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Tanmay - In search of his Mother - 57

57

धमकी

 

राघव, तन्मय को लेकर अपने घर पहुँचा l वहाँ पर  उसकी दादी डाइनिंग टेबल पर खाना लगा रही है।  टेबल पर कई तरह के पकवान देखकर उसने पूछ ही लिया। दादी, घर में  कोई आया हुआ है? उसकी दादी ने भी जोश के साथ उत्तर दिया,

 

हाँ, बेटा । तुम्हारे दादाजी का एक खास स्टूडेंट पंकज आया हुआ है।

 

ओह ! फ़िर  कोई नई बात नहीं है।

 

तुम लोग भी हाथ-मुँह धो लो, फ़िर  साथ खाना खायेगे।

 

राघव उसे अपने कमरे मेँ  ले गया।

 

तन्मय ने उसके बेड पर लेटते हुए  पूछा, तूने ऐसा क्यों कहा, यह  कोई नई बात नहीं है।

 

तुझे पता तो है कि  वह कॉलेज के प्रोफेसर थें, इसलिए उनके स्टूडेंट्स आते रहते हैं और उन्हें  अपना हर स्टूडेंट ख़ास लगता है। अगर कोई  हमारे टीचर्स से पूँछे तो वो हमें कभी भी अपना ख़ास नहीं बताएँगे। उसने हँसते हुए जवाब दिया।

 

सिद्धार्थ प्रीति  के घर बैठा है, प्रीति उसके सामने संकुचित बैठी है। सिद्धार्थ ने उससे सवाल पूछना शुरू किया,

 

क्या नैना का कॉलेज में  कोई ख़ास दोस्त था।

 

सर कॉलेज में  तो बहुत लड़के उसके पीछे थें, मगर वह किसी को घास नहीं डालती थीं।

 

फ़िर भी,  जिसके साथ वो घूमने-फिरने  ज्यादा जाती हों ?

 

सर  फ्रेंड्स तो बहुत सारे थे , घूमना फिरना सबके साथ हो ही जाता था । हाँ, थोड़ी  मस्ती कर ली, टाइम पास कर लिया।

 

कुछ तो होगा,  जो तुम्हें कभी अजीब लगा।

 

प्रीति ने अपने दिमाग पर ज़ोर देते हुए कहा,

 

सर फाइनल एग्जाम देते वक्त थोड़ी परेशां थीं, मैंने पूछा भी लेकिन उसने बताया  नहीं। फ़िर हमें  पता चला कि  उसने किसी अभिमन्यु से शादी कर ली  हैं।

 

और कुछ ?

 

नहीं सर और कुछ तो याद नहीं आ रहा।

 

सिद्धार्थ ने प्रीति के चेहरे को पढ़ने की कोशिश की और फ़िर  कुछ सोचता हुआ वहां  से चला गया।

 

अभिमन्यु अपनी शादी की अलबम देख रहा है ताकि  नैना के फ्रेंड्स के बारे में  पता लगाया जा सकें। मगर शादी में सिर्फ़ उसके फ्रेंड्स है और उसके  माता पिता  मौजूद है। मगर अफ़सोस आज दुनिया में  ने उसके  पेरेंट्स है न नैना  के। उसे याद है, अपनी पेरेंट्स की एनिवर्सरी पर उसने उन्हें बद्रीनाथ की यात्रा पर भेजा  था। मगर  वहाँ आयी  भयंकर बाढ़ में वे  दोनों बह गए वही  नैना के पिता की दोनों किडनी फैल होने के कारण पूरे शरीर में  इन्फेक्शन फ़ैल गया था ।  उनके  मरने के छह  महीने  बाद, उसकी माँ भी इसी सदमे क कारण आए हार्टअटैक से चल बसी। उन्हें याद करते हुए उसकी आँख भर आई।  वैसे

 सच  तो यह है कि   नैना के पेरेंट्स को अभिमन्यु  पसंद नहीं था, इसलिए उन्होंने किसी ख़ास रिश्तेदार को नहीं बुलाया। सिर्फ चाचा-चाची और  एक दो  कजिन थें। फ़िर उसकी नज़र एक चेहरे पर आकर तक गई । यह कौन थीं ? उसने घ्यान लगाकर सोचा तो उसके  मुँह से निकला, हाँ मनोरमा, डॉक्टर मनोरमा। नैना ने इन्हें अपनी ख़ास दोस्त कहकर मिलवाया था। इनसे बात करो, पर पता नहीं कि यह इस समय कहाँ होगी। तन्मय की डिलीवरी इन्होने ही करवाई थीं।  फ़िर इसके  बाद तो  नैना ने इनका ज़िक्र  भी नहीं  किया। उस समय तो यह गंगाराम में  प्रैक्टिस कर रहीं थीं। उसने मन ही मन सोचा।

 

डिनर खत्म होने के बाद पंकज ने अपना कार्ड राघव के दादाजी को सौपकर  कहा, सर कभी भी किसी भी चीज़ की जरूरत हो तो ज़रूर  बतायेगा। फ़िर  बच्चो की तरफ  देखते हुए बोला,

 

और फ्यूचर क्रिकटर्स, कल को मुझे तुम्हारा ऑटोग्राफ मिलेगा। उसने हँसते हुए उन दोनों के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा।

 

राघव चहचहाते हुए बोला, बिल्कुल आप कहें तो अभी आपको अपना ऑटोग्राफ दे दें। यह  सुनकर सब हँस पड़े।

 

उसके जाते ही तन्मय भी अपने घर की ओर जाने लगा तो राघव उसे छोड़ने उसके साथ  हो लिया।

 

रघु ! एक बात मेरे दिमाग में  आ रही हैं।

 

हाँ, बोल।

 

यह पंकज अंकल हमारी मदद कर सकते हैं।

 

मैं समझा नहीं,

 

यह  टेलीकॉम इंडस्ट्री में जनरल मैनेजर है, अगर हम इन्हें कहें तो हमारी नंबर वाली पहेली सुलझ सकती हैं।

 

राघव को अब समझ में  आया कि  वह क्या कहा रहा है।

 

पर अगर दादाजी को पता चल गया तो वह मुझे बहुत डाटेंगे।

 

मेरे लिए इतना नहीं कर सकता, उसने मासूम सा चेहरा बनाते हुए कहा। उसने मुस्कुराते हुए उसे गले लगा लिया। बता, क्या करना है ?

 

उसने भी उसे वापिस गले लगा लिया। कल उनका  कार्ड लेकर स्कूल आना है, आगे की बात फ़िर बताऊँगा।

 

ओके, डन !

 

रात  के ग्यारह बजे है, सिद्धार्थ घर जाने के लिए गाड़ी में  बैठा तो उसकी गाड़ी नहीं चली। उसने चेक किया तो उसके इंजन में  ख़राबी आ गई है। तभी रुद्राक्ष ने उसे अपनी गाड़ी के पास खड़े परेशान देखा तो वह बोल पड़ा,

 

आओ, शुक्ला में  छोड़ देता हूँ। मैं आज उसी तरफ जा रहा हूँ । 

 

नहीं, आप जाए मैं कैब ले लूंगा।

 

पुलिस जीप ले जाओ,

 

नहीं यह सही नहीं होगा कि मैं अपने पर्सनल काम के लिए पुलिस जीप का इस्तेमाल करो।

 

एक दिन में  कोई फर्क नहीं पड़ता। सिद्धार्थ ने जीप ले जाने से दोबारा मना किया तो उसने उसे बहुत कहकर अपनी गाड़ी में बिठा लिया।

 

रास्ते में उसने नैना मर्डर केस के बारे में  पूछा तो उसने कहा, कुछ तो गड़बड़ है, किसी जान पहचान वाले ने ही  नैना को मारा है पर मैं उसे पकड़ लूंगा। मैं  उसके  पास्ट को अच्छे से खंगाल रहा हूँ। उसने बड़े विश्वास के साथ उत्तर दिया।

 

गुड ! वैसे भी यह केस तुम्हारे करियर के लिए अच्छा है।

 

आपने बिश्नोई केस में  बहुत बढ़िया काम किया था।

 

हम्म, टीम वर्क था।

 

तभी उसने ईशारा किया कि गाड़ी यहीं रोक  दो।

 

अरे ! घर तक छोड़ आता हूँ। वैसे भी तुम कुछ ज़्यादा ही सुनसान इलाके में  रहते हों, कही कुछ  अनहोनी हो गई तो ? उसने हँसते हुए कहा।

 

नहीं यहाँ से  ज़्यादा दूर नहीं है, पैदल चला जाऊँगा। गुडनाईट रुद्र  ।

 

गुडनाईट ।

 

गाड़ी आगे बढ़ाते हुए उसने  बैक मिरर से देखा कि सिद्धार्थ वहां से ऑटो ले रहा है।

 

अजीब आदमी है, मुझे तो कह रहा था कि पास में  ही है। यह नहीं सुधेरेगा । उसने अब गाड़ी की स्पीड तेज़ कर दी।

 

रात के बारह बजे है, राजीव सोने की  कोशिश कर रहा है उसने अभी आँखे बंद की थी कि  तभी उसे एक मैसेज आया, उसने  व्हाट्सअप देखा तो नंदनी का मैसेज  है, " कल ठीक शाम सात बजे, उसी  गली के  खाली मकान में  आ जाना, जहाँ मैं तुम्हें  ले गई थीं।" यह पढ़कर उसने गुस्से में वहीं  मैसेज जमाल को फॉरवर्ड करते  हुए लिखा, "कल  काम हो जाना चाहिए।" 

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