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शैतानों की दुनिया

शैतानों की दुनिया

बेलापुर गांव में करीब ८००–९०० लोगों की बसती थी। अनाज कपड़े या कोई भी सोने चांदी की चीजे खरीदने के लिए और खेती के अलावा के काम धंधे के लिए गांव वालों को गांव से शहर ही जाना पड़ता था। गांव से शहर जाने का केवल एक ही रास्ता था जो कि जंगल से होकर गुजरता था। रात के समय उस जंगल में कोई जाता नहीं था क्योंकि पूरे गांव में ये दहशत फैली हुई थी कि जंगल में रात के वक्त शैतान और बुरी आत्माओं का मेला लगता है। पूरी रात जंगल में शैतान ऐसे घूमते है मानों वो उनकी दुनिया हो। रात के वक्त जंगल में जाने वाला बंदा आज तक न जिंदा लौटा है ना ही उसकी लाश मिली है कभी।

गांव में एक गुलजार रहता था जो शहर में एक बड़ी सी फैक्टरी में कारकून की नोकरी करता था। नोकरी तो वो कारकून की करता था पर उसका शेठ बहोत कंजूस था उसने अपने यहां हिसाब लिखने और माल सामान कि हेर फेर करने और काम की देखरेख करने कुल मिलाकर तीन ही लोगों को रखा था। इस वजह से गुलजार को भी काम का बड़ा बोझ उठाना पड़ता था। पर चूंकि गुलजार बेलापुर गांव से उसका शेठ धनंजय उसे ६ बजे घर जाने देता था पर बाकी दो शहर के लौंडे रात ८ बजे तक काम करते थे। और गुलजार सुबह ८ बजे जल्दी काम पर आ जाता था।

एक दिन गुलज़ार को धनंजय शेठ ने कहा कि आज सोनू नहीं आया इस लिए माल की डिलीवरी करने तुम्हें बंसीपुरा जाना पड़ेगा और उसके बाद वहां से सीधे तुम अपने गांव चले जाना। गुलज़ार के चहेरे का डर उसका मालिक भांप गया और उसने कहा माफ़ करना गुलज़ार पर माल की डिलीवरी आज ही करना जरूरी है वरना हमारा आधा पैसा वो लोग काट लेंगे। गुलज़ार मन में यही सोच रहा था कि अगर वो चला गया तो वापस नहीं आ पाएगा। क्योंकि अपने गांव जाने से पहले जो जंगल आता है वहां रात के वक्त शैतानों की दुनिया किसीको वहा नहीं आने देती वो सबकी जान ले लेती है। पर उसका काम करना भी जरूरी था। मन तो नहीं था फ़िर भी गुलज़ार ने हां कर दी। धनंजय ने गुलज़ार को कहा के जरूरी चीजें साथ में रखना जैसे के टॉर्च, बेहोश करने का स्प्रे इत्यादि ताकि अंधेरे में काम आए और कोई चोर डाकू दिख जाए तो बेहोश करने का स्प्रे काम आएगा। धनंजय ने बताया कि जब घर वापस जाओ और जंगल में कोई आत्मा या शैतान दिखाई दे तो छिप जाना।अगर उन्होंने तुम्हें नहीं देखा तो तुम बच जाओगे और आसानी से घर पहोंच सकोगे।

गुलज़ार ने सारी बातें ध्यान में रख ली थी। और दूसरे गांव बंसीपुरा से वापस आ रहा था। जंगल का रास्ता शुरू हो गया था। गुलज़ार डरते डरते आगे बढ़ रहा था तब ही उसे पीछे से किसी गाड़ी के आने की आवाज़ सुनाई दी। वो डर गया और एक बड़े से पेड़ के पीछे छिप गया। उसने देखा उस गाड़ी में खून से लथपथ आत्माएं बैठी हुई थी। सबके चेहरे बेहद डरावने थे। अचानक उसे लगा कि ऐसा कैसे हो सकता है कि एक आत्मा को भनक ना लगे के यहां कोई इन्सान था। अगर गाड़ी में आत्मा होती तो मेरे पेड़ के पीछे छिपने के बाद भी उसे समझ आ जाता के मैं यहां छीपा हूं। उसे लगा दाल में कुछ काला है इसी लिए वो गाड़ी के पीछे पीछे गया। उसने देखा जंगल के बीचोबीच एक सुरंग थी जहां गाड़ी जा रुकी और वो आत्माएं गाड़ी से बहार आई और सुरंग के अंदर चली गई। गुलज़ार में हिम्मत नहीं थी के वो देखने जाए के अंदर क्यों गई वो आत्माएं इसी लिए वो वहां से आगे जाने लगा।

दबे पैर गुलज़ार आगे बढ़ रहा था। तब ही उसकी नज़र तीन लोगों पर पड़ी। वो आपस में कुछ बातें करते जा रहे थे। गुलज़ार को अब शक हो रहा था कि आत्माएं थोड़ी बातें करती है। वो बिना किसी डर के जानबुच के उनके सामने गया। गुलज़ार को देखते ही वो लोग उसके पास आए और ज़ोर ज़ोर से हसने लगे। उन लोगों के चहेरे भी एकदम भयानक है, बड़े बड़े दांत और लंबे लंबे नाखून, लाल चेहरा, सफेद बाल। गुलज़ार डर रहा था फ़िर भी उनके सामने जा पड़ा। तीनों आत्माओं ने गुलज़ार से कहां तुमने इस जंगल में आकर अपनी मौत को न्योता भेजा है। आज तुम्हारा आखरी दिन है। गुलज़ार डर गया और उनके पैरों में गिर कर ज़ोर ज़ोर से रोने लगा। मुझे माफ़ कर दो मुझे बक्श दो। तब ही उसकी नज़र उनके जूतों पर गए वो ब्रांड न्यू जूते थे वो भी विदेश के महंगे। अब गुलज़ार समझ गया था कि दाल में जरूर कुछ काला है।

तीनों आत्माओं ने गुलज़ार से कहा अगर अपनी जान प्यारी है तो अपने पास जो भी है वो सब पैसे कपड़े ज़ेवरात हमें दे दो। हम तुम्हें छोड़ देंगे। गुलज़ार समझ गया के ये कोई आत्मा नहीं पर ठग है जिन्होंने आत्मा नाम की दहशत फैलाई है ताकि जंगल से आने वाले लोगों को लूट सके। गुलज़ार ने चालकी से कहा हां मेरे पास कुछ कपड़े और पैसे है मैं अभी देता हूं। कहकर उसने अपनी झोली से बेहोश करने वाला स्प्रे निकाल कर उन तीनों पर छिड़का और तीनों बेहोश हो गए।

वो जल्दी से दौड़ता हुआ गांव के मुख्या के पास आया और सारी हकीकत उन्हें बताई और आधी रात को सबके घर जा जाकर गांव के मुख्या सारे गांव वालो को लेकर उस जंगल में आ गई। गुलज़ार सबको पहले वो तीन बेहोश बदमाश चोरों के पास लाया और फिर उस सुरंग के पास। सब ने वो सुरंग देखी और गांव के कुछ हट्टे कट्टे नौजवान और गुलज़ार सुरंग के अंदर गए। उन्हों ने देखा वहां से ड्रग्स सप्लाई करने का बड़ा रेकेट चल रहा है। अंदर करीब १० – १२ लोग थे जो भयानक आत्माओं के मुखौटे पहनकर इधर उधर घूम रहे थे। गुलज़ार ने और बाकी गांव वालो ने चेहरे पर गमछा लगाकर उन सब पर बेहोश करने का स्प्रे छिड़का और सब टपाटप बेहोश हो गए। गुलज़ार ने पहले ही इस बात की खबर करने गांव के एक लड़के को भेज दिया था। पुलिस वहां आ पहुंची।

पुलिस ने वहां से करोड़ो का ड्रग्स जप्त किया। जब सुबह सबको होंश आया तो पुलिस ने मार मार कर सबको पूछा के वो क्या कर रहे थे यहां और क्यों? वो पूरे २० लोग थे। उनके ऊपरी ने बताया कि हम यहां से ड्रग्स और दारू सप्लाई करने का काम करते थे। अगर रात को इस जंगल में कोई आता तो उसे हमारे काम के बारे में पता चल जाता इसी लिए हमने ये डर फेलाए रखा था के रात के समय जंगल में शैतानों का मेला लगता है। हम सब यहां मुखेटे पहने घूमते थे। अगर कोई जंगल में आ जाए तो उसके पैसे और जेवरात ले लेते और फिर वो जाकर किसी को कुछ बता ना दे इस लिए उसे जान से मार कर यही जंगल में दफना देते थे।

पुलिस ने उन सबको गिरफ्तार किया और गुलज़ार को बहादुरी का पुरस्कार भी दिया। उसके बाद जंगल से रात के वक्त आने जाने में किसी को कोई भय नहीं रहा था।

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