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हवेली से आती डरावनी आवाज़ें

हवेली से आती डरावनी आवाज़ें

आज से कुछ १५० साल पुरानी ये बात है। भारत में उन दिनों अंग्रेजों का राज था। ब्रिटिश सरकार के शासन में भारत के सारे लोग दबे हुए थे। राजस्थान का अमरगढ़ जहां लॉर्ड डेंजो, उनकी पत्नी विक्टोरिया और उसकी एक बेटी रोज़ी रहते थे। लॉर्ड डेंजो ने अमरगढ़ पर अपनी हुकूमत जमाई हुई थी। काम पर ढेर सारे भारतीयों को रखा था जीनके पास दुगनी मजदूरी करवाते और आधे पैसे देते थे। लॉर्ड डेंजो से सब तंग आ चुके थे। पर देंजो के खिलाफ़ कुछ भी करना मतलब मौत को नियोता भेजना। जैसे चल रहा था वैसे ही सब चला थे।

लॉर्ड डेंजो बड़ा ही रंगीन मिजाज़ का था। ये बात विक्टोरिया भी जानती थी। पर वो कितना गिर चुका था वो उसे नहीं पता था। लॉर्ड डेंजो हर रात गांव से नई नई लड़कियों को नृत्य के लिए बुलाता। किसीको सोने चांदी के जेवरात देता तो किसी को कीमती सिक्के, किसीको कर से मुक्ति तो किसीको अपनी रखात बनाके रख लेता। धीरे धीरे वो हैवान बनने लगा था।

अब उसे नई लड़कियों के नृत्य की ही नहीं पर उसके ताज़े और अनछुए जिस्म की भूख भी लगने लगी थी। गांव में दहशत फैली हुई थी के लॉर्ड डेंजो की नियत अच्छी नहीं है। पर लोग करे भी तो क्या करे? हर शाम को उसका दीवान – ए – खास गांव से सुंदर दिखने वाली ५ लड़कियों को ले आता। डेंजो जिसे चुनता उसके अलावा बाकी लड़कियां अपनी जान बचाकर भाग जाती और उस एक के साथ डेंजो पूरी रात दुष्कृत्य करता। सुबह होते ही डेंजो उस लड़की को मार डालता और उसकी लाश हवेली के सब से ऊपर वाले कमरे में दफना देता। ऐसा करीब १० दिन चला। विक्टोरिया जानती थी के डेंजो पूरी रात नृत्य देखता रहता है और उसकी नियत भी अच्छी नहीं है। पर१० रातों से डेंजो विक्टोरिया के कमरे में आया ही नहीं था। ना विक्टोरिया को रात के वक्त कमरे से बाहर जाने की अनुमति थी।

१० दिन हो गए थे इस लिए अब विक्टोरिया को बुरे ख्याल आने लगे थे इस लिए वो छुपते छुपाते कमरे की खिड़की से कूदकर हवेली में क्या चल रहा है वो देखने चली गई। पूरी हवेली में डेंजो उसे कही नज़र नहीं आया। तब ही उसे सबसे ऊपर के आखरी शयन गृह से किसी लड़की की चीखें सुनाई पड़ी। वो ऊपर देखने गई तो उसने देखा डेंजो उस १८ साल की लड़की को अपनी हवस का शिकार बना रहा था। गुस्से में लाल विक्टोरिया की तलवार ने डेंजो का सिर धड़ से अलग कर दिया। और उसके मरने के बाद डेंजो के दीवान – ए – ख़ास ने उसे हवेली में जो जो हो रहा था वो सब बताया ये सब विक्टोरिया सेह नहीं पाई। उसने आत्महत्या कर ली। अब पूरी हवेली में डेंजो और विक्टोरिया की बेटी रोज़ी ही थी।

दिन में तो रोज़ी के आसपास हवेली में काम करने वाले और उसकी देखरेख करने वाले होते थे। पर रात को अकेले सोते वक्त उसे रोज़ डर लगता। अजीब अजीब आवाजें सुनाई पड़ती। उसे लगता मानों कोई ज़ोर ज़ोर से चीख रहा हो। धीरे धीरे रोज़ी बीमार रहने लगी। और एक महीने बिमारी से जूझते हुए वो भी चल बसी। अब कहने को तो हवेली पूरी खाली थी पर भरी भरी थी।

उस हवेली में सब की मौत अकल्पनीय और अकालिन हुई थी। हवेली से आती आवाज़ें आसपास के गांव वालों को भी सुनाई पड़ती थी। कभी किसी बच्ची की रोने की आवाज़ तो काभिकिसी मर्द की चीख तो कभी किसी नर्तकी के घुंघरू की आवाज़ तो कभी मासूम लड़कियों की चीखें। उस भूतिया हवेली से आज भी रात के वक्त डरावनी आवाज़ें आती है। शायद आज भी वो मदद मांग रही है पर किसीकी हिम्मत नहीं वहां जाने की।

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