मेरे मन की आवाज दिनेश कुमार कीर द्वारा कुछ भी में हिंदी पीडीएफ

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मेरे मन की आवाज

1.
ले सको सात फेरे तो फिर उस
मोहब्बत का तोड़ नहीं,
इश्क में अगर महबूब अगर बेवफा निकल जाए
तो इस रोग से बड़ा कोढ़ नहीं...

2.
हालात चुप कर देते है इंसान को,
वरना बोलना सबको आता है...

3.
प्रेम में पड़ा पुरुष अक्सर
पापा बनने के चक्कर में
मामा बन जाता है।

4.
ऐ जिन्दगी इतना वे वक्त रुलाया ना कर,
जिस दिन ठान ली ये दिल पत्थर हो जायेगा...

5.
जो एक बार दिल से उतर गया,
वो कसम खाए या जहर परवाह नहीं...

6.
सताया ना कर ऐ जिन्दगी,
हम वो बदनसीब इंसान है,
जिसको लोग बहुत हंसाने के बाद,
रुलाता हुआ छोड़ गए थे...

7.
हम मरना पसंद करेंगे,
लेकिन दुबारा इश्क नहीं करेंगे...

8.
जो तू बसर तो ठिकाना किधर,
सफर कर जो है बस, सफर है, सफर है...

9.
सभी के नाम पे नहीं रुकती धड़कने ,
दिलों के भी कुछ उसूल होते हैं...

10.
सही वक्त पर करवा देंगे हदों का अहसास,
कुछ तालाब खुद को समंदर समझ बैठे हैं...

11.
मोहब्बत भी ठंड जैसी होती है,
लग जाए तो बिमार कर देती है...

12.
मत समझो मुझे गलत मैंने कुछ नहीं किया,
तुम नजरंदाज करते थे न मैंने नजर आना छोड़ दिया...

13.
मेरे पास तो बस तेरी याद है,
जिंदगी उसे मुबारक जिसके पास तू है...

14.
अपने लहजे में नरमी बहुत ज्यादा है,
नए साल में नई जंग का इरादा है...

15.
जो खुद को खुद से ही,
पराया कर दे उसी को इश्क कहते हैं...

16.
मांगी थी गली तुमने शहर हमने दिया है,
मालूम है कि तुम मुझे गाली दोगे,
फिर भी तुम्हे देते है क्या याद करोगे...

17.
तू नया है तो दिखा सुबह नई शाम नई,
वर्ना इन आँखों ने देखे हैं नए साल कई...

18.
ये सफ़र कितना कठिन है रास्तों को क्या पता,
कैसे - कैसे हम बचे हैं हादसों को क्या पता...

19.
कोई हँसा गया तो कोई रुला गया,
नया साल का तो पता नहीं, लेकिन
बिता हुआ साल बहुत कुछ सीखा गया...

20.
इस पल ना तुम कुछ बोलो ना मैं कुछ बोलू
बस सुरों को एक दूसरे में घुल जाने दो यूँही

चलते चलते ...

21.
क्या समझूं किताबों में लिखा,
जो जिन्दगी जी रहा हुं
वो तक समझ नही पा रहा हूं...

22.
खुशबू जहां जहां तक गई उसकी,
दिल भी उसी की ओर चलने लगा,
दोस्त भी अब कहने लगे...
तूझे किसकी नजर लग गई जो तू इतना बदलने लगा...

23.
वादों से बड़ी जंजीर थी जो तोड़ दी हमने,
आजकल हम जल्दी सोया जाया करते है क्योंकि मोहब्बत छोड़ दी हमने...

24.
ठहर जाते तो मिल जाते हम तुम्हें,
इश्क़ में इंतिज़ार करते हैं जल्दबाज़ी नहीं...

25.
खुशबू हमारे हाथ को छू कर गुजर गई,
हम फूल सबको बाट के पत्थर हो गए...

26.
एक उम्र बीत चली है तुझे चाहते हुए,
तू आज भी बेखबर है कल की तरह...

27.
हम झूठो के बीच सच बोल बैठे,
वो नमक का शहर था, और हम जख्म खोल बैठे...

28.
बदल दिया है मुझे मेरे चाहने वाले ने,
वरना मुझ जैसे शख्स में, इतनी खामोशी कहा थी...

29.
अब तबियत पहले जैसी नहीं रही,
गलतियां ना भी हो तब भी मान लेता हुं...

30.
लोग नए साल में बहुत कुछ नया मांगेंगे,
पर मुझे वही पुराना तुम्हारा साथ चाहिए...

31.
छूटे हुऐ हाथों का छूटना अब और नहीं अखरता,
पड़ चुका है फर्क इतना की अब फर्क नहीं पड़ता...

32.
कुछ उसे भी दूरियां पसंद आने लगी थी,
कुछ मैंने भी वक्त मांगना छोड़ दिया...

33.
जरूरत थी सहारे की जब टूट गए थे मेरे सपने,
पराए लोगो ने साथ दिया और रंग दिखा गए अपने...

34.
कहाँ हो तुम चले आओ... मुहब्बत का तकाज़ा है,
गमे - दुनिया से घबरा के... तुम्हे दिल ने पुकारा है...