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रेशम की डोरी से बंधा यह अनमोल बंधन ....

कभी खट्टा तो कभी मीठा, कभी प्यार तो कभी झगड़ा, कभी एक दूसरे के लिए बेशुमार प्यार और चिंता तो कभी एक दूसरे से अपने खेल खिलौनों और पसंदीदा खाने के लिए लड़ जाना, कभी एक दूसरे के लिए बाहर अन्य लोगो से लड़ जाना....... कुछ ऐसा ही होता है भाई बहन का अनमोल नाता। जहां एक दूसरे के लिए प्यार भी है और चिंता भी। हम चाहे कितने भी बड़े स्तर पर क्यों न हों लेकिन जब भाई बहन कभी साथ बैठते है तो, वो अपनी पुरानी यादों को ताजा करते हैं। कैसे वो एक दूसरे से झगड़ते थे, कभी खाने के लिए तो कभी खिलौनों के लिए।

आज अपनी व्यस्त भरी जिंदगी में हम सब इतना गुम हो गए हैं कि हमे कभी अपने भाई बहन के पास साथ बैठने का समय नही मिल पाता। उनसे बातें कर वो जब वो अनमोल दिन याद करने का समय नही मिल पाता। जहां बचपन में बैठ कई खेल खेले, साथ खाना खाया, साथ मे पढ़ने स्कूल भी गए और साथ में खूब लड़ाई भी लड़ी.... कभी एक दूसरे से तो कभी एक दूसरे के लिए।

भाई बहन का अनमोल रिश्ता ऐसा होता है "कि तेरी मेरी बने न और तेरे बिना चले न" यानी भाई बहन का हर दिन लड़ाई झगडे से ही शुरू होता है और उसी पर ही खत्म भी होता था। यदि कभी किसी दिन भाई बहन में किसी बात को लेकर बहस न हो तो, लगता है कि आज कुछ गड़बड़ है। भाई बहन में कभी किसी बात को लेकर बहस न हो, ऐसा कभी हो ही नहीं सकता हैं। यहां तो हर दिन किसी भी बात पर नई बहस आरंभ हो जाती हैं, लेकिन वो लड़ाई झगड़ा ज्यादा दिन नहीं रहता। दोनों भाई बहन में इतना अधिक प्यार और चिंता होती है कि जल्द ही पुरानी बाते भूलकर एक दूसरे से बात करने लगते हैं।

भाई यदि तो अपनी छोटी बहन को गुड़िया की तरह समझ उसका बहुत ही ध्यान रखता हैं, उसे पढ़ाता है, बहन को अगर जरा भी कोई डांट दे तो उससे लड़ जाता है एक बड़ा भाई साथ ही बड़ा भाई एक पिता के समान ही अपने सभी भाई बहनो की देखभाल करता है और अगर बहन बड़ी हो तो वह एक मां की तरह अपने भाई बहनो का ख्याल रखती हैं, अपने सभी भाई बहनो को उचित बातें भी बताती है, उनकी गलती पर उन्हें एक मां की तरह डांटती हैं और उन्हें कभी कोई आंच न आए इस बात का भी एक बड़ी बहन बहुत ख्याल रखती है।

भाई बहन का यह अनमोल नाता बहुत ही प्यार से बंधा होता है। रक्षाबंधन पर बहने भाईयो की कलाई पर राखी बांधने का इंतजार करती हैं और भाई भी इसी इंतज़ार में होते हैं कि बहन कब राखी बांधेगी। रेशम की कोमल डोर से बंधा यह अनमोल बंधन है। जो हर मुश्किल में साथ निभाने का वादा करता है, हर संकट में साथ खड़े रहने का वादा देता है। बहन चाहें किसी भी परिस्थिति में हो भाई सदैव अपनी बहन के लिए खड़ा है।

इसी उम्मीद के साथ बहन अपने भाई की कलाई को रेशम की सुनहरी डोर से सजाती हैं। भाई भी उससे यह वादा करता है कि वो हर सुख दुःख में उसके साथ रहेगा और यूं ही उसके जीवन को फूलो की तरह महका देगा।

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