साथिया - 50 डॉ. शैलजा श्रीवास्तव द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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साथिया - 50





उधर दिल्ली में शालू के घर पर अभी मालिनी अबीर और शालू डाइनिंग हॉल में बैठे हुए थे..




" सुनिए जी मेरी दीदी से बात हुई थी माही अगले हफ्ते दिल्ली हम लोंगो के पास आ रही है...


" ये तो बड़ी ख़ुशी की बात है और मिनाक्षी? " अबीर बोले....



" वो बोल रही थी की चर धाम की यात्रा पर जा रही है तो अब वापस आकर ही आएंगी मालिनी ने कहा।

" चलो अच्छा है अब हमारी बेटी हमारे साथ रहेगी...!" अबीर बोले.।

" काश की कहीं से उसकी खबर भी मिल जाती...!" मालिनी बोली।

अबीर और शालू के चेहरे पर उदासी आ गई।

कुछ देर बाद माहौल को नॉर्मल करते हुए अबीर ने शालू की तरफ देखा।


शालू तुम्हारी और ईशान की सगाई हुए तो काफी टाइम हो गया है अब मैं सोच रहा हूं जैसे ही अक्षत आता है तुम लोगों की शादी की बात जाकर करता हूं मैं अरविंद जी से। " अबीर कहा तो शालू के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई।


"जी पापा जैसा आप ठीक समझे। वह ईशान और उनके मम्मी पापा भी यही चाहते हैं कि अक्षत भाई की शादी और ईशान की शादी एक साथ हो। .और बस अक्षत भाई की ट्रेनिंग से लौटने के बाद साँझ के घर में बात करेंगे और उन दोनों की शादी तय करेंगे। और फिर आप भी बात कर सकते हो!" शालू बोली।


"हां यह तो बड़ी खुशी की बात है और मुझे इस बात की बड़ी तसल्ली है कि तुम और तुम्हारी सहेली एक ही घर में रहेंग.। उस बच्ची को देखकर ना जाने क्यों एक अपनेपन का एहसास होता है.। ऐसा लगता है कि जैसे हमारा ही बच्चा हो और न जाने क्यों ऐसा लगता है कि तुम उसके साथ रहोगी तो तुम लोगों का एडजस्टमेंट बहुत अच्छे से हो जाएगा....!" अबीर ने कहा।

" जी पापा साँझ है ही इतनी प्यारी... ।। मुझे भी बहुत प्यार करती है वह और सच में उसके साथ एडजस्टमेंट होने में कोई भी प्रॉब्लम नहीं आती है।" शालू बोली।।

"अच्छा मालिनी मैं दो बाद बाहर जा रहा हूं...!" अबीर बोले.,

" बाहर जा रहे हैं कहां जा रहे हैं? " मालिनी ने कहा।


" मेरे एक पुराने मित्र हैं उनके घर में कुछ प्रोग्राम है यही लखनऊ के पास जाना है तो बस दो दिन बाद जाऊंगा एक दिन का प्रोग्राम है और फिर वापस आ जाऊंगा। ऐसी कोई बड़ी बात नहीं है.। मेरा मन तो पहले था कि तुमको और शालू को भी लेकर चलूँ पर मुझे लगा कि जब ना जाने तुम लोग जाना चाहोगे कि नहीं जाना चाहोगे!" अबीर बोले।

" और क्यों नहीं जाना चाहेंगे पापा...?? हम लोगों को भी लेकर चलो हम लोग भी आपके साथ चलेंगे.. ।। इसी बहाने थोड़ी आउटिंग हो जाएगी बाकी दिल्ली में रहते रहते बोर हो गई हूं मैं तो!" शालू ने कहा...।

" ठीक है तो फिर तैयारी कर लो दो दिन बाद हम लोगों को चलना है!" अबीर बोले और फिर अपने ऑफिस निकल गए।

"चलिए मम्मी हम लोग भी तैयारी कर लेते हैं कभी-कभी तो पापा हां बोलते हैं हम लोगों को साथ में ले जाने के लिए तो यह मौका हमें छोड़ना नहीं चाहिए....!! इसी बहाने लखनऊ भी घूमना हो जाएगा और पापा के मित्र से भी मिलना हो जाएगा और थोड़ा इस दिल्ली की पॉल्यूशन से राहत भी मिल जाएगी...!" शालू बोली तो मालिनी कमरे में जाकर अपना शालू और अबीर सामान जमाने लगी।

*******

रात के समय शालू ने ईशान को कॉल किया।


" हाय कमसे कम याद तो आई इस नाचीज की।" ईशान बोला तो शालू खिलखिला उठी।


"अच्छा अच्छा सुनो ना यूँ हंसने से काम नहीं चलेगा।। यह बताओ कब मिल रही हो? पूरा एक हफ्ता हो गया है। मैं ऑफिस के काम में बिजी हूं और तुम न जाने कहां बिजी हो? मिलना ही नहीं हो पाया है। कभी-कभी तो ऐसा लगता है की शादी के पहले ही हमारे बीच का रोमांस खत्म हो गया है।" ईशान ने कहा।

"तुमको क्या हर समय सिर्फ रोमांस की बातें आती हैं? और जब शादी होगी ना तो रोमांस खुद का खुद आ जाएगा। अब शादी के पहले जितना रोमांस होना था हो चुका। कितने सालों से हम एक दूसरे को डेट कर रहे हैं। दिल्ली का एक-एक रेस्टोरेंट एक-एक गली हम लोगों ने छान मारी है साथ घूम घूम कर, और तुम कहते हो की रोमांस नहीं हुआ।" शालू बोली।।

"तो उसे रोमांस कहते हैं ..?? एक किस तक नहीं किया हमने...!! वहां तो मैं ड्राइवर बना रहता हूं और पीछे मेरी मालकिन बैठी होती है। जो हर समय ऑर्डर देती रहती हैं। चलो आज सरोजिनी चलते हैं...!! चलो आज लाजपत नगर में जाकर शॉपिंग करनी है। चलो आज चांदनी चौक की तरफ घूम कर आते हैं। परांठे वाली गली के पराठे याद आ रहे हैं।" ईशान बोला तो शालू और भी जोर से हंसने लगी।

"क्या हुआ अब?' ईशान ने कहा।

"यार तुम तो अभी से हस्बैंड की तरह शिकायत करने लगे..!! इतना भी तंग नहीं करती मैं तुम्हें। और मैं तो कहती भी नहीं हूं साथ आने को तुम ही हो जो हर समय मेरे साथ लगे रहते हो।" शालू बोली।


"हां तो क्या करूं इसी बहाने कुछ समय तुम्हारे साथ मिल जाता है वरना शादी के तो सपने देखते देखते आंखें पथरा गई हैं।

रोज रात को मुझे यह सपना आता है कि हमारा रूम खूबसूरती से सजा हुआ है। तुम दुल्हन बनकर बेड पर बैठी हो और मैं आकर जैसे ही तुम्हारा घूंघट उठाता हूं कि सपना एकदम से टूट जाता है।

और पीछे से म्यूजिक बजाने लगता है छन से जो टूटा कोई सपना...!" ईशान ने कहा।


"अरे यह सपना कभी नहीं टूटेगा वादा करती हूं मैं..!! और इसी के लिए तो मैं तुम्हें फोन किया था।" शालू बोली।


"किसके लिए? " ईशान ने कहा।

"यही कि आज पापा से बात हुई थी...! पापा कह रहे थे कि अक्षत भाई वापस आते ही वह तुम्हारे घर आएंगे रिश्ते के लिए बात करने के लिए। हमारी इंगेजमेंट तो पहले ही हो चुकी है बस अक्षत वापस आ जाए तो पापा बोल रहे थे कि अंकल आंटी से आकर बात करेंगे कि जल्द से जल्द अक्षत सांझ और मेरी और तुम्हारी शादी कर दी जाए। " शालू बोली।


"आज तो तुमने दिल खुश कर दिया ..!! अगर तुम अभी सामने होती ना तो अभी तुम्हारे होंठ चूम लेता।" ईशान बोला।

"थोड़ा सबर करो मेरे उतावले नबाव...! यह सब चुम्मा चुम्मी सब शादी के बाद समझे न। इसलिए अभी ऐसा सोचना भी मत। बस अभी तो सपने देखो तुम और हां इस बार सपना देखोगे ना तो घूंघट खोलने से ही मे गायब नहीं होऊँगी।" शालू बोली तो ईशान भी मुस्करा उठा।


"अच्छा सुनो तुम्हें एक बात बतानी थी! " शालू ने कहा।


" अब और कौन सी बात है बोलो ना..?" ईशान बोला।


"अभी दो दिन बाद पापा अपने एक दोस्त के यहां जा रहे हैं यूपी के किसी एरिया में। मैं और मम्मी भी उनके साथ जा रहे हैं। तो बस वही बताना था तुम्हें की अब मुलाकात लौटने के बाद ही होगी।" शालू बोली।

"हां ठीक है कोई बात नहीं...!! आराम से जो आओगी उसके बाद मिलना तब तक मैं भी बिजनेस मीटिंग में बिजी रहूंगा।" ईशान ने कहा।।

"चलो बस तुम्हें इन्फॉर्म करना था...!! क्या होता है ना कि उधर इंटीरियर में कई बार नेटवर्क नहीं मिलता। तो बात नहीं हो पाती है और फिर तुम्हें लगता है कि मैं तुम्हारे बिना बताए कहां गायब हो गई..?" शालू ने कहा।

" अच्छा किया जो तुमने मुझे बता दिया और एक बात कभी मुझे बिना बताए गायब होना भी मत...!! वरना तुमसे ऐसा नाराज हो जाऊंगा कि तुम मना नहीं पाओगी मुझे।" ईशान ने कहा ।

"और मैं भला क्यों गायब होने लगी। दो-तीन दिन वापस आकर तुमसे मिलती हूं। चलो अपना ध्यान रखना। गुड नाइट..!" शालू बोली और कॉल कट कर दिया।

"यह भी ना एकदम पागल हो गया है मेरे पीछे..!! चलो अच्छा है अक्षत भाई की ट्रेनिंग जल्दी ही पूरी हो जाएगी और फिर हम चारों की जिंदगी एकदम से नॉर्मल हो जाएगी।" शालू ने खुद से ही कहा और फिर चेहरे पर मुस्कुराहट लिए बिस्तर पर जा गिरी।


क्रमश:

डॉ. शैलजा श्रीवास्तव