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Tanmay - In search of his Mother - 58

58

 

दोपहर को स्कूल की छुट्टी के बाद राघव ने तन्मय को कार्ड देते हुए कहा,

 

बता अब क्या करना है?

 

उसन कार्ड को गौर से देखा और फ़िर कहा, फ़िलहाल तो हम इनके ऑफिस ओखला जा रहें हैंI

 

ठीक है, चलI अब दोनों दोस्त ऑफिस जाने के लिए निकल पड़ेI दोनों ने स्कूल के बाहर से ही ऑटो लिया और ऑटो अपनी रफ़्तार से दिल्ली की सड़कों पर दौड़ने लगाI

 

अभिमन्यु मॉल से गंगाराम जाने  के लिए निकल पड़ा, सारे रास्ते वह यही सोचता जा रहा है कि वह मनोरमा को कहेगा क्याI अगर उसे  कुछ जानना है तो उसे

सब बताना तो पड़ेगा हीI ऐसी ही कितनी बातों के बारे में  सोचते हुए उसकी गाड़ी  ठीक आधे  घंटे बाद, हॉस्पिटल के आगे आकर रुक गईI उसे रास्ते में  प्रिया का फ़ोन भी आया पर उसने यह  कहकर उससे बात नहीं कि  वह अभी वेंडर को मिलने आया हुआI हॉस्पिटल के  रिसेप्शन पर पहुँचकर उसने मनोरमा के बारे में  पूछा,

 

सर मनोरमा जी तो पाँच साल पहले ही यहाँ से चली गई थींI

 

कौन से हॉस्पिटल गई  है, कुछ पता है आपको ?

 

सर, दरअसल वो इंडिया में  नहीं हैI

 

मतलब ? वो देश से बाहर हैI

 

वो लंदन में  हैI वही के किसी हॉस्पिटल में  प्रैक्टिस कर रहीं हैI

 

क्या उनका कोई नंबर मिल सकता है ?

 

वो वहाँ पर दूसरा नंबर यूज़ कर रही है और वो नंबर हमारे पास नहीं हैI

 

देखिए, उनसे बात करना बहुत ज़रूरी था, अगर आप कोई मदद कर दे तो मेरी मुश्किल दूर हो जाएगीI

 

रिसेप्शनिस्ट ने अभिमन्यु के चेहरे की तरफ गौर से देखा और फिर एक रजिस्टर से  देखकर कागज़ पर कुछ लिखा और वह कागज़ उसे देते हुए बोली,

 

सर, यह उनके घर का अड्रेस है, एक बार यहाँ जाकर भी देख लेI अगर उन्होंने घर नहीं बदला होगा तो आपको यहाँ से उनका नंबर मिल सकता हैI

 

अभिमन्यु ने पत्ते को गौर से देखा और उसका थैंक्स करते हुए वहां से निकल गयाI

 

पता तो दक्षिणी दिल्ली के  सुंदर नगर इलाके का हैI वह वहाँ जाने का सोच ही रहा था कि उसे मॉल से फ़ोन आ गया, कुछ नए सामान को लेकर  एक वेंडर से मीटिंग करनी है और इसके लिए फिलहाल उसका मॉल  जाना बहुत जरूरी हैI

 

दोनों बच्चे पंकज के ऑफिस के बाहर  खड़े हैI तनु हम उन्हें कहेंगे क्या,

 

वही कहेंगे जो सच हैI

 

तुझे लगता है कि  वह हमारी कोई मदद कर पाएंगेI

 

देखते है, अभी तो चलI दोनों ने रिसेप्शन पर बैठी लड़की को पंकज से मिलने की बात बताई, पहले तो वह थोड़ा हैरान हुई, मगर जब उसने उसका  कार्ड उनके पास देखा तो उसने पंकज को फ़ोन लगायाI थोड़ी देर के इंतज़ार के बाद, वह  उसके केबिन में  जा पहुँचे, पंकज उन दोनों बच्चो को देखकर बड़ा हैरान हुआI उसने पहले तो उन दोनों के लिए कुछ खाने का आर्डर किया और फिर उन्हें देखते हुए बोला,

 

मुझे तुम दोनों को देखकर हैरानी भी हो रही और ख़ुशी भीI

 

अंकल,  तन्मय थोड़ा हिचकिचाया और फ़िर उसे धीरे-धीरे  सारी बात बता दीI

 

उसने सुना तो गंभीर हो गयाI तुम मुझसे क्या चाहते हो?

 

उसने उसे बिल दिखाते हुए पूछा, मुझे दोनों नंबर की लोकेशन जाननी हैI हो सकता है, मेरी मम्मी यही होI

 

बेटा, हमें  सिर्फ पुलिस को देने की परमिशन हैI तुम एक  बार जाकर पुलिस से बात करोI

 

नहीं अंकल, पुलिस तो कुछ नहीं करने वालीI उन्होंने तो किसी और  आंटी को मेरी मम्मी मान लियाI

 

हो सकता है, वो सही होI

 

हो सकता है पर मुझे लगता है कि मैं भी गलत नहीं हूँI

 

लेकिन जब तुम उन्हें यह बिल दिखाओगे तो वह तुम्हारी ज़रूर मदद करेगी, उन्हें तुम्हारी बात पर यकीन होगाI

 

इसका मतलब आप  हेल्प नहीं करेंगे?

 

मैं मजबूर हूँ, तभी एक लड़का कुछ स्नैक्स वहाँ  रखकर चला गयाI

 

अच्छा ! तुम यह सब खाओ, उसने उनकी तरफ चॉकलेट शेक बढ़ाते हुए कहाI

 

राघव तन्मय का चेहरा देखने लगा, उसे पता है कि तनु खाली हाथ नहीं जायेगाI

 

तनु की आँखों में  आँसू आ गए, उसने भरी आवाज में कहा,

 

अंकल मैं तो अपनी मम्मी के बिना जी नहीं सकता और मुझे पता है कि मेरी मम्मी मेरा ही इंतज़ार कर रहीं होगीI अगर आप नहीं बतायेगे तो मैं घर नहीं जाऊँगाI आपके ऑफिस के बाहर  ही बैठा रहूँगाI

 

अब राघव भी बोल पड़ा, अंकल हम कुछ गलत नहीं करेंगे, आप हमें बता दे, प्लीजI उसने भी उससे विनती कीI पंकज ने दोनों बच्चो का उदासीन चेहरा देखा, उसे  तन्मय पर बड़ी दया आयीI कैसे यह बच्चा अपनी माँ से मिलने के लिए तड़प रहा हैI ऐसे कानून या सिस्टम का क्या फायदा जो एक बच्चे से उसकी माँ  से नहीं मिला सकीI यही कोई किसी लीडर का बेटा होता तो इसकी मम्मी बहुत पहले मिल गई होतीI उसने अब एक नंबर मिलाया और किसी को अपने केबिन में बुलायाI

 

सर आपने बुलाया?

 

सूरज, यह बिल लो और इसमें जो नंबर नज़र आ रहें है उनकी लोकेशन बताओI वह बिल लेकर गया और थोड़ी देर बाद वापिस लौटाI

 

सर, मैंने आपको मैसेज कर दिया हैI दो घंटे पहले दोनों एक जगह पर ही एक्टिव थेंI

 

उसने लोकेशन तन्मय को सेंड करते हुए कहा, मैंने प्रोटोकॉल तोड़कर  तुम्हारी  मदद की  हैI तुम खुद को किसी मुसीबत में मत डाल लेनाI

 

नहीं अंकल आप परेशां मत हो, मैं अपने पापा को यह दिखाऊँगा, वो जाकर मेरी मम्मी को लेकर आएंगेI

 

बेस्ट ऑफ लक, होप तुम सही होI दोनों ने  पंकज को बार-बार थैंक्स कहा और साथ ही यह भी कहा कि वह दादाजी को कुछ न बताए, वे खुद ही उन्हें बता देगाI उनके जाते ही पंकज सोचने लगा, मैंने इनकी मदद करके कुछ गलत तो नहीं कर दियाI  तभी उसे वो दिन याद आया, जब उसके दोस्त की बहन किडनैप हो गई थी और उसने उसकी ऐसे ही मदद की थीI नहीं, मैंने सही किया है I यह सोचकर उसके चेहरे पर मुस्कान आ गईI

 

रात के आठ बजे है, राजीव टीवी पर इंडिया-पाकिस्तान का क्रिकेट मैच देख देख रहा हैI आज वह निश्चिन्त हैI उसे यकीन है कि उसका काम हो गया होगाI आज के बाद  नंदनी उसे कभी परेशां नहीं करेंगीI अभी जमाल  का फ़ोन आएगा और वह उसे यहीं खुशखबरी सुनाएगाI तभी उसके दरवाजे की घंटी बजती हैI कही जमाल घर तो नहीं आ गया पर उसे तो मेरे घर का पता ही नहीं पताI फ़िर कौन है? अभी वह यह सोच ही रहा था कि मालिनी ने दरवाजा खोल दिया और सामने पुलिस को देखकर चौंक गईI

 

जी कहिये,

 

आपके पति राजीव घर पर है?

 

अब राजीव भी पुलिस की आवाज़ सुनकर दरवाजे पर आ पहुँचा थाI

 

सर, क्या हुआ ?

 

मर्डर हुआ हैI

 

आप फिर से नैना के लिए हमे तंग कर रहें हैं, मालिनी तपाक से बोल पड़ीI

 

जी नहीं, इस दफा नंदनी रानी का क़त्ल हुआ हैI यह  सुनकर राजीव के पैरो तले ज़मीन खिसक गईI

 

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