साथिया - 69 डॉ. शैलजा श्रीवास्तव द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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साथिया - 69

मैं गाड़ी में वेट करती हूं तुम्हारा..!! तुम आ जाओ। प्लीज मुझे घर जाना है।" मनु बोली और जाने लगी पर अक्षत ने उसका हाथ पकड़ लिया।

"पर हुआ क्या है?" अक्षत ने कहा तो मनु ने धीमे से उस दरवाजे की तरफ देखा।

अक्षत ने मनु का हाथ थामा और उसे कमरे की तरह बढ़ गया जहां पर की नील अभी सोया हुआ था।

"क्या चल रहा है यहां पर?" अक्षत ने कहा।

"कुछ नहीं तुम्हारे दोस्त की अय्यासी चल रही है। सब जानते थे कि यह और रिया यह गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड है। पर यह सब करने के लिए क्या ये रियूनियन पार्टी मिली थी इन लोगों को..!! हम लोगों ने रंगे हाथों पकड़ा है दोनों को।" निखिल ने कहा तो अक्षत ने उसे घूर कर देखा और कमरे के अंदर जाने लगा कि तभी रिया शर्माती मुस्कुराती थी वहां से बाहर निकलने लगी।


" वेट..!" अक्षत की कड़क आवाज उसके कानों में पड़ी तो एक पल को रिया डर गई पर फिर तुरंत ही खुद को मजबूत कर अक्षत की तरफ देखा


" क्या है ये सब.? " अक्षत बोला।
" जो दिख रहा है..! पता नही लोंगो की प्रोबलम क्या है?? हम दोनों जरा टाइम स्पेंड करने आये..!! जरा करीब आये नही की कबाब मे हड्डी बनकर आ जाते है।" रिया ने मनु की तरफ देख के कहा तो मनु की आँखे फिर भर आई।

"अक्षत प्लीज चलो इन दोनों की प्राइवेसी में दखलअंदाजी करना ठीक नहीं है। दोनों को एक दूसरे के साथ टाइम स्पेंड करने दो। वैसे भी एक दूसरे को सालों से जानते हैं, एक दूसरे को प्यार करते हैं एक दूसरे से शादी करना चाहते हैं।।और आज तो हमने देख लिया पर जाने कितनी ऐसी ही रातें दोनों ने साथ बिताई है।" मनु ने अक्षत के कंधे पर हाथ रखकर कहा तो अक्षत ने आंखें छोटी कर मनु को देखा और फिर गुस्से से रिया को देखा


" मनु प्लीज अभी शांत हो जाओ। कई बार जो दिखता है वह सच नहीं होता और तुम जितना नील को नहीं जानती उतना मैं जानता हूं और हां रिया को भी।" अक्षत ने कहा तो रिया का चेहरा गुस्से से लाल हो गया।

"तुमसे फिर पूछ रहा हूं रिया सीधे-सीधे बोलो यह सब क्या चल रहा है?" अक्षत ने कहा।

" यही चल रहा है जो तुम देख रहे हो..!! नील और मैं एक दूसरे से प्यार करते हैं, कई बार यह सब हम लोगों के बीच हो चुका है और आज भी बस मौका मिलते ही नील मुझे लेकर यहां आ गया था। पर शायद इसने ड्रिंक ज्यादा कर ली थी इसलिए इसे थोड़ी बेहोशी हो गई है और कुछ भी नहीं।" रिया बोली और तुरंत बाहर चली गई।

अक्षत नील को उठाने की कोशिश की पर वह होश में नहीं आ रहा था। अक्षत को समझते देर नहीं लगी की जरूर ही ये रिया की ही कोई हरकत है। उसने कुछ लड़कों की मदद से नील को रेडी किया और उसे कपड़े वगैरह पहना कर गाड़ी तक लेकर आया और पीछे की सीट पर लेटा दिया।

"चलो अब चले..!" अक्षत ने मनु की तरफ देखकर कहा तो मनु अक्षत के साइड वाली सीट पर बैठ गई पर उसकी आंखों से अभी आंसू निकल रहे थे।

"कहां लेकर जा रहे हो इसे...!! इसे इसके घर छोड़ दो। यह जाने इसके मां-बाप जाने।" मनु ने कहा।

"तुमसे मैंने सलाह मांगी क्या ? तुम बस चुपचाप बैठो । और यह सब क्या है रिया तुमको टोंट क्यों कर रही थी?" अक्षत ने कहा।

"उसकी आदत है और मैं कभी भी इन लोगों के बीच नहीं आई...!! ना जाने क्यों उसको गलतफहमी है कि हर समय मुझे ही कुछ ना कुछ बोलती रहती है, जबकि उसका बॉयफ्रेंड उसके चरणों में तो पड़ा रहता है और न जाने क्या चाहिए उसे।" मनु ने गुस्से से कहा।

अक्षत ने उसके बाद कोई सवाल नहीं किया और अपने मोबाइल से किसी को मैसेज कर दिया।


थोड़ी ही देर में वो लोग अक्षत के घर पहुंच चुके थे।

"इसे यहां पर क्यों लेकर आए हो? देख नहीं रहे हो नशे में धुत्त है। अभी अंकल आंटी देखेंगे तो क्या सोचेंगे..?" मनु बोली।

" कुछ नहीं सोचेंगे वो लोग और यह नशे में धुत्त नहीं है। ड्रग का असर है इस पर। इसने ड्रिंक नहीं किया हुआ है क्योंकि ये ड्रिंक नही करता। और फिर ये बेहोशी ड्रिंक की है या ड्रग कि इतना समझ आता है मुझे।" अक्षत बोला और सहारा देकर नील को अंदर लाया और अपने कमरे में ले जाकर लेटा दिया

थोड़ी ही देर में अक्षत ने जिसे मैसेज किया था वह लड़का वहाँ आ पहुंचा।
"जी सर बताइए किसका टेस्ट करना है?" उस लड़के ने कहा,

"यह मेरा फ्रेंड है नील वर्मा..!! किसी ने ड्रग्स दी है इसे। इसका ब्लड सैंपल ले लो और टेस्ट करके जल्द से जल्द रिपोर्ट बताओ मुझे की कौन सा ड्रग है इसकी बॉडी के अंदर और कितना अमाउंट में इंजेक्ट किया गया है? और क्या असर करता है" अक्षत ने कहा तो वह लड़का ब्लड सेम्पल लेकर चला गया।

अक्षत ने तुरंत ही एक मेसेज और किसी को किया और फिर मनु की तरफ देखा जो कि दरवाजे पर खड़ी उसे ही देख रही थी।

साधना और अरविंद दोनों ही इस समय सो रहे थे इसलिए उन्हें इस बारे में कुछ भी नहीं पता चला था।

"तुम्हें अब भी ऐसा लगता है कि इस पर कोई ड्रग का असर है। तुम विश्वास क्यों नहीं करते हो अक्षत इसका हमेशा का है। हमेशा इसका रिया के साथ रहा है ये सब और इन लोगों ने साथ मे कई रात...!! " बोलते बोलते मनु रुक गई।

"और यह सब तुम्हें किसने बताया?" अक्षत बोला।

"खुद रिया ने बताया है! " मनु ने कहा तो अक्षत की आंखें छोटी हो गई है और उसने मनु के कंधे पर हाथ लगाया।

"और रिया ने तुम्हें क्यों बताया है कभी सोचा तुमने??"'अक्षत ने कहा।।

"शायद उसे ऐसा लगता है कि मैं नील को या शायद उसके मन में गलतफहमी है कि नील मुझे पसंद करता है इसलिए।" मनु ने नजरे झुकाकर कहा।

अक्षत के चेहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट आई और उसने मनु के दोनों कंधा पर अपने हाथ टिका दिये


" जितना तुम नील को जानती हो उससे बहुत ज्यादा मैं जानता हूं इसे। और सच ये है कि ये रिया को बिल्कुल भी पसंद नहीं करता, प्यार तो बहुत दूर की बात है।

उससे दूर भागता है हर समय। हां रिया जरूर जबरदस्ती इसके गले पड़ी हुई है। यहां तक की एक बार नील मुझे यह भी कह रहा था कि रिया कि उल्टी सीधी बातों के कारण जिसे वह चाहता है उसके मन में भी गलतफहमी आ गई है। इसलिए अपने मन की बात भी नहीं कह सकता वह।" अक्षत ने कहा तो मनु ने आंखें बड़ी करके देखा।

"लेकिन मैंने खुद इन दोनों को देखा है साथ में।
" मनु ने कहा।

"कई बार आँखों देखी चीजे भी गलत हो जाती है। जैसे कि आज हुआ..!! तुमने तो गलत सोच लिया था ना नील के बारे में। अगर मैं नहीं आया होता तो आज तुमने डिसीजन ले लिया होता अपने मन में।" अक्षत ने कहा तो मनु ने एक नजर नील पर डाली।

'ठीक है तुम इसका ध्यान रखो..!! मैं जाती हूं।" मनु बोली और जाने लगी कि अक्षत ने उसका हाथ पकड़ लिया।

"क्या तुम नील को प्यार करती हो.??" अक्षत ने एकदम से कहा तो मनु ने अपनी आंखें बंद कर ली पर आँसुओ को न रोक सकी।

अक्षत उसके सामने आकर खड़ा हो गया।।

"जवाब दो मुझे...!! और हां सच-सच बोलना मुझे किसी भी तरह की झूठ की तुमसे उम्मीद नही है और ना ही मैं चाहता हूं कि तुम बिल्कुल भी झूठ कहो।" अक्षत होना धीमे से कहा।

मनु ने आँखे खोली और अपने आंसू पोंछे।

"पर मेरे चाहने या न चाहने से कुछ नहीं होता। यह रिया को चाहता है और इसका और रिया का रिश्ता तुम देख ही चुके हो।" मनु बोली।


"पता है मनु प्यार किसी का कब सक्सेसफुल होता है जब प्यार के अंदर विश्वास होता है..!! विश्वास जो कि मुझे है कि मेरी सांझ कभी किसी दूसरे के बारे में नहीं सोच सकती।

वहीं विश्वास रिश्ते को मजबूती देता है।

तुमने इसे प्यार तो किया पर कभी कहा नही और न ही विश्वास किया।

तुम्हारा विश्वास अगर कमजोर नहीं होता तो तुम दोनों के बीच में कभी कोई तीसरा नहीं आ सकता था।" अक्षत बोला तो मनु ने नासमझी से उसकी तरफ देखा


" चलो वह मैं बाद में तुम्हें समझा दूंगा। अभी आराम करो। तुम्हारे दिमाग को भी शांति और सुकून की जरूरत है।" अक्षत ने कहा तो मनुएक नजर सोते हुए नील को देखा और फिर अपने कमरे में चली गई।


"इसका मतलब है जिसे नील पसंद करता है वह लड़की कोई और नहीं मानसी है...!! और मनु भी उसे चाहती है। बस बीच में रिया ने गलतफहमी क्रिएट कर दी।" अक्षत खुद से बोला।

"चलो कोई बात नहीं है...!! अच्छा हुआ जो मुझे पता चल गया। अब मैं दोनों की लाइफ सेट करता हूं और साथ ही इस रिया को भी अच्छे से सबक सिखा दूंगा।" अक्षत ने खुद से ही कहा और फिर चेंज करके वह भी आकर लेट गया।
पर दिमाग में अभी अपनी एजेंट की कही बातें घूम रही थी और आंखों के आगे चल रहा था वह वीडियो जो की अक्षत ने देखा था।

साथ ही साथ आज जो कुछ भी हुआ रिया मनु नील के साथ वह भी उसके दिमाग में घूम रहा था।

एक-एक करके सभी चीजे सही करनी होगी मुझे। और सबसे पहले मनु और नील का रिश्ता सही करना होगा। कल सुबह नील से बात करता हूं।" अक्षत ने कहा और फिर सोचते सोचते उसकी भी नींद लग गई।



पर मनु की आंखों में नींद नहीं थी।

उसे वह सारे पल याद आ रहे थे जो उसकी जिंदगी में बीते थे।

नील का उसको अक्सर गहरी आंखों से देखना पर कुछ भी नहीं कहना।
अक्सर मनु को ऐसा लगता था जैसे नील उसे कुछ कहना चाहता है तो वही हमेशा रिया का उसके और नील के बीच आ जाना और फिर उल्टी सीधी बातें कर कर उसका दिमाग खराब कर देना।

आज तक कभी भी उसने नील और रिया को इस तरीके से नहीं देखा था कि उसे लगे की इन दोनों के बीच गहरा रिश्ता है। जो कुछ भी था वह सिर्फ रिया के मुंह से सुना था और जब आज अक्षत कह रहा था कि ऐसा कुछ भी नहीं है तो मनु भी सोचने पर मजबूर हो गई।


क्रमश:

डॉ. शैलजा श्रीवास्तव