अमोल ने कामवाली को छुट्टी क्यों दे दी?”


“वो बोले, बच्चे हैं नहीं तो घर क्या ही गंदा होगा। इसलिए दे दी। वो तो मेरे पास घर की चाबी होती है तो मैं जीजू के आने से पहले कर आई साफ।” मोनिका ने कहा।


“चलिए ठीक है। मैं चलती हूँ। आप सच में बहुत अच्छी पड़ोसन और दोस्त हैं मोनिका जी। अपना समय देने के लिए धन्यवाद।” ये कह कविता वहाँ से निकल गई।


क्रमशः

आस्था सिंघल