साथिया - 62 डॉ. शैलजा श्रीवास्तव द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

साथिया - 62

जरूरी नहीं है कि जब मंडप सजा हो बारात नाचती हुई आये तभी शादी हो...?? जरूरी नहीं कि जब फेरे पड़े तो ही शादी हो..?? कभी-कभी दिल के बंधन हर बंधन से मजबूत होते हैं। और मेरे और सांझ का रिश्ता किसी मंडप किसी फेरे किसी बारात या किसी मंत्र का मोहताज नहीं। हमने दिलों का गठबंधन जोड़ लिया था और एक दूजे को अपना मान लिया।" अक्षत में उसकी चाय का कप उसके हाथ में पकड़ा दिया और उसी के साथ नील का दिमाग घूम गया। उसको समझ नहीं आ रहा था कि अब क्या बोले।

"अक्षत प्लीज ऐसी बातें मत कर..!" नील बोला।

" तु मेरा दोस्त बनकर आया है यहाँ या बाकी लोगो का वकील?" अक्षत बोला तो नील ने गहरी सांस ली और अक्षत को देखा।


"तेरा ही दोस्त हूं और इसीलिए तुझे इस हाल में देखकर तकलीफ होती है! मेरा मन करता है कि तू पहले के जैसा हो जाए हंसता मुस्कुराता सबके साथ खुशी से जिंदगी बिताता हुआ ना कि इस तरीके से...!" नील बोला...


"मैं खुश हूं और रही बात सबके साथ खुशी-खुशी जिंदगी बिताने की तो उसके लिए साथी भी तो होना चाहिए...!" मेरा साथी अभी मुझसे दूर है....एक बार मेरे साथिया को आ जाने दो फिर मैं भी वापस आ जाऊंगा फिर से पुराने रंग ढंग में पर जब तक तेरे दोस्त का साथिया उससे दूर है तब तक उससे नॉर्मल होने की उम्मीद मत कर...!" अक्षत ने कहा..


इससे पहले की नील कुछ कहता अक्षत का फोन बज उठा..

अक्षत ने फोन देखा और नंबर देखकर सीधे कान पर लगा लिया..


" हेलो..!" अक्षत ने कहा...


" जी सर सामने से आवाज आई....

"पता चला अवतार और उनकी वाइफ भावना इस समय कहां पर है कौन से कोने में छिपे बैठे हैं?" अक्षत ने कहा...

" जी सर उन लोगों का पता चल गया है" सामने वाला बोला...


" कहाँ हैँ इस समय? " अक्षत ने कहा...


"दोनों ने उत्तर प्रदेश छोड़ दिया है...!! उनकी बेटी के भागने के बाद उनका गांव मे रहना आसान न था...! उस गांव में जो उनकी प्रॉपर्टी थी वह सब बेच दी हैं और इस समय हरियाणा में जहां भावना का मायका है वहां पर एक दुकान लेकर रह रहे हैं... एक छोटा सा घर लिया है उन्होंने और दोनों ने रेडीमेड गारमेंट की एक शॉप खोली है..!" सामने वाला बोला...

" उनकी एक भतीजी थी साँझ....!" अक्षत बोला तो नील की आंखे बड़ी हो गई...

" साँझ के बारे मे जितनी इनफार्मेशन मिल सकती हैँ निकालो... दो साल पहले ज़ब अवतार की बेटी घर से भागी उसके बाद क्या क्या हुआ सब खबर चाहिए मुझे..!" अक्षत सख़्ती से बोला...

" मुश्किल हैँ सर क्योंकि गांव वाले उस मुद्दे पर बात करते ही नहीं हैँ.. अवतार और उनके परिवार को इस तरह भुला दिया हैँ जैसे वो कभी दुनियां me थे ही नहीं..!" आदमी बोला..

" तो तुम पता करो.... जानकारी निकालो... क़ीमत तुम जो बोलोगे... खुद को भी बेचना पड़ा तो बेच दूंगा पर मुझे सब जानना हैँ...! कैसे करना हैँ तुम जानो पर नेहा के भागने से साँझ के नदी में कूदने के बीच का एक एक सच चाहिए मुझे...!" अक्षत ने कहा और कॉल कट कर दिया...


" अक्षत क्यों कर रहा है यह सब?" नील ने उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा तो अक्षत ने उसकी तरफ देखा।

मैं जानना चाहता हूं कि आखिर ऐसा क्या हुआ जो मेरी सांझ को ऐसा कदम उठाना पड़ा..?अक्षत ने कहा।

"सच्चाई जितना ज्यादा जानोगे तकलीफ तुम्हें उतनी ज्यादा होगी...। क्योंकि कोई भी छोटी बात हुई होती है तो शायद सांझ ऐसा कभी नहीं करती और जितना मुझे समझ में आया है उससे यही लगता है कि बेहतर होगा कि तुम सच्चाई की तह तक न जाओ।" नील ने कहा।

"कैसे ना जाऊं ? कैसे भूल जाऊं मैं? सिर्फ तुम्हें सिर्फ सुनने में और जानने में तकलीफ हो रही है तो मेरी सांझ ने तो वह सब सहा है। कैसे ऐसे ही जाने दूँ उन सबको जिन्होंने सांझ के साथ गलत व्यवहार किया। जिन्होंने उसे नदी में कूद कर आत्महत्या करने के लिए मजबूर किया। कैसे जाने दूँ उन सबको..?? और जब तक मुझे सारा सच नहीं पता चलेगा तब तक मैं सांझ के लिए कुछ नहीं कर पाऊंगा।" अक्षत लाल आँखों से बोला।

"इसका मतलब कि तुम मानते हो कि सांझ आत्महत्या कर चुकी है..?" नील ने कहाँ तो अक्षत के चेहरे पर मुस्कुराहट आई।


"नहीं मैं नहीं मानता और मैं जानता हूं कि साँझ वापस आएगी...!! जरूर आएगी वापस पर इसका मतलब यह तो नहीं कि मैं उसके गुनहगारों को यूं ही जाने दूँ?? ऐसा बिल्कुल भी नहीं होने दूंगा। तुम सोच भी नहीं सकते कि उस समय सांझ पर क्या बीती होगी? मुझे आज भी वह रात याद आती है जब मैं घबरा कर उठा था। जब मैंने इतनी दूर से उसकी तकलीफ महसूस कर ली तो सोचो जब उसने तकलीफ सही होगी तो उसे कैसा लगा होगा उसे ? कितनी तड़पी होगी वो मुझसे बात करने के लिए मेरे पास आने के लिए? मदद के लिए उसने सबसे पहले शायद मेरा ही नाम पुकारा होगा...!! पर मैं उसके पास नहीं था और जो उसके पास थे उन्होंने उसकी मदद नहीं की बल्कि उल्टा उसी को दांव पर लगा दिया। पर अब सबको सजा मिलेगी। एक-एक करके सबको सजा दूंगा मैं जो भी सांझ के गुनहगार है उन सबको सजा मिलेगी।" अक्षत ने कहा।

"अक्षत भूलो मत तुम जज हो...!! गवर्नमेंट जॉब में हो। तुम न्याय करते हो कुछ भी गलत नहीं कर सकते तुम ..!! समझ रहे हो ना तुम..? अपनी भावनाओं में बहकर कुछ भी ऐसा मत कर जाना जो तुम्हारी और पद की गरिमा को धूमिल करें।" नील ने उसके दोनों कंधों को पकड़ कर कहा।

"चिंता मत करो। पर ये मत भूलो कि जज बनने से पहले मैं एक इंसान हूं। वह इंसान जो अपनी सांझ को बेहद चाहता है। और दूसरी बात कुछ भी ऐसा कभी नहीं करूंगा जिसे दुनिया गलत कहे पर इसका मतलब यह तो नहीं की सांझ के गुनहगारों को खुला छोड़ दूँ?? उनको सजा दूंगा अपने तरीके से और हां जब कानून मेरी सांझ की रक्षा नहीं कर पाया तो उस कानून को मुझे रोकने का भी कोई अधिकार नहीं है। हाँ मैं मानता हूं कि मुझे कानून के दायरे में रहना चाहिए मैं जज हूं। पर सांझ के मामले में अगर बात इसी पर आएगी तो मैं उस कानून का साथ और यह पद दोनों छोड़ सकता हूं सांझ को न्याय दिलाने के लिए क्योंकि जब सांझ के साथ गलत हुआ या अन्याय हुआ वह भी बेगुनाह होते हुए तब कोई पुलिस कोई कानून कोई सरकार उसकी मदद करने नहीं आई थी।" अक्षत की आवाज कठोर हो गई।

नील ने उसे इस तरीके से देखा तो एक पल को उसका दिल भी कांप गया क्योंकि वह जानता था कि अक्षत जितना नाजुक दिल का है उतना ही ज्यादा अपने रिश्तों के प्रति सेंसिटिव और कठोर है। और जब बात उसके अपनों की आ जाती है तो उसके निर्णय अक्सर कठोर भी हो जाते हैं।

"लेकिन अक्षत ...?" नील ने कहना चाहा।


"अच्छा मेरा छोड़ तू बता कैसा चल रहा है बिजनेस? कैसा चल रहा है ऑफिस ?" अक्षत ने कहा।

"सब अच्छा चल रहा है वैसे याद है तुम्हें वह हमारे कॉलेज में एक लड़का था निखिल...!" नील बोला।

"अरे उसको कौन भूल सकता है?" अक्षत ने हंसकर कहा।

"सुना है वह अपने दोस्तों के साथ मिलकर कॉलेज रीयूनियन का प्लान बना रहा है। देखते हैं इस रीयूनियन में क्या रंग जमता है? और सबसे ज्यादा तो मुझे उम्मीद है कि शायद इस रीयूनियन के बहाने शालू भी विदेश से वापस आ जाए या यहां कहीं होगी तो शायद आ जाए।" नील बोला।

" शालू को अगर आना होगा तो उसके लिए रियूनियन की जरूरत नहीं है। और अगर उसे नहीं आना होगा तो इस तरीके की चीजों से कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकिन खैर अच्छा है तुम इंजॉय करो और इंवॉल्व हो।" अक्षत ने कहा।

" नहीं मेरा तो कोई इंवॉल्वमेंट नहीं है। सारी तैयारी उन लोगों की है बस देखते हैं अगर जा पाए तो चलेंगे। तुम भी चलना मानसी और ईशान को भी लेकर चलेंगे।" नील बोला।

"और फिर वह भी तो आयेगी न तुम्हारी सो कॉल्ड गर्लफ्रेंड रिया...!!" अक्षत ने मुस्कुरा कर कहा तो नील की आंखें बड़ी हो गई।

" वो इंडिया आ चुकी है और मुझसे मिलने को बोल रही है बट यार आई डोंट लाइक हर और वह मेरी गर्लफ्रेंड नहीं है। चिपकु लड़की है। मम्मी पापा को भी न जाने क्या-क्या बोल दिया उसने कि वह लोग उसके आते ही मेरी और उसकी शादी करने की फिराक में थे। बड़ी मुश्किल से उनको मना किया है।" नील बोला।

" तो कर लो शादी..?" अक्षत बोला।


'मैं जान दे दूंगा पर उस साइको से कभी शादी नहीं करूंगा...!" नील ने कहा।

"ठीक है नहीं करना है तो सीधे-सीधे रिया को मना करो। इधर-उधर बात करने से कुछ नहीं होगा। मैं तुमसे शुरू से कहता था कि उससे दूर रहो और अभी भी कह रहा हूं कि सबसे पहले उससे मिलकर सारी बातें क्लियर कर लो।" अक्षत ने नील को समझाया।

"हां तुम ठीक कह रहे हो उससे मिलकर पहले उससे बात कर लेता हूं।" नील बोला और फिर थोड़ी देर अक्षत के साथ बिताकर निकल गया।

अक्षत ने तुरंत अपना फोन उठाया और फिर से उस आदमी को कॉल लगा दिया।


" यस सर..!" सामने से आवाज आई।


"एक बन्दे को लगा दो। अवतार सिंह और भावना सिंह इन दोनों पर चौबीस घंटे नजर रखो। उनकी एक-एक एक्टिविटी पर नजर होनी चाहिए और हां जब मैं बताऊं कि क्या करना है तब आगे का प्लान करेंगे। पर अभी सिर्फ इन पर नजर रखो।" अक्षत ने कहा।

"जी सर हो जाएगा..!" सामने वाला बोला।


"और हां पता करो कि उनकी बेटी नेहा भागकर कहां गई..?? इंडिया में है तो किस जगह पर है और अगर इंडिया में नहीं है तो कहां पर है? क्योंकि जबाव उसे भी देना होगा।"

" जी सर में पता करने की कोशिश करता हूं।" सामने वाला बोला और कॉल कट कर दिया।


"जानता हूं कि इन सब चीजों से तुम्हें शायद खुशी नहीं मिलेगी पर मैं अपने दिल की संतुष्टि के लिए एक-एक को सजा दूंगा। उन सबको खून के आंसू रोना पड़ेगा जिन्होंने तुम्हारे साथ गलत किया या गलत करने का सोचा। बस तुमसे एक ही रिक्वेस्ट करता हूं सांझ बार-बार करता हूं।।प्लीज वापस आ जाओ सांझ। " अक्षत ने सांझ के फोटो से हाथ लगाकर कहा और आंखें बंद कर ली।


क्रमश :


डॉ. शैलजा श्रीवास्तव