सुनसान रात - 4 Sonali Rawat द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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सुनसान रात - 4

ये पुरुषों को सुंदर महिला बनकर लुभाती हैं और उनका खून चूसकर अपनी उम्र को बढ़ाती हैंइतने में गुल्लू बोला कि डायन भी तो यही करती हैं पुरुषों को अपने वश में करती हैं तो क्या डायन और चुड़ैल एक ही चीज हैं।

हरीश बोला अरे नहींं चुड़ैल और डायन में अंतर होता हैं, चुड़ैल तो मैंने जैसे बताया कि मरने के बाद बनती हैं, पर डायन जो होती हैं वो एक ज़िंदा स्त्री होती हैं, वो अपने तंत्र मंत्र काले जादू से पुरुषों को अपने वश में करती हैं इसलिए तुमने सुना भी होगा कि कई जगह एक औरत को जलाकर कर मार दिया क्योंकि वो एक डायन थी, पर चुड़ैल को मारने की बात नहींं सुनी होगी तुमने क्योंकि उसको कौन मरेगा वो तो पहले ही मरी हुई हैं।

तो क्या चुड़ैल को खत्म नहींं किया जा सकता हैं – मैंने पूछा।

गुल्लू बोला – मैंने सुना हैं कि अगर चुड़ैल के पेट को काटकर उसके बच्चे को उससे अलग करके बरगद के नीचे दफना दे तो चुड़ैल की शक्ति खत्म हो जाती हैं और सदा के लिए शांत हो जाती हैं।

फिर हरीश ने अपनी बात आगे बढ़ाई उसने बताया कि उसकी दादी माँ ने बचपन में उसे एक चुड़ैल का किस्सा सुनाया था, करीब 100 – 150 साल पुराना किस्सा होगा “नाले बा” का दादी माँ ऐसा बताती थी , तुम लोग सुनना चाहोगे नाले बा की कहानी ?

मैंने पूछा ये नाले बा क्या बला हैं, गुल्लू बोला अरे कुछ नहींं ये यहाँ की लोकल भाषा का शब्द है जिसका हिंदी में अर्थ होता हैं कल आना।

अच्छा.... कहकर मैंने कहा सुनाओ सुनाओ

गुल्लू बोला कही तुम वो श्रद्धा कपूर की फ़िल्म स्त्री कल आना की कहानी तो नहींं सुनाने वाले जिसमें चुड़ैल को कहते हैं कल आना।

हरीश बोला अरे नहींं यार ....

उल्टे वो फ़िल्म इस कहानी से प्रेरित होकर बनी हैं.....

और फिर मेरी कहानी तो उसके उलट हैं एकदम...

उलट वो कैसे – मैंने पूछा।

हरीश बोला सुनोगे तो पता चलेगा तुम्हें, पहले सुन तो लो।

ये एक गांव की कहानी है बैंगलोर के पास एक गांव था, बहुत बड़ा नहींं छोटा सा ही रहा होगा, गांव में एक परिवार था, उस परिवार में एक बहुत ही सुंदर स्त्री थी जो कि गर्भवती थीगांव के बाहर एक बरगद का पेड़ था उससे कुछ दूरी पर सड़क किनारे बहुत सारे छोटे छोटे कब्रिस्तान बने हुए थे और दूर एक बड़ा कब्रिस्तान भी था, मैंने पूछा बहुत सारे कब्रिस्तान क्यो ? और क्या वो मुर्दो को जलाते नहीं थे?

नहीं, उस गांव की अपनी एक परम्परा थी जिसमे मरने वाले कि आधे शरीर को मतलब धड़ से नीचे वाले हिस्से को जलाया जाता था और ऊपर वाले हिस्से को दफनाया जाता था।

और एक व्यक्ति को दफनाने के बाद कब्रिस्तान की दीवार पर लिख दिया जाता था “नाले बा” मतलब कल आना, गुल्लू बोला ऐसा क्यों भाई, एक कब्रिस्तान में एक मुर्दा क्यों और नाले बा क्यों लिखते थे ?

हरीश बोला क्योंकि मुर्दों को दो हिस्सों में रखा जाता था, एक को बरगद के नीचे जला दिया जाता था, तो दूसरे को दफनाया जाता था, जब दफनाया जाता था तो साथ में उनके सभी वस्त्र और खाने पीने का सामान भी रखा जाता था, ऐसा कहा जाता है कि जो भी स्त्री गर्भावस्था में अप्राकृतिक मौत मरेगी वो चुड़ैल बनती है ये मैंने बताया था अभी, बस इसलिए इनकी खाने की व्यवस्था वही कर दी जाती थी ताकि चुड़ैल वहां से बाहर ना आये, यदि कोई इन्हें देख ले तो चुड़ैल उसको मार डालेगी, इसलिए कब्रिस्तान के बाहर “नाले बा” लिखवा दिया जाता था ताकि कोई भूल से भी अंदर ना चलजे जाए।

और क्या उसका खाना कभी खत्म नहींं होता था क्या? कौन देता था खाना ? और क्या, चुड़ैल नहींं खाती थी उनको ? गुल्लू ने उत्सुकता से पूछा।