सुनसान रात - 7 Sonali Rawat द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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सुनसान रात - 7

कहते हैं की वह खण्डहर हो चुका गांव, कब्रिस्तान और चुड़ैल का साया अभी भी बैंगलोर मैसूर हाईवे पर मौजूद हैं सरकार ने उस गांव से निकलने वाली सड़क का कायाकल्प किया उसको नए सिरे से बनाया फिर भी कोई भी वाहन वहां से नहींं गुजरता हैं क्योंकि वहां पर चुड़ैल का साया हैं चुड़ैल का साया पूरे हाईवे पर पाया जाता हैं लेकिन उस गांव के नजदीक उसकी दहशत बहुत ज्यादा हैं इसलिए कोई भी उस शॉर्टकट रास्ते में दाखिल होने की हिम्मत नहींं करता हैं।

अचानक हमें ठंड का एहसास होने लगा हमारा शरीर कांप रहा था तभी मेरी नजर अलाव पर गई मैंने देखा अलाव बुझने वाला था फिर मैंने अपने साथियों से कहा की यह अलाव बुझने वाला है चलो और लकड़िया लाते हैं ताकि हम ठंड में आराम से बैठकर अलाव की तपश ले सकें।

हरीश ने कहा की मुझे मालूम हैं लकड़ियां कहां मिलेंगे मैं अभी आया यह कह कर वो आगे की तरफ बढ़ गया वही उस दीवार की ओर जहां कुछ धुँधला सा लिखा हुआ था जिसे हम पढ़ नहींं पा रहे थे पीछे पीछे गुल्लू भी लकड़ी लेने उसके पीछे गया मैं भी उनके साथ हो लिया।

हरीश थोड़ा तेज तेज चल रहा था वह हमसे आगे था मैं और गुल्लू हरीश के पीछे थे वह दीवार के उस तरफ चला गया लकड़िया लेने तभी मेरी नजर उस दीवार पर लिखे हुए पर पड़ी,

मैंने गुल्लू को कहा अब पढ़ो हम इसके काफी नजदीक है अब समझ आ जाएगा कि क्या लिखा है गुल्लू ने थोड़ा ध्यान लगाया जमी हुई धूल को हाथों से झाड़ा और उसको पढ़ने की कोशिश की उसको पढ़ते ही गुल्लू की जुबान जैसे हलक में अटक गई हो ऐसा लगा वह कुछ बताना चाह रहा था।

पर बोल नहींं पा रहा था मैंने गुल्लू को झिंझोड़ा और पूछा क्या हुआ ऐसा क्या लिखा हैं इसमें वह घबराते हुए अटकते अटकते बोला नाले बा और मेरी नजर उस लिखे हुए पर पड़ी मुझे वह पढ़ना तो नहींं आता था परंतु उसे देख कर ऐसा लगा की अक्षरों की इन आकृतियों को मैंने पहले भी कहीं देखा है मैंने अपने दिमाग पर जोर दिया तो मुझे याद आया अभी जब हम गाड़ी को धक्का लगाते हुए आ रहे थे दो रास्ते में जो बरगद का पेड़ था उस पर भी ऐसा ही कुछ लिखा था साथ में हमें जो खंडहर वीरान गांव मिला था वहां भी दरवाजों पर इसी तरह के अक्षरों की आकृतियां बनी हुई थी फिर मुझे यह समझने में जरा भी देर न लगी कि अब हम तीनों बुरी तरह से फंस चुके हैं और उस चुड़ैल के साए में हम बुरी तरह से फंस चुके हैं अब वह चुड़ैल अपने चंगुल से हमें बच कर जाने नहींं देगी।

मैं और गुल्लू हरीश को आवाज देने लगे जल्दी निकलो यहां से हम फंस चुके हैं और यह कहते हुए हम अपनी गाड़ी की और भागे परंतु अंदर से कोई जवाब नहींं मिला हरीश शायद लकड़ियां ढूंढने आगे निकल चुका था।

जब हम वापस गाड़ी के पास आए तो क्या देखते हैं कि हरीश गाड़ी में पेट्रोल डाल रहा है हाथ में पेट्रोल से भरी कैन लेकर गाड़ी में पेट्रोल डालता जा रहा है और हम पर चिल्ला रहा है कि क्या यार तुम मुझे वहां कहां अकेला छोड़ गए।

मैंने तुमसे कहा था ना कि अभी 5 मिनट में आता हूं, जब गाड़ी रुकी थी तो मैंने पेट्रोल के कांटे की तरफ देखा था मुझे पता चल गया था कि गाड़ी में पेट्रोल खत्म होने वाला है ज्यादा देर तक नहीं चलेगी वही पीछे ही पेट्रोल पंप दिख गया था मुझको, इसलिए डिग्गी में से कैन लेकर पेट्रोल लेने चला गया था और कहकर भी गया था ना कि अभी 5 मिनट में आता हूं, फिर तुम वहां मुझे अकेला छोड़कर चले आये।

हरीश बिना रुके एक ही सांस में बोले जा रहा था और हम दोनों उसको ख़ौफ़ज़दा आंखों से देखे जा रहे थे कि ये हो क्या रहा है !