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भूतिया सिनेमा आम्रपाली

भूतिया सिनेमा आम्रपाली

"आम्रपाली सिनेमा? आर यू क्रेजी शैल? तु जानता है ना वो २५ साल से बंद है यानि के तेरे जन्म के वक्त से बंद ही पड़ा है वो।"

"तो क्या हो गया? यार बंटी तु जानता है ना मेरा बाप बहोत खड़ूस है ऊपर से आई पी एस। यहां का हर एक बंदा उन्हें जानता है। महेन्द्र प्रताप सिंह। पुरे माधवगंज में लोग मुझे उनकी वजह से जानते है तो कोई भी ऐसी जगह जाना जहां लोगों की चहल पहल हो वो मेरे लिए खतरे से खाली नहीं होगा।"

"वो सब तो ठीक है पर क्या ऐसे अकेले में आने के लिए रिधिमा मानेगी?"

"मना लूंगा। उसकी बर्थडे है यार और मैं उसे कुछ बड़ा सरप्राइज़ देना चाहता हूं। तु बस ये पता लगा के वो सिनेमा रेन्ट पर २ – ३ घंटे के लिए मिलेगा या नहीं? बाकी सब मुझपे छोड़ दे।"

"ठीक है भाई करता हूं कुछ जुगाड चल।"

शैल और बंटी बचपन के दोस्त थे। शैल के पिताजी आई पी ऐस थे इस वजह से शैल को जो भी आड़े टेढ़े काम करने होते थे वो बंटी ही करता था।

*

"शैल मैंने पता कर लिया है। आम्रपाली सिनेमा में २५ साल से कोई नहीं गया। २५ साल पहले ही किसी हादसे के बाद वो सिनेमा सरकार को बेचकर उसका मालिक विदेश चला गया। सिनेमा के बाहर कोई सिक्योरिटी होती नहीं है तो रास्ता क्लियर है। बस सिनेमा कितने टाइम से बंद है इस लिए उसमें कुछ पुराने मूवीज ही चलेंगे। जैसे हमारा एवर ग्रीन डीडीएलजे, डॉन, पड़ोसन, कटी पतंग..."

"अरे बस बस पूरा लिस्ट बताएगा क्या? डीडीएलजे से काम चल जाएगा वैसे भी मुझे कौन सा मूवी देखना है बे! हाहाहा..."

"पर सुन लोग कहते हे कि बहोत सालों से सिनेमा घर बंद है इसी लिए वहां बहोत सारी नकारात्मक ऊर्जा या बुरी शक्तियों का वास है।"

"पागल है क्या? तु जानता है ना? मैं इन सब बातों में बिल्कुल विश्वास नहीं रखता। और भूत बुत हुए भी तो तु है ना साथ में।"

"मतलब? साले मुझे ले जायेगा तु? मेरी तो फटती है एसी जगहों पर।"

"देख मैं आजतक कही भी अकेले नहीं गया तो डेट पर कैसे जाऊंगा? तु थिएटर रूम के बहार इंतजार करना और भूतों से बातें करते रहना और मैं अंदर..."

दोनों दोस्त हस्ते मुस्कराते मूवी की तैयारी में लग जाते है। शैल अपनी कार ले लेता है। पहले वो रिधिमा को पिक करता है और फिर बंटी को। तीनों आम्रपाली सिनेमा के लिए निकलते है। रास्ते में उनकी गाड़ी अचानक से रुक रुक कर चलने लगती है। शैल बंटी को देखने के लिए कहता है क्योंकि बंटी के पापा का खुद का गेराज होता है। और इसी वजह से बंटी थोड़ा बहोत काम जानता था। बंटी ने थोड़ी देर गाड़ी का बोनेट खोलकर गाड़ी चेक कि और फ़िर शैल को गाड़ी चलाने को बोला तो गाड़ी शुरू हो गई और तीनों वापस आम्रपाली जाने लगे।

रास्ते में बहोत अंधेरा था क्योंकि आम्रपाली जिस जगह पे था वो जगह खंडर बन चुकी थी। वहां लोग आते जाते नहीं थे। थोड़ी देर बाद शैल ने आम्रपाली सिनेमा के पार्किंग एरिया में गाड़ी रोक दी। छोटा सा पार्किंग था और सिनेमा भी काफ़ी पुराना और खंडर लग रहा था। पर शैल को रिधिमा के साथ अकेले वक्त गुजारना था जिसके लिए उसके दिमाग में कोई और जगह थी भी नहीं।

बंटी ने पता लगाया था उस हिसाब से यहां इलेक्ट्रिसिटी और पानी की बेसिक सुविधाएं थी पर सिनेमा के बहार काफ़ी अंधेरा था। एक भी लाइट चालु नहीं थी। तीनों ने सोचा शायद कोई आता जाता नहीं उस वजह से लाइट बंद होंगे। क्योंकि वहां कोई चौकीदार भी नहीं था जो २५ साल पुराने सिनेमा में मैनुअल लाइट चालु बंद करने का काम किया करे।

तीनों गाड़ी पार्क करके सिनेमा के अंदर दाखिल हुए। अचानक से वहां अलग अलग रंग की लाइट जलने लगी। जैसे जैसे वो लोग आगे बढ़ रहे थे आगे की लाइट्स जलती और पीछे की बुझती। बंटी और रिधिमा दोनो काफ़ी डर गए थे। पर शैल को लगा ये कोई सिस्टम होगी इस सिनेमा की के सेंसर के हिसाब से लाइट्स चलती होगी। रिधिमा और बंटी ने शैल को बहोत समझाया के २५ साल पहले कोई सेंसर थे ही नहीं पर शैल पर डेटिंग का भूत सवार था तो उसे वहां पे घटने वाले भूतिया हरकतें कहां नज़र आती?

शैल ने बजाय बंटी और रिधिमा की बात मानने के उल्टा उन दोनों को कॉन्विस किया के ऐसा कुछ नहीं है। सब कुछ नॉर्मल है। और फ़िर शैल और रिधिमा सिनेमा हॉल कि चार स्क्रीन में से सब से पहली स्क्रीन ए में चले गए। बंटी को बहार बहोत डर लग रहा था क्योंकि वो जहां खड़ा था सिर्फ़ वहां की लाइट चालु थी बाकी सारी बंद। पुरे सिनेमा घर में अंधेरा था। रोशनी के नाम पर एक छोटी सी लाइट जिस में सामने खड़ा इन्सान भी ठीक से ना दिखाई दे। बंटी बिना कुछ सोचे स्क्रीन ए के अंदर चला आया जहां शैल और रिधिमा बैठे हुए थे और स्क्रीन पर पिक्चर देख रहे थे। वो दोनों ऐसे मशगूल हो कर देख रहे थे मानो कुछ नया और अलग देख रहे हो। उनका ध्यान ही नहीं था के बंटी हाफ्ता गभराता उन दोनों के बगल में आकर बैठ गया है। अंधेरा भी इतना था के एक दूसरे को देखना मुश्किल था।

बंटी ने शैल के हाथ पर हाथ रखा तो शैल डर गया तब ही बंटी ने कहा मैं हूं। शैल बंटी पर चिल्लाने लगा के हमारे प्राइवेट मूमेंट को खराब करने क्यूं आ गया? पर बंटी ने बताया की बहार ज्यादा अंधेरा होने के कारण उसे डर लग रहा था इसी लिए... तब ही शैल ने उसे कहा के जाकर उसके आगे की कोई सीट पर बैठ जाए ताकी उन दोनों को परेशानी न हो और अपने प्राइवेट मूमेंट एन्जॉय कर सके। बंटी जैसे ही खड़ा होने गया उसे महसूस हुआ जैसे उसके पैर कुर्सी के नीचे से किसीने पकड़े थे। बंटी बहोत डर गया उसे पसीना छूट रहा था। तब ही शैल ने फिर से उसे जाने को कहा, बंटी कुछ बोलता उसके पहले उसे ऐसा लगा मानों कसकर पकड़े हुए पैर किसी ने अचानक छोड़ दिए हो। डरते डरते बंटी अपनी जगह से खड़ा होने गया तो उसका ध्यान उसकी बगल वाली कुर्सी पर गया। उसे लगा जैसे वहां कोई बैठा हो। और उसने जैसे ही वहां देखा वहां एक आधे जले हुए बदन वाला इन्सान बैठा था। अब उसकी चीख निकल गई।

उसकी चीख सुनकर शैल और रिधिमा दोनों इरिटेट हो गए। शैल गुस्से में बंटी पर चिल्लाने लगा, "तुझे यहां लाना ही नहीं चाहिए था। कब से हमे परेशान किए जा रहा है। आख़िर चाहता क्या है तु हां? चिल्ला क्यूं रहा है साले?" रिधिमा भी बोल पड़ी, "शैल मैंने पहले ही कहा था तुमसे के इस बंटी के होते हुए हमें प्राइवसी तो मिलने से रही। उसके नखरे खत्म हो तब ना?" बंटी कुछ बोलने की हालत में नहीं था। पर अपने दोस्त को ज्यादा परेशान नहीं करना चाहता था उपर से उसे डर भी लग रहा था। वो जाकर शैल और रिधिमा के आगे की सीट पर बैठ गया। अचानक उसे याद आया के उसने तो कोई मूवी लगाई ही नहीं फिर स्क्रीन पर अपने आप कैसे? २५ साल से बंद सिनेमा में कोई बंदा था ही नहीं जो स्क्रीन पर पिक्चर को लगाए इसी लिए बंटी खुद जाकर डीडीएलजे लगाने वाला था। पर स्क्रीन पर कुछ और ही अपने आप चल रहा था।

बंटी ने देखा स्क्रीन में एक सिनेमा हॉल दिखाई दे रहा था। जहां लोगों की बड़ी चहल पहल थी और अलग अलग स्क्रीन में लोग पिक्चर देख रहे थे। कुछ लोग बहार इंतजार कर रहे थे तो कुछ टिकट खरीद रहे थे। कुछ लोग पार्किंग में थे। तब ही अचानक स्क्रीन ए में आग लगी और आग की रपटे इतनी बढ़ गई के सारा सिनेमा घर जल कर कुछ ही देर में राख हो गया। उसके बाद पूरे सिनेमा हॉल मानों श्मशान बन गया था। किसीकी लाश मिलना और मिल जाए तो वो कौन है वो पहचानना मुश्किल था क्योंकि सबके शरीर और चेहरे पूरे जल गए थे। तो किसीके कंकाल इधर उधर बिखरे पड़े थे। आम्रपाली सिनेमा के मालिक ने पूरा सिनेमा साफ़ करवाया और फिर से रंग रोगान करके सिनेमा चालू करना चाहा पर लोगों को यहां आत्माओं के होने का एहसास होने लगा तो कुछ लोगों की जान भी इस सिनेमा में गई। तब से इस भूतिया सिनेमा को बंद करवा दिया गया। सिनेमा के मालिक ने ये सिनेमा सरकार को बेच दिया और ख़ुद विदेश चला गया। सरकार ने कई बार इस सिनेमा को तोड़कर यहां कुछ और बनाने की सोची पर इस भूतिया सिनेमा ने मानों ठान ली हो। कोई भी कारीगर या मशीन यहां की एक ईंट तक नहीं हिला पाया उल्टा कुछ वक्त बाद यहां की आत्माएं इतनी ताकतवर हो गई के यहां आसपास आने वाला एक भी इंसान बचकर वापस नहीं जा पाया। इतने सालो से यहां कोई भी नहीं आया और अब तुम आए हो? शैल और रिधिमा ने तो ये फिल्म कब की देख भी ली और भगवान को प्यारे भी हो गए तुमने अंदर आने में देरी कर दी बंटी। अब तुम्हारी बारी।

बंटी समझ नहीं पा रहा था। बंटी का दिल जोरों से धड़क रहा था। उसका शरीर पसीने से पूरा गीला हो चुका था। उसने धीरे धीरे आसपास नज़र घुमाई पर उसे कोई नहीं दिखा। वो धीरे से डरते डरते पीछे पलटा, उसने देखा शैल और रिधिमा आधे जले हुए थे, शैल की आंखें लाल, रिधिमा के डरावने नाखून और बड़े बड़े दांत। वो ज़ोर से चिल्ला उठा और जैसे ही आगे पलटा...

दूसरे दिन अख़बार में तीनों की गायब होने की खबर थी क्योंकि शैल बड़े बाप का लड़का था। उस बात को आज एक महीना बीत गया था सब ये तो जानते थे के तीनों दोस्त थे जो मिसिंग है पर भूतिया आम्रपाली सिनेमा का शिकार बन चुके हे ये कोई नही जानता था ना ही उनकी लाशें उस सिनेमा में थी। आत्माएं जरूरत वही कही भटक रही थी।

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