भाग–२५
"विल यू मेरी मी?"
राजीव ने अचानक मुझसे पूछ लिया था । मेरी धड़कने बड़ गई।
"बोल ना , शादी करेगी मुझसे?"
"ये क्या नया मजाक है राजीव ?" मैने खुद को संभालते हुए कहा ।
"मजाक तो जिंदगी मेरे साथ कर रही है यार"
"क्यों अब क्या हुआ?"
"यार मुझे खुद का बिजनेस स्टार्ट करना है, और उसके लिए पापा की प्रॉपर्टी में से कुछ पैसे चाहिए थे"
"हां तो?उससे शादी का क्या कनेक्शन?कल तो कह रहा था शादी नही करूंगा?"
"कल , मतलब कब? "राजीव ने नशे में जो कहा उसे याद नही था ।
"नशे में"
"मैने और क्या क्या कहा तुझे?" राजीव थोड़ा टेंशन में आ गया था।
"क्यों, कुछ छुपाना चाहता है मुझसे?"
"नहीं यार , मतलब कुछ गलत हरकत तो नही की ना?"
"तू पहले ये बता तू तो कभी नशा नहीं करता फिर कल नशे में कैसे था वो भी इतना ज्यादा की बेहोश हो गया"
"वो यार , क्या बताऊं"
"नही बताना तो कोई बात नही" मैने उसे टेंशन में देखकर वो बात को छोड़ देना ही सही समझा , जब सही वक्त होगा वो बता देगा।
"हां तो ये बता कि शादी का बिजनेस से क्या कनेक्शन?"
"यार पापा ने एक विल बनाकर रखी थी, जिसमे लिखा है कि उनकी प्रॉपर्टी मुझे तब मिलेगी जब मैं शादी कर लूंगा और मेरी शादी को एक साल हो जायेगा यानिकि फर्स्ट मैरिज एनिवर्सरी के दिन"
"व्हाट?" मेरे लिए भी ये सब अजीब था।
"मेरा भी यही रिएक्शन था यार"
"तो अब तूने क्या सोचा है?"
"यही की तू ही मेरी सबसे अच्छी दोस्त है मुझे समझती है । तो तु ही मेरी मदद कर सकती है"
"वो कैसे?"
"कॉन्ट्रैक्ट मैरिज "
"तो लड़की तो ढूंढ"
"इसलिए तो तुझे कह रहा हूं यार"
"मैं नहीं राजीव तू पागल हो गया है क्या? "
"देख यार हमेशा तूने मेरी मदद की है प्लीज इस बार भी कर दे" उसने मेरे करीब खिसक कर मेरे पास बैठते हुए मेरे दोनों हाथो को अपने हाथों में लेकर रिक्वेस्ट की।
"यार जब तूने शादी के लिए कहा मुझे लगा तू मजाक कर रहा है , राजीव शादी कोई मजाक नहीं है"
"इसलिए तो तुझे बोल रहा हूं यार, अगर किसी और लड़की से करूंगा और साल भर में उसका मन बदल गया तो? वो मुझे छोड़कर नहीं गई तो? मैं जिंदगीभर किसी को अपनी बीवी बनाकर नही रख सकता यार"
"तुझे विश्वास है मैं ऐसा नहीं करूंगी?" मैने उसकी आंखों में देखकर शंका दिखाते हुए पूछा।
"तू मुझे मुझसे भी ज्यादा समझती है। मेरी खुशी के लिए कुछ भी कर देती है , तू कभी गले नही पड़ेगी" ये सुनकर दिल में दर्द हुआ। गले पड़ना ? किसी के प्यार को राजीव गले पड़ना कहेगा ये मेने सोचा नहीं था।
मैं चुप हो गई । मेरी समझ नही आ रहा था क्या करूं?
"राजीव किसी को पता चल गया तो?"
"हम किसी को नहीं बताएंगे , एक साल बाद किसी बहाने से तलाक ले लेंगे"
"उसकी बातें चुभ तो रही थी । लेकिन उससे शादी का खयाल ही दिल में खुशी पैदा कर रहा था । मैं बहुत उलझ चुकी थी। एक तरफ ये खुशी की राजीव के साथ वक्त मिलेगा दूसरी तरफ ये दुख की बस कुछ वक्त के लिए वो वक्त मिलेगा ।
"क्या हुआ?प्लीज मेरी मदद कर दे यार , देख प्रॉपर्टी मिलने के बाद 30% तेरा "
"मेरी दोस्ती का मोल लगा रहा है तू?" मैने उसकी नजरों में देख कर पूछा।
"सॉरी यार बहुत परेशान हूं मैं"
"मुझे सोचने के लिए वक्त दे"
"ठीक है मैं 10 मिनिट बैठा हूं तू जल्दी सोच कर बता ।"
"राजीव मेरी लाइफ का सवाल है 10 मिनिट में फैसला कैसे लूं, तू अभी जा मैं तुझे बताती हूं शाम तक"
"पक्का "
"हां "
"चल ठीक है बाय, पर हां ही कहना यार" कहकर वो चला गया ।
उसके जाने के बाद मैन डोर बंद करके मैं कमरे में आई और बिस्तर पर बैठ कर फूट फूट कर रोने लगी। दिल कर रहा था पूरे घर का सारा सामान तोड़ डालू, खुद को नोच लूं । मुझे अपनी किस्मत से बहुत चिढ़ हो रही थी।
मैं काफी देर तक इसी तरह रोती रही । फिर मैंने कुछ सोचा और अपने आंसू पोंछकर फोन ढूंढा , फोन उठाकर एक नंबर डायल किया।
"हेलो"
किसका नंबर था वो? किससे बात करने वाली थी मैं ? क्या था मेरा फैसला ? जानने के लिए पढ़िए अगला भाग।